"हा।मेरे वालिद ने मेरा निकाह अपने मजहब के लड़के से ही किया था
"फिर तो तू। अपने अतीत को भूली नही होगी
"नही भूली"सलमा बोली"क्यो
"नही भूली तो एक बार अपने अतीत में झांक ले
बेटी ने याद दिलाया तो सलमा के अतीत के पन्ने खुलने लगे
"अम्मी मैं आगे तालीम लेना चाहती हूँ।"सलमा का जन्म कराची के एक गरीब परिवार में हुआ था।उसके वालिद असलम मेहनत मजदूरी करते थे।पाकिस्तान में भयंकर मंहगाई थी।इसकी वजह जरूरी सामान की भारी किल्लत थी।खाने पीने की चीजों का अभाव था।असलम की कमाई में परिवार का गुजारा नही होता था।असलम की बीबी फातिमा सिलाई और कढ़ाई करके पैसे कमा लेती थी।जिससे घर का खर्च चल जाता था।
सलमा ने एक मदरसे से पांचवी जमात तक तालीम पाई थी।उसके बाद सलमा ने आगे तालीम लेने की इच्छा जाहिर की थी
"मैं तेरे अब्बा से बात करूँगी
फातिमा ने अपनी बेटी की इच्छा का जिक्र अपने शौहर से किया था
"क्या करेगी आगे तालीम लेकर।घर के काम करने के लिए और बच्चे पैदा करने के लिए औरत का ज्यादा पढ़ना जरूरी नहीं है
फातिमा ने बदलते जमाने का हवाला देकर अपने शौहर को समझाने का भरपूर प्रयास किया था लेकिन व्यर्थ।सलमा के दिल की तमन्ना दफन होकर रह गयी थी।सलमा घर मे रहकर मा के साथ घर के कामो में हाथ बंटाने लगी और अपनी माँ से सिलाई और कढ़ाई का काम भी सीखने लगी।ओर धीरे धीरे समय गुजरने लगा और सलमा ने जवानी की दहलीज पर कदम रख दिया।एक दिन फातिमा अपने शौहर से बोली
सलमा अब जवान हो गयी है।उसके निकाह के बारे में भी सोचो
"तुम सही कह रही हो।जवान बेटी को ज्यादा घर मे रखना सही नही है
असलम ने अपने रिश्तेदारों से और मिलने जुलने वालो से बेटी के रिश्ते का जिक्र किया था।लोगो ने उसे कई रिश्ते बताये।जिसने उसे जहा भी रिश्ते के बारे में बताया।असलम वहाँ गया था।आखिर में उसकी नजर जफर पर आकर ठहर गयी थी।
जफर लाहौर का रहने वाला था।वह एक विदेशी कम्पनी में मुलाजिम था।उसके मा बाप का इन तकाल हो चुका था।वह अकेला था।उस पर किसी तरह की जिम्मेदारी नही थी।बातों से वह बहुत ही मर्दुभासी और व्यवहार कुशल भी था।असलम,जफर से मिलकर बेहद प्रभावित हुआ था।असलम ने लोगो से जफर के बारे में बात की थी।सब ने एक ही बात काही थी
जफर बहुत ही शरीफ और नेक इंसान है।उसमें कोई बुरी आदत नही है
असलम लौट कर आया और बीबी को जफर के बारे में बताया था
लाहौर
फातिमा शौहर की बात सुनकर बोली थी
बेटी का इतनी दूर निकाह करोगे
तो
असलम बोला था
इसी शहर में बेटी का निकाह होगा तो समाचार तो मिलते रहेंगे।इतनी दूर कौन जाएगा
"कैसी बात करती हो।नया जमाना है।ट्रेन,बस,प्लेन का जमाना है।कहीं भी कुछ ही घण्टो में जा सकते हैं
"इतनी दूर रोज तो कोई नही जा सकता
"अरे तो मोबाइल का जमाना है दिन में चाहे जितनी बार खैरियत लो
फातिमा अपनी बेटी का निकाह इतनी दूर करने को तैयार नही थी।लेकिन शौहर उसे समझाते हुए बोला,"लड़के पर कोई जिम्मेदारी नही है।अच्छी कम्पनी में नौकर है।घर का मकान है।
शौहर के काफी देर तक समझाने के बाद वह बोली,"क्या लड़के का कोई फोटो लाये हो
"क्यो नही,"असलम बीबी को फोटो देते हुए बोला,"देखो