Pagal - 3 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 3

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पागल - भाग 3

भाग–३
हेलो फ्रेंड्स ,, मैं आपको लास्ट एपिसोड में बताया कि कैसे अचानक वो मेरे सामने आ गया उसने मुझे बचाया , वरना मैं ट्रक के नीचे चपटी हो जाती और आपको यहां कहानी न सुना पाती, मेरी फोटो पर माला टंगी होती ।😂
तो जब उसने मुझे मोबाइल दिया तो मैने उसे पूछा,
"मेरा मोबाइल तुम्हारे पास कैसे ?"
"खींचने में जमीन पर गिर गया था मैडम जी"
"ओह, अच्छा" मैने मोबाइल को ध्यान से देखा कहीं से टूटा तो नही न, लेकिन वो ठीक था । पर मेरे अंदर कुछ टूट रहा था । आज फिर मैं उसे इस तरह जाने दूंगी तो फिर शायद वो कभी ना मिले । पता नही ईश्वर क्या चाहते है । मैने तरसती आंखों से मंदिर की और देखा । लेकिन उससे अब कुछ पूछने की हिम्मत ना हुई ।

"थैंक्स" कहकर मैं वहां से जाने लगी । वो भी मुस्कुराकर चला गया । हम दोनो विपरीत दिशाओं में जा रहे थे । वो मुझसे दूर हो रहा था मैं जा तो उससे उल्टी दिशा में रही थी । लेकिन वो मेरी आत्मा को खींच कर ले जा रहा था उसके साथ । मैने उस वक्त खुद को अपनी आत्मा से अलग होते हुए महसूस किया था । शरीर खाली सा हो गया था ,लेकिन अब ज्यादा ना सोचते हुए रास्ते पर ध्यान देते हुए घर पहुंच गई ।

कुछ दिन बीत गए । मैं अब हमेशा उदास रहती थी । उसे बहुत मिस करती थी । लेकिन कई दिनों से उससे मुलाकात नहीं हुई । मुझे लगा शायद यही डेस्टिनी थी मेरी बस कुछ लम्हों की मुलाकात और जिंदगी भर की यादें ।

मम्मी कई बार मुझसे इस बदलाव का कारण पूछती थी । पर मैं उन्हे पढ़ाई का टेंशन बता कर टाल देती थी । एक दिन अनमने मन से कॉलेज पहुंची । तो मैंने उसे कॉलेज में देखा । वो मुझे देख रहा था । लेकिन मैने उसे देखकर अपनी नजरे हटा ली । क्योंकि मुझे पता था कि उसे मुझसे दोस्ती करने में कोई रस नही है । रिया ने बताया कि न्यू एडमिशन है ।

उसका सामना करने का मन नहीं कर रहा था तो कॉलेज से घर चली गई । पर दिल फिर बेचैन हो उठा ।
मैं आंखों में आंसू लिए भगवान के सामने बैठ गई और पूछा
"क्या चाहत हो आप? जैसे तैसे मन को समझाया था तो अब वो मेरे ही कॉलेज में आ गया है ।"

लेकिन मैं तो बस तस्वीर के सामने अपनी बात बोल रही थी सामने से कोई प्रतिक्रिया कहां मिलने वाली थी । मैं रोने लगी । मम्मी अपने कमरे में थी । इसलिए उन्होंने मुझे देखा नही था । मैं उठकर अपने कमरे में आ गई ।

अब कॉलेज जाने का मन नहीं करता था । मैने कुछ दिन की छुट्टी ले ली ।
एक दिन मन बहुत खराब सा था , तो मैं नाइट वॉक के लिए निकल गई । गुमसुम सी सड़कों पर घूम रही थी । फिर एक जगह बैठ गई । तभी मोबाइल में नोटिफिकेशन आया ,
मैने देखा इंस्टाग्राम पर फॉलो रिक्वेस्ट थी ।
नाम रावण बता रहा था । मुझे अजीब लगा प्रोफाइल चेक करना चाहा लेकिन उसे फॉलो बैक दिए बिना मैं देख नही सकती थी । उसकी प्रोफाइल प्राइवेट थी । मैने उसे फॉलो बैक दिया क्योंकि उसने भी अपना नाम रावण बताया था । कुछ ही सेकंड्स में रिक्वेस्ट एक्सेप्ट हो गई । और मैंने प्रोफाइल देखा सभी पिक्स में उसने मास्क पहना था लेकिन शुरुआत आंखों से हुई थी और मैं उसकी आंखे पहचानती थी । दिल खुशी से झूमना चाह रहा था । मैं ज़ोर से खुशी से चिल्लाई । भूल गई थी कि मैं सड़क पर बैठी हूं । आसपास कुछ परिवार बैठे थे । सभी मेरी और देखने लगे । मैं झेंप कर बैठ गई लेकिन चेहरे की मुस्कुराहट खतम ही नही हो रही थी । मैं तो बैठ गई थी लेकिन मन नाच रहा था ।

मैं उससे बात तो करना चाहती थी लेकिन शुरुआत में नही करूंगी ऐसा सोचती थी । क्योंकि उसमे बड़ा एटीट्यूड है । मैने पहल की थी मगर उसने ठीक से बात ना की तो अब बारी उसकी । सोचते हुए मैं घर आ गई । मम्मी ने पूछा "गई तो सड़ा हुआ मुंह लेकर थी आई तो इतनी खुश ? क्या देख लिया ऐसा बाहर?"
"कुछ नही मम्मी" कहकर मैं अपने कमरे में चली गई ।

आज फिर पूरी रात जागते हुए बीती क्योंकि मैं सोच रही थी कि उसका मेसेज आयेगा । ना जाने कब नींद लगी ।

अगले दिन जल्दी उठकर मैने सबसे पहले इंस्टाग्राम का इनबॉक्स चेक किया कोई मैसेज नही था । मैं कॉलेज के लिए निकली । पहले ही मन उसका मेसेज न पाकर उदास था, और कॉलेज जाकर पता लगा
"आज वो कॉलेज नही आया था ।"
मुझे न अपनी किस्मत पर रोना आ रहा था ।
दिमाग खराब हो गया था ।
"ये कीर्ति को हो क्या गया है? कितना अजीब व्यवहार करती है । और सबके साथ रहती भी नही अकेले रहती है।"
कॉलेज की कुछ लड़कियों को मैने कहते हुए सुना लेकिन मैं किसी को जवाब देने के मूड में नही थी ।

क्या लिखा था मेरी किस्मत में, यही मैं भी सोच रही थी जैसा कि अभी आपको बेचैनी है वैसी ही उस वक्त मुझे थी। मैने भी इंतजार किया था आप भी थोड़ा कीजिए । आगे की कहानी जल्दी पोस्ट करूंगी ।