श्रुति ने अपनी बात अच्युत के सामने रख दी थी लेकिन अच्युत उसे घूर घूर कर देख रहा था और उसने सीधी तरह से कह दिया।
" नो... श्रुति मुझे नहीं लगता कि यह टोपिक सही है। देखो पहली बात तो यह किस काफी पुराना है... आज से 5 साल पहले का केस है यह, और वैसे भी उसका दोषी कल्प्रीट था... उसे तो सजा ए मौत हो चुकी है। तो क्या तुम्हें लगता है कि तुम इसके बारे में और कुछ कर सकती हो?"
लेकिन श्रुति की आंखों में कॉन्फिडेंट साफ साफ दिखाई दे रहा था। अच्युत के मना करने के बाद भी उसका कॉन्फिडेंस लेवल कुछ भी कम नहीं हुआ था। उसने हंसते हुए कहा।
" देखो अच्युत अगर तुम मेरा साथ नहीं दोगे तो मैं यह स्टोरी लेकर दूसरे पब्लिकेशन में जाऊंगी लेकिन मुझे स्टोरी छापनी ही है।"
एक तरह से श्रुति ने अच्युत को रिजाइन करने की धमकी दे दी थी। अच्युत को समझ नहीं आ रहा था कि वह इसी स्टोरी के पीछे क्यों पड़ी हुई है इसलिए उसने कहा।
" देखो श्रुति मुझे पता है तुम एक क्राइम रिपोर्टर हो लेकिन गड़े मुर्दे उखाड़ने का क्या मतलब है। हमारे देश में इतने सारे क्राइम हर रोज होते हैं कि तुम्हें हर रोज नया सब्जेक्ट मिल जाएगा इसी के पीछे क्यों पड़ी हो तुम?"
अच्युत की बात सुनकर श्रुति थोड़ी शांत हुई और फिर उसने शांति से जवाब दिया।
" हर बात का जवाब हमारे पास हो यह जरूरी तो नहीं ना। कभी-कभी हम जब कुछ सुनते हैं ना तो मन में ऐसा लगता है कि क्यों ना हम इसके बारे में सब कुछ जाने। आपको पता है जब मैं सारे केस के बारे में रिसर्च कर रही थी तब मेरे हाथ में यह केस आया। जैसे ही मैंने इसके बारे में पढ़ा मेरे मन में एक उत्सुकता हुई क्या फिर ऐसा क्या हुआ होगा उसके साथ कि उस बेचारे को बिना अपनी बेगुनाही का सबूत दिए ही फांसी दे दी गई।"
अच्युत ने अपने दोनों हाथों को सर के पास रखा और अपना सर कुर्सी के पीछे के हिस्से पर डालते हुए कहा।
" तुम मुझे बताओ कि तुम इसके स्टडी कहां से करना चाहते हो मेरा मतलब तुमने कुछ तो जरूर सोचा होगा।"
श्रुति की आवाज में फिर से एक बार कॉन्फिडेंस दिखने लगा और उसने कहा।
" ऑफ कोर्स, मुझे सबसे पहले उस अपार्टमेंट में जाना है जहां पर यह हादसा हुआ था। वहां पर मुझे सबसे पहले मित्तल के घरवालों के साथ कुछ नजदीकियां बढ़ानी पड़ेगी और उसी के पास से सारी इनफार्मेशन निकालनी होगी।"
अच्युत ने यह सब सुनकर अपने दोनों हाथ टेबल पर रखने और खड़े होते हुए कहा।
" ठीक है आई परमिट यू टु स्टडी धिस केस, बच यू हैव अ टाइम लिमिट अबाउट वन मंथ। इज धेट ओके?"
कहते हुए अच्युत ने श्रुति की ओर देखा। उसे लगा था कि श्रुति उसे और टाइम मांगेगी लेकिन इसका उल्टा श्रुति ने मुस्कुराते हुए कहा।
" वन मंथ इस इनफ फॉर मी।"
कहते हुए वह खुश होने लगी और वहां से जाने लगी। जैसे ही वो दरवाजा के पास पहुंची उसने रुक कर पलट कर फिर से एक बार अच्युत की तरफ देखा और कहा।
" एंड थैंक यू सो मच।"
कहते हुए वह हवा की तरह वहां से चली गई। अच्युत जाती हुई श्रुति की तरफ देखता रहा। श्रुति वहां से निकलकर सीधे अपने डेस्क पर गई। वहां की ड्रोअर में से उसने एक तस्वीर निकाली और उसे देखने लगी। कुछ देर तक उसे देखने के बाद उसने वापस उसे वहीं पर रख दिया और किसी को आवाज देते हुए कहा।
" अंकुश जल्दी चलो मेरे साथ एक जगह पर जाना है।"
श्रुति के नाम लेते ही कोने में एक लड़का दो तीन लड़कियों के बीच में खड़ा होकर उन सब के साथ हंसी मजाक कर रहा था, उसने अपने सर पर हाथ मारा और कहा।
" ना खुद भाव देती है और जो भाव देते हैं उनके ऊपर ध्यान नहीं देने देती है।"
यह बात उसने धीरे से कही थी। उसके बाद उसने उसी तरह से चिल्लाते हुए कहा।
" आ रहा हूं मैडम।"
इतना कहकर अंकुश ने वहां पर खड़ी लड़कियों से आंख मारते हुए कहा।
" बस मैडम के साथ अपना काम खत्म करके आता हूं फिर तुम लोगों को आगे के किस्से सुनाऊंगा।"
कहते हुए वह सबको फ्लाइंग किस देता है और वहां से चला जाता है। वह तीनों लड़कियां हंसते हुए उसके फ्लाइंग किस को एक्सेप्ट करती है और बाय कहती है। अंकुश अपने हाथ में कैमरा लेकर श्रुति के पास आता है और कहता है।
" क्या यार क्या तुम चाहती हो कि मैं जिंदगी भर अकेला रहूं? दो पल मिलते हैं जिंदगी के उसे भी तुम्हें चैन से नहीं जीने दोगी, है ना?"
" क्या तुम भी उन लड़कियों को उल्टी-सीधी पट्टी पढ़ाते रहते हो। सुधर जाओ वरना 1 दिन बहुत पिटोगे।"
श्रुति की बात को पूरी तरह से इग्नोर करते हुए अंकुश ने पूछा।
" वैसे हम लोग जा कहां रहे हैं?"
श्रुति ने ऑफिस के बाहर निकलते हुए कहा।
" नील कमल अपार्टमेंट..."
क्या श्रुति को वहां पर कुछ हाथ लगेगा? कहीं अच्युत के दिए गए टाइम लिमिट तक श्रुति अपना काम नहीं कर पाई तो?