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गिरफ्तारी
अभिमन्यु किचन में खड़ा गाना गुनगुना रहा है । तभी उसने टी.वी देखते हुए तन्मय को कहा,
तनु ! आज हम प्रिया के घर डिनर पर चल रहें हैं ।
मुझे कही नहीं जाना, उसने चिढ़कर कहा ।
क्यों, तुम्हें तो प्रिया आंटी अच्छी लगती है ।
मुझसे ज़्यादा वो आपको अच्छी लगती है ।
यह क्या ज़वाब है, उसने उसे गुस्सा दिखाते हुए कहा ।
पापा आप मम्मी के जाने का वेट कर रहें थें कि कब वो जाए और आपको प्रिया आंटी के साथ रहने का मौका मिल जाए ।
तनु ! यह सब कहाँ से सीखा तुमने । वह अब चिल्लाने लगा ।
मैं अपनी मम्मी की जगह किसी को नहीं दूंगा ।
कोई तुम्हारी मम्मी की जगह नहीं ले रहा है, समझे । तभी नंदनी को आता देखकर दोनों चुप हो गए।
साहब!
हाँ बोलो, मैं और काम नहीं कर सकती ।
क्यो, क्या हुआ?
मैं अपनी बहन के पास हमेशा के लिए झाँसी जा रही हूँ । उसका पति गुज़र गया है, वह भी अकेली है और मैं भी ।
क्यों उसका कोई बच्चा नहीं' है ?
वह मुंबई के होस्टल में रहता है और हमने सोचा है कि अब दोनों बहने साथ रहेगी और अब नैना मैडम भी आने वाली है । उसने तन्मय की तरफ देखते हुए कहा ।
ठीक है, उसने उसे जेब से इस महीने के पैसे निकालकर दिए ।
अब उसने उसे नमस्ते कहा और तन्मय को बाय बोलकर चली गई । उसके जाते ही उसने सोसाइटी के मैनेजर को नयी कुक ढूँढने के लिए कहा। तन्मय भी अभिमन्यु को देखकर मुँह बनाता हुआ, वहां से चला गया। क्या करो इस लड़के का । उसकी आवाज़ में चिंन्ता है।
आज पुलिस को अजीत के पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में होने की ख़बर मिली है। पूरी पुलिस टीम वहाँ पहुँची, मर वह वहां से भी निकल गया। रुद्राक्ष गुस्से में पुलिस स्टेशन में बैठा, पेपरवेट घुमा रहा है।
सर, उमा बिश्नोई ने घर के बाहर से पुलिस हटाने के लिए कहा है।
क्यों ? उनका कहना है कि लोग पूछते है और इससे उनकी बेटी शुभी की बदनामी होगी। कल को उसकी शादी में भी दिक्क्त होगी।
हमारा देश चाँद पर पहुँच चुका है, मगर ऐसे लोग अब भी जमीन में धँसे हुए हैं। ठीक है, हटा दो। वैसे भी वो अजीत यहाँ नहीं आने वाला, वो तो किसी और ही बिल में छिपा हुआ है। उसने चिढ़कर कहा।
अच्छा सुनो ! बिश्रोई फैमिली के कॉल रिकॉर्ड निकलवाओ, वो भी इसी महीने के।
सर तीनो भाइयों की फैमिली के ?
यस तीनो के । उसने लम्बी सांस छोड़ते हुए कहा।
नंदनी अपने घर जाते हुए सोच रही है कि राजीव से आखिरी बार दो लाख रुपए मांग ले, वैसे भी वो उससे पाँच लाख के करीब पैसे ले चुकी है। अभी फिलहाल के लिए इतने पैसे और लेकर वह यहाँ से चली जाएगी। बाद में दिल्ली आना हुआ तो देखते है। अपनी सोच में डूबी नंदनी को पता ही नहीं है कि जमाल उसका पीछा कर रहा है। वह एक दुकान पर रुककर कुछ सामान खरीदती है और फ़िर पास बने पार्लर में चली जाती है। जमाल वहीं एक कोने में खड़ा उसका इंतज़ार कर रहा है। काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद जब वो नहीं आती तो वह राजीव को फ़ोन करता है।
हेल्लो, हाँ बोलो।
कितनी देर से पार्लर के अंदर गई हुई है पर अब तक बाहर ही नहीं निकली।
मैंने तुम्हे काम करने के पैसे दिए है, बहाने सुनाने के नहीं। यह कहकर उसने फ़ोन काट दिया। उसने मुँह में पान ठूंसते हुए कुछ सोचा और फ़िर थोड़ी देर में एक सत्रह अठारह साल की लड़की को लेकर आया और पैसे देते हुए बोला, जिसकी तस्वीर दिखाई है, उसी के बारे में पता करके बताना है। वह लड़की सिर हिलाती हुई अंदर चली गई। कुछ मिनटों बाद आकर उसने बताया कि नंदनी तो दूसरे दरवाजे से पिछली गली में चली गई है। वह भागता हुआ पिछली गली में गया, मगर वहाँ पर उसे नंदनी दूर-दूर तक नज़र नहीं आई।
उमा बिश्नोई अपने घर में अपने फ़ोन को लगातार देखती जा रहीं है। तभी किशन बिश्नोई ने आकर उसका ध्यान भंग किया,
क्या देख रही हो, उसने फ़ोन को एक तरफ रखते हुए कहा, सोचना क्या है, मेरी बच्ची शुभी वो कमीना अजीत परेशान कर रहा था और हम में से किसी को भी पता नहीं चला और तुम तो हमेशा उसको अपने साथ चिपकाए रहते थें।
राजेन्द्र भाईसाहब भी उसको साथ चिपकाए रहते थे, उनको पता चला। खैर तुम परेशान न हो, पुलिस उसे पकड़ ही लेगी और वैसे भी अब वो शुभी को परेशान नहीं कर पायेगा।
पर तुमने देखा नहीं कि शुभी की हालत कैसी है, वह कितना डरी हुई है।
तुम उसे कुछ महीनो के लिए उसके कजिन मामा के यहाँ लंदन भेज दो। उसका माहौल ठीक होगा तो वह खुद ब खुद नार्मल हो जाएगी।
तुम ठीक कहते हो। मैं अपने भाई को फ़ोन लगाती हूँ। उसने फ़ोन घुमाया और अपने भाई देवेंद्र से बात की।
शाम की फ्लाइट से शुभी को उमा ने उसके भाई अमन के साथ लंदन भेज दिया। फिर किशन के साथ खाना खाने के बाद वह अपने कमरे में सोने चली गई और किशन भी अपने घर की ओर निकल गया। तभी उसे एक मैसेज आया और उस मैसेज को पढ़ने के बाद उसने पहले अपना हुलिया ठीक किया। सूट बदलकर उसने जीन्स पहनी और टीशर्ट के ऊपर जैकेट पहनी। उसने खुद को आईने में देखा और लम्बी सांस छोड़ते हुए बोली, आज की रात निकल जाये तो सब ठीक हो जायेगा। अब वह वॉचमैन को घर की रखवाली का बोलकर घर से निकल गई। वह ख़ुद गाड़ी ड्राइव करती हुई जा रही है। उसके चेहरे के हाव-भाव बता रहें है कि वो किसी बात को लेकर चिंतित है। मगर ख़ुद पर काबू पाते हुए वह बड़ी सावधानी से गाड़ी चला रही है। कम से कम दो घंटे गाड़ी चलाने के बाद वह एनएच, 24 पर हाईवे के पास बने एक लाउन्ज में पहुँचती है। रिसेप्शन पर बैठी लड़की उसे कुछ कहती है और वह लाउन्ज के पास एक पेड़ -पौधों से घिरे मैदान में पहुँचती है। वहाँ खड़े एक सोलह-सत्रह साल के लड़के के हाथ में एक पैकेट थमाती है और चुपचाप वहां से निकल जाती है। फिर अपने घर आकर बिस्तर पर लेट जाती है और कुछ ही देर में चैन की नींद सोती है, जैसे कोई बोझ उतर गया हो।
सुबह दस बजे वह घर में बने लॉन में अखबार पढ़ती हुई चाय पी रही है। किशन उसके घर उससे मिलने आता है। उसे देखकर वह कहती है,
लो चाय पियो। उसने उसकी तरफ चाय का प्याला किया ।
चाय तो आप हमारे साथ भी पिए, यह आवाज सुनकर दोनों चौंक जाते हैं।