cuckoo and sparrow in Hindi Adventure Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | कोयल और गौरैया

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कोयल और गौरैया

कोयल और गौरैया

कोयल और गौरैया में बहुत अच्छी दोस्ती थी। जहाँ भी जाते, दोनों एक साथ जाते थे और हर काम में एक - दूसरे की मदद करते थे। एक दिन गौरैया को कोयल दिखाई नहीं दी। गौरैया दौड़कर कोयल के घर गयी। गौरैया ने कहा - "क्या बात है, आज तुम दिखाई नहीं दी?" कोयल बोली- "मैं कल किसी काम से कहीं जा रही थी, तभी रास्ते में मेरा पैर फिसल गया और पैर में चोट लग गयी।" गौरैया बोली - "चलो, मैं तुम्हें चिकित्सक के पास ले जाती हूँ।" नहीं - नहीं... यहीं पर कम्पाउंडर जी के पास दवाई मिलती हैं। उन्होंने मेरे पैर पर लैप लगाया है और आराम करने को कहा है।" कोयल ने बताया।
गौरैया ने कोयल से कहा - "तुम आराम करना। तुम्हारे सारे काम मैं कर दूँगी।" अगले दिन से गौरैया रोज कोयल के घर आती थी। उसके लिए खाना भी लाती थी। गौरैया ने कोयल के घर की साफ - सफाई की। उसकी बहुत सेवा की। गौरैया कोयल का बहुत ध्यान रख रही थी। कोयल बहुत खुश हुई और बोली - "मैं कितनी भाग्य - शाली हूँ, जो मुझे तुम जैसी दोस्त मिली।" कोयल बोली - "मै तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलूँगी। तुम मेरा इतना ख्याल रख रही हो।" गौरैया ने कहा - "मैं तुम्हारी दोस्त हूँ। मैं तुम्हारी मदद नहीं करूँगी तो और कौन करेगा?" ऐसा सुनकर कोयल खुश हो गयी। उन दोनों की दोस्ती और भी गहरी हो गयी।
"कह रहीम संपत्ति सगै, बनत बहुत बहु रीत।
बिपत्ति कसौटी जे कसै, तेई साँचे मीत"।।

संस्कार सन्देश :- जो मुसीबत में काम आये वही सच्चा मित्र कहलाता है।


कोयल और गौरैया में बहुत अच्छी दोस्ती थी। जहाँ भी जाते, दोनों एक साथ जाते थे और हर काम में एक - दूसरे की मदद करते थे। एक दिन गौरैया को कोयल दिखाई नहीं दी। गौरैया दौड़कर कोयल के घर गयी। गौरैया ने कहा - "क्या बात है, आज तुम दिखाई नहीं दी?" कोयल बोली- "मैं कल किसी काम से कहीं जा रही थी, तभी रास्ते में मेरा पैर फिसल गया और पैर में चोट लग गयी।" गौरैया बोली - "चलो, मैं तुम्हें चिकित्सक के पास ले जाती हूँ।" नहीं - नहीं... यहीं पर कम्पाउंडर जी के पास दवाई मिलती हैं। उन्होंने मेरे पैर पर लैप लगाया है और आराम करने को कहा है।" कोयल ने बताया।
गौरैया ने कोयल से कहा - "तुम आराम करना। तुम्हारे सारे काम मैं कर दूँगी।" अगले दिन से गौरैया रोज कोयल के घर आती थी। उसके लिए खाना भी लाती थी। गौरैया ने कोयल के घर की साफ - सफाई की। उसकी बहुत सेवा की। गौरैया कोयल का बहुत ध्यान रख रही थी। कोयल बहुत खुश हुई और बोली - "मैं कितनी भाग्य - शाली हूँ, जो मुझे तुम जैसी दोस्त मिली।" कोयल बोली - "मै तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलूँगी। तुम मेरा इतना ख्याल रख रही हो।" गौरैया ने कहा - "मैं तुम्हारी दोस्त हूँ। मैं तुम्हारी मदद नहीं करूँगी तो और कौन करेगा?" ऐसा सुनकर कोयल खुश हो गयी। उन दोनों की दोस्ती और भी गहरी हो गयी।
"कह रहीम संपत्ति सगै, बनत बहुत बहु रीत।
बिपत्ति कसौटी जे कसै, तेई साँचे मीत"।।

संस्कार सन्देश :- जो मुसीबत में काम आये वही सच्चा मित्र कहलाता है।