Sathiya - 61 in Hindi Fiction Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 61

Featured Books
Categories
Share

साथिया - 61

एक हफ्ते बाद...

नील ऑफिस से निकल के अक्षत के घर आया उससे मिलने के लिए।

हॉल में ही उसे अरविंद साधना और मनु बैठे दिख गए।

नील ने मनु की तरफ देखा। ठीक उसी वक्त मनु ने भी नील की तरफ देखा।

दोनों की नजरे मिली और एक अजीब सा एहसास दोनों को हुआ।

इससे पहले की कोई और इससे ज्यादा सोचता दोनों ने ही नजर हटा ली।

"आओ बेटा..!" अरविंद बोले तो नील अरविंद और साधना के पास आया और उन्हें प्रणाम करके वहीं सोफे पर बैठ गया।


"कैसे हो और बहुत दिनों बाद आए हो आज बेटा?" साधना बोली।

" ठीक हूँ आंटी..! आने का तो सोचता हूं पर काम में बिजी हो गया हूं तो निकलना नहीं हो पाता पर बहुत दिन से दिल कर रहा था अक्षत से मिलने का तो फाइनली आज सोचा कि मिल लेता हूं।" नील ने कहा।

"बहुत अच्छा किया बेटा और बहुत अच्छा सोचा...!! तुम उसे मिलोगे तो शायद उसे थोड़ा अच्छा महसूस होगा। सिर्फ अपना कोर्ट और काम है उसके जीवन में। इसके अलावा खुद को कमरे में बंद कर रखा है उसने। सिर्फ और सिर्फ सांझ की यादों में जी रहा है वह । हमें भी उसके लिए तकलीफ होती है। हम भी चाहते हैं कि सांझ सही सलामत हो और वापस आ जाए पर बेटा सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता और सच यही है कि सांझ अब कभी वापस नहीं आएगी।" अरविंद जी बोले तो नील ने उनकी तरफ देखा।

"मैं समझता हूं अंकल पर क्या करे? किसी का प्यार इतना गहरा होता है कि लोगों के दुनियाँ से जाने के बाद भी उसे भूला नहीं पाते तो वहीं कुछ लोगों की जिंदगी सिर्फ और सिर्फ गलतफहमी और तकरार में ही निकल जाती है, और इंसान को अपने दिल की बात कहने का मौका ही नहीं मिलता।" नील ने मनु की तरफ देखकर कहा।


मनु ने उसकी तरफ देखा और फिर उठकर अंदर जाने लगी।

"आंटी चाय बना देती हूं। अब यह आ गए हैं तो अपने दोस्त के साथ चाय पियेंगे तो उसे भी बेहतर लगेगा।" मनु बोली और नील को इग्नोर करके किचन में चली गई।

"तुम वाकई में मुझसे नफरत करती हो या सिर्फ मुझे इग्नोर करती हो..!! मुझे समझना नहीं चाहती या गलत समझती हो? क्या सच में तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई फीलिंग नहीं है? या जैसे बाकी सब लोग गलतफहमी का शिकार है तुम्हे भी वैसा ही लगता है कि मेरे और रिया के बीच कुछ गहरा संबंध है इसलिए तुम मुझे अवोइड करती हो...!! पर जो भी हो जबरदस्ती तो किसी रिश्ते के लिए नहीं की जाती और शायद अक्षत की तरह मेरी जिंदगी में भी अधूरी मोहब्बत ही है।" नील ने खुद से ही कहा।


"बेटा तुम्हारा दोस्त है वह...!! तुम लोग सालों कॉलेज में साथ रहे हो। जितना तुम्हारे साथ ओपन है उतना तो मनु और ईशान के साथ भी नहीं है। प्लीज बेटा उसे समझाने की कोशिश करो। यादों के सारे जिंदगी नहीं कटती। उसे सांझ की यादों से बाहर निकलना होगा तभी वह नॉर्मल लाइफ में लौट पाएगा।" साधना ने कहा।


"जी आंटी मैं पूरी कोशिश करूंगा...!! मैं उससे मिलने जा रहा हूं।" नील बोला और सीढ़ियों की तरह बड़ा की तभी मनु ने लाकर ट्रे उसके हाथ में पकड़ा दी

" आप दोनों के लिए चाय और नाश्ता ..!" मनु बोली।


"मनु बेटा यह क्या तरीका है? तुम जाकर खुद भी तो देकर आ सकतीं हो ना? अब उसे नाश्ता देने का क्या मतलब है? " साधना ने कहा।

"मम्मी यह अक्षत के दोस्त है कोई रिश्तेदार या मेहमान नहीं तो इतना तो अपने दोस्त के लिए कर ही सकते हैं। और यह दोनों आपस में बात करेंगे उस समय मैं नहीं चाहती कि वहाँ पर मैं जाऊं और बेवजह ही लोग डिस्टर्ब हो। इसलिए दे दिया।" मनु ने कहा।

"इट्स ओके आंटी...!! ठीक तो कह रही है वह। बचपन से आपके घर आ रहा हूं कोई मेहमान थोड़ी ना हूँ? आपकी किचन में मैंने और अक्षत ने खूब नाश्ता और चाय बनाया है तो कम से कम लेकर तो जा ही सकता हूं।" नील ने कहा और सीढ़ियां चढ़कर चला गया।

मनु ने गहरी सांस ली और अपने कमरे में चली गई।

"कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे कि इसकी आंखें बहुत कुछ कहती हैं...कभी-कभी न जाने क्यों ऐसा लगता है कि जो एहसास मेरे दिल में है वही एहसास इसके दिल में भी है...। पर मैं विश्वास करूं भी तो कैसे करूं? एक तरफ रिया का कहना कि इन दोनों का रिश्ता इतना आगे बढ़ चुका है कि दोनों ने कई रातें साथ बिताई हैं और दूसरी तरफ इसका इस तरीके से मुझे देखना... । पता नहीं क्या सही है और क्या गलत पर इतना तो मैं जानती हूं कि इसके रिया के बीच में जानकर तो कभी नहीं आ सकती..। अपने प्यार को पाने के लिए किसी और के प्यार के बीच आना मुझे भर के मंजूर नहीं... । यह और रिया दूसरे को प्यार करते हैं और दोनों खुश रहें यही चाहती हूं मैं चाहती हूं कि इसके साथ कोई मिस बिहेव ना करूँ कभी अपने व्यवहार से इसे हर्ट ना पर न जाने क्यों जब भी आंखों के सामने आता है तो एक अलग से चिढ़ मचती है और मैं इसके साथ मिस बिहेब कर जाती हूं। शायद इसीलिए क्योंकि इसको मैं प्यार करती हूं और जब मैं जानती हूं कि यह मुझे नहीं बल्कि रिया को प्यार करता है तो थोड़ी सी तकलीफ तो मुझे होती है और वही मेरे व्यवहार में दिख जाती है!" मनु खुद से बोली

"पर मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए मैं शायद गलत करती हूं अब से कोशिश करुंगी कि अगर यह सामने पड़ता है तो अवॉड करूँ इसके साथ में मिस बिहेव करने क्यों हर्ट करना। ये और रिया दोनों खुश रहें साथ रहें यही अच्छा रहेगा
हर किसी का प्यार पूरा हो जरूरी तो नहीं होता और इस घर के तो तीनों बच्चों की ही प्यार के मामले में किस्मत खराब निकली है!" मनु खुद से ही बोली और फिर अपना ऑफिस का काम देखने लगे...


नील अक्षत के कमरे में पहुंचा तो देखा दरवाजा बंद है। उसने हल्के से नॉक किया और फिर अंदर चला गया। उसे कभी भी अक्षत के कमरों में जाने के लिए नॉक की जरूरत नहीं थी।।हमेशा की तरह अक्षत सोफे पर आंखें बंद किए हुए बैठा था।।

नील ने कमरे के अंदर जाकर चारों तरफ देखा हर जगह सिर्फ और सिर्फ साँझ की यादें साँझ की तस्वीर थी।।

नील गहरी सांस ली और अक्षत के पास जाकर बैठ गया

अक्षत ने अभी आंखें नहीं खोली थी पर इससे पहले की नील कुछ बोलना अक्षत की आवाज आई


"आखिर में अपने दोस्त की याद आ ही गई तुझे?" अक्षत बोला।

" आंखें बंद है फिर भी देख रहा है बड़ा ही अजीब है तू? " नील बोला


"अब तो आदत हो गई है बंद आंखों से ही देखने की क्योंकि बंद आंखों से हम वह सब देख सकते हैं जो हम चाहते हैं जबकि आंखें खोल दो तो आंखों के आगे सिर्फ सच्चाई होती है वह नहीं जो हम चाहते हैं...!" अक्षत ने कहा।


"जब तुम जानते हो की सच्चाई क्या है फिर क्यों आंख बंद करके खुद को धोखा दे रहे हो और बाकी सब को तकलीफ?"नील ने बोला।

" कभी-कभी बंद आंखों से ही दिल को सुकून मिलता है और आंखें खोलते ही सिर्फ और सिर्फ तकलीफ...!" अक्षत बोला।

पर आंखें बंद करने से हकीकत नहीं बदल जाती मेरे दोस्त और हकीकत यही है कि जो तुम बंद आंखों से देख रहे हो वह सिर्फ ख्वाब है जो कभी पूरे नहीं होंगे और ऐसे ख्वाबों का टूटना ही बेहतर होता है जो हमें तकलीफ दें.।।जितनी जल्दी तुम इस बात को समझ जाओगे उतना अच्छा होगा।!" नील ने कहा।

"कुछ ख्वाब ऐसे होते हैं जो जीने की वजह होते हैं। अगर आपने उन ख्वाबों को तोड़ दिया या उन्हें झूठा मान लिया तो आपका जीना भी मुश्किल हो जाएगा। और तुम क्या चाहते हो कि तुम्हारे दोस्त की जान चली जाए...!" अक्षत ने आंखें खोल कर कहा तो नील ने आंखें बड़ी कर उसे देखा और अगले ही पल उसे अपने गले लगा लिया

अक्षत की सुर्ख लाल आंखों से दो बुँदे निकलकर बाहर बिखर गई।

"क्या हाल बना लिया है तुमने खुद का? ऐसा करता है क्या कोई भला?" नील बोला।

"कुछ भी नहीं है क्यों बेवजह ही परेशान हो रहा है..?? तू बता इतने दिनों बाद कैसे आना हुआ आज अचानक से? " अक्षत ने उससे अलग होकर कहा।

" बात को मत टाल। मैं आज तुझसे बात करने ही आया हूं। यह क्या हाल बना रखा है तूने खुद का? कहीं आता जाता नहीं...!! किसी से मिलता नहीं किसी से बात नहीं करता। अंकल आंटी भी बता रहे थे कि सिर्फ कोर्ट और उसके बाद घर पर आकर इस कमरे में बंद हो जाता है। इस तरीके से जिंदगी नहीं चलती अक्षत। तुम कितने खुश मिजाज थे, जिंदगी को जीने वाले थे। हर कोई तुम्हारे जैसा बनना चाहता था और आज तुमने खुद का क्या हाल बना रखा है..?" नील ने कहा।

"अरे ऐसा कुछ भी नहीं है यार...! मैं ठीक हूं खुश हूं और एकदम परफेक्ट हूं। और अभी भी लोग मेरे जैसा बनना चाहते हैं। आखिर चतुर्वेदी तो हमेशा से ही पूरी यूनिवर्सिटी में रोल मॉडल रहा है। और अब तो जज है तो आज भी है सबका रोल मॉडल।" अक्षत ने मुस्कुरा कर कहा और सामने रखी ट्रे से कप उठा लिया।

"बिल्कुल तुम सच कह रहे हो...!! पर तुम्हारे तरीके से यू डिप्रेशन में कोई नहीं रहना चाहता।" नील ने कहा।

" तुम गलत समझ रहे हो...!! मैं बिल्कुल भी डिप्रेशन में नहीं हूं। मैं एकदम नॉर्मल हूं बस सबका काम करता हूं। कोर्ट में कैसे देखता हूं। मम्मी पापा का ख्याल रखता हूं। जहां बिजनेस में जरूरत होती है ईशान की हेल्प करता हूं। बाकी इसके अलावा मेरा पूरा टाइम सिर्फ और सिर्फ मेरी सांझ का है। मेरी मिसेज चतुर्वेदी का। और उस टाइम में मैं अगर किसी को टाइम नहीं देता तो लोगों को शिकायत नहीं होनी चाहिए। आखिर कपल्स की प्राइवेसी भी कुछ मैटर करती है।" अक्षत ने कहा तो नील ने आँखे छोटी कर उसे देखा।

"तेरा दिमाग तो ठिकाने पर है ना? यह बहकी बहकी बातें कर रहा है। कपल? कौन कपल? तुम दोनों की शादी कब हुई?" नील बोला।

" उसी दिन जब मैं ट्रेनिंग पर जा रहा था। उसी दिन की शादी। जरूरी नहीं है कि शादी तभी हो जब पूरी दुनिया देखे??
जरूरी नहीं है कि जब मंडप सजा हो बारात नाचती हुई आये तभी शादी हो...?? जरूरी नहीं कि जब फेरे पड़े तो ही शादी हो..?? कभी-कभी दिल के बंधन हर बंधन से मजबूत होते हैं। और मेरे और सांझ का रिश्ता किसी मंडप किसी फेरे किसी बारात या किसी मंत्र का मोहताज नहीं। हमने दिलों का गठबंधन जोड़ लिया था और एक दूजे को अपना मान लिया।" अक्षत में उसकी चाय का कप उसके हाथ में पकड़ा दिया और उसी के साथ नील का दिमाग घूम गया। उसको समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या बोले।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव