वाजिद हुसैन की कहानी
वह एक गोरा, ख़ूबसूरत पतला- छरहरा नौजवान था जो एक अच्छे खाते- पीते देहाती परिवार से शहर आया था। वह एक मोहल्ले में एक किराए के कमरे में रहता था। ... फिल्में तो उसने बहुत देखी थी, जिन्होंने उस पर गहरा असर डाला ...। उसके बाद वह शहर की उग्र राजनीतिक हलचलों में भाग लेने लगा। ... लेकिन कुछ ही दिनों बाद वह तेज़ी से साहित्य की ओर मुड़ा। अब वह लंबी प्रेम- कहानियां ओर कविताएं लिखने के साथ रतजगा करने लगा। ...वह एक पत्रिका का सब एडिटर हो गया था। अब अपने से बहुत संतुष्ट रहने लगा और अब उसको एक, लड़की की ज़रूरत महसूस होने लगी, जो उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उस पर अपना जीवन न्योछावर कर दे, किंतु बहुत तलाश करने के बावजूद उसे ऐसी लड़की नहीं मिली।
सितम्बर बीतते-बीतते बरसात समाप्त हो चुकी थी। बाढ़ का पानी उतरने लगा था पर शहर के सिनेमा घरों में धार्मिक फिल्मों की बाढ़ आ गई थी। जगत टॉकीज में संतोषी मां की महिमा, नटराज में ख़ाने- ख़ुदा और कमल टॉकीज़ में राधा-कृष्ण लगी थी।
एक छुट्टी के दिन वह सवेरे देर से सोकर उठा। मन बोझिल था, अत: जी हल्का करने के लिए उसने ख़ाने-ख़ुदा फिल्म देखने का मूड बनाया। उसने कलाई पर बंधी घड़ी की ओर देखा और तेज़ी से डग भरता हुआ नटरज टॉकीज पहुंच गया। आनन- फानन में टिकट खरीदा और हाल में घुस गया। फिल्म शुरू हो चुकी थी। अंधेरे घुप हाल में टटोलता हुआ एक सीट पर बैठने को हुआ। बगल की सीट पर बैठी, फिल्म देखने में मग्न लड़की ने होले से कहा, ' ज़ीनत कहां थी, मैं कब से इंतज़ार कर रही हूं?' शाहिद को बुरक़े की उठी नक़ाब में लड़की का चेहरा दिखा, जो उसे बादलों के बीच चांद लगा।
वह समझ गया, लड़की अंधेरे में उसे अपनी सहेली समझ बैठी, जिसके साथ में उसने फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया होगा। कुछ देर बाद लड़की ने अपना चेहरा घुमाया और कहा, 'ज़ीनत, यह अशलील मूवी लग रही है, चलते हैं। ... शाहिद ने उससे कहा, 'आप ठीक कह रहीं हैं। मैं ख़ाने ख़ुदा समझ कर फिल्म देखने आया था, यह तो ब्लू फिल्म लग रही है। लड़की ने घबराकर नक़ाब से अपना चेहरा ढक लिया फिर धीरे से कहा, 'मैं ख़ाने ख़ुदा देखने आई थी। हाल में आकर पता चला, यहां कामसूत्र चल रही है। मैं जीनत के इंतज़ार में बैठी रही, वरना चली गई होती। वह जाने लगी तो लड़के ने अपनेपन के लहजे में उसका हाथ पकड़ कर सीट पर बिठा दिया, 'क्या बेवकूफी कर रही हो, सारा हाल गुंडे मवालियों से भरा हुआ है। यह लोग आपको मेरे साथ समझकर शांत बैठे हैं।
लड़की ने धीरे से कहा, 'शुक्रिया।' और सीट पर दुबक गई।
धीरे-धीरे फिल्म एजुकेशनल मोड से खुल्लम-खुल्ला सेक्स की ओर अग्रसर हो गर्ई थी। हाल में अंधेरा, सेक्स की ठिठोली करते दर्शक और बेनकाब हुस्न का साया, ऐसे में उत्तेजना को कंट्रोल करना उसके लिए टार्चर था, पर शो समाप्ति पर लड़की का दिल जीतने की कुंजी साबित हुआ। चलते-चलते उसने कहा, 'मुझे यकीन नहीं होता, 'आप जैसे शरीफ लोग भी समाज में हैं।'
लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, 'शाहिद आपसे अगली मुलाक़ात का मुनतज़िर है?'
'जेबा रोज़ाना शाम को बुद्धा पार्क में वाक पर आती है।'
'मैं आपको पहचानुंगा कैसे? मैंने तो आपको एक नज़र ही देखा है।'
खिलखिलाती ज़ेबा ने पलभर के लिए नकाब उठाया, कहा, 'बहुत बदमाश लगते हो।' ऐसा लगा ख़िज़ा में बहार आ गई।
शाहिद अगली शाम पार्क में एक बैंच पर बैठा था। ज़ेबा आई, मक्खन- सी मुलायम त्वचा, नूरानी चेहरा, हरे बादाम जैसी आंखें और सीधे काले बाल, जो उसके कंधों पर लटक रहे थे। उसने आज तक इतनी सुंदर लड़की नहीं देखी थी, जिसे देखकर उसकी सांसे थम सी गई और उसके मुंह से धीरे से निकला, 'वल्लाह, शायद, बनाने वाले ने आपको बनाने के बाद साचे और ठप्पे को कहीं दूर फेंक दिया, दूसरी नहीं बना सका।
ज़ेबा ने बनाने वाले के प्रति आक्रोश भरे लहजे में कहा, 'उसने मुझे लवर आफ डाॅन बनाया था, तो कैसे कोई कमी छोड़ देता!' फिर वह उसके पास बैठ गई, सिर उसके कंधे पर टिका दिया और हिचकियों से रोने लगी। ...शाहिद ने गमगीन लहजे में कहा, 'कुछ बताओ गी भी, या रोती ही रहोगी?'... उसने सुबकते हुए कहा, 'रो लेने दीजिए जी भर के, शायद फिर इन आंखों को रोने का मौक़ा न मिले! क्योंकि आज के बाद दिल को रोना है और इन्हें हंसते दिखना है। ... जब रोते-रोते उसकी आंखें सूज गई, तो उसने बेबसी के लहजे में कहा, ' मैं खुशनसीब हूं, मुझे 'चंद लम्हों की मुहब्बत' नसीब हुई। काश यह शाम इतनी लंबी हो जाए, मैं आपके साथ ज़िंदगी भर की खुशियां समेट सकूं।
फिर उसने बैग से ज़री की बेशक़ीमती ओढनी निकाली, जिस पर सोने-चांदी के तारो से सच्चे मोती जड़े थे। उसने कहा, 'यह ओढ़नी मुझे डाॅन अनवर ने भेजी है। आज रात के अंधेरे में मुझे यह ओढनी ओढ़कर उनके रिज़ोर्ट जाना है। वहां मेरी रखैल बननेे की यात्रा शुरु होगी। मुझे कई सारी रस्मों से होकर गुज़रना है। उसमें से तीन बहुत ख़ास हैं -अंगिया, मिस्सी और नथ। नथ उतारना कुंवारापन दूर करना और कौमार्य समाप्त करना होता है। मेरी रूह इस ओढ़नी में घुटकर दम तोड़ देगी, जिस्म हीरे व सोने के गहनो से जगमगाएगा और बाल फूलों के गजरो से महक उठेंगे और मैं डाॅन की दिल्लगी का सामान बन जाउंगी।
'क्या...!'शाहिद ने हैरानी से पूछा। '
ज़ैबा ने कहा, 'मेरी मां बाहूबली शौकत की रखैल है। उन्होंने मां के नाम करोड़ों की बेनामी सम्पत्ति कर रखी है। मुझे भी हर ऐशो-आराम दिया। सिवाय मेरी मां को बीवी का और मुझे बेेटी का दर्जा नहीं दिया।
'क्या तुम अपनी मर्ज़ी से रखैल बननेे जा रही हो, या ज़ोर ज़बरदस्ती?' शाहिद ने गमगीन लहजे में पूछा।
हमारा समाज रखैल की बेटी से शादी करने से कतराता है। अगर कोई मर्द मुझसे निकाह के बाद सूखी रोटी और तन ढकने के लिए मोटे कपड़े पहनानेे का वादा करे तो भी मैं ख़ुशी से उसे अपना शौहर क़बूल कर लुंगी।
'क्या तुम यह बात अनवर के सामने कह सकती हो?'
'बेझिझक, बेख़ौफ!' जेबा ने आत्मविश्वास से लबरेज़ होकर कहा।
'अंजाम से वाक़िफ हो।' ख़ौफज़दा लहजे में शाहिद ने पूछा।
उनके रिज़ोर्ट में घड़ियालों का तालाब है, वह मेरी क़ब्र गाह बनेगा।' ज़ेबा ने कहा।
'तुम्हारी या उसकी क़ब्र गाह बनेगा, जो 'लवर आफ डाॅन' से विवाह करने की जुर्रत करेगा?' इसका फैसला तो डाॅन को करना हैं।' शाहिद ने कहा।
वह बेबस होकर बोली, 'शुक्रिया, आपने मुझे हक़ीक़त से रूबरू करा दिया और रूमानी दुनिया से बाहर निकाल लिया।
रात का अंधियारा फैलने लगा था। वह शाहीद के इतने पास खड़ी हो गई, कि शाहिद को उसकी सांसे अपने गर्दन पर महसूस हो रही थी। वह उसकी आंखों में बेबसी से देखती रही, जैसे उसकी तस्वीर अपनी आंखों में उतार रही है। फिर कहा, 'अपना बहुत ख़्याल रखना और मुझे भुला देना।' उसने ओढ़नी इस तरह पकड़ी, जैसे कोई घिनौनी चीज़ फेकने जा रही है और आहिस्ता- आहिस्ता चल पड़ी।
कुछ पल ग़मगीन रहने के बाद शाहिद उसे पुकारता हुआ तेज़ी से चल पड़ा। पार्क के बाहर पहुंचने पर उसने देखा, ज़ेबा ओढ़नी को अपने पैरों तले रौंदती रही, जब तक तार तार नहीं हो गई। उसके बाद वह ख़ुदकशी की नियत से एक तेज़ रफ्तार से आते ट्रक के आगे चली गई। शाहिद ने उसे धक्का देकर मरने से बचा लिया।
शाहिद ने कहा, 'तुमने ज़िल्लत की ज़िंदगी के बदले मौत को तरजीह दी, ऐसा पाकीज़ा औरत ही कर सकती है। अनवर क्या, कोई भी तुम्हें मेरी बीवी बनने से नहीं रोक सकता। मैं अभी इसी वक्त तुमसे निकाह करता हूं। जेबा ने नकाब से अपना चेहरा नई नवेली दुल्हन की तरह ढक लिया और उसके साथ चल पड़ी।
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