The Author Anju Kumari Follow Current Read मुलाकात - 5 By Anju Kumari Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books જીવન પ્રેરક વાતો - ભાગ 15 - 16 બરફ - ભાગ ૧૫ હા હું બરફ છુ. તે પણ પાછો કશ્યપની ખેડેલી જમીન... પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 37 વિચારઘડિયાળમાં એકનો ટકોરો વાગતા જ કેવિન લંચબ્રેકમાં બાઈક લઈન... રોડ ટુ હેવન રોડ ટુ હેવન, કચ્છસફેદ રણ જોવા અમે 2012 માં ગયેલ ત્યારે તો ભુ... ભાગવત રહસ્ય - 150 ભાગવત રહસ્ય-૧૫૦ પરીક્ષિત રાજાએ પ્રશ્ન કર્યો- વૃત્રાસુર ભગવ... રેડ સુરત - 4 ઉધના રેલ્વે જંકશન, સુરત પોલીસ-વાન ઉધના રેલ્વે લાઇન પ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Anju Kumari in Hindi Short Stories Total Episodes : 8 Share मुलाकात - 5 (3) 1.2k 2.7k 1 अब जानिये पहली कब और कैसे उन्हे ये एहसान हुआ उसके बारे मे,.......... आनन्द को जया के साथ फोटो लेकर वो ही सुकून मिला जो किसी प्यासे को पानी देखकर मिलता है, आनन्द अब जया को ही देखना चाहता था हर पल और जया को उसका ये रवैएया पसन्द नही आ रहा था वो भाग जाना चाहती थी , उसने पल्लवी से कहा कल होस्टल चलेगें, और वहां से दूर जा बैठी, आनन्द से छिपती हुई आनन्द की आंखे उसका पीछा नही छोड़ रही थी,और वो ये किसी को बता भी नही सकती मामी जी वैसे ही उसको पसन्द नही करती थी उस पर अब ये बात बढेगी तो सब उसे ही गलत समझेंगे। जयमाला और फिर फेरे सब मे आधी रात हो गई थी सब लोग जा चुके थे कुछ लोग ही बचे थे बस घर के और कुछ बराती अब सब पर नींद और थकान सब पर हावी हो चुकी थी ,मामा जी ने चाय काॅफी का इन्तजाम करवा दिया था पर वेटर कोई ना था तो आनन्द और उसके दोस्त और कुछ मेहमान चाय सर्व करने लगे, सबको चाय दे कर आनन्द चाय लेकर जया के पास आ कर बैठ गया ,अब जया असहज हो गई उसका दिल जोरो से धडक रहा था, पल्लवी जया को देखकर मुस्कुरा रही थी , जया उसे बस देखे जा रही थी, पल्लवी ने अपने भाई आनन्द से कहा "कल हम सब को होस्टल छोड़कर आ जायेगा क्या " आनन्द ने कहा अभी छोड़कर आ जाऊं और सब हंसने लगे तो पल्लवी बोली अरे जया का दिल नही लग रहा ।तब आनन्द ने कहा जया एक दो दिन और रूक जाओ तो आप को कहीं घुमा दूँगा। जया कुछ ना बोली और फेरे देखने मे मशगूल हो गई, अब आनन्द जया को पल्लवी जया और आनन्द दोनो को देख रही थी, उसे आनन्द पर कुछ शक हो रहा था । शादी खत्म होते रात के तीन बज गये और विदाई होने मे अभी समय था कुछ रस्मे बाकी थी विदाई से पहले की तो सब दूल्हा-दुल्हन के साथ बातचीत और हसी मजाक करने लगे कुछ लोग सोने चले गये , कुछ लड़किया और आनन्द के कुछ दोस्त भाई रह गए एक दो बुजुर्ग और थे, आनन्द ने कहा कोई गाना गाते है नही तो नींद आने लगेगी , और सब घर जा नही सकते दे तो सब राजी हो गये मामा जी मामी जी पल्लवी की मम्मी उसकी नानी सब घर पर विदाई और बची रस्मो की तैयारी मे लग गये, उधर आनन्द अपनी बहन के आखिरी कुछ घन्टे यादगार बनाना चाहता था वो वैसे तो शादी की सारी तैयारी मे शामिल नही हो पाता था पर अब अपनी बहन को कुछ खास पल देना चाहता था , तो उसने दो टीम बना ली और लगा गया गाना गाने ,वो जया को अपनी टीम मे लेना चाहता था पर जया तो खेलना ही नही चाहती थी जूही के कहने पर राजी हुई , सबकी बारी आई और सबने गाने गाये पर जया कुछ ना गा सकी ,पर पल्लवी ने उसे विदाई गीत गाने के लिए मना ही लिया जया ने गया ," काहे को बिहाई विदेश ले लखिया बाबुल मोरे ,...... गाने के खत्म होते होते सबका दिल भारी और आंखे नम हो गई थी ,जूही तो बहुत रही हर औरत लड़की महसूस कर रहक थी जैसे ये गाना सिर्फ उसके लिए था, माहौल को गमगीन होता देख आनन्द जो अपनी बहन की विदाई पर रोना नही चाहता था बोला सबको रूलाना है क्या मै तो दीदी की विदाई पर बिल्कुल नही रोने वाला, ये सब करते सुबह के पांच छः बज गये धीरे धीरे सब जूही की विदाई के लिए घर जाने लगे थे कुछ कुछ उजाला हो गया था । सब घर के लिए आने लगे तो पल्लवी जया साधना कुछ और लड़कियां एक साथ आनन्द के साथ कार मे बैठ गयी , आनन्द ने जया को ठीक अपने पीछे वाली सीट पर बिठाया, अब जया को गाड़ी के सामने वाले शीशे मे देख सके, जया ने शीशे मे से आनन्द को देखा जो उसे देखकर ही मुस्कुरा रहा था जया सोच रही थी क्या हुआ इस आनन्द के बच्चे को क्यों देख रहा है मुझे ऐसे क्यों इतना खुश है, वो बार बार शीशे मे देख रही थी जब भी देखती आनन्द को खुद को देखते हुए पाती और न जाने क्या क्या सोचता रही और घर आ गया वो ऐसे भागी घर मे जैसे उसका पीछे भूत लगा हो, सीधा अपने रूम मे गई और रूम लाॅक कर लिया। और चेंज करने लगी सब रस्मो और विदाई मे बिजी थे , आनन्द भी किसी न किसी काम मे लग गया , लगभग एक घंटे बाद जया के रूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया। जया जैसे सपने से बाहर आई, तो पूछा कौन है वो तो अभी ही अपनू होस्टल जाना चाहती, आगे जानने के लिए बने रहे हमारे साथ धन्यवाद........ ‹ Previous Chapterमुलाकात - 4 › Next Chapter मुलाकात - 6 Download Our App