Wo Ankahi Bate - 14 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 14

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वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 14

पर मुझे तो उसके दिल का हाल लेना था और साथ ही अपना हाले दिल बताना था।
इसलिए मैं किसी भी तरह उसके घर का पता, फोन नंबर ये सब जानने की कोशिश में था।। उसका कोचिंग से लेकर घर तक का रास्ता मै पता कर चुका था।
यश ने कहा ओह माई गॉड पापा आप इतने होशियार!
बिमल ने कहा हां फिर।
रिचा ने कहा आगे क्या हुआ अंकल?
बिमल ने कहा आगे तो मुश्किलें बहुत थी पर हौसले बुलंद थे।
एक दिन मंदिर में चांदनी को देखा क्योंकि वो हर शनिवार को मंदिर जाती थी तो बस मैं भी जाने लगा।।
एक-दूसरे को हम देखते ही नहीं थे। और फिर एक दिन चांदनी ने मुझसे पूछा कि क्या हम एक दूसरे को जानते हैं?
बिमल ने कहा यहां पास में एक केफै है वहां चले।
फिर दोनों वहां गए।
चांदनी ने कहा अरे आप तो मेरे पीछे पड़ गए क्या बात है?
बिमल ने कहा हां,मेरा मतलब है कि जब से आपको देखा है तो बात करने का बड़ा मन हो रहा था। चालाकी से मैंने अपनी बात पलट दी।
चांदनी ने कहा अरे बाबा मुझे कोई policy नहीं चाहिए हां!!
बिमल ने हंसते हुए कहा क्या मैं आपको एजेंट लगता हुं?
चांदनी ने कहा और क्या?टाई लगा कर घुम रहे हैं।
फिर बिमल ने कहा सच मानिए मेरा ऐसा इरादा नहीं है। मैं तो दोस्ती करना चाहता हूं।।
चांदनी ने कहा अरे बाबा ये दोस्ती का चक्कर है!
बिमल ने कहा हां, एक सच्चा दोस्त!
चांदनी ने कहा यहां पर इतनी परेशानी है इनको दोस्ती करना है।।
बिमल ने कहा हां, क्या एक दोस्त दूसरे दोस्त के काम नहीं आता है क्या परेशानी है बताईए ना?
चांदनी ने कहा नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है मुझे अब जाना चाहिए।।
चांदनी उठने लगी तो बिमल ने कहा अरे बाबा यहां पर एक कप चाय या कॉफी तो पीकर जाइए।
चांदनी ने कहा नहीं, मुझे जाना होगा।।
और फिर चांदनी चली गई।।
अब बिमल वहां पर बैठ कर सोचने लगा कि आखिर बात क्या है चांदनी को क्या परेशानी है?
फिर बिमल घर वापस आ गए।।
और फिर रात भर सोचता रहा कि आखिर क्यों चांदनी को मैं अपनी दिल की बात नहीं बता पाया।।जब भी उसकी आंखों में देखता हूं तो कुछ हो जाता है।
रिचा ने कहा सच अंकल ऐसा ही होता था क्या पर ये को कुछ नहीं होता है!
बिमल ने कहा हां बेटा ये सच है ऐसे ही था मैं जब जवान था।
यश ने कहा हां ठीक है आगे बताओं।।
बिमल ने कहा हां ठीक है उसके बाद हम रास्ते में मिलते और दोनों अजनबी की तरह चले जाते थे। मुझे चांदनी की सहेली हेमा से दोस्ती कर ली। और फिर पता चला कि चांदनी को एक नौकरी की तलाश है पर उसे नहीं मिल रहा है।
बिमल ने कहा ओह तो ये बात है! क्या तुम्हारी सहेली बैंक एकाउंट में काम करेंगी?
हेमा ने कहा हां क्यों नहीं। बिमल ने कहा पर उसे कुछ मत बताना।।
हेमा ने कहा उसे बहुत प्यार करते हो?
बिमल ने कहा हां, प्यार तो करना हुं बस खोना नहीं चाहता।।
फिर बिमल ने अपना नम्बर दे दिया और कल फिर मिलने को कहा।।
वहां से हेमा सीधे चांदनी के घर गई और जाकर नौकरी की बात बताई कि उसके चाचा जी के पहचान में है।
चांदनी बहुत खुश हो गई और फिर हेमा वहां से चली गई।
दूसरे दिन बिमल लैटर लेकर हेमा से मिला और बोला कि HDFC Bank में कल ये लैटर के साथ चली जाए।
हेमा ने थैंक यू कहा और वो भी वहां से सीधे चांदनी के घर चली गई और जैसा बिमल ने बताया था वैसे ही हेमा ने चांदनी को बताया।
चांदनी की आंखें भर आईं थीं और फिर हेमा को गले लगाया और बोली कि तुमने आज वो किया है जो कोई नहीं कर पाया।।
हेमा मन ही मन मुस्कुरा कर बोली कि ये सब जिसने किया हैं वो तुझे अपनी जिंदगी समझता है।
बिमल कहानी सुनाते हुए रो पड़े।।
यश ने कहा ओह पापा आप रो मत ।पर उस बैंक में आपकी पहचान किसके साथ थी?
बिमल ने हंसते हुए कहा अरे बाबा वो बचपन के दोस्त जयेस ।
यश ने कहा अच्छा वो मैनेजर थे वहीं??
बिमल ने कहा हां,
फिर इसी तरह एक महीने बीत गए।
मैं किसी काम से जयेस के पास मिलने गया तो वहां चांदनी ने मुझे देखा और फिर वो गुस्से में रिजाइन लैटर भेज दिया वो बहुत ही self-respect लड़की थी।
फिर मैं एक दिन चांदनी के घर उसकी सहेली के साथ पहुंच गया।।
चांदनी ने दरवाजा खोला ।
चांदनी ने अन्दर बुलाया और फिर बोली कि मुझे किसी की दया नहीं चाहिए!
बिमल ने कहा कोई दया नहीं कर रहा है तुम्हें तुम्हारे talent पर नौकरी मिली थी। क्या मैं तुमसे बात कर सकता हूं?
चांदनी ने कहा मुझे कुछ नहीं सुनना है।
बिमपर मुझे तो उसके दिल का हाल लेना था और साथ ही अपना हाले दिल बताना था।
इसलिए मैं किसी भी तरह उसके घर का पता, फोन नंबर ये सब जानने की कोशिश में था।। उसका कोचिंग से लेकर घर तक का रास्ता मै पता कर चुका था।
यश ने कहा ओह माई गॉड पापा आप इतने होशियार!

बिमल ने कहा हां फिर।
रिचा ने कहा आगे क्या हुआ अंकल?
बिमल ने कहा आगे तो मुश्किलें बहुत थी पर हौसले बुलंद थे।
एक दिन मंदिर में चांदनी को देखा क्योंकि वो हर शनिवार को मंदिर जाती थी तो बस मैं भी जाने लगा।।

एक-दूसरे को हम देखते ही नहीं थे। और फिर एक दिन चांदनी ने मुझसे पूछा कि क्या हम एक दूसरे को जानते हैं?
बिमल ने कहा यहां पास में एक केफै है वहां चले।
फिर दोनों वहां गए।
चांदनी ने कहा अरे आप तो मेरे पीछे पड़ गए क्या बात है?
बिमल ने कहा हां,मेरा मतलब है कि जब से आपको देखा है तो बात करने का बड़ा मन हो रहा था। चालाकी से मैंने अपनी बात पलट दी।
चांदनी ने कहा अरे बाबा मुझे कोई policy नहीं चाहिए हां!!
बिमल ने हंसते हुए कहा क्या मैं आपको एजेंट लगता हुं?
चांदनी ने कहा और क्या?टाई लगा कर घुम रहे हैं।
फिर बिमल ने कहा सच मानिए मेरा ऐसा इरादा नहीं है। मैं तो दोस्ती करना चाहता हूं।।
चांदनी ने कहा अरे बाबा ये दोस्ती का चक्कर है!
बिमल ने कहा हां, एक सच्चा दोस्त!
चांदनी ने कहा यहां पर इतनी परेशानी है इनको दोस्ती करना है।।
बिमल ने कहा हां, क्या एक दोस्त दूसरे दोस्त के काम नहीं आता है क्या परेशानी है बताईए ना?
चांदनी ने कहा नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है मुझे अब जाना चाहिए।।

चांदनी उठने लगी तो बिमल ने कहा अरे बाबा यहां पर एक कप चाय या कॉफी तो पीकर जाइए।
चांदनी ने कहा नहीं, मुझे जाना होगा।।
और फिर चांदनी चली गई।।
अब बिमल वहां पर बैठ कर सोचने लगा कि आखिर बात क्या है चांदनी को क्या परेशानी है?
फिर बिमल घर वापस आ गए।।
और फिर रात भर सोचता रहा कि आखिर क्यों चांदनी को मैं अपनी दिल की बात नहीं बता पाया।।जब भी उसकी आंखों में देखता हूं तो कुछ हो जाता है।


रिचा ने कहा सच अंकल ऐसा ही होता था क्या पर ये को कुछ नहीं होता है!
बिमल ने कहा हां बेटा ये सच है ऐसे ही था मैं जब जवान था।
यश ने कहा हां ठीक है आगे बताओं।।
बिमल ने कहा हां ठीक है उसके बाद हम रास्ते में मिलते और दोनों अजनबी की तरह चले जाते थे। मुझे चांदनी की सहेली हेमा से दोस्ती कर ली। और फिर पता चला कि चांदनी को एक नौकरी की तलाश है पर उसे नहीं मिल रहा है।
बिमल ने कहा ओह तो ये बात है! क्या तुम्हारी सहेली बैंक एकाउंट में काम करेंगी?
हेमा ने कहा हां क्यों नहीं।
बिमल ने कहा पर उसे कुछ मत बताना।।
हेमा ने कहा उसे बहुत प्यार करते हो?
बिमल ने कहा हां, प्यार तो करना हुं बस खोना नहीं चाहता।।
फिर बिमल ने अपना नम्बर दे दिया और कल फिर मिलने को कहा।।
वहां से हेमा सीधे चांदनी के घर गई और जाकर नौकरी की बात बताई कि उसके चाचा जी के पहचान में है।
चांदनी बहुत खुश हो गई और फिर हेमा वहां से चली गई।

दूसरे दिन बिमल लैटर लेकर हेमा से मिला और बोला कि HDFC Bank में कल ये लैटर के साथ चली जाए।
हेमा ने थैंक यू कहा और वो भी वहां से सीधे चांदनी के घर चली गई और जैसा बिमल ने बताया था वैसे ही हेमा ने चांदनी को बताया।
चांदनी की आंखें भर आईं थीं और फिर हेमा को गले लगाया और बोली कि तुमने आज वो किया है जो कोई नहीं कर पाया।।
हेमा मन ही मन मुस्कुरा कर बोली कि ये सब जिसने किया हैं वो तुझे अपनी जिंदगी समझता है।

बिमल कहानी सुनाते हुए रो पड़े।।
यश ने कहा ओह पापा आप रो मत ।पर उस बैंक में आपकी पहचान किसके साथ थी?
बिमल ने हंसते हुए कहा अरे बाबा वो बचपन के दोस्त जयेस ।
यश ने कहा अच्छा वो मैनेजर थे वहीं??
बिमल ने कहा हां,
फिर इसी तरह एक महीने बीत गए।
मैं किसी काम से जयेस के पास मिलने गया तो वहां चांदनी ने मुझे देखा और फिर वो गुस्से में रिजाइन लैटर भेज दिया वो बहुत ही self-respect लड़की थी।

फिर मैं एक दिन चांदनी के घर उसकी सहेली के साथ पहुंच गया।।
चांदनी ने दरवाजा खोला ।
चांदनी ने अन्दर बुलाया और फिर बोली कि मुझे किसी की दया नहीं चाहिए!
बिमल ने कहा कोई दया नहीं कर रहा है तुम्हें तुम्हारे talent पर नौकरी मिली थी। क्या मैं तुमसे बात कर सकता हूं?
चांदनी ने कहा मुझे कुछ नहीं सुनना है।
बिमल ने कहा एक बार सुन लो।
चांदनी की मां ने कहा अरे बाबा एक बार सुन लो!
चांदनी ने कहा हां बोलो।

क्रमशः ल ने कहा एक बार सुन लो।
चांदनी की मां ने कहा अरे बाबा एक बार सुन लो!
चांदनी ने कहा हां बोलो।

क्रमशः