Review Poetry Collection Murari Ki Chaupal in Hindi Book Reviews by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | समीक्षा काव्य संग्रह मुरारी की चौपाल

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समीक्षा काव्य संग्रह मुरारी की चौपाल

*पम्परागत मूल्यों एवं मान्यताओं के परिपेक्ष्य में, अतुलनीय है यह काव्य-संग्रह*

(समीक्षक- नन्दलाल मणि त्रिपाठी 'पीताम्बर',गोरखपुर)

"मुरारी की चौपाल" अतुल जी की अविस्मरणीय छंदमुक्त आकर्षक, प्रभावी एवं प्रासंगिक संग्रह है,जो चौवन महत्वपूर्ण समसामयिक एवं संदेशपरक अभिव्यक्तियों में समाहित है। प्रथम कविता "सच यही है" में कवि ने मां शारदे की चरण-वन्दना अपने अलग अंदाज में की है, जिनके बिना हर साहित्यिक गतिविधि अपूर्ण मानी जाती है। मां शारदे की वंदना एवं उनकी आराधना कवि ने निम्न शब्दों में की है-
*"बना रहा जड़/ हो अज्ञानता के वशीभूत, अधूरा रहता है हर साहित्यिक अनुष्ठान/उनके बिना।"*
कवि की भावाभिव्यक्ति,जो भारतीय ग्रामीण परिवेश की चौपाल परम्परा एवं आधुनिक समाज में उसकी प्रासंगिकता का सुंदर समन्वय "मुरारी की चौपाल" में दिखाई पड़ता है।
*"खजूर के लठ्ठों पर टिकी छत में/ बने होते घौंसले / पलते रहते गौरैया के परिवार/ समय-समय पर सजाई जाती/ वही पुरानी चौपाल/पोतकर सफेद मिट्टी के घोल से/ और बना दी जातीं /गैरू की पट्टियां/ दीवारों के निचले हिस्सों पर।"*
परम्परागत भारतीयता को रेखांकित करती, वास्तविकता के धरातल पर सामाजिक समरसता को व्यक्त करती, अतुल जी की बेजोड़ अनुकरणीय अभिव्यक्ति है- "मुरारी की चौपाल"। राष्ट्र के चिंतन में डूबीं क‌ई कविताएँ इस संग्रह में मिल रही हैं जो युवाओं में भारत-निर्माण के विचारों को मजबूत करने में सफल होंगी। सूक्ष्म अंश देखें-
*"जो कर सके किसी तरह /देश और समाज की भलाई/ बने चमन अनूठा और सबसे प्यारा/ फैल सके प्रेम, एकता और भाईचारा।"*
मानवीय मूल्यों एवं मानवतावादी दृष्टिकोण का एहसास कराती पुस्तक "मुरारी की चौपाल" में, नव-जीवन शैली एवं उसकी समस्याओं पर कवि ने सकारात्मक व सार्थक संदेश देने की कोशिश की है। कवि ने वर्तमान में बढ़ रहीं सामाजिक विकृतियों पर करारा प्रहार किया है और अपराध की नई प्रवृत्तियों को बखूबी चित्रित करते हुए अपनी कविताओं में ढाला है। परंपराओं के प्रभाव से ओतप्रोत, बहुत से तथ्यों को इसमें शामिल किया है एवं बुजुर्गों के प्रति सम्मान बनाए रखना भी, कवि ने सर्वोपरि बताया है।
*"होती है स्मरण /कहावत बुजुर्गों की/याद रह जायेगा /नून, लकड़ी और तैल।"*
भौतिकता की अंधी दौड़ में, जीवन के निश्चित मूल्यों का सत्य-निर्धारण प्रस्तुत किया गया है। जीवन की नैतिकता, मर्यादा, संस्कृति व संस्कारों पर अभिलाषाओं और आकांक्षाओं का मुलम्मा चढ़ गया है, जिसकी मोटी परत को हटाने का प्रयास पूरी तल्लीनता से होना चाहिए। भावों की स्प्ष्टता एवं शब्द-समन्वय के स्वर से गुंजायमान बनी है- "मुरारी की चौपाल"।
बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा जा सकता है कि " मुरारी की चौपाल" एक ऐसा काव्य-संग्रह है जो प्रत्येक वर्ग, समाज, धर्म और उसके कर्म-मर्म का मर्यादित प्रेरक रूप है। अतुल जी,कवि के रूप में अपने उद्देश्यों को भावाभिव्यक्ति के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने में सफल व सक्षम सिद्ध हुए हैं। यह सृजन साहित्यिक रूप से आधुनिक समाज के लिए, पुरातन एवं परंपरागत मूल्यों का सम्मिश्रण है तथा मान्यताओं के परिपेक्ष्य में एक अद्भुत संग्रह है। ऐसे साहस युक्त, शक्तिशाली एवं स्पष्टतया लेखन को बारम्बार साधुवाद ।
साहित्यिक दृष्टिकोण से व्याकरण कि अशुद्धियां नगण्य है शब्दो का सर्वश्रेष्ठ संयोजन एव प्रभवी समन्वय है मुरारी कि चौपाल शसक्त एव सारगर्भित सामाजिक चिंतन कि भवाभिव्यक्ति है जो निश्चित रूप से पाठक के मन मस्तिष्क पर अपना छाप छोड़ने सफल है।

*नन्दलाल मणि त्रिपाठी 'पीताम्बर'*
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल- 9889621993