Maafi - 2 in Hindi Short Stories by Suresh Chaudhary books and stories PDF | माफी - भाग 2

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माफी - भाग 2

,, चिंता मत करो, सुधा जी मैं आपके लिए सुमेश का कहीं से भी तलाश करके लाऊंगा,,। धीमी चाल से चलते हुए पंकज ने कहा।
,, लेकिन बेटे मेने अभी बताया है कि सुमेश, यह शहर छोड़कर हमेशा के लिए कहीं जा चुका है,,। सुधा के पापा ने अपने प्रत्येक शब्द पर जोर देते हुए कहा।।
,, यह आपने कहा और मैने मान भी लिया, लेकिन,,। पंकज ने कहना चाहा, लेकिन राम दयाल ने आंखों से ईशारा करके पंकज को रोक दिया। इसी के साथ रामदयाल खड़ा हो कर रूम से बाहर जाते हुऐ,, मैं अभी आता हूं,,। पंकज समझ गया कि सुधा के पापा कुछ कहना चाहते हैं लेकिन अलग से। इसलिए पंकज भी रामदयाल के पीछे पीछे रूम से बाहर आ गया।
,, आप शायद कुछ कहना चाहते हैं,,। रामदयाल के पास आते हुए पंकज ने कहा।
,, हां,,।
,, कहो क्या बात है,,।
,, बेटे पंकज, मैं जानता हूं कि तुम बहुत ही समझदार हो और यह भी जानता हूं कि तुम सुधा को बहुत प्यार करते हो, मेरी गलती है कि मैने तुमसे सुधा के पहले प्यार के बारे में छिपाया, मेरी सोच थी कि बचपन का प्यार केवल और केवल एक बचपना होता है और कुछ नही,,।
,, मैं समझा नहीं कि आप क्या कहना चाहते हैं,,।
,, पंकज बेटे, मेरी बेटी पड़ोस के एक लडके से प्यार करती थी वह लडका हमारी जाती का नही है और हमारे स्टेटस का भी नहीं,,।
,, अब इन सब बातों को कहने का मतलब,,।
,, सुधा की तबीयत के कारण, मैं यह सब कह रहा हूं, मेरा मानना था कि तुम्हारे यहां के ऐशो आराम को देखकर धीरे धीरे सुधा शादी से पहले की सभी बातें भूल जायेगी,,।
,, हर माता पिता यही सोचता है,,।
,, हां, लेकिन सुधा आज भी,,। आगे न कह सका रामदयाल
,, आपने सुधा को सुमेश से दूर करके अच्छा नहीं किया,,।
,,,,,,,,,। रामदयाल चुप ही रहा
,, आप सुधा के पास बैठिए, मैं कोशिश करूंगा कि सुधा को सुमेश मिल जाए,,। यह सुनकर रामदयाल धीमे कदमों से चलते हुए सुधा के पास आ गया। रामदयाल की पत्नि सुधा के बालों को सहला रही है।
,, अच्छा बेटी, अब हमे चलना चाहिए,,। पापा की आवाज सुनकर सुधा ने एकदम पापा की ओर देखा।
,, ऐसे कैसे, दो चार दिन मेरे पास रहो न, देखो तो सही कि आपकी बेटी कितने ऐशो आराम से रह रही हैं,,। यह सुनते ही रामदयाल की आंखे भीग गई।
,, सुधा बेटी क्या कभी हमें माफी,,।
,, माफी, कैसी माफी, आपका अधिकार है मुझ पर, आख़िर आपने पैदा किया है मुझे और फिर पालन पोषण भी तो किया है मेरा, शायद मैं भूल गई थी कि मुझे शादी से पहले प्यार करने का कोई हक नहीं था,,। पापा के शब्दों को बीच में काटते हुए कहा सुधा ने।
,, सुधा जी मम्मी पापा को दोष देने से कुछ नहीं होगा, कभी कभी तकदीर ही ऐसा खेल खेलती हैं कि कोई कुछ नहीं कर सकता,,। पंकज ने रूम में प्रवेश करते हुए कहा।
,, शायद आप भी ठीक ही कह रहे हैं,,।
,, मैं प्रयास करुगा आपको सुमेश से मिलाने की,,। यह सुनकर सुधा थोडी आश्वस्त हो गई।