Amanush - 3 in Hindi Detective stories by Saroj Verma books and stories PDF | अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(३)

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अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(३)

तब करन ने सतरूपा से कहा...
"अगर हम दोनों बात करने के लिए कहीं बाहर चले तो ज्यादा ठीक रहेगा",
"क्यों सेठ! काम के बहाने कहीं चाँस तो नहीं मार रहा है तू,मैं खूब समझती है तुम जैसे मर्दो की चाल,पहले बाहर ले जाकर घुमाते हो,खिलाते पिलाते हो,शाँपिंग कराते हो और फिर इसके बाद तुम लोग अपनी औकात पर उतर आते हो"सतरुपा बोली...
"तुम मुझे गलत समझ रही हो सतरूपा! मैं बिलकुल भी ऐसा नहीं हूँ",डिटेक्टिव करन थापर बोला...
"सारे मर्द पहले ऐसा ही कहते हैं",सतरुपा बोली....
"मैं एक जासूस हूँ और एक केस के सिलसिले में मुझे तुमसे बात करनी है",करन थापर ने कहा...
"अग्गाबाई! तो तू पुलिस का आदमी है",सतरुपा ने पूछा...
"ऐसा ही कुछ समझ लो",करन बोला....
"ना बाबा! मेरे को नहीं फँसना पुलिस के लफड़े में,बार में करती है तो हर बखत पुलिस का डर लगा रहता है और तू मेरे को पुलिस के साथ काम करने को कह रहा है",सतरुपा बोली...
"अगर तुम मेरे साथ काम करोगी तो फिर तुम्हें पुलिस से डरने की जरूरत नहीं है",करन बोला...
"ना सेठ! मेरा एक छोटा भाई है जो अभी चौदह साल का है,उसे पालने के लिए तो मैं बार में करती है और मुझे कुछ हो गया तो फिर उसका क्या होगा",सतरुपा बोली...
"सतरुपा! जरा सोचो,अगर तुम्हें बार में काम ना करना पड़े और तुम्हें किसी अरबपति के घर में उसकी बीवी बनने का झूठा नाटक करने के लिए हर महीने पैसे मिलते रहे तो",करन बोला...
"क्या ऐसा हो सकता है,कहीं तू मेरे को उल्लू तो नहीं बना रहा?",सतरुपा ने पूछा...
"हाँ! ऐसा हो सकता है,तुम मेरे साथ काम करोगी तो पुलिस तुम्हें उसके पैसे देगी"करन बोला...
"मैं तैयार है, लेकिन फिर मेरे भाई का क्या होगा,वो उस खोली में अकेले कैंसे रहेगा"सतरूपा बोली...
"तुम अपने भाई की चिन्ता मत करो,मैं उसे अपने घर में रख लूँगा",करन बोला....
"देख सेठ! अब मेरे को दाल में कुछ काला लग रहा है",सतरुपा बोली...
"मतलब ! मैं कुछ समझा नहीं",करन बोला...
"वो इसलिए कि तू मुझ पर इतनी मेहरबानी जो कर रहा है",सतरुपा बोली....
"अरे! जिस तरह तुम मेरी मदद करोगी तो मैं भी उसी तरह तुम्हारी मदद कर रहा हूँ",करन बोला...
"तब ठीक है",सतरुपा बोली...
"तो कल मेरे साथ तुम बाहर चलना,मैं तुम्हारा हुलिया ठीक करा दूँगा और तुम्हें जिसकी तरह दिखना है उसके जैसा ही तुम्हारा हेयर स्टाइल और पहनावा होगा,ये बेतरतीब बदनदिखाऊ कपड़े नहीं चलेगें",करन बोला...
"क्यों? मेरे कपड़ो में क्या खराबी है?",सतरुपा ने पूछा....
"ज्यादा सवाल मत करो,जो मैं कह रहा हूँ वो सुनो",करन बोला...
"सेठ! तू तो अभी से हुकुम चलाने लगा",सतरुपा बोली...
"ये मेरी ड्यूटी है",करन बोला...
"ठीक है तो मैं कल शाम को तैयार रहेगी,तू मुझे कहाँ मिलेगा"सतरुपा ने पूछा...
"तुम शाम को नहीं,मुझे सुबह दस बजे मिलोगी,तुम मुझे अपनी खोली का पता बता दो,मैं तुम्हें वहीं से ले लूँगा",करन बोला....
"ठीक है चिकने!,तो मैं कल सुबह दस बजे तैयार रहेगी",सतरुपा बोली....
"चिकने....सेठ से सीधे चिकने पर उतर आईं तुम!",करन गुस्से से बोला....
"गुस्सा क्यों होता है,मैं तो बार में आने वालों से ऐसी ही बात करती है,इसलिए तुझसे भी बोल दिया,तू तो बुरा मान गया",सतरुपा बोली....
"अच्छा! तो अब मैं चलता हूँ",
ऐसा कहकर करन जाने लगा तब सतरूपा उससे बोली...
"ठहरो सेठ!"...
"अब क्या है?",करन ने पूछा...
"मेरा पता तो लिख ले,नहीं तो तू मुझे लेने कैंसे आएगा",सतरुपा बोली...
"हाँ! मैं ये तो भूल ही गया,जल्दी से अपना पता बता दो,मैं फोन में नोट कर लेता हूँ",करन बोला....
और फिर रुपा ने करन को अपनी खोली का पता लिखवाया,पता लिखकर करन जाने लगा तो सतरुपा ने उससे पूछा",
"क्या तेरी शादी हो चुकी है सेठ?",
"हाँ! लेकिन तुम्हें इससे क्या?"करन ने पूछा...
"सेठ! तेरी बीवी नसीबों वाली है",सतरुपा बोली....
फिर सतरुपा की बात सुनकर करन धीरे से मुस्कुराया और अपने रास्ते चल पड़ा,वो कुछ देर में पुलिस स्टेशन पहुँचा और उसने इन्सपेक्टर धरमवीर से जाकर कहा....
"यार! देविका की हमशकल मिल गई"
"कहाँ मिली वो तुझे"?,इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा...
"बार में,वो एक बार डान्सर है और उसका नाम सतरूपा है",करन बोला...
"भाई! तू ये कहाँ जा फँसा,कहाँ वो देविका इतने एटिट्यूड वाली और कहाँ ये बार डान्सर",इन्सपेक्टर धरमवीर बोला....
"अरे! वो इतनी भी बुरी नहीं है,बस थोड़ा उसके बात करने का लहजा और पहनावा ठीक करवाना पड़ेगा,",करन बोला...
"और उसका ये सब तू ठीक कैंसे करवाएगा",इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा...
"भाभी है ना! भाभी ने तो ब्यूटीशियन का कोर्स भी कर रखा है,गृहस्थी के चक्कर में बेचारी अपनी ये कला भूल गई है,वो ही सतरुपा को इस काम के लिए ट्रेण्ड कर देगीं",करन बोला...
"भाई! अब तू मेरे लिए एक नया बवाल खड़ा कर रहा है",इन्सपेक्टर धरमवीर बोला...
"भाई! कुछ नहीं होगा,बस तू इत्मिनान रख",करन ने कहा...
"इत्मिनान कैंसे रखूँ,वो बार डाँसर मेरे घर आऐगी तो मैं लोगों से क्या कहूँगा",इन्सपेक्टर धरमवीर बोला...
"कह देना मेरे दोस्त की बीवी है",करन बोला...
"किस दोस्त की",धरमवीर ने परेशान होकर पूछा...
"मेरी...और किसकी",करन बोला...
"तू ना दिमाग से सचमुच खिसका हुआ है",इन्सपेक्टर धरमवीर बोला....
"अब जो भी समझना है,समझ ले,अब मैं चलता हूँ,क्योंकि मुझे देविका के कुछ विडिओ अरेंज करने होगें,उन वीडियोज को देखकर ही तो सतरुपा उसके तौर तरीके सीखेगी",करन बोला...
"चल तो फिर काम पर लग जा,अब तो देविका का कातिल ज्यादा दिनों तक हमसे नहीं भाग सकता",इन्सपेक्टर धरमवीर बोला...
"हाँ! सच कहा तूने",
और ऐसा कहकर करन चला गया, घर पहुँचकर उसने अपने लैपटॉप पर काम करना शुरु कर दिया,उसने रात भर मेहनत करके देविका के कुछ विडिओज निकाले,उके बारें में और भी जानकारियांँ इकट्ठी कीं कि वो किस किससे मिलती थी और उसके दोस्त कौन कौन थे,वो किस पार्लर में जाती थी,किस बूटिक से अपने कपड़े सिलवाती थी और किस माँल से शाँपिंग करती थी,करन को ये सब करते करते बहुत समय बीत गया था उसने समय देखा तो रात के दो बज चुके थे,उस पर उसे बहुत जोरों की भूख भी लग रही थी,फिर उसने रसोई में जाकर देखा तो उसे मैंगी का पैकेट नज़र आया,फिर उसने अपने लिए मैंगी बनाई और फ्रिज से वियर का कैन निकालकर वो डाइनिंग टेबल पर जा बैठा,मैगी खाकर और वियर पीकर वो सोने चला गया,सुबह जब उसकी आँख खुली तो उसने अपने फोन पर टाइम देखा तो नौ बजने वाले थे..
वो झटपट बिस्तर से उठा और तैयार होने चल पड़ा ,तैयार होकर वापस आया तो टाइम साढ़े नौ से ऊपर हो चुका था,उसने जल्दी जल्दी घर का दरवाजा बंद किया और अपनी कार में सतरुपा की खोली की ओर चल पड़ा...

क्रमशः....
सरोज वर्मा....