Bhayanak Yatra - 3 in Hindi Horror Stories by नंदी books and stories PDF | भयानक यात्रा - 3 - परेशान प्रेमसिंह ।

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भयानक यात्रा - 3 - परेशान प्रेमसिंह ।

हमने देखा की प्रेमसिंह अपने बच्चो की गायब हो जाने की कहानी बता रहा था,,,
रमनसिंह चार्ज लेते हुए ही प्रेमसिंह के बच्चो को ढूंढने को तैयार थे,,,,,
रमनसिंह ने रिपोर्ट पढ़के समझ लिया था की मामला क्या है,उसने प्रेमसिंह को किल्ले की तरफ जाने के लिए तैयार रहने कहा,,,
अब आगे,,,,
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गोखले,तुम्हे रात से खबर मिली है बच्चों की गायब होने की हमे रात को ही आगाह कर देते तुम तो अच्छा रहता–रमनसिंह ने कहा।
सर रात को भी आपको बता भी देता तो हम वहा जा नही सकते थे,हमे ऊपर से ऑर्डर है की वो किल्ले के आसपास रात को मुसाफिर,सामान्य जनता,या कोई भी अफसर वहा पे रहेगा नही–गोखले ने बोला।

बात तो तुम्हारी सही है लेकिन इसका कुछ तो उपाय करना पड़ेगा गोखले,हम हमेशा ऐसे हाथ पे हाथ धरे बैठे नही रह सकते ना–एक अफसोस भरी आवाज रमनसिंह की था।

इससे पहले भी बहुत से लोग वहा से गायब हो ही चुके थे,लेकिन वहा का कोई भी केस आजतक सॉल्व नही हो पाया था।

"गाड़ी निकालो" –रमनसिंह ने कहा।
प्रेमसिंह बैठो तुम ,और तुम दोनो उसके साथ बैठो,
चरणसिंह और विद्यासिंह पीछे जाके प्रेमसिंह के साथ बैठ गए।
‘सर मुझे भी आना है ’– गोखले बोला।
आज मुझे भी देखना है की वहा सबूत मिलते क्यू नही है?

रमनसिंह ने हां में सिर हिलाया और गोखले भी गाड़ी में बैठ गया।

गाड़ी किल्ले की तरफ बढ़ रही थी,गाड़ी में रमनसिंह और चरणसिंह किल्ले को लेकर कुछ बात कर रहे थे,विद्यासिंह ड्राइवर के साथ गप्पे लड़ा रहा था,लेकिन एक इंसान बस दुविधा में था वो प्रेमसिंह। एक तरफ बच्चे गायब थे और दूसरी तरफ जोरू बीमार थी।इतनी असमंजस में था की उसको खुद का भी खयाल नहीं आ रहा था।समय कछुए की भांति चल रहा था,और प्रेमसिंह के दिमाग में मनोमंथन बिजली की भांति। रास्ते में गाड़ी थोड़ी देर चाय के लिए रुकी फिर किल्ले की तरफ जाने रवाना हुई,बस थोड़ी दूर का फासला था।
कुछ देर के बाद किल्ले के आगे जहा प्रेमसिंह की टपरी थी वहां जाके गाड़ी रोक दी गई,रमनसिंह ने एक नजर प्रेमसिंह की तरफ करते हुए पूछा क्या यहीं चाय बेचते हो?
प्रेमसिंह ने सिर्फ हां में सिर हिलाया।
ठीक है –रमनसिंह बोला।
चरणसिंह और विद्यासिंह गाड़ी से उतर चुके थे,क्युकी आगे की और गाड़ी जा नही सकती थी इतना छोटा रास्ता था।ड्राइवर को वहीं रुकने बोलके रमनसिंह ने सबको लेके किल्ले की तरफ चल दिए।
किल्ले की अंदर रमनसिंह उनके कांस्टेबल साथी के साथ प्रेमसिंह के कहे मुताबिक जांच कर रहे थे और रिपोर्ट लिखे जा रहे थे।रमनसिंह ने दोनो को वहा जांच करने के लिए बोले प्रेमसिंह के साथ किल्ले की पीछे की तरफ चले गए,प्रेमसिंह वहां बहुत की गंभीर स्वर में बोला,,
साब,मेरे बच्चे ..
रमनसिंह ने एक नजर प्रेमसिंह की तरफ देखते हुए बोला –जल्द पता लग जायेगा ,बस थोड़ा हमारे साथ कॉपरेट कीजिए।
गोखले रमनसिंह के तरफ भागता हुआ आया,और हांफते हुए बोला–वहां बच्चे की लाश पड़ी है,और वो भी एक नही 2।

वो सुनते ही प्रेमसिंह रमनसिंह से भी तेज भागते हुए वो जगह पर पहुंचा,और बच्चो को देखकर चिल्ला कर रोने लगा।उसे समझ नही आ रहा था की उसके साथ क्या हुआ है,बस वो रो रहा था और वो भी इतनी बड़ी आवाज में की गले में से जैसे अभी खून निकल जायेगा।बस थोड़ी देर में बच्चो को पोस्टमार्टम के लिए लेके जाने वाले थे तब चरणसिंह ने कुछ मानवाकृति जैसा किल्ले के पीछे दिखाई दिया। उसके पीछे पीछे चरण सिंह जाने लगा देखा की वो कहीं छुपते छुपाते जा रहा है,वो मानवाकृति एक साए की तरह थी ,और बस चलते ही जा रही थी ।

चरणसिंह को ऐसे अचानक से जाते हुए देख विद्यासिंह ने भी उसकी तरफ तेजी से पैर दौड़ा दिए।बस किल्ले की ऐसी जगह आकृति पहुंची जहां अंधेरा बहुत था,और वो वहा से गायब हो गई।चरणसिंह ने उसे आसपास ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन वहा मात्र अंधेरे के अलावा कुछ नही दिख रहा था। विद्यासिंह भी पीछे पीछे आ चुका था,अंधेरा बहुत था तो उसने चरणसिंह को आवाज लगाई ,अंदर से चरणसिंह ने हामी भरते हुए बाहर आ ही रहा था की अचानक वो किसी चीज से टकराया और गिर पड़ा।चरणसिंह के गिरने की आवाज सुनकर विद्यासिंह उसकी तरफ दौड़ा और उसको जैसे तैसे उठाया।चरणसिंह थोड़ा दर्द से कराह रहा था तब देखा की जो चीज उसके पैरो पे टकराई थी वो चीज भारी बहुत थी, एक थैले में किसी चीज भारी हुई थी जो उनसे गिरने का कारण बनी थी,दोनो ने बड़ी मशक्कत के साथ वो थैले को किल्ले की बाहर की तरफ लाने लग गए।
किल्ले में जहा अंधेरा खतम होते चरणसिंह की नजर थैले पर पड़ी तो उसपे खून लगा हुआ था,वो चौंक गया और उसने थैले की तरफ इशारा करते हुए विद्यासिंह को बोला–इसपे तो खून लगा हुआ है,यानी इसमें कोई मरा हुआ पड़ा है,किसी की लाश है।

दोनो ने तुरंत रमनसिंह को इसके बारे में आगाह किया,थैले को देखकर लग रहा था की वो थैला भारी बहुत था,रमनसिंह जैसे ही आगे बढ़े गोखले ने आवाज लगाई–सर,कुछ बताना है आपको थोड़ा आवश्यक है।
रमणसिंह ने थैले को वहीं छोड़कर गोखले के पास जाने लगे।

गोखले ने रमनसिंह को कुछ बताया,थोड़ी देर दोनो में बात चलती रही और एक नजर प्रेमसिंह के तरफ देख के अफसोस भरी आवाज में बोला –एक गरीब इंसान कितना दर्द सहेगा भगवान!!!!!!

क्या होगा उस थैले में जो चरणसिंह और विद्यासिंह को मिला है,?? गोखले ने रमनसिंह को ऐसा क्या कह दिया जिसकी वजह से रमनसिंह अफसोस व्यक्त कर रहे थे,

पढ़ते रहिए, ,,,,,,,अगले भाग में।