Maafi - 1 in Hindi Love Stories by Suresh Chaudhary books and stories PDF | माफी - भाग 1

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माफी - भाग 1

दीवार घड़ी पर नजर पड़ते ही रामदयाल जी सोफे से उठ कर खड़े हो गए।
,, क्या हुआ,,। पत्नी ने पुछा
,, अरे कुछ नहीं हुआ, रात के बारह बज रहे हैं, सोना भी तो है,,। रामदयाल जी ने कहा
,, सच कह रहे हो, जब से सुधा अपनी ससुराल गई है, तब से उसे याद करते करते कब बारह बज जाते हैं, पता ही नहीं लगता, आप चलो मैं अभी आती हूं मैन गेट बंद करके,,। घुटने पर हाथ रखकर पत्नी गायत्री देवी ने उठने की कोशिश की।
,, ठीक है, टीवी भी बंद कर देना,,।
,, ट्रिन ट्रिन ट्रिन,,। लैंड लाईन फोन की रिंग टोन सुनकर रामदयाल के पैर बेड रूम के दरवाज़े पर ही कदम ठहर गए।
,, इस टाइम किसका फोन हो सकता है,,। बड़बड़ाते हुए रामदयाल ने फोन स्टेंड की ओर देखा।
,, देख लो, किसका है,,। मैन हाल के दरवाज़े को लॉक करते हुए गायत्री देवी ने कहा।
,, हैलो,,। रिसीवर उठाते हुए रामदयाल ने कहा
,, हैलो पापा जी मैं पंकज,,। दूसरी ओर से घबराई हुई आवाज सुनाई दी।
,, हां बेटे, तुम इस तरह से क्यों बोल रहे हो,,। पंकज की घबराई हुई आवाज सुनते ही रामदयाल बैचेन हो गया।
,, पापा जी, सुधा,,।
,, क्या हुआ सुधा को,,। दिल की घबराहट रामदयाल के शब्दों में उभर आई। रामदयाल की घबराई हुई आवाज सुनते ही गायत्री देवी भी रामदयाल के पास आ गई।
,, आप जल्दी आ जाईए, सुधा हॉस्पिटल में एडमिट है,,। दूसरी ओर से पंकज ने बताया
,, कौन से हॉस्पिटल में,,। रामदयाल को लगा जैसे अभी गिर पड़ेगा। पत्नी गायत्री देवी भी भयभीत हो गई।
,, जी लाईफ लाईन हॉस्पिटल में,,।
,, ट ट ठीक है मैं अभी आता हूं,,। रामदयाल ने थोडा हकलाते हुए कहा और रिसीवर रख दिया।
,, क्या हुआ,,,।
,, गायत्री मेरी बेटी हॉस्पिटल में एडमिट है,,। और रामदयाल तेजी के साथ मैन गेट की ओर बढ़ गया।
,, रुको मैं भी साथ चलती हूं,,।
दोनों तेजी से चलते हुए, बाहर निकल कर सड़क पर आ गए। बडा शहर होने के कारण आधी रात में भी सड़क पर टैक्सी मिल गई।
मुश्किल से आधा घंटा बाद ही हॉस्पिटल और फिर रिसेप्शन पर पूछ कर रूम में।
,, अभी तो हम लोगों ने प्रयास करके, सुधा जी को बचा लिया, आगे से ऐसी कोई भी बात इनके सामने मत करना जो भारी पड़ जाएं,,। रूम में प्रवेश करते हुए रामदयालने डॉक्टर के शब्दों को सुन लिया।
,, क्या हुआ मेरी बेटी को,,। रामदयाल ने एकदम से कहा।
,, कुछ नहीं, बस माइनर अटैक था, अब ठीक है आप घर ले जा सकते है,,। पंकज के कुछ कहने से पहले ही डॉक्टर ने कहा
,, फिर भी क्या हुआ था, कैसे अटैक,,।
,, पापा जी अभी घर चलते हैं, और घर पर ही बात करते हैं,,। इस बीच गायत्री देवी सुधा के पास आ कर भयभीत नजरो से सुधा को देखने लगी।
कुछ ही देर में हॉस्पिटल की फॉर्मिलिटी पुरी करके पंकज अपनी गाडी में सुधा को और रामदयाल, गायत्री देवी को अपने बड़े घर में ले आया। और सुधा को बैड रूम में पहुंचा दिया
,, क्या हुआ था बेटी,,। रामदयाल ने सुधा के पास बैठते हुए पुछा, गायत्री देवी पहले ही सुधा के पास बैठ गई
,, कुछ भी तो नहीं,,। सुधा ने बात को टालते हुए कहा।
,, नही बेटी, मैं जानता हूं कि तुम खुश नहीं हो,,।
,, किसने कहा आपसे कि मैं खुश नहीं हू, देखो कितना बड़ा घर है मेरा, और बेहद प्यार करने वाला पति, यही सब तो चाहते थे न आप,,। कहते कहते सुधा की आंखों में आसूं आ गए।
,, बेटी, हो सके तो मुझे माफ कर दो, मेरी सोच थी कि खुश रहने के लिए बडा मकान और बहुत सारे पैसे हो सब कुछ होते हैं,,।
,, सच ही कहा आपने,,।
,, नही बेटी नही, मैं तुम्हारे और सुमेष के प्यार को समझ नहीं सका,,।
,, अब इन बातों से क्या फायदा, जो हो गया, अब इसे बदला नही जा सकता,,।
,, सुधा जी, अब भी वो सब कुछ हो सकता है,,। दरवाज़े के बाहर से आते हुए पंकज ने कहा। यह सुनकर सुधा सहित रामदयाल और गायत्री देवी ने हैरानी भरी नजरों से पंकज की ओर देखा।
,, लेकिन पंकज बेटे, अब सुमेश यह शहर छोड़ कर न जाने कहां चला गया।
यह सुनते ही सुधा की आंखों के आंसू पलकों के तट बंद तोड़ कर गालों पर बहने लगे।