Pagal - 8 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 8

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पागल - भाग 8

भाग–८
राजीव आज अलग ही मूड में मुझसे बात कर रहा था । मैं भी अचंभे में थी कि आखिर इसे हुआ क्या है?
उसने मुझे किट्टू नाम से पुकारा ,

"बोल क्या काम है?"
"यार मुझे भी शॉपिंग करनी है , कुछ समझ नही आ रहा क्या लूं, तू कुछ हेल्प कर दे ना"
"ओहोहोहो , आज तो शहद टपक रहा है मुंह से, नही करती मदद जा" उसने मेरी चोटी पकड़ कर बाल खींचे ।

"आह्ह्ह" मैं चिल्लाई,
"अरे क्या बच्चों की तरह लड़ते हो अभी भी । राजीव क्यों परेशान करता है उसे " सम्राट अंकल ने कहा ।
"सॉरी ताऊजी"
मैने उसे चिढ़ाया ।
"बाद में देख लूंगा तुझे " वह कहकर चला गया ।
सम्राट अंकल बड़े ध्यान से हम दोनों को देख रहे थे और ना जाने क्या सोच रहे थे ।

मैं घर जाने से पहले उसके पास गई ।
"ओए रावण"
"जा यहां से ,,"वो मुंह लटका के बैठा था ।
"कल चलते है शॉपिंग के लिए " मैने कहा
"पक्का ?" कहते हुए वह बिस्तर से उठकर खुशी से उछल कर बैठा ।
"हां कल चलते है , मुझे भी शादी के लिए कुछ लेना है तू मेरी शॉपिंग करवा देना मैं तेरी "
"डन " उसने उठकर कहा और मुझे गले से लगा लिया ।

हम अक्सर उटपटांग मस्ती करते थे लेकिन उसने कभी मुझे हग नही किया था । ये पहली बार था कि उसने मुझे गले से लगाया हो । मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा । मैं उससे दूर होकर उसे बाय बोलकर घर आ गई ।

लेकिन सीने में अजीब सी हलचल मची हुई थी । दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था । और पेट में तितलियां उड़ रही थी । वो बहुत अजीब एहसास था । जिसे में शब्दों में बयां नहीं कर पाऊंगी ।

अगले दिन मैं उसके साथ शॉपिंग पर गई , उसने कुछ 3 शर्ट्स , दो पेंट्स, एक पठानी सूट और एक कुर्ता लिया । सबकुछ उसने मेरी पसंद का लिया था । अब बारी मेरी थी , मैं और वो लहंगे और साड़ी के शोरूम ’ओढ़नी’ में गए ।
एक से एक खूबसूरत साड़ी और लहंगे थे वहां ।

एक पुतले पर एक खूबसूरत पिंक और ब्लू लहंगा देखकर उसकी नजर रुक गई ।
"किट्टू, तू ये ले ले "
"आज कल तू मुझे किट्टू क्यों बुलाने लगा है?"मैने शिकायत की तो वो बोला,
"अब शादी में सबके सामने तुझे पागल कहूंगा तो तू ही गुस्सा करेगी इसलिए आदत डाल रहा हूं " उसने कहा ।
"हां बात तो सही है तेरी" मैने कहा और उसे हाई फाइव दी । हम दोनो हंसने लगे ।

"किट्टू तू साड़ी में भी सुंदर लगेगी"
"हम्मम "

उसने जो लहंगा पसंद किया वो मैने ले लिया ।
और मां के लिए एक साड़ी भी ली ।

बाहर निकले तो उसने एक बैग मेरे हाथ में देकर कहा ," ये तैयार करवा लेना । "
"इसमें क्या है?"
"घर जाकर देख लेना " आज राजीव कुछ अजीब सा बर्ताव कर रहा था ।
हम अलग हुए और मैंने घर जाकर पहले वो बैग खोला । देखा तो उसमे एक खूबसूरत लाल रंग की साड़ी थी जिसमे ब्लैक चमकीली बॉर्डर थी । साड़ी बहुत खूबसूरत लग रही थी । मुझे अजीब लगा , आखिर उसने मुझे साड़ी क्यों दी?
"क्या उसे मुझसे प्या,,,र,,,,,? नही यार ये मैं क्या सोच रही हूं, अगर ऐसा ना हुआ तो खामखा मेरी उम्मीद टूटेगी। दोस्त समझ कर दिया होगा।लेकिन साड़ी? दोस्त को ब्रेसलेट देते ,वॉच देते , पर्स देते , लेकिन साड़ी तो नही " मेरे विचारों के घोड़े दौड़ने लगे । मेरे मन ने ये मानना शुरू कर दिया था कि राजीव को भी मुझसे प्यार है । और मैं उसकी पहल का इंतजार करने लगी ।

अब तक मेरे जीवन में बस एक ही दोस्त था "राजीव" । क्या राजीव को मुझसे प्यार है या मैं खो दूंगी उसे अपनी गलतफेमी की वजह से ।
जिंदगी एक नया मोड़ लेने वाली थी । क्या वो जानेंगे अगले भागों में ।