purani cycle in Hindi Motivational Stories by Naresh Bokan Gurjar books and stories PDF | पुरानी साईकिल

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पुरानी साईकिल

बस्ती से होकर गुजरने वाली कच्ची सड़क से हर रोज सुबह कुछ बच्चे साइकिल पर स्कुल के लिए जाते हैं । इसी रस्ते पर दीपक का घर है, दीपक भी स्कुल जाता है मगर उसके पास कोई साइकिल नही है। घर से स्कुल का रास्ता काफी लम्बा है मगर दीपक स्कुल पैदल ही जाता है। घर के हालात ऐसे नही है कि उसे साइकिल दिला सके।
दीपक बहुत होशियार है हमेंशा अपनी क्लास में अवल आता है। इस बार वह आठवीं क्लास में है, सरकारी स्कुल में आठवीं क्लास पास करने के बाद सरकार के ऐक अभियान के तहत साइकिल दी जाती है। शुरूअात से ही दीपक कडी़ महनत में लग जाता है उसका एक ही लक्ष्य होता है कि इस बार अवल आकर साइकिल लेना ।
दीपक स्कूल से घर आने के बाद घंटो तक पढ़ाई करता और फिर कुछ देर के लिए खेलनें चला जाता कभी-कभार मौका मिलता तो दूसरे बच्चों से साइकिल चलाना भी सिखता था । दूसरे बच्चों को साइकिल चलाता देख मन तो उसका भी बहुत होता था मगर घर की हालत उसके सामने थी। माता- पिता सारा दिन मजदूरी करते तब जाकर दो वक्त का चुल्हा जलता था, इस लिए दीपक ने कभी भी किसी चीज़ की जिद नहीं की।
माँ कहती बेटे खूब पढना और पढ़ लिख के अच्छा इंसान बनना हमारा तो बस एक तु ही सहारा है। दीपक भी अपने माता- पिता की कोई बात नही टालता। अच्छे संसकारों का समावेश अौर सही गलत की परख उसमें खुब थी।
अब उसने घर से बाहर निकलना, दोस्तो के साथ खेलना सब छोड़ दिया। दिन भर बस पढ़ाई मे लगा रहता है, उसके आखों के सामने सिर्फ उसका सपना होता है। चाहे कुछ भी हो जाये इस बार उसे साइकिल हासिल करनी ही है उसने यह बात अपने मन मे ठान ली ठी।
दिन यूहीं गुजर रहे थे क्लास मे होने वाली हर परिक्षा मे दीपक अवल आ रहा था, अब उसे पूरा विशवास हो चुका था कि उसका सपना जल्दी ही पूरा होने वाला है।
देखते ही देखते वो दिन भी आ गये जब स्कूल मे वार्षिक परीक्षा शुरू हो गयी। एक के बाद एक परीक्षाओं की बौछार सी हो गयी , मगर दीपक की तैयारी पूरी थी तो उसे कोई परेशानी नही हुई। एक एक करके जब सारी परीक्षाएँ खत्म हो गयी तो स्कूल के मुख्याध्यापक ने सभी विद्यार्थियों से कहा कि जो भी अवल आएगा उसे इनाम लेते वक़्त मंच पे आकर कुछ शब्द कहने पड़ेंगे।
दीपक अब पूरे जोर सोर से मंच पे होने वाले अपने वक्तव्य की तैयारी मे जुट जाता है। अब कल ही कि बात है जब दीपक अपनी माँ को अपने सपने के बारे मे बता रहा था कि वो देखता है कि वह स्कूल के मंच पे खड़ा है और अपनी जीत की खुशी मे कुछ शब्द कह रहा है और फिर वह देखता कि मुख्याध्यापक उसे साइकिल देते हुए बधाई देते है और चारों तरफ तालियों की गड़गड़ाहट होती है।
आखिरकार वो दिन भी आ ही जाता है जब स्कूल मे परीक्षाओं के परिणाम घोषित होते है। एक एक कर सभी क्लास के परिणाम आने के बाद बारी आती है आठवीं क्लास की।
मुख्याध्यापक मंच पे आकर परिणाम बताते है - दीपक प्रथम स्थान , आकाश दूसरा स्थान और नीलम तीसरा स्थान, और साथ मे बताते है कि पहले और दुसरे स्थान के लिये साइकिल दी जायेगी।
दीपक और आकाश को मंच पे बुलाया जाता है और एक एक साइकिल दी जाती है आकाश नई साइकिल लेते हुए मुस्कुराते हुए मंच से नीचे चला जाता है मगर दीपक को जो साइकिल मिलती है उसे देख वह हैरान हो जाता है, यह एक पुरानी साइकिल होती है जिसके दोनो पहियों मे जंग लगा होता, बाएं तरफ का पैडल टूटा हुआ और हेंडल एक तरफ कुछ ज्यादा ही झुका हुआ होता है। कुल मिलाकार कहे तो यह साइकिल कम और कबाड़ ज्यादा होती है । इसका पुराना मालिक और कोई नही मुख्याध्यापक का लड़का आकाश होता है।
दीपक नम आँखों से मुख्याध्यापक की तरफ देखता है और मंच से नीचे चला जाता है।


नरेश बोकण गुर्जर