Koi Tum sa Nahi - 5 in Hindi Adventure Stories by Mahi books and stories PDF | कोई तुमसा नहीं - 5

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कोई तुमसा नहीं - 5

कुछ देर तक सत्यम के साथ घूमने के बाद श्रेजा टैक्सी में बैठकर वापस घर के लिए निकल गई ... सत्यम भी अपने घर चला गया था, जैसे ही श्रेजा ने घर के अंदर कदम रखा उसके कानों में कुछ लोगों की बात करने की करने की आवाज पड़ी श्रेजा ने उस दिशा में देखा तो वह पाचो किसी बात को लेकर बहस कर रहे थे शुभम बोल रहा था... ""इशिता तुम्हें लगता है कि यह सही रहेगा तुम उसे जानती हो ना कि वह कैसी हैं फिर भी तुम उसे अपने साथ ले जाना चाहती हो?"

तो इस पर इशिका बोलती है "" देखिए आप हम यहां उसे अकेलेे नहीं छोड़ सकते भले ही वो थोड़ी नादान है लेकिन फिर भी वह इतनी बुरी भी नहीं हैैै आप ही सोचिए जब उसे पता चलेगा कि हम सब उसे यहां पर अकेला छोड़कर जाा रहे है तब उसे बच्ची पर क्यााा बीते गीउसेेेेे कितना बुरा लगेगा....
तभी शोभा उसकी बात को बीच में ही काटते हुए कहती है " इशिका तुम उस लड़की के बारे में नहीं अपनी बेटी के बारे में सोचो वह फिर से इनाया के लिए मुसीबत खड़ी ना कर दे वैसा कौन से हैं मुझे बताएंगे कि हम कहां जा रहे हैं क्यों है ना शुभम मैं सही कह रही हूं ना ""

शुभम कुछ सोचते हुए कहता है "" दीदी मुझे लगता है कि इशिका सही कह रही है और वैसे भी.....
इतना कहते कहते रुक जाते हैं क्योंकि उसकी नजर सामने से आई हुई श्रेया पर पड़ती है श्रेजा उनकी ओर ही घूर-घूर कर देख रही थी अभी तक श्रेजा को समझ आ गया था कि यहां पर उसी की बात हो रही थी लेकिन क्यों हो रही थी यह उसे नहीं पता था लेकिन अपने दिमाग में चल रहे ख्यालों को झटक कर वह उन सब को इग्नोर करते हुए आगे बड़ी लेकिन जैसे ही वह सीडीओ के पास पहुंची शुभम ने उसे रोकते हुए कहा " रुको श्रेजा मुझे तुमसे बात करनी है "

श्रेजा वहीं पर रुक गई और शुभम क्यों देखे हुए उसके कुछ कहने का इंतजार करने लगी तब शुभम ने उसे सामने सोफे की ओर बैठने का इशारा किया श्रेया भी चुपचाप जाकर बैठ गई अब उसके सामने बैठे थे वह पाचों उसे घूर घूर कर देख रहे थे श्रीजा के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन तो नहीं था लेकिन अंदर ही अंदर उसे उन पांचो पर बहुत चिढ़ हो रही थी... " देख तो ऐसे रहे है जैसे कि यह लोग मुझे पहली बार देख रहे हैं हो, और ये श्रेयांश ऐसा लग रहा है जैसे कि मुझे आंखों से ही खा जाएगा"


शुभम ने दो बार अपना गला साफ किया और बोलना स्टार्ट किया " तुम तो जानती हो कि 'रोम' 3 दिन पहले ही फ्रांस से वापस इंडिया आया है इसलिए कल उसके आने की खुशी में एक पार्टी रखी गई है जिसमें हम सबको इनवाइट किया गया है मिस्टर एंड मिसिस विलिएम्स तुमसे मिलना चाहते हैं इसलिए तुम्हें कल हमारे साथ चलना होगा।"


इतना कहने के बाद वह चुप हो गया श्रेजा बड़ी ही बोरियत से उसकी सारी बातें सुन रही थी " अच्छा तो उस चिरकुट के आने की खुशी में है "


सोचती हुई श्रेजा ने उन लोगों से कहा " ओके बस इतनी सी बात थी "
श्रीजा को याद आया कि रोम के तीन दिन बाद इंडिया आने पर एक बहुत ही बड़ी पार्टी रखी गई थी हमेशा की तरह इस बार भी सृजन खुद का मजाक बना लिया था रोम और इनाया एक साथ डांस कर रहे थे जिस पर श्रीजा बहुत ही बुरी तरीके से भड़क गई थी उसने सबके सामने ही इनाया पर चिल्लाना शुरू कर दिया था ऐसा करके उसे कुछ मिला तो नहीं लेकिन लोगों की नजरों में वह विलेन बन गई थी और एक बार फिर रोम और आपने परिवार की नजरों में गिर गई थी।

.. शुभम ने कुछ हिचकीचाते हुए कहा " देखो श्रेजा मिस्टर एंड मिसिर विलियम्स ने तुम्हें बड़े प्रेम से बुलाया है तुम ऐसी कोई हरकत मत करना जिससे उन्हें बुरा लगे तुम मेरी बात समझ रही हो ना"


श्रेजा उनकी बात बहुत अच्छे से समझ रही थी, इन लोगों को जरा भी श्रेजा पर यकीन नहीं था, उसने बिना कुछ कहीं अपना सर हा मे हिलाया और अपने कमरे में आ गयी।
कभी श्रेजा के फोन में सत्यम का एक मैसेज आता है... " तुम्हें किस तरह का फ्लैट चाहिए? "

तू बदले में श्रेजा उसे मैसेज भेजती है " जैसा भी हो लेकिन वह कॉलेज के पास होना चाहिए..। "
ऐसे ही दोनों मैसेज में बात करने लगते हैं...
सत्यम : "ओह अच्छा... मुझे ऐसा एक फ्लैट मिला तो है लेकिन शायद वह तुम्हें पसंद नहीं आएगा।"

श्रेजा : "क्यूँ? "

सत्यम : "क्योंकि वो बहुत छोटी है इतना बेहतर भी नहीं है लेकिन हमारे कॉलेज के पास है।"

श्रेजा : " ठीक है तुम मुझे उसे फ्लैट की फोटो सेंड करो उसके बाद में बताऊंगी की मुझे वहां रहना है कि नहीं। "

सत्यम : " ओके बाय "
श्रेजा : " बाय "

इसके बाद श्रेजा ने फ़ोन चार्जिंग में लगाया और बेड पर लेट गयी, लेटे लेटे ही उसे कब नींद आगयी उसे पता ही नहीं चला।
उसकी नींद किसी के दरवाज़ा खटखटाने से खुली श्रेजा का मन बिल्कुल भी दरवाज़ा खोलने का नहीं था... क्योंकि जब भी कोई उसे नींद से उठता तो उसका मुड़ ख़राब हो जाता था..लेकिन इरिटेट होकर उसने दरवाज़ा खोल ही दिया उसके सामने शांति डरते हुए खड़ी थी उसके हाथ मे एक बैग था लेकिन जैसे ही शांति ने श्रेजा की लाल आँखे देखी वो और भी ज्यादा डर गयी.... और उससे एक दो कदम की दुरी पर खड़ी हो गयी, श्रेजा ने जब उसे खुद से डरते देखा तो पूछा... "" क्या हुआ ऐसे रियेक्ट क्यों कर रही हो जैसे कोई भुत देख लिए, और ये तुम्हारे हाथ मे ये बैग कैसा? ""

शांति ने वो बैग श्रेजा की ओर बढ़ाते हुए जवाब दिया "" मैम, वो बढ़ी मैडम ने ये बैग मुझे आपको देने के लिए कहा था इसमें वो ड्रेस है जिसे आपको कल पार्टी मे पहन कर जाना है ""
इतना बोल कर शांति चुप हो गयी, "" हम्म तुम जाओ ""
श्रेजा ने वो बैग शांति से ले लिया और रूम के अंदर आगयी.... उसमे एक सुन्दर सी. काले रंग की लॉन्ग पार्टी ड्रेस थी... देखने मे ही वो ड्रेस काफ़ी मंहगी लग रही थी श्रेजा ने प्राइस चेक किया तो वो एक ड्रेस पुरे "" 6 लाख की थी।

इसे इशिता ने तो नहीं लिया होगा अच्छा समझ गयी ये रोम की माँ ने भेजा था, उसे ये पता लगाने मे इतनी आसानी इस लिए भी हुई की उसने पहले ही नॉवेल मे ये पढ़ लिया था...
श्रेजा को ऐसी ड्रेसेस पहनना का बहुत शोक था लेकिन नॉवेल वाली श्रेजा को ऐसी ड्रेस पसंद नहीं थी वो पार्टी मे भी ये ड्रेस ना पहन कर एक शॉर्ट ड्रेस पहन कर गयी थी।



""वैसे तो मै इन सब पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पायी मेरे पास शिकायत करने का भी समय नहीं था लेकिन आज जब मै ये सब देख रही हु तो लगता है की मुझे अपनी जिंदगी इंजॉय करने का मौका ही नहीं मिला…।""