भाग–५
हैलो दोस्तों,,
तो कल उसके मेसेज ने मुझे खुश कर दिया । और आज मैं उससे कॉलेज में मिलने को लेकर बहुत उत्सुक थी ।
"सुबह इतनी देर से क्यों उठाया मम्मी" । मैं आज लेट उठी थी । और मम्मी से बोली । अक्सर ऐसा होता है जब हमें कहीं जाने की जल्दी होती है तो हम वहां लेट पहुंचते है ।
मैं जल्दी से तैयार हुई , आज मैं रोज से थोड़ा ज्यादा तैयार हुई थी । आज मैने ब्लू डेनिम पर गुलाबी कुर्ता पहना था , और खुले बाल रखे थे , आंखों में काजल लगाया था और हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक क्योंकि कॉलेज में गहरा रंग अच्छा नही लगता ।
कॉलेज पहुंची तो आज सभी मुझे घूर घूर कर देख रहे थे ।
"अरे इसे क्या हुआ है? आज इसका बर्थडे है क्या?" प्रिया ने कहा जो मेरी ही क्लास में थी ।
"नहीं यार इसका बर्थडे तो दो महीने बाद है ।" रिया बोली
"तो ये इतना तैयार होकर क्यों आई है , ये तो हमेशा ऐसे ही उठकर आ जाती है कॉलेज " D(दिवाकर) ने कहा ।
"पता नही " रिया फिर बोली ।
आज सच में मैं पहली बार ढंग से तैयार होकर कॉलेज गई थी ,,
एक सीक्रेट बताऊं, कई बार मैं कॉलेज सिर्फ ब्रश करके चली जाती थी और बस बाल बना लेती थी ।🙈
मैने क्लास अटेंड करी और बाहर कॉलेज के गार्डन में एक बेंच पर बैठी थी ।
वो पीछे से आकर बोला , "हेलो कीर्ति जी"
"मैने उसे देखा तो मैं बस उसे देखती रह गई , आज उसके चेहरे पर मास्क नही था , और वह इतना स्मार्ट लग रहा था कि मैं भी उसके आगे फीकी पड़ गई थी ।
"हाई" मैने कहा ।
"आपको मेरा नाम कैसे पता है? क्योंकि इंस्टा पर तो मैने अपना नाम नही लिखा है" और आपको पता कैसे चला मेरा इंस्टा आईडी?"
"ढूंढने से भगवान मिल जाते है कीर्ति जी , फिर आप तो ठहरी एक मामूली लड़की"
"व्हाट?,, मामूली? तो मिस्टर आपको इस मामूली लड़की से क्या काम है?" उसके जैसा ही एटीट्यूड लाकर में बोली ।
"सोचा आप इतनी भी बुरी नही है , दोस्ती कर ही लूं, आफ्टर ऑल हम एक ही कॉलेज में है ।"
"आपको कोई और दोस्त नहीं मिल रहा? जब मैंने कहा तो एटीट्यूड दिखा रहे थे " कहते हुए मैं जाने के लिए उठ रही थी तो उसने फिर मेरा हाथ पकड़ कर बिठा दिया और कहा " माफ भी कर दो ना" उसने अपने कान पकड़ लिए ।
उसका मासूम चेहरा देखकर मैं मुस्कुरा दी ।
"तुम बार बार मेरा हाथ मत पकड़ा करो"
"मैं तो पकडूंगा" उसने कहा ।
"फ्रैंड्स?" उसने हाथ आगे बढाया ।
मैने भी उससे हाथ मिलाया ।
"लेकिन , नाम तो बताओ?" अब भी मैं उसका नाम नही जानती थी ।
"रावण" मैं दांत पिसती रही पर उसने नाम नही बताया ।
वो फिर अपनी क्लास में चला गया । और मेरी अंतरात्मा मुझे धिक्कारने लगी की "क्या कीर्ति एक लड़के का नाम तक पता नहीं कर सकती तू"
"लेकिन वो कुछ भी बताता नही , क्लास भी पता नही वरना उसका नाम सर या मैडम से ही पूछ लेती"
"जाने दे तुझ से कुछ नही होगा ।"
आज छुट्टी के वक्त मैंने उसे रिया से बात करते देखा । दिल में आग लगी थी लेकिन सोचा कि रिया से ही उसका नाम पूछ लूं ।
"है, रिया"
"आज मैडम सामने से बात करने आई है , सूरज कहां से ऊगा देख लेने दो ।"
"मजाक मत कर यार, "
"काम बोल"
"वो , जिससे तू बात कर रही थी ना अभी ? "
"हां "
"उसका नाम क्या है?"
"रावण "
मैने सिर पीट लिया , शायद वो जानता था कि मैं किसी से उसका नाम पूछ सकती हूं तो उसने रावण ही बताया होगा ।
मैं घर आ गई । और उसे टेक्स्ट किया, "हेलो"
"जी कीर्ति जी"
"तुमने पूरे कॉलेज में अपना नाम रावण ही बताया है?"
"रजिस्टर में भी वही है, वैसे आपने किस किस से पूछ लिया?"
मैं झेंप गई ।
"कोई अपना नाम विलेन के नाम पर रखता है?"
"मैडम बहुत ज्ञानी था रावण और आजकल के लड़को से बहुत ज्यादा अच्छा था, "
"बात तो सही है"
"वैसे नाम के पीछे क्यों पड़ी है आप?"
"ऐसे ही" कहकर मैं ऑफलाइन हो गई ।
क्या कभी जान पाऊंगी मैं उसका नाम? क्या कह पाऊंगी उससे दिल की बात?
To be continued,,,,,,