Wo Ankahi Bate - 17 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 17

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वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 17

बिमल ने कहा हां,
फिर इसी तरह एक महीने बीत गए।
मैं किसी काम से जयेस के पास मिलने गया तो वहां चांदनी ने मुझे देखा और फिर वो गुस्से में रिजाइन लैटर भेज दिया वो बहुत ही self-respect लड़की थी।

फिर मैं एक दिन चांदनी के घर उसकी सहेली के साथ पहुंच गया।।
चांदनी ने दरवाजा खोला ।
चांदनी ने अन्दर बुलाया और फिर बोली कि मुझे किसी की दया नहीं चाहिए!
बिमल ने कहा कोई दया नहीं कर रहा है तुम्हें तुम्हारे talent पर नौकरी मिली थी। क्या मैं तुमसे बात कर सकता हूं?
चांदनी ने कहा मुझे कुछ नहीं सुनना है।
बिमल ने कहा एक बार सुन लो।
चांदनी की मां ने कहा अरे बाबा एक बार सुन लो!
चांदनी ने कहा हां बोलो।
बिमल ने कहा चांदनी मैं तुमसे प्यार करता हूं और शादी करना चाहता हूं।।
चांदनी ने कहा पर मैं तुमसे प्यार नहीं करती हुं और ना ही शादी करना चाहती हुं।
हेमा ने कहा अरे चांदनी तुम इतना अच्छा इंसान कही भी नहीं पाओगी हां,
चांदनी ने कहा मेरा समय बर्बाद नहीं करो।।
बिमल भी वहां से मायुस हो कर निकल गया और फिर ये दोनों अपने ,अपने रास्ते हो लिए।।

बिमल तीन महीने के लिए आफिस टूर पर कोलकाता चला गया अपने बुआ के घर।।वहां पर भी मुझे चांदनी का ना कहना बहुत खल रहा था और फिर एक दिन बुआ की तबीयत बिगड़ी तो जब बिमल अपनी बुआ जी को कोलकाता में सबसे बड़े सर्जन कार्डियोलाजिस्ट के पास गए और बुआ की रिपोर्ट दिखाया तो डाक्टर ने कहा कि अब सर्जरी कराना होगा।
और फिर वहां चांदनी को देखकर अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। जैसे कि वो बहुत बिमार दिख रही थी।
पर वो मुझे देखकर ही अनदेखा कर के चली गई।
फिर वहां से बुआ जी को गाड़ी में बिठा दिया और वापस काउंटर पर जाकर पुछा कि चांदनी नाम की कोई आई थी?.
पर वहा जो लेडी बैठी थी वो कुछ भी बताने से इंकार किया।
फिर हम लोग घर वापस आ गए।
फिर वहां से बुआ जी को गाड़ी में बिठा दिया और वापस काउंटर पर जाकर पुछा कि चांदनी नाम की कोई आई थी?.
पर वहा जो लेडी बैठी थी वो कुछ भी बताने से इंकार किया।
फिर हम लोग घर वापस आ गए।

घर आते ही बुआ ने बहुत सवाल जवाब किया और फिर मेरी शादी तय कर दी।
मैं तो सब कुछ छोड़ कर आने वाला था पर बुआ ने मेरी सगाई तय कर दिया।।पर मैं भी कम बदमाश नहीं था बस काम का बहाना बनाकर वहां से निकल गया।
दिल्ली पहुंचते ही मम्मी, पापा जी ने गुस्से का पहाड़ खड़ा कर दिया और फिर रिश्तेदार की काना फुंसी होने लगी थी।
पर मैं अपने वादों का पक्का जो था।
किसी भी तरह मुझे चांदनी के साथशादी करनी थी।
यश ने कहा ओह पापा you are jenius ।।

रिचा ने कहा ये हुईं ना बात क्या बगावत किया।।

बिमल ने कहा हां, प्यार किया था इसके लिए जिंदगी भी दे सकता था पर चांदनी तो मुझे शाय़द समझना ही नहीं चाहती थी उसे शायद प्यार ही नहीं था।

यश ने कहा हां, पर क्या मां ने आपसे समझौते का प्यार किया था पापा??


बिमल ने कहा अरे ये तो पुरी कहानी सुनने के बाद ही समझ जाओगे कि समझौते का प्यार या अनोखा प्रेम या मिसाल देने वाला प्यार।।
क्या समझौते का प्यार नहीं होता है
ये तो प्यार है बस हो जाता है और फिर रहा नहीं जाता कुछ कहा नहीं जाता।।
इन्सान के वश में कहां कुछ होता