renuka meri aatmkatha in Hindi Horror Stories by भूपेंद्र सिंह books and stories PDF | रेणुका मेरी आत्मकथा

Featured Books
Categories
Share

रेणुका मेरी आत्मकथा

नमस्ते पाठको।
आज मैं रेणुका नाम से अपनी डरावनी आत्मकथा लिखने बैठा हूं। मेरा मूल नाम भूपेंद्र सिंह है और पहले मैं इसी नाम से खूब बदनाम था लेकिन एक दिन मौका लगते ही मैने अपना नाम बदलकर अजीत सिंह रख लिया। आज मैं इसी नाम से खूब बदनाम हुआ घूम रहा हूं।
चलिए आत्मकथा शुरू करते हैं।

हरियाणा
2010
शाम का वक्त है। कुछ कुछ सूरज अभी नज़र आ रहा है और ये सूरज कब तक और नज़र आएगा इसके बारे में कुछ भी कह नहीं सकते हैं।
तारापुर नाम के शहर की रात हर किसी को ठंड से झकझोर रही थी। इसी रात में जब किसी की भी घर से बाहर तक निकलने की हिम्मत नहीं होती थी वहीं एक मैं अपने घर की छत पर गुमसुम सा होकर खड़ा था।
आसमान में लगातार बिजली चमक रही थी।
बदन में भी अजीब सी झनझनाहट होने लग गई थी।
एक अजीब सा डर मुझे अंदर से खाए जा रहा था।
मैं बस बार बार अपना मोबाइल जेब में से निकालकर उसमें टाइम देख रहा था और ऐसा करते ही मैं मोबाइल को फिर से जेब में डाल लेता था।
मेरा माथा अब पसीने से भीग चुका था।
इतने में मेरा फोन बज उठा।
मैने मोबाइल निकाला और कॉल उठाते हुए बोला ,"यार रोहित मुझे मालूम है की हमारे प्रोजेक्ट के लिए हमें शिमला जाना पड़ेगा लेकिन यार आज मौसम बहुत ही खराब है। इसलिए कल सुबह होते ही चलेंगे। वैसे भी ज्यादा वक्त तो लगेगा नहीं।"
इतना कहकर मैं खामोश हो गया तभी सामने से रोहित की आवाज आई ,"देख ले यार मैं तो कह रहा था की आज ही चलते हैं। हमें कितने भूतिया प्लेस की फोटोज लेनी है। क्या कुछ करना है? एक महीने में इतना कुछ नहीं हो पाएगा। कमाल का प्रोजेक्ट मिला है हमें भी। मैं गाड़ी लेकर आता हूं तूं तेयार रह........।"
इतना कहकर रोहित ने कॉल कट कर दिया।
"हेलो .... हेलो रोहित मेरी बात तो सुन ले.....।" मैं सिर्फ इतना ही बोल सका तभी रोहित का कॉल कट हो गया था।
मैने मोबाइल जेब में डाला और आसमान में नज़र दौड़ाते हुए अपने आप से बोल पड़ा ,"सोचा था की आज की रात बारिश में नहा लूंगा लेकिन नहीं इस रोहित को तो आज की रात ही वहां जाने की जल्दी है। मुझे बारिश सच में बहुत पसंद है। चलो अब जाना तो पड़ेगा ही। इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिला है हमें। भूतिया एडवेंचर पर जाने का।"
इतना कहकर मैंने सीढ़ियों की और कदम बढ़ा दिए और किसी को कॉल किया।
जैसे ही सामने वाले ने कॉल कट उठाया मैं बोला ,"देख सुनाक्षी तूं तेयार तो है ना? हम आज की रात ही शिमला जा रहे हैं। मौसम बहुत खराब है मन तो मेरा भी नहीं कर रहा है की आज ही शिमला जाएं लेकिन क्या कर सकते हैं वो रोहित है की मानता ही नहीं है। अब इतना तो करना ही पड़ेगा ना आखिरकार हमें इतना बड़ा प्रोजेक्ट जो मिला है। तुम तैयार हो ना...।"
"यार सच बताऊं ना तो मैं तो सोने की तैयारी कर रही थी। कितना सुहावना मौसम है। कितनी अच्छी नींद आयेगी ना। अब तुमने कह दिया है तो सामान पैक करती हूं।" सामने से सुनाक्षि की आवाज आई।
मैं सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए बोला ,"अच्छा ठीक है तूं तेयार हो जा मैं भी तैयारी करता हूं।"
इतना कहकर मैंने कॉल कट कर दिया और एक और अलमारी में से कुछ कपड़े निकालकर उनकी पेकिंग करने लग गया।
मैं घर में अकेला ही रहता हूं। माता पिता बचपन में ही छोड़कर चले गए थे। मैं एक कॉलेज में से बी ए की डिग्री ले रहा हूं। ये मेरा दूसरा साल है। मेरा सपना एक पेरानॉर्मल एक्सपर्ट बनने का है। भूत प्रेत में मेरा बहुत ज्यादा इंट्रेस्ट है। मतलब हद से भी ज्यादा।
इसलिए ही हमने ये प्रोजेक्ट ले लिया है। हमारा काम किसी ही भूतिया जगह पर जाकर उसके बारे में लिखना और वहां की एक हजार से ज्यादा अमेजिंग फोटोज खींचना है। इस काम को करने के लिए हमें एक महीने का समय मिला है। ये प्रोजेक्ट हमें आज ही मिला था। इसलिए मैं सोच रहा था की आज आराम कर लूंगा और बारिश भी होने वाली है तो बारिश में भी नहा लूंगा लेकिन मेरा दोस्त रोहित बड़ा जिद्दी है। वो कभी किसी की भी नहीं सुनता है। उसके सामने ना कहने का मतलब तो दीवार के साथ में सर मारने के जैसा है।
"अब आ भी जा सिंकनदर।" घर के बाहर से आवाज आई और कार का हॉर्न बजने लगा।
मैने बैग कंधो पर टांगा जिसमें मेरे मरने का सारा सामान था।
मैने एक ताला और चाबी मेरे हाथ में उठाया और अपने आप से बोल पड़ा ,"ये इतनी जल्दी कैसे आ गया? अभी तो इसने कॉल किया था? लेकिन ये तो बुलेट है कभी भी कहीं भी आ सकता है।"
इतना कहकर मैं घर से बाहर निकला। डोर लॉक किया और चाभी अपनी जेब में डाल ली।
मैं बाहर कच्ची सड़क पर खड़ी रोहित की कार के पास में गया और उसकी बगल की सीट पर बैठते हुए बोला ,"बुलेट ट्रेन तूं इतनी जल्दी कैसे आ जाता है?"
रोहित गाड़ी को भगाते हुए बोला ,"तूं मेरी फिक्र छोड़ और ये बता की कैमरा और बाकी सारा सामान है ना।"
मैं बैग पर हाथ फेरते हुए बोला ,"डोंट वरी सबकुछ है। इस बार फर्स्ट हम लोग ही आयेंगे। आखिर प्रोजेक्ट भी तो हमारी पसंद का ही है ना। हम दोनों का सपना एक ही है पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स बनना और ये बस उसी की टेरेनिंग समझ।"
रोहित कार का गियर बदलते हुए बोला ,"अच्छा उस सुनाक्षी को कॉल किया था क्या? हम तीनों को ये प्रोजेक्ट मिला है।"
मैने कहा ,"हूं किया है। डोंट वरी। वो बस तेयार है। तूं उसके घर के पास तो पहुंच वो तुझे अपने सामने खड़ी तेयार मिलेगी।"
ये सुनकर रोहित ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी।
इतने में बारिश होने लग गई।
कार के शीशों पर टपक टपक बारिश की बूंदे गिरने लग गई थी।
ये देखकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई।
रोहित अपने दांतों को रगड़ते हुए बोला ,"इस बारिश को भी अभी होना था।"
इतना कहकर रोहित ने सुनाक्षी के घर के आगे गाड़ी के ब्रेक लगाए और जोर से हॉर्न बजा दिया।
कुछ देर हॉर्न बजाने के बाद में सर पर छ्ता लेकर सुनाक्षी निकलकर बाहर आई और तेजी से कार में आकर बैठ गई और अपनी बांहों को को सिकोड़ते हुए बोली ,"यार कितनी ठंड है ना। ऐसी ठंड में जब कोई रजाई से भी बाहर नहीं निकलता है। हम वहां वर्फों के देश शिमला में जा रहे हैं और एक ये अजित है की कह रहा था की मैं तो आज नहाऊंगा बारिश में। यार इतनी बारिश में और ऊपर से इतनी ठंड में भी कोई नहाता है क्या?"
मैने हंसते हुए कहा ,"सबका जिंदगी जीने का नजरिया अलग अलग होता है सुनाक्षी मैडम। किसी को बारिश अच्छी लगती है तो किसी को नहीं लगती है। किसी को भूत प्रेत से डर लगता है तो किसी को नहीं लगता है। क्यों रोहित?"
रोहित ने भी हां में सिर हिला दिया और कार को भगा लिया एक उस रास्ते पर जहां से हम वापिस कभी भी तारापुर लौटकर नहीं आ पाएंगे।
लोगों के लिए स्वर्ग की धरती जब हमारे लिए नर्क की धरती बन जायेगी।
जब शिमला देगी हमें एक मौत का रास्ता पार करने का मौका और जब हमारी मुलाकात होगी रेणुका हवेली से।।
हम कभी जिंदा नहीं लौटेंगे तारापुर में सिर्फ लाशें ही आएंगी।।

सतनाम वाहेगुरु।।