Ek Jasus in Hindi Detective stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | एक जासूस

Featured Books
Categories
Share

एक जासूस

कहने को तो वो मेरा बेटा ही है लेकिन है एक जासूस ।
मेरा बेटा सैम एक मूवी से इंस्पायर होकर बनना चाहता था एक जासूस । लेकिन उसकी जासूसी की चाह ने कर दी मेरी जिंदगी बर्बाद । आइए आपको बताती हुं मैं अपनी कहानी ।

मैं प्रभा मजूमदार । उम्र इस वक्त करीब ४० साल । लेकिन जब मेरी बर्बादी की कहानी शुरू हुई उस वक्त मैं महज ३५ साल की थी । घटना आज से ५ वर्ष पूर्व की है ।
मैं अपने पति रंजीत मजूमदार और अपने १३ वर्षीय पुत्र सैम के साथ अपनी गृहस्थी में खुश थी । बहुत ही सेटल्ड लाइफ थी हमारी । हां मेरे पति बहुत व्यस्त रहते थे जिस वजह से वो बच्चो और मुझ पर कम ध्यान देते थे । सैम बड़ा हो चुका था वह टीन एज में प्रवेश कर चुका था । मैं बहुत खयाल रखती थी इस एज में बच्चें पढ़ाई से मन हटा लेते है लेकिन में हमेशा सैम को समझाती थी कि सही क्या है गलत क्या । सैम अपने मोबाइल में दोस्तो से बात करने और विडियोज या मूवीज देखने में व्यस्त रहता था । कुछ समय मिलता तो पढ़ भी लेता था । मेरा अब लगभग रोज उससे झगड़ा होने लगा था । मेरा उसे मोबाइल न लेने का कहना आरग्युमेंट का कारण बन जाता ।
इधर रंजीत को वक्त नहीं होता था इसलिए मैं अपनी परेशानी किसी से कह भी नही पाती थी । अंदर ही अंदर मुझे घुटन होने लगी थी । जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा मैने पति और बच्चे को दिया लेकिन आज मेरा कोई वजूद नहीं और मैने तय किया की मुझे अब कुछ करना है ताकि मेरे घर वालो को मेरी वर्थ समझ आए । मैने एक छोटा सा बिजनेस स्टार्ट किया । मुझे सिलाई करनी आती थी सो कपड़े सिलकर उन्हे सेल करने के लिए वेंडर्स तक पहुंचाया । धीरे धीरे मेरे सिले कपड़ो को लोग पसंद करने लगे और मेरा बिजनेस चल पड़ा । अब मैं भी खुश रहने लगी थी ।
भला कौन खुश नहीं होगा खुद की कमाई से ।। वो खुशी ही अलग होती जिसमे आप अपने लिए कुछ करते हो और आपका आत्मविश्वास बढ़ने लगता है ।
उसी दौरान सैम ने एक जासूसी की मूवी देख ली ।
उसपर तो भाई धुन सवार , " मैं भी जासूस बनूंगा"
अब वह ज्यादा से ज्यादा जासूसी के बारे में जानकारी इकट्ठी करने लगा । वो मेरी ही भूल थी जो मैने उसे हल्के मे लिया । मुझे लगा बच्चा है कुछ दिनों में ये भूत उतर जायेगा । मैं अपने कामों में व्यस्त रहने लगी । और वह अपनी जासूसी में ।

इसी दौरान मेरी भी एक व्यक्ति से बिजनेस के सिलसिले में मित्रता हो गई । थी बस मित्रता लेकिन रंजीत को अच्छा नही लगेगा ये सोच मेरे मन में आ गई । जबकि रंजीत का नेचर ऐसा नहीं था । सिर्फ मित्रता होने के बावजूद में उस व्यक्ति की बात छुपाने के लिए फोन में पासवर्ड रख बैठी । यह मेरी दूसरी भूल थी ।

वह व्यक्ति जो मेरा मित्र बना था उसका नाम संजय था । बहुत जिंदादिल इंसान हसमुख स्वभाव किसी का भी दिल जीत ले । बातो बातो में हम अच्छे दोस्त बन गए । अब में अपने दुख दर्द उससे बांटने लगी उससे मुझे कई बार सुझाव और रास्ते मिल जाते उनसे बात करके मेरा दिल हल्का हो जाता था । उनसे बात करते हुए चेहरे पर मुस्कुराहट रहती थी । लेकिन न उन्होंने और न मैने कभी अपनी मर्यादा पार की थी । हमारी मित्रता को चार वर्ष हो चुके थे । सैम अब १७ साल का हो गया था ।

पता नही शायद मुझमें आए बदलाव को रंजीत और सैम दोनो ने महसूस किया । सैम लग गया अपनी जासूसी में । कई बार उसने मेरे फोन का पासवर्ड खोलना चाहा । और एक दिन वह सफल हो गया ।
और मेरी किस्मत भी देखिए उस दिन संजय मुझे उनके साथ हुए एक इंसीडेंट के बारे में बता रहे थे ।
कि कैसे एक १० साल छोटी लड़की उनमें इंटरेस्टेड होती है । मैं सभी बात करके चैट डिलीट कर दिया करती थी । उनसे बात करते हुए मेने फोन साइड में रखा और काम पर लग गई । वो मुझे बता रहे थे सब केसे हुआ और मेने पूछा फिर उसने क्या कहा तो उन्होंने मुझे उसका जवाब बताया की ‘आई लव यू’ ये वाक्य वो लड़की ने संजय से कहा लेकिन मेरी किस्मत खराब थी ।
वही वाक्य सैम ने देख लिया । बस फिर क्या था घर में आग लगने को ये वाक्य काफी था ।

सैम की जासूसी मुझ पर पढ़ी भारी । उसने रंजीत को हर बात इतनी बढ़ा चढ़ाकर कही कि मेरा उन्हे समझाना मुश्किल हो गया । मैने ये बात जब संजय को बताई तो उन्होंने कहा कि वो बात करेंगे रंजीत से लेकिन मैं जानती थी उनका बात करना रंजीत को और ज्यादा गलतफेमी में डालेगा । मेने उन्हे कहा कि मैं संभाल लूंगी और न संभाल पाई तो उन्ही का सहारा लूंगी ।
मेरे जीवन में रंजीत के सिवाय कोई नही था लेकिन एक गलतफेमी ने सब कुछ खतम कर दिया ।
मेरे अपने ही बच्चे ने मुझे मेरे पति के सामने चरित्रहीन साबित कर दिया ।
मुझे मेरा ही बेटा विलेन लगने लगा । मुझे उसपर बहुत गुस्सा आने लगा । हंसता खेलता मेरा परिवार तीन दिशाओं में बंट गया और उसका कारण था मोबाइल ।
मेने पूरे एक साल तक इस बात का इंतजार किया की शायद रंजीत को एहसास हो की मैं सही थी । किंतु मेरे प्रयास असफल रहे । शक का कोई इलाज नहीं होता । और सैम ने रंजीत के मन में वो शक पैदा कर दिया था ।

अगर सही समय पर मैने सैम से मोबाइल ले लिया होता या खयाल रखा होता कि वो मोबाइल में क्या करता है तो शायद ऐसा नही होता । और खुद भी कोई गलत रिश्ता ना होने के बावजूद संजय और मेरी दोस्ती को छुपाया ।
अपने आप पर मुझे बहुत गुस्सा आने लगा ।

रंजीत को मैं किसी भी तरह यकीन नही दिला पा रही थी ।
संजय से मैने सबकुछ बताया और उसे कहा कि मैं उससे अपने दोस्ती के रिश्ते को खत्म करने जा रही हूं लेकिन फिर भी मैं एक बार उसे देखना चाहती थी ।
वो एक चेहरा हमेशा याद रखना चाहती थी जिसने मुझे मुस्कुराहट दी थी ।
मैं संजय से मिलने गई । ये मेरी एक और भूल थी । रंजीत ने मुझे संजय के साथ देख लिया । संजय ने भी रंजीत को समझाने की बहुत कोशिश की । लेकिन रंजीत नहीं माना ।
कुछ दिनों बाद मेरे हाथ में तलाक के पेपर्स थे । मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मेरा बिजनेस करना गलत था संजय से दोस्ती करना गलत था या रंजीत के प्रति वफादार होना गलत था ।
मैं पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी थी । सैम १८ साल का हो चुका था इस उमर में तलाक? जग हंसाई होगी । तलाक में देना नही चाहती थी और आत्महत्या करने की मुझमें हिम्मत नहीं थी । दुख था मन में कि "आज के आधुनिक युग में जहा अपने काम के चलते किसी पुरुष का महिला मित्र से बात करना गलत नहीं है तो स्त्री का क्यों?" पुरुष तो कभी बता ता नही कि वह किस से कब बात करता और कब मिलता "
तो स्त्री के चरित्र पर उंगलियां क्यों उठती है?
संजय ने मुझसे माफी मांगी और मुझे कहा की मैं तुम्हे अपनी बहन की तरह मानता आया हूं अफसोस की मेरी ही वजह से तुम्हारी दुनिया उजड़ गई मै अब हमेशा के लिए तुम्हारी जिंदगी से जा रहा हूं मुझे माफ कर देना ।

मेरा बेटा, मेरा पति और मेरा मित्र एक एक करके सभी मेरे जीवन से जा चुके थे । रह गया था तो बस अपमान ।
मेरा अपमान रंजीत से जो प्यार किया उसका अपमान, बेटे से जो ममता थी उसका अपमान और मेरी मित्रता का अपमान । मैं टूट चुकी थी । मस्तिष्क में विचारो का घमासान युद्ध शुरू हुआ मुझे अब सहन नही हो रहा था । अब मुझमें हिम्मत नही बची थी खुद को सही साबित करने की । एक पुरुषप्रधान देश में जहां स्त्रियों की बात का कोई महत्व नहीं होता । फिर एक स्त्री हार गई और अपमानित हुई ।
मैं उठी रंजीत को मेसेज किया
"प्रिय रंजीत,
भगवान गवाह है कि मैने पुरे हृदय से सिर्फ तुम्हे चाहा और मेरे जीवन में सिवाय तुम्हारे कोई नहीं है । लेकिन बिना मेरी बात को सुने तुमने सैम पर विश्वास किया वो तो बच्चा है रंजीत लेकिन तुम तो बड़े थे ना । एक बार कोशिश करते सच्चाई जानने की । पर नहीं,,, तुमने मुझे दोषी ठहरा दिया । जिस संजय पर तुम शक कर रहे वो मुझे बहन मानता था । लेकिन अब देर हो चुकी है शायद तुम मुझे माफ कर दो और साथ रहना चाहो लेकिन मेरा आत्मविश्वास और स्वाभिमान आहत हुआ उसका क्या । मैं तुम्हे कभी माफ नही कर पाऊंगी । मैं तुम लोगो से बहुत दूर जा रही हूं हमेशा के लिए । अपना और सैम का खयाल रखना ।
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी
प्रभा
मेसेज सेंड करने के बाद में घर से निकलकर शहर के बीच की और गई । कुछ देर वहां बैठकर में पानी की और चलने लगी । धीरे धीरे अपने शरीर को ढीला छोड़ते हुए मैं अपने आपको पानी के रास्ते खतम कर देना चाहती थी । मैं पानी की गहराई में समाती गई । मुझे दर्द था इस बात का ईश्वर की दी हुई इस खूबसूरत जिंदगी रूपी तोहफे का मैं आज अंत कर रही हूं ।

धीरे धीरे मेरा दम घुटने लगा ,,,,,,,,,,,,,,
उसके बाद क्या हुआ मुझे पता नही शायद मैं मर चुकी थी । मैं तो जीते जी ही मर चुकी थी जब मेरी पवित्रता पर कीचड उछाला गया । ये तो बस मेरे शरीर से रूह निकल रही थी ।। ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

इस दुनिया को एक स्त्री अलविदा कह गई ।