11.
और फिर एक दिन मैंने सब कुछ जाने दिया ,
ना रुकी ख़ुद,ना तुमसे रूकने का वादा लिया,
वादे-कस्मे, शिकवे-गिले तुम्हारे, सब अंदर समेटे!
एक दिन सब कुछ,खुद में ही दफन कर लिया...
दहलीज पर ठहरी रही थोड़ी देर तुम्हारे...
थोड़े छुपाऐ गम, थोड़े आंसू आंखों में भर लिया...
अपने प्रेम और पीड़ा की गठरी उठाए...
अंतत: तुम्हें,आखरी अलविदा कह दिया...
12.
किस्मत का लिखा होता है किसी से इत्तेफाकन मिलना या किसी से अचानक बिछड़ना !
हम सोचते कुछ और हैं लेकिन हो कुछ और जाता है !
हमारे सोचने से ही अगर सब हो पाता तो शायद कभी कोई दुखी हो ही नही पाता !
क़िस्मत में क्या लिखा है ये वक्त ही बता पाता है तो स्वयं को कोसने से , क़िस्मत को दोष देने से हालात नही बदलने वाले !
हालात तो आपको स्वयं ही बदलना होगा और उसके लिए परिस्थिति स्वीकार्य कर जीवन की तमाम चुनौतियों का हर पल सामना करना ही पड़ेगा !!