Pagal - 13 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 13

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पागल - भाग 13

भाग–१३

दोस्तो अब तक की कहानी मैं हुआ यूं था कि राजीव को वैशाली नाम की लड़की से दोस्ती करनी थी जो मीशा के ससुराल तरफ से आई थी । मेरा मिहिर से बात करना उसे अच्छा नही लग रहा था उसने मुझ पर गुस्सा किया। हम दोनो ने बात बंद कर दी ।
मीशा की बिदाई हो गई।

अब आगे,,

मीशा के जाने के बाद घर के पोस्ट मैरिज काम काज निपटाए जा रहे थे । आज मेहमानों में से भी ज्यादातर लोग जा चुके थे और जो बाकी थे शाम तक चले जाने वाले थे। सुबह मैं मम्मी को घर छोड़ आई थी। और मैं फ्रेश होकर वापिस रोहिणी आंटी की मदद को आ गई।

"सुन मिहिर, कल मीशा फोन लाने को तुझे भी तो कह सकती थी, उसने मुझे बुलाने को क्यों कहा ?" मैने मिहिर के साथ काम करते करते पूछा ।हम लोग गिफ्ट्स को मीशा के कमरे में जमा रहे थे , राजीव भी वही था ।

"हो सकता है उसके पर्स में कुछ ऐसा हो जो मुझे ना दिखाना हो , आफ्टर ऑल वो एक लड़की है , तुम उसका पर्स देख सकती हो मैं नहीं ।"
"हां यार ये तो मैने सोचा ही नहीं "
"सोचने के लिए दिमाग चाहिए " उसने कहा मैं उसे गुस्से से देखने लगी ।
हमारी नोकझोंक से राजीव को गुस्सा आ रहा था । मिहिर नीचे चला गया ।
राजीव मेरे करीब आया ,
"व्हाट्स रोंग विद यू?"
"व्हाट?"
"ये मिहिर के साथ"
"देखो राजीव , वो मेरा दोस्त है"
"ओह, तो मैं क्या हूं?"
"तुम भी दोस्त हो, " मैने कहा और जाने लगी क्योंकि मैं राजीव से नाराज़ थी उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे दरवाजे से लगा दिया ।
"रावण , सही नाम है तुम्हारा , छोड़ो मुझे "
"जो मस्तियां तुम मेरे साथ करती हो , वो तुम्हे किसी और के साथ करने का कोई हक नहीं है किट्टू ।" उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ा ।
"छोड़ो राजीव मुझे दर्द हो रहा है" मेरी आंखों में आंसू आ चुके थे ।
"छोड़ राजीव उसे " मिहिर ने आकर राजीव को धक्का मारकर मुझे छुड़वाते हुए कहा ।
"तू बीच में मत आ" राजीव ने मिहिर से कहा ।
"मैं बीच में नही आ रहा हूं " मिहिर बोला ।
राजीव ने उसकी कॉलर पकड़ कर उसे दीवार से लगाया ।
मैने राजीव को उससे दूर करते हुए कहा " राजीव , ये क्या हो गया है तुम्हे ?"
वह गुस्से में तमतमाता हुआ नीचे चला गया ।

मैं रोने लगी , मिहिर ने मुझे चुप कराया और कहा "उसे तेरी मेरी दोस्ती बर्दाश्त नहीं हो रही है "
"वो किसी से भी दोस्ती कर सकता है , बात कर सकता है तो मैं क्यों नही?"
"वो पोसेसिव है तुझे लेकर , तुझे याद है , बचपन में भी वो तुझे मेरे साथ खेलने नही देता था " मिहिर ने कहा
"बट ऐसी पोसेसिवनेस क्या काम की जो किसी के लिए घुटन बन जाए, उसे मुझ पर विश्वास होना चाहिए।" मैं अब भी रो रही थी ।
"तू पहले चुप हो जा," उसने कहा ।

"कीर्ति" सम्राट अंकल की आवाज थी। मैने आंसू पोछे और नीचे गई ।
"जी अंकल"
"बेटा , ये तेरे लिए" कहते हुए उन्होंने एक गिफ्ट मेरे हाथों में थमा दिया ।
"ये क्या है अंकल?" मैने पूछा।
"बेटा ये छोटा सा उपहार है मेरे और अंकल की तरफ से " रोहिणी आंटी ने सिर पर हाथ घुमाते हुए कहा।
"आंटी मुझे कोई उपहार नही चाहिए आपका आशीर्वाद काफी है " मैने कहा ।
"वो तो हमेशा रहेगा बेटा " अंकल बोले।
"पर इसकी क्या जरूरत थी?"
"क्योंकि तू हमारी बेटी ही तो है " उन्होंने कहा तो मेरी आंखे फिर नम हो गई।

मैने जब थोड़ा ना नुकुर किया तो अंकल बोले ये तो तुझे लेना ही पड़ेगा।कल तेरा बर्थडे भी था ना शादी में सब भूल गए , ये मेरा और आंटी का आशीर्वाद है, "आखिर मुझे उनकी बात माननी पड़ी। ये तो सच था कि राजीव मेरा बर्थडे भूल चुका था या याद होते हुए भी उसने विश नही किया था ।

शाम को मिहिर भी जा रहा था । मैं उसे सी ऑफ करने आई थी। वह आंटी अंकल के पैर छू कर मेरे पास आया ।
हाथ मिलाकर बोला "चल बाय , अपना खयाल रखना , और अपने रावण को मना लेना , मुझे कॉल करना "
इतना कहकर उसने मुझे साइड से हग किया। मैने भी उसकी पीठ थपथपाकर उसे बाय किया । राजीव दूर से सब देख रहा था।

क्या करेगा राजीव अब? और क्या होगी वापिस हमारी दोस्ती ?