आदित्य पान के गल्ले पर रोज बैठकर दोस्तों के साथ गप्पे लड़ाया करता था । उम्र 20 वर्ष । चेहरा गोल । हल्की सी मूंछें थी । छोटे बाल थे । सिगरेट पीने की लत उसे पता नहीं कहां से लग गई थी । कॉलेज में पढ़ रहा था । लेकिन बस घूमना फिरना और आवारागर्दी करना उसका काम था ।
एक दिन बहुत बारिश हो रही थी । वो आज भी पान के गल्ले पर बैठा था लेकिन आज बारिश कि वजह से उसके दोस्त नहीं आए थे । वह सड़क पर आ जा रहे लोगों और गाड़ियों का जायजा ले रहा था कि अचानक उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी । बारिश बहुत तेज थी और वह पैदल कहीं जा रही थी । उसने मल्टी कलर की टॉप और जींस का कैप्री पहना था । लेकिन चलते चलते वह घुटने तक पानी में उतर चुकी थी आदित्य उसी को देखे जा रहा था । वह काफी परेशान लग रही थी । अब उसकी ना आगे बढ़ने कि हिम्मत हो रही थी ना वो पीछे आ सकती थी । पानी के बीच में वो खड़ी मदद कि उम्मीद लगा रही थी । उसने एक बुजुर्ग आदमी को जब गाड़ी से आते देखा तो उनसे लिफ्ट मांगी । वो किसी लड़के से लिफ्ट नहीं लेना चाहती थी ।
लेकिन वो बुजुर्ग आदमी शायद उसे गलत समझ रहे थे । उन्होंने उसकी मदद नहीं की और आगे चले गए । बारिश और तेज हो रही थी । अब आदित्य से रहा नहीं गया । उसने अपनी एक्टिवा उठाई और चल पड़ा उस लड़की की और । उसके पास जाकर उसने कहा , "आइए आपको कहीं छोड़ दू?"
जैसे उस बुजुर्ग ने उस लड़की को गलत समझा । उस लड़की ने आदित्य को गलत समझ लिया । उसने आदित्य को इग्नोर किया । और थोड़ा आगे चलने की कोशिश की लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं हुई आगे बढ़ने की ।
आदित्य ने फिर चिल्ला कर उस से पूछा,"मदद कर सकता हूं में आपकी?"
"नहीं , मै चली जाऊंगी"
"ओके" कहकर आदित्य वापिस पान के गल्ले के पास आकर बैठ गया ।
लेकिन वह उस लड़की की हरकतों को ही देख रहा था । वो क्या करती है जानना चाहता था ।
लड़की अब भी परेशान थी आदित्य मुस्कुरा रहा था । १० मिनट बाद आदित्य वापिस उसके पास जाकर बोला ।
"मैडम कहीं छोड़ दू आपको ।"
"नहीं"
"अरे कुछ देर पहले उस बुड्ढे से मदद मांग रही थी आपको उस पर भरोसा था क्योंकि वो बुड्ढा है ? आजकल बुड्ढे ज्यादा रंगीले होते है । मैं आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा इतना एट्टीट्यूड मत दिखाइए और बताइए कहां जाना है?"
"वो लड़की सच मै मदद चाहती थी उसने आदित्य से मदद लेना ही ठीक समझा आदित्य की एक्टिवा पर बैठते हुए उसने कहा , "लिटिल किड्स स्कूल"
"वहां क्यों जाना है? आपके बच्चे को लेने?"
आदित्य ने मस्ती में उसे चिढ़ाने के लिए कहा ।
लड़की को लगा अच्छा ही है इसे अगर लग रहा की मेरा कोई बच्चा है पीछे नहीं पड़ेगा उसने कहा ,"हां"
"डोंट टेल मी,, यू आर मैरिड,, मैने तो मजाक किया था"
"येस, आइ एम"
"ओह,,"आदित्य मायूस होते हुए बोला ।
कुछ देर में स्कूल आ गया ।
"आपका नाम?"
"कीर्ति"
"और आपका"
"आदित्य बट यु कैन कॉल मी आदी"
"सच मै आप शादीशुदा है?"
स्कूल की छुट्टी होने में कुछ वक़्त था । दोनों बाते करने लगे ।
"हा"
"लेकिन लगती नहीं हो "
"आप अब जा सकते है । मदद के लिए शुक्रिया ।"
"हाउ रूड"
"मै आपको वापिस छोड़ देता हूं"
"नहीं में ऑटो कर लूंगी"
"अभी आपको ऑटो नहीं मिलेगी ।"
तभी स्कूल कि छुट्टी होती है । बच्चे बाहर निकलते है । कीर्ति अपने भाई को लेने जाती है और उसे कहती है कि "तुम मुझे दीदी नहीं मम्मी कहना ।"
उसका भाई पूछता है "क्यों"
तो कहती है "मै तुम्हे बाद में बताऊंगी । "
"ओके"
वो ऑटो के लिए खड़ी रहती है पर ऑटो नहीं मिलता उसकी नजर आदित्य से मिलती है जो अब भी मुस्कुराकर उसी को देखे जा रहा था । वह रोड के सामने खड़ा था । हारकर कीर्ति उसकी तरफ बढ़ने लगती है और उसकी एक्टिवा पर बैठ जाती है ।
"तुम लड़कियों का कुछ समझ नहीं आता ।"
कीर्ति कुछ नहीं कहती ।
"कहां छोड़ दू?"
"आकृति हाइट्स"
"ओके"
आदित्य उसे छोड़ देता है ।
कीर्ति जब जाने लगती है तो आदित्य उसे आवाज़ लगाता है ।
"कीर्ति"
"हा" वह पलट कर पूछती है ।
"अपना व्हाट्सएप नंबर दो ना"
"क्यों?"
"यार मैने मदद की है तुम्हारी हम दोस्त तो बन ही सकते है । मै बुरा लड़का नहीं हूं ।"
"हर लड़के को यही लगता कि वो बुरा नहीं है। और मेरे हसबैंड को अच्छा नहीं लगेगा जानकर की मेरी किसी लड़के से दोस्ती है ।" कहकर कीर्ति जाने लगी ।
"कीर्ति"आदित्य ने फिर से आवाज़ लगाई ।
"अब क्या है?"
"तुम मेरा नंबर अपने मोबाइल में सेव कर लो कभी तुम्हारा मन हुआ तो बात करने का"
"मेरा मन क्यों होगा?"
"होगा और फिर पछताओगी कि काश नंबर ले लेती".
"इतना ओवर्कॉफिडेंट हो"
"चलो नहीं लेना कोई बात नहीं पर पछताओगी तुम । बाय" कहकर आदित्य चला गया ।
कीर्ति मुस्कुराते हुए घर चली गई ।
"दीदी आपने मुझे मम्मी बोलने का क्यों बोला था ये लड़का आपको परेशान करता है? मैं मारूंगा इसे,, राखी बांधती हो ना आप मुझे आपकी रक्षा करना मेरी जिम्मेदारी है।"अनमोल ने कहा ।
अनमोल कीर्ति का छोटा भाई था । वह ८ साल का था। कीर्ति को उसकी मासूम बातो पर हसी आ गई उसने कहा ,"अब परेशान करेगा ना तो तुझे ही कहूंगी फिर हम मिलकर इसकी पिटाई करेंगे ।"
दोनों मस्ती करते हुए घर में चले गए ।
उस दिन कीर्ति को बार बार आदित्य की याद आने लगी उसका चेहरा दिखने लगा भीगे बाल और भीगे होठ उसे दिखते ।, आदित्य की आंखे । वह आदित्य के बारे में सोच रही थी । उसे अब सच मै अफसोस हो रहा था कि काश उसने आदित्य का नंबर ले लिया होता। उसे अजीब सी बेचैनी होने लगी ।
3–4 दिन गुजर गए। आदित्य की याद कीर्ति को कुछ ज्यादा आने लगी । आदी रोज वहीं बैठता होगा क्या? क्या मै जाऊ उससे बात करने? नहीं इससे तो वो गलत समझेगा ।
इधर आदी रोज ही कीर्ति की बिल्डिंग के नीचे चक्कर मारने लगा । एक दिन कीर्ति अपनी बालकनी में खड़ी थी उसने आदित्य को नीचे देखा । उसका मन किया उसे आवाज़ देने का लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी । आदित्य को पता नहीं था किर्ती कहा रहती है वह पूरी बिल्डिंग को देख रहा था तभी उसकी नजर कीर्ति पर पड़ी । कीर्ति ने तुरंत अपनी पीठ आदी की और करदी और अन्दर चली गई । कीर्ति के दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी ।
उसी दिन शाम को फिर आदी वहां आया और उसी बालकनी में देखने लगा । इस बार कीर्ति ने उसे देखा तो वह उसे देखकर हाथ हिलाने लगा। कीर्ति ने भी सकुचाते हुए हाथ हिलाया । आदी ने उसे कहा नीचे आओ । उसने मना किया तो उसने पूछा में ऊपर आऊ?
कीर्ति घबरा गई उसने इशारे से ना करके कहा कि मै आती हूं रुको ।
कीर्ति नीचे गई । आदी ने उसे एक फूलों का गुलदस्ता देते हुए कहा,"तुम्हारे लिए ये फूल लाया हूं। मिस ब्यूटीफुल"
"थैंक यू"
"तुम्हारे हसबैंड को बुरा तो नहीं लगेगा ना?"
कीर्ति को अब अपनी कहीं बात पर गुस्सा आने लगा वह आदी को बताना चाहती थी कि वो शादीशुदा नहीं है लेकिन उसने कुछ कहा नहीं ।
आदी मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था।
"याद करती थी ना मुझे?"
"नहीं" कीर्ति ने हड़बड़ाते हुए कहा ।
"पर मैंने तो बहुत याद किया"
"अच्छा,, तुम फ्लर्ट कर रहे हो मुझसे?"
"नहीं, मै बस सच कह रहा हूं"
कीर्ति मुस्कुराई।
"सो,,,"
"सो,,???"
"नंबर?"
"9925####00"
"इसका मतलब तुमने याद किया मुझे,, वरना आज नंबर ना दे देती"
"ये मेरे हसबैंड का नंबर है जब भी मेरी याद आए उन्हें कहना वो मुझे बता देंगे " कीर्ति ने कहा ।
आदी ने नंबर सेव किया और चला गया ।
कीर्ति बहुत खुश थी । वो आदी के मेसेज का इंतज़ार कर रही थी।
मोबाइल पर नोटीफिकेशन आया, कीर्ति ने देखा किसी अननॉन नंबर से मेसेज था ।
"है"
"हू आर यू?"
"आदी"
"हाई आदी"
"सो ,,, कहां है तुम्हारे हसबैंड? ये नंबर तो उनका था ना"
कीर्ति को इतनी शर्म आई वह क्या कहती ।उसने दोनों आंखे बंद करके अपनी जीभ को दांतों से काट लिया।
"वो,,,,वो आज ये फोन मेरे पास है"
"बस करो कीर्ति ,, मै जानता हूं अनमोल तुम्हारा भाई है।"
"कैसे?"
"उसदिन स्कूल जाकर उसकी टीचर से सब पूछ लिया था उन्होंने उस दिन तुम्हे और मुझे साथ देखा था तो बता दिया ।"
"ओह"
"क्या कर रही हो अभी"
"कॉलेज में हूं बी. कॉम सैकंड ईयर"
इसी तरह उनकी बातों का सिलसिला चालू हो गया।
दोनों ने पहले एक दूसरे को जान लिया और फिर मिलने लगे।
आदित्य जब भी कीर्ति से मिलता उसे गुलदस्ता देकर कहता ,"तुम्हारे लिए ये फूल लाया हूं मिस ब्यूटीफुल"
कीर्ति मुस्कुरा देती ।
दोनों कब एक दूसरे से प्यार करने लगे पता ही नहीं चला।
एक दिन फिर बारिश हुई और उन्हें पहली मुलाकात याद आई । आदी ने कीर्ति को मेसेज किया नीचे आओ घूमने चलते है । कीर्ति तुरंत नीचे आ गई आदी और वो बारिश में बहुत भीगे लॉन्ग ड्राइव पर गए और फिर एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए। कीर्ति बहुत खूबसूरत लग रही थी आदित्य का दिल किया उसे किस करने को । उसने कीर्ति से पूछा, "कैन आई किस यू?"
कीर्ति शर्मा गई आदी उसके करीब आया और उसके ऊपर झुक कर उसे किस करने लगा ।
किस बहुत इंटेस थी आदित्य से खुद पर कंट्रोल नहीं हो रहा था । उसने कीर्ति से कहा चलो मेरे साथ।
दोनों एक्टिवा पर बैठकर आदित्य के घर गए
आदी सब कहां गए है?
बाहर गए है दीदी के यहां । आज में अकेला हूं ।
"ओह" कीर्ति ने कहा
आदित्य ने उसे बाहों मै भर लिया और गोद मै उठाकर उसे बेडरूम में ले गया । कीर्ति ने भी उसे रोका नहीं । दोनों बस एक दूसरे में खो जाना चाहते थे । एक दूसरे के हो जाना चाहते थे।
जब आदित्य ने उसे प्यार करना शुरू किया अचानक कीर्ति को लगा जैसे कुछ गलत हो रहा है उसने आदी से कहा, "आदी मुझे घर जाना है"
आदित्य ने उससे पूछा ,"क्या तुम नहीं चाहती ये सब क्या तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं?"
"है आदी लेकिन,, " "तो बस कीर्ति आज मुझे मत रोको" इतना कहकर आदित्य उसपर टूट पड़ा । कीर्ति भी मदहोश होने लगी ।
आदित्य और कीर्ति उस बारिश मै पूरी तरह से एक दूसरे में समा चुके थे ।
दोनों ही बहुत खुश थे । कीर्ति को आदित्य ने घर छोड़ दिया ।
कुछ दिनों बाद कीर्ति को एहसास हुआ कि उसके पीरियड्स मिस हो गए है । वह थोड़ा घबरा गई उसने यह बात आदित्य से कहीं । आदित्य ने उसे कहा कुछ नहीं होगा तुम यूहीं घबरा रही हो । जब १५ दिन ऊपर हुए तो कीर्ति का मन नहीं माना उसने प्रेग्नेंसी टेस्ट किया तो पाया कि वो प्रेगनेंट है । उसका दिल बहुत घबराने लगा ।
उसने आदित्य को यह बात बताई तो आदित्य ने उसे अबोर्शन करवाने की बात कही । कीर्ति को यह सुनकर बहुत दुख हुआ । उसने आदी से कहा, "आदी ये हमारे पहले प्यार की और पहले इंटीमेट पल की निशानी है क्या हम ऐसे ही इसे मार देंगे?"
आदित्य ने परेशान होकर गुस्से से कहा, "कमोन कीर्ति ये बच्चो जैसी बाते मत करो । अभी तुम भी स्टडी कर रही हो मै भी । ऐसे में इसे कौन पालेगा?"
"आदी हम शादी कर लेते है"
"व्हाट? तुम पागल हो गई हो?"
आदित्य के जवाब से कीर्ति को एहसास हुआ कि उसने उस पर भरोसा करके कितनी बड़ी गलती कर दी । उसने अपने पापा मम्मी को सारी बात बताई और कहा कि वो ये बच्चा रखना चाहती है क्योंकि वो आदी से बहुत प्यार करती है चाहे आदी इसकी जिम्मेदारी ना लेना चाहे । कीर्ति के मम्मी पापा जानते थे इस समय उसे सपोर्ट न किया तो वो मर जायेगी उन्होंने कीर्ति को सपोर्ट किया ।
यही बात जब आदी को पता चली तो वो कीर्ति पर काफी नाराज़ हुआ और अब उससे कटा कटा रहने लगा । उनकी बाते भी कम हो गई । कीर्ति उसे फोर्स भी नहीं करना चाहती थी । वह अब अपनी पढ़ाई और बच्चे के बारे में सोचती । हालांकि वह काफी टूट चुकी थी और मानसिक तनाव में रहती थी।
आखिर वो दिन आ ही गया। उसने एक बच्चे को जन्म दिया ।
इधर आदी पहले कुछ दिन तो सामान्य रहा लेकिन फिर उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता था । उसकी समझ नहीं आ रहा था उसके साथ हुआ क्या है। एक दिन आदी को पता चला कि उसकी छोटी बहन आत्महत्या करने जा रही है उसने उसे बचाया और इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि वो प्रेगनेंट है । आदी के पैरो तले जमीन खिसक गई । उसे अब एहसास हुआ कि उसने कीर्ति के साथ क्या किया । उसने अपनी बहन को गले लगाया और बहुत रोया उसका अबोर्शन कराया और उसे बहुत हिम्मत देकर उस दोबारा सामान्य लड़की बना दिया । उसकी बहन अब काफी नॉर्मल थी । और अपनी ज़िन्दगी को नए सिरे से जी रही थी ।
लेकिन आदी घुट रहा था उसने एक भाई होने का फ़र्ज़ बखूबी निभाया लेकिन एक अच्छा इंसान होने का फ़र्ज़ ना निभा पाया वह कीर्ति से मिलना चाहता था । वह कीर्ति के घर गया पर उसे पता चला कि कीर्ति तो कुछ महीनों पहले घर छोड़ कर जा चुकी है।
आदी की कुछ समझ नहीं आ रहा था वो कीर्ति को कहां ढूंढे उसने कीर्ति के नंबर पर फोन किया तो वो भी बंद आ रहा था।
आदित्य अपने किए पर पछता रहा था। उसे बस किसी भी हाल में कीर्ति चाहिए थी उसका बच्चा चाहिए था । वह रात दिन कीर्ति को ढूंढने में लगा था।
उसकी सभी कोशिश नाकामयाब हो गई थी । वह अब कीर्ति को याद करके अपनी ज़िन्दगी जी रहा था लेकिन इस उम्मीद में की एक दिन वो उसे ढूंढ के उससे माफी मांगेगा ।
आदित्य की बहन की शादी में एक छोटा बच्चा आदित्य को रोता हुआ दिखता है । आदी उसे पहचानने की कोशिश करता है पर ये उनके रिश्तेदारों में नहीं था । तो शायद ये बारातियों में किसी का बच्चा होगा सोचकर आदी ने उससे पूछा ,," हैलो बेटा,, आप रो क्यों रहे है?"
"मै मेली मम्मी तो धुंध लहा हूं" बच्चे ने तुतलाती आवाज़ में कहा।
"तो कहां है आपकी मम्मी?"
"नई मिल लई"
"चलो मिलकर ढूंढते है,, पहले आपका नाम बताओ"
"आदी"
"अरे वाह मेरा नाम भी आदी है"
तभी आदी दौड़कर अपनी मम्मी से चिपक जाता है ।
आदित्य देखता है वो महिला उसकी और पीठ किए खड़ी थी । दुबली पतली लाल रंग की साड़ी में खुले बाल आदी को देखकर उसने उसे गले से लगा लिया और पूछा "आदी कहां चले गए थे तुम?"
"वो मम्मा मै ना थो दया था एत अंतल ने मुझे आप्तो धुंध ने में मतत ती"
"अच्छा चलो उन अंकल को थैंक यूं कहते है" कहते हुए जब वो महिला पलटी तो आदित्य के दिल की धड़कने बड़ गई । वो कीर्ति थी । कीर्ति भी आदी को देख कर असहज हो गई । आदी ने बताया कि "मम्मा येई वो अंतल है"
"आदित्य तुम"
"कीर्ति"
"मैंने तुम्हे कहां कहां नहीं ढूंढा,, कहां चली गई थी तुम । और ये आदी मेरा बेटा है ना?"
"नहीं आदी ये मेरा बेटा है और तुम उससे दूर रहना " कीर्ति ने गुस्से से आदित्य की और देखते हुए कहा।
"तुम्हारी नाराजगी जायज है किर्ति प्लीज मुझे माफ़ करदो"
"कैसे माफ़ कर दु आदित्य,, ये साल तुम्हारी माफी से लौट आयेंगे? जब मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब कहा थे तुम? अब क्यों आए हो? चले जाओ यहां से"
कहकर कीर्ति आदी को लेकर वहां से चली गई ।
आदित्य एक ही पल में खुशी और दुख दोनों का अनुभव कर रहा था। उसने जल्दी से स्टेज पर जाकर एक बुके लिया और सब के सामने कीर्ति के पास जाकर घुटनों के बल बैठकर कहा , "तुम्हारे लिए ये फूल लाया हूं,, मिस ब्यूटीफुल" कीर्ति रोने लगी ।
"ये भी किसी और कि अमानत है" कीर्ति ने कहा।
"कीर्ति तुम्हारी शादी तो नहीं हुई है ना वरना तुम्हारा हसबैंड मुझे मारेगा और अब मार खाने की उम्र नहीं है मेरी"
कीर्ति को हसीं आ गई । "मैने अब तक शादी नहीं की है"
उसने कीर्ति को बाहों में भर लिया । कीर्ति के मम्मी पापा की आंखे नम थी आज उनकी बेटी की तपस्या रंग लाई थी।
अनमोल गुस्से में आदी को देख रहा था वो नजदीक आया और बोला, "दीदी अब ये लड़का आपको परेशान करे तो मुझे बोलना बहुत समय से मुझे इसे सबक सिखाना है आखिर राखी का फ़र्ज़ तो निभाना पड़ेगा ना"
आदी ने अनमोल से हाथ जोड़कर माफी मांगी और कहा, "बस अब तुम्हारी दीदी को कभी कोई तकलीफ़ नहीं होने दूंगा ये मेरा तुमसे वादा है"
कीर्ति आदी नाम मेरे नाम पर रखा है ना। कीर्ति ने हा में सिर हिलाया और अपने बेटे को आवाज़ लगाई जो दूर से उन दोनों को देख कर सहम गया था अचानक उसकी मम्मी की जिंदगी में ये कौन आ गया वह सोच रहा था आदित्य ने आदी को हाथ दिखा कर कहा ,"यहां आओ"
वह नहीं आया।
"आदर्श बेटा यहां आओ ये तुम्हारे पापा है "
"पापा तहा थे आप अप्तो मेली तभी याद नई आई"
"आई थी बेटा पर आपकी मम्मी मुझसे बहुत नाराज़ थी उन्हें कहो की अब पापा से नाराज़ ना होना ।"
"मम्मी मुझे पापा ते छात लेहना है"
"हां आदी अब हम सब साथ रहेंगे" कहकर आदित्य ने आदी को अपनी गोद में उठा लिया।
कीर्ति आई एम सॉरी। आदी ने कहा ।
कीर्ति ने आदित्य को गले से लगा लिया ।
सभी अब खुशी खुशी साथ रहने लगे ।
प्रेम अगर सच्चा हो तो मिलन होकर रहता है ।
♥️♥️♥️♥️♥️♥️