Ek add Aurat - 5 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | एक अदद औरत - 5

Featured Books
  • ખજાનો - 86

    " હા, તેને જોઈ શકાય છે. સામાન્ય રીતે રેડ કોલંબસ મંકી માનવ જા...

  • ફરે તે ફરફરે - 41

      "આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર...

  • ભાગવત રહસ્ય - 119

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯   વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો...

  • પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21

    સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ...

  • ખજાનો - 85

    પોતાના ભાણેજ ઇબતિહાજના ખભે હાથ મૂકી તેને પ્રકૃતિ અને માનવ વચ...

Categories
Share

एक अदद औरत - 5

कमला कोई साध्वी या विरहणी नही थी।वह एक आम नारी थी।दूसरी औरतों की तरह हाड़ मास का पुतला।जैसे दूसरी औरतों को सेक्स की भूख होती है।वह भी पुरुष संसर्ग चाहती थी।औऱ इस काम के लिए औरत को एक मर्द की जरूरत होती है।कमला के पास मर्द था।उसके पास तारा था।तारा हुष्ट पुष्ट और बलिष्ठ था।लेकिन नामर्द था वह कमला की भूख को जगा तो सकता था लेकिन शांत नही कर सकता था।उसे उतेजित कर सकता था लेकिन उतेजना को मिटा नही सकता था।
कमला को तारा पसंद था।उसे उससे कोई शिकायत नही थी।वह उसी की रहना चाहती थी।पर अपनी भूख के लिए मर्द की भी जरूरत थी।ओर उसने अपनी दिनचर्या के लिए या कहे अपनी शरीर की भूख मिटाने के लिए मर्द की तलास की थी।तलाश भी कही दूर नही।तारा के इर्द गिर्द या उसकी मित्र मंडली पर उसकी नजर गई थी।
और उसकी नजर पंडित पर जाकर ठहर गयी थी।औऱ तलाश पूरी होने के बाद कमला के पंडित से सम्पर्क बढ़ने लगे।वह उससे हंस हंस कर बाते ही नही मजाक करने लगी।
एक दिन तारा जब स्टेशन चला गया तब पंडित उसके घर पहुंचा।पंडित ने आवाज लगाई,"भाभी
कमला पहचान गयी।वह बोली,"आ जाओ
और पंडित कमरे में से होता हुआ बाथरूम के दरवाजे पर जा पहुंचा
"कहाँ हो
"आयी
कमला सावर के नीचे निर्वस्त्र नहा रही थी।वह उसी हालत में कमरे मे चली आयी।पंडित शर्मा गया
"क्या औरत देखी नही है जो शरमा रहे ही
"देखी है
कमला उसे तौलिया देते हुए बोली",लो मेरा शरीर पोंछी
पंडित शरमाते हर उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा
"तारा की तरह नामर्द हो।मैं तो समझ रही थी मर्द हो
लेकिन
"मैं नामर्द नही हू
और कमल की बात सुनकर उसका पुरषार्थ जाग उठा और कमला को जमीन पर पटककर
जब पंडित उसके तन से अलग हुआ तो कमला बोली,"सच मैं तू मर्द है
औऱ कमला को वी मिल गया था जो इसे चाइये था।तारा की रहते हुए उसने पंडित को अपना यार बना लिया।यह बात कब तक छिपी रहती।तारा को एक दिन पता चलना ही था।तारा को यह पसन्द नही था कि उसके रहते किसी और के साथ सोये।
कमला कब तक सहन करती रोज रोज के टोकने पर वह भड़क गई
तू चाहता हैं मैं पतिव्रता रहूं।औरत पतिव्रता तभी रहती है जब उसके मर्द में दम हो।तुझ से कुछ होता जाता नही है और मुझे रोकता हैं।किस मुह से मुझे रोकता है
कमला और तारा के रिश्ते में दरार पड़ गयी थी।यह दरार धीरे धीरे चौड़ी होने लगी।इतनी चौड़ी की कमला ने तारा से अपने रिश्ते के बारे में सोचना शुरू कर दिया था।
औरत के लिए खाना औऱ पहनना ही जरूरी नही है।उससे आगे भी उसकी जरूरते है।औरत का पेट भरा होता है तो वासना की भूख जगती हैं।और यह भूख ऐसी होती है जिस पर औरत काबू नही रख सकती।औऱ अगर औरत का पति नामर्द हो।तो वह सेक्स की भूख मिटाने के लिए पराये मर्द का सहारा लेती है।इसमें पति बाधा बने तो वह उसे छोड़ भी देती हैं।
तारा से कोई रिश्ते में तो वह बंधी नही थी।इसलिए वह उसे छोड़कर पंडित के घर जा बैठी।
कमला को अपने इस निर्णय पर कोई पश्चताप। नही था।न दुख था।पश्चातसप तो तब होता जब वह तारा के साथ शादी के बंधन में बंधी होती
"समाप्त)