Pyar ki Arziya - 25 in Hindi Women Focused by Mini books and stories PDF | प्यार की अर्जियां - 25

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प्यार की अर्जियां - 25

"सुबह सुबह....

कन्या अपने कमरे में तैयार होते रहती है तभी फोन पर कॉल आता है कन्या देखती है फोन को तो संदीप का फोन रहता है वो स्क्रीन देखकर नहीं उठाती ....!!

चंडीगढ़ में...

आज बेबे बहुत गुनगुना कर घर में काम करती है और पापाजी को कुछ शक होता है लेकिन वो चुप रहता है .....!!

जैसे तैसे दिन भर बेबे सोचती है संदीप आएगा तो क्या बहाना दूंगी बहुत सोचती है ,अब दिन गुजरता है ...और शाम आती बेबे रात का खाना बनाती है और डायनिंग टेबल पर बैठे रहते हैं तभी डोर बेल बजती है,, बेबे जाती है दरवाजा खोलने और दरवाजा खोलती है , सामने संदीप रहता है वो झट से अंदर आता है और पूरे हॉल पर नजर दौड़ाता है कन्या नहीं दिखती ...

संदीप - "बेबे और पापाजी के पैर छुते हुए ,पैरीपैना बेबे ,पैरीपैना पापाजी , (मन में सोचता है,आज घर में कुछ सुना पन है) ..??

बेबे - "मुस्कुराते हुए जिवंदा रह पुत्तर,इब आ गिया पुत्तर चाल तुसी भी डिनर कार लो गल सल खाणा नाल होंदा ..!!

पापाजी - "हां , जी पुत्तर खाणे के टेम आए हो तुसी जा फ्रेश हो खाणा खाणे के वास्ते फेर गल करना तुसी ..!!

संदीप सोचता है ,बेबे और पापाजी खाना खा रहे हैं तो कन्या कहां है वो यहां नहीं है शायद किचन में होगी ,और संदीप अब अपने लगेज पकड़कर अपने बेडरूम में जाता है वहां भी कुछ अजीब सा सुना पन रहता है सारे समान व्यवस्थित बालकनी बंद खिड़कियां बंद ऐसे कैसे कन्या बंद करके रखी है, उसे तो खुली हवा बहुत पसंद हैं ,और मुझे बोलती खिड़कियां खुली रखा करो ताजगी बनी रहती है कमरे में और आज क्या हुआ उसे,, सोचकर फिर वाशरूम जाता है फिर वहां से बाहर आता है और बालकनी के दरवाजे और खिड़कियां खोलता है , फिर मिरर में अपनी बाल संवार कर हॉल में जाता है सोचते हुए आज कन्या तो बिल्कुल ही चुप है और बेबे से पूछता है ,"बेबे घर में कुछ अलग लगा रहा है ,क्या बात है और कन्या आप लोगों के साथ खाना ...मैं किचन से आता हूं

बेबे की हालात गले में हड्डी अटकी जैसा लगता है अब क्या जवाब दें क्या मेरी बहाना का विश्वास करेगा (अब बेबे का रंग उड़ जाती है) ..!!

संदीप चेयर को खिसकाया ही रहता है तो फिर चेयर को उसी जगह रखकर जाने को मुड़ता है तभी ..

पापाजी - ""पुत्तर जी कन्या किचन में नहीं है, होर ना कार वीच हे वो अपणे अप्पा के कार वीच गई सी (बेबे के तरफ देखते हुए क्योकि उस समय बेबे का रंग उड़ा रहता है) ..!!

संदीप ,"आश्चर्य से क्या , बिना मुझसे बात किए कन्या अप्पा के घर चली गई क्यो ,आप लोगों ने पूछा क्यो गई है वो ,(थोड़े से नाराज़ भाव में आ जाता हैं) फिर बेबे से सवाल करता है," क्या हुआ कब गई वो..??

बेबे ,"अब थोड़ी सी हकलाते हुए ,"छ ..ड्डा ना ..ना पुत्तर पहणे खाणा खा फेर गल करना तुसी..!!

संदीप अपनी बेबे की बात को गौर से सुनता है तो शब्दों की कपंन से भांपते हुए, "नहीं बेबे मैं खाना तभी खाऊंगा जब आप लोग सच बताएंगे कन्या बिना मेरी इज्जत के इस घर से कदम क्यो रखी मैं उसे कितना फोन किया एक भी फोन का आंसर नहीं दी बात क्या है और अप्पा पहले मुझे फोन करता जब उसे कन्या को ले जाना था तो,, लेकिन मेरे दिल्ली जाते ही वो अपनी बेटी ले गये, ये बहुत ग़लत किया उसने ,"पापाजी आपको तो बताया होगा वो किस लिए कन्या को ले जा रहे है उसे ..????

पापाजी - "पुत्तर जी समधी जी असी कार वीच नई आए, वो फोन कर दिता और कन्या पुत्तर चली गई सी मैनू भी ना मिलिया ,असी उथे टेम इवनिंग वाक गया सी जब कार वीच आया होर कन्या पुत्तर नू आवाज लगाया , फेर ते तेरे बेबे नाला पता चालिया कन्या इस कार वीच छोड़कर चलदी ...!

अब संदीप और पापाजी के नज़रें बेबे को देखने लगा अनेक प्रश्नों लिए..????

बेबे ,"वो..वो ...नू फोन करिया सी होर मैनू ना फोन करि वो कन्या नाल ही फोन करिया सी होर कन्या पु..पुत्तर मैनू दसिया सी वोनू अप्पा वीच फोन आया सी होर अमेरजेंसी काम साम हे कन्या नाल बुलाया सी ,मैनू हां कर दिता कोई जुरूरी काम होया सी , कन्या नू जाण चाहिया तो मैनू हां बोल दी वो शाम चली गई सी जब तैनू मीटिंग नाल गया सी,,,,होर कुछ गल ना हे...!!

संदीप ,"थैंक्स आप लोगों का, जो मेरी बिना इजाजत लिए कन्या को भेज दिया, एक फोन करके बताने की जहमत नहीं उठाई किसी ने ,और वो कन्या भी मुझे फोन नहीं किया उसकी बाप ने फोन किया और वो चली गई,,(संदीप इधर उधर टहलते हुए अपने दोनों हाथ को कमर पर रखकर गुस्से में बोलता है), इतने में उसकी बाप मिस्टर कृष्णकांत कुमावत ने एक बार मुझे फोन करके बताया नहीं कि वो अपनी बेटी को ले जाना चाहते हैं, वो भी जरूरी काम के लिए वाह बहुत बढ़िया काम किया उसने और उसकी बेटी ने ,ऐसा कौन सा आसमान गिर गया था या भूचाल आ गया जो कन्या को उसी दिन बुला लिया जब मैं दिल्ली मीटिंग के लिए गया था,,और मैं पागल कन्या को फोन कर कर के परेशान हो रहा हुं कि कन्या ठीक है कि नहीं ,इतनी भी बेवकूफ तो नहीं होगी कन्या जो फोन पर रिंग और मेरे नाम का नंबर ना पहचानती हो ,सच में मैं ही पागल हूं या दोनों बाप बेटी मिलकर पागल बनाना चाहते हैं मुझे ,,(ये सारी बातें गुस्सा में कहता है)..!!

बेबे के मन में बात आती है , लगता है मेरी बात सही लगी संदीप को ,अगर इस गल को सच मान लिया तो मेरी आगे की प्लान को मंजिल मिल जाएगी ,अहो जी बल्ले बल्ले हो गया सी( बहुत खुश होती है मन में लड्डू फ़ूटने लगती है🤩🤩)...!!

संदीप अपने आप से बड़बड़ाया....

संदीप ," ऐसा सोचकर मैं क्या कन्या को ग़लत ठहरा दूं नहीं मुझे जब तक सच्चाई पता नहीं होती तब तक तो नहीं,, और आपने कहा कि अप्पा ने कन्या को कॉल किया बैंगलोर आने के लिए ये बात तो और भी मेरे मन में शक कर रहा है ,अप्पा को पता है कन्या कभी अकेले सफर नहीं की है हमेशा साथ में मिहिका रही है , और जब से मेरे साथ कन्या है तब से लेकर आज तक, बिना मुझसे पूछे एक छोटी सी सुई नहीं खरीदती तो इतना बड़ा फैसला जाने का कैसे लिया ,एक बार तो मुझे फोन करके पूछना था,, हां मैं नाराज़ हुं उसके जाने से ..!!



क्रमशः..............

"प्रिय पाठकों समीक्षा में जरूर बताइएगा कि कहानी कैसी है आप अपना ओपिनियन भी दे सकते हैं...🙏🙏