Shaapit khazana - 11 in Hindi Fiction Stories by Deepak Pawar books and stories PDF | शापित खज़ाना - 11

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शापित खज़ाना - 11

धीरे धीरे तीनों सर्प सैनिक और रवि के साथ करण, राका नैनी,नाता उन सात पारियों के साथ अंदर बढ़ने लगे और यह महल अब विशाल और विशाल स्वरूप लेने लगा ।
चंद मिनटों बाद अब सभी महल के अंदर मुख्य बैठक तक पहुंच गए थे । यह बैठक आलीशान थी महल के अंदर विशालकाय हॉल जैसी जिसके बीचोबीच एक सुंदर सफेद हीरों से सजाए हुए बेहद खूबसूरत आसन पर एक महिला बैठी हुई इन्हे अंदर आते देख रही थी । जिसकी दाई तरफ एक दूसरे आसन पर एक बेहद ही मोहक और बलिष्ठ शरीर का स्वामी युवक भी चमचमाते वस्त्र और दैविक रोशनी के साथ बैठा हुआ सभी को देखे जा रहा था और मुस्कराने लगा उसकी इस मुस्कुराहट से आसपास महल की दीवारों पर बने कलाकृतियों की मछलिया और परिया नाचने लगी , मानो उसे इनके यहाँ आने के बारे में पता हो ।
यहाँ पहुंचकर अब ऊन पारियों में से एक छोटी परी ने सबको रुकने के लिए इशारा किया और खुद आगे बढ़कर सामने आसन पर बैठी देवी को इनके तरफ इशारा कर पुनः वापिस लौट आई । करण और रवि जो अब शांत खड़े होकर महल के अंदर बने कलाकारियो और महल की सुंदरता से मोहित हो चुके थे उनको यह सब बहौत ही अदभुत लग रहा था जैसे की वह लोग स्वर्ग में आ गए हों। राका नैनी,नाता और सर्प सैनिक ने देवी के सामने सर झुकाकर अभिवादन किया ,उन्हे देखकर रवि और करण ने भी सर झुकाकर अभिवादन किया ।

कुछ चंद पल में चमचमाते आसन पर विराजमान देवी ने महल में बजने वाले मोहक संगीत के हल्के पर अतिशय शांत धुनों के बीच बात कही ।

देवी -
नागा प्रजाति के मुखिया ,तथा उनकी बेटियों और भविष्य मानवों आप इस समय पाताल लोक के देवी के महल में खड़े हैं, मैं समुद्रदेव की बेटी हूं और अब हम पाताल लोक में रहते है…शायद आपको भी यह पता होना चाहिए की आपकी मंजिल आसान नहीं..। और यह भी आप जानते होंगे की सूर्यनगर की रानी किसी भी कीमत पर आपको ज्वलामुखी के पहाड़ों से दूर ही रखने की कोशिश करेगी…शायद इसमें आप सबको मरना भी पड़ सकता है…। तो सर्प प्रजाति के मुखियां क्या यह बता सकते है की ,क्यों आप सब आगे बढ़ रहे हो ..अभी तो बौनो के राज्य में भी आप लोग नही पहुंचे …।

देवी की बात सुनने के बाद राका बड़े ही अदब के साथ कहता है।

राका -
देवी आपको सब पता है…बौनो के राज्य में जाने से पहले हमे एक चुडैल के सीमा में जाना होगा और हम वहीं जा रहे थे । इन भविष्य मानवों के साथ पर ,चट्टान के टूटने से हम तालाब में गिर गए ।

देवी राका की बात सुनकर कहने लगती है ।

मै जानती हूं इस लिए मेरे कहने पर ही आपको यहां लाया गया है…खैर मैं भविष्य मानवों को बताना चाहती हूं की जिस चुड़ेल के राज्य में वह जा रहे है वो अभी बहुत ज्यादा शक्तिशाली बन चुकी है और उसके एक फूंक में आप सब तिनके की तरह मारे जाएंगे …।

अब काफी समय से करण बोलना चाहता था जो उसने बोलना शुरू किया ।

करण -
माफ़ कीजिए देवी पर जब आपको सब पता है की हमलोग वहां जाकर मारे जाएंगे तो आपको यह भी पता होगा की हमारी जान केसे बचेगी और हम चुडैल से अपना काम कैसे निकाले ?

उसे ध्यान से सुनने के बाद देवी मुस्कुराई और कहने लगी
देवी -
हम्म्म भविष्य मानव तुम सच में बुद्धिशाली हो ..पर मै आप लोगो को इसका एक तरीका बता सकती हूं पर मेरी एक शर्त है।
करण -
शर्त …
देवी -
हां मुझे पता है पवित्र कुंआ का पानी सभी श्रापित लोगो को श्राप से मुक्त कर सकता है…और इसका आप लोग इस्तेमाल सिर्फ नागा पहाड़ों की प्रजाति पर करना चाहते हे। जो आज भी श्राप से कैद है,..पर मेरी शर्त यह हे की मेरे पिता समुद्र देव भी वहां कैद है जहां आप लोग जा रहे हैं। बस शर्त यह है की आपको मेरे पिता को भी श्राप से मुक्त करवाना है..। कहो मंजूर है शर्त…!?

करण और देवी की बातों को सुनते हुए रवि कहता है।
रवि -
देवी क्या में यह जान सकता हूं की आप तो खुद इन पारियों की देवी है तो आपने कभी खुद यह कोशिश नही की उन्हे छुड़ाने की …आप हमसे ही क्यों यह करवा चाहती हों ..।

देवी रवि को देखकर कहने लगी ।

देवी -
मैने और मेरे भाई ने इसकी कई बार कोशिश की पर जब यह बात सूर्यनगर की रानी को पता चली तब उसने हम दोनों पर हमला कर दिया …और हमे बंदी बना लिया था ..पर मेरे सैनिक पारियों और योद्धाओं ने बड़ी चतुराई से हम दोनों को रानी के बंधन से मुक्त कर वापिस ले आएं…और रानी से छुपकर हमने रहना शुरू कर दिया …यही कारण है की आपको भी हमने चट्टान और पानी के बीच गुप्त तरीके से यहां लाया है। रानी की शक्तियां चट्टान और पानी के अंदर कम हो जाती है और यही कारण था आपको इनके जरिए लाने का जिससे चुडेल का रक्षक गरुड़ और रानी का काला साया दोनो को चकमा दिया जा सके ।

देवी की बात अब सबके समझ में आ गई थी । जिसके बाद करने ने देवी से कहा ।
करण -
देवी हम आपकी शर्त मानते है…आप बताए चुडैल को केसे हम काबू में करें और आपका काम निकलवाएं ..!?

अब देवी अपने आसन पर बैठकर एक परी को इशारा किया ।
और एक सुन्दर परी ने अपने हाथ में एक तस्वीर लाई जो एक चमड़े पर बनी हुई थी । जिसमे एक सुंदर युवक की तस्वीर थी जो घोड़े पर सवार था जैसे वह कोई बहुत बड़ा योद्धा हो और युद्ध के लिए निकला हो । उस तस्वीर को लपेट कर रखा गया था चमड़े में जिसे देखने के बाद देवी ने कहना शुरू किया ।
देवी -
देखो इस तस्वीर को यह युवराज की तस्वीर है जो इस चुडेल के प्रेमी का पहले का रूप है। हां पहले का अब वह दूसरे रूप में श्रापित है और चुडैल को यह पता नही है…आज भी वह अपने प्रेमी को इसी रूप में याद करती है। और गुस्से में सर्वनाश करती है। अगर यह तस्वीर तुम उसे दिन और रात के जुड़ने के समय में दिखाओ तो इस तस्वीर के लिए वह कुछ भी करने के लिए राजी हो जायेगी ।….

अब देवी की बात पर करण कहता है।
करण -
देवी एक सवाल और है मेरा की जब वह चुडैल बहुत शक्तिशाली है तो वो इस तस्वीर के लिए हमारे काम क्यों करेगी यह सिर्फ एक पेंटिंग है…ओह् ..एक तस्वीर है? वो तो अपने जादू से अपने प्रेमी की कई तस्वीरें बना लेंगी ..!

देवी हल्के से मुस्कुराते हुए ।
देवी -
भविष्य मानव तुम काफी सवाल करते हों..इस सवाल का जवाब आप लोगो को चुडैल के महल जाने पर ही पता चलेगा ।…अब आप लोग अपनी यात्रा करें और मेरी शर्त ना भूले ।

इतना कहते हुए रानी ने अपना हाथ का इशारा किया और फिर वही सात पारियों ने करण,रवि, नैनी,नाता,राका और सर्प सैनिकों को अपने हाथ लगाए और अचानक ही वहां से गायब होकर चुडेल के महल के नज़दीक एक पुराने पर विशाल बरगद के पेड़ के नीचे सबको पहुंचा दिया । और इसमें से एक परी ने अपने हाथ में पकड़ी वह तस्वीर करण को से दी
। इतना करने पर सभी परियां वहा से गायब हो गई ।

अचानक ही सब अभी चुडेल के महल के काफी नज़दीक पहुंच गए थे इस बरगद के पेड़ के नीचे मानों पहाड़ों से काफी दूर और महल से करीब 50 कदम की दूरी पर । दिन ढलने पर है और सामने पुराना खंडहर बना महल सूखे पेड़ो की जड़ों में जकड़ा हुआ मानो अपनी पूरी ताकत से डराने की कोशिश में लगा है।

तभी इसी समय अचानक राका के गले में पहना हुआ नागा मणि में एक चमक आनी शुरू हो जाती है,उसे करण और रवि देख लेते है,तभी तुरंत नाता और नैनी के भी गले में पहने नागा मणि चमकने लगते है ,यह सिलसिला अब शुरू हो जाता है साथ के सर्प सैनिकों के गले के मणि भी इसी तरह से चमकने लगते है और सभी अपने गले के मणि के चमकने से हैरत में पड़ते दिखाई देने लगे । तभी ठीक इसी समय आसपास की हवाएं तेज और आवाज के साथ धीरे धीरे बढ़ने लगती है। समय ऐसा की बस कुछ ही मिनटों में अब रात हो जायेगी और सूर्य पूरी तरह से दिन जायेगा । हवाओ के तेज बहने और आवाजों के शुरू होने की वजह से सभी सर्प सैनिकों ने करण,रवि,राका , नैनी,नाता को सुरक्षा घेरे में ले लिया और अब सब सतर्क हो गए । हवाएं अब तेज होती ही जा रही है और इससे महल भी अब सही से दिख नही रहा था की राका ने करण और रवि को बताने के लिए लगभग चिल्लाते हुए कहना शुरू किया ।
राका -
मुझे लगता है की यह वह समय है की दिन और रात मिल रहे है देवी ने बताया था इस समय हम चुडेल को वश में कर सकते है…हमे किसी भी तरह महल में जाना होगा वो भी रात घिरने से पहले …नही तो हम सब मारे जाएंगे ….।
उसकी बातो को सुनकर सबने अंदर जाने के लिए हामी भरी और बरगद के पेड़ से महल की दिशा में तेज हवाओं के बीच जैसे तैसे एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए आगे बढ़ने लगे । पर हर कदम मुश्किलियो का रहा पहले दो से तीन कदमों के बाद मानो धूल की आंधी हो ऐसे हवाओं में बदलाव आया की कुछ सर्प सैनिक इन धूल की आंधियों से दिशा चूक गए और कुछ आधी के साथ ही बह गए । इसे में करण ने नाता और राका का हाथ पकड़ा और उनके पीछे रवि और नैनी ने उन्हे पीछे से पकड़ कर सहारा देना शुरू किया .. करण ने एक कदम आगे बढ़ाया और फिर दूसरा काफी मेहनत के बाद अब महल के दरवाजों के सामने की सीढ़ियां दिखाई देने लगी थी । रवि के पीछे कुछ सर्प सैनिक रवि और नैनी को पीछे से सहारा दे रहे थे तो राका और करण पूरी ताकत से अपने कदम आगे बढ़ा रहे थे । पर मुश्किलें तो अब शुरू हो चुकी थी अचानक ही महल के आसपास के पैड की जड़ों में हलचल होने लगी और वह किसी अजगर की तरह सर्प सैनिकों पर टूट पड़ा यह जड़े आगे बढ़ने से रोकने के लिए चुडैल के वश में थीं । इसी बीच राका का एक कदम पहली सीढ़ी पर पड़ा और जड़ अचानक पीछे हो गई ,राका ने देखा की उसके कई सैनिक मारे गए थे अब बस कुछ 2 या 3 ही बचे थे ,अब सभी इस पहली सीढ़ी पर पहुंच गए और अचानक पूरा तूफान शांत हो गया मानो की वहा कुछ हुआ ही नहीं । राका और दुसरो के गले में पहने मणि भी चमकने बंद हो गए ,।और जो महल अब तक भयानक दिखाई दे रहा था वह अचानक ही नया और आलीशान दिखाई देने लगा । करण ने अगली सीढ़ी पर कदम रखा तो महल का आलीशान दरवाजा अपने आप खुल गया और सभी करण के साथ उस जगह खड़े हो गए ।
आलीशान दरवाजा धीरे धीरे खुलने लगा और जैसे जैसे वह खुलने लगा उसके अंदर का दृश्य देखकर सभी आश्चर्यचकित हो उठे । महल के अंदर सुंदर नकाशियो का काम और फूलों के सजे गुलदस्ते के बीच एक व्यक्ति बड़े तहजीब से खड़ा हुआ था और दरवाजा खुलने के बाद बड़े अदब से सभी को अपने साथ अंदर आने का इशारा कर पलटा । सभी इसके पीछे चल पड़े पर वह व्यक्ति इस तरह चल रहा था जैसे वह हवा में ही तैरता हुआ आगे बढ़ रहा है । खैर सभी लोग काफी सतर्क थे और पूरा एक महल का गलियारा पार कर रहे थे । की महल के अंदर आलीशान हॉल में एक सुंदर युवती को कुछ महिलाएं सजाने का काम कर रही थी और वह सुंदर युवती ने शादी का जोड़ा पहने हुए था ,ऐसा लगता था की अभी कुछ देर में ही उसकी शादी होने वाली हो । तभी पुनः महल में गरुड़ की आवाज़ तेजी से आने लगती है और अगले पल ही एक विशालकाय गरुड़ अब उस युवती और करण,रवि और अन्य के बीच दीवार बनकर खड़ा हो जाता है । उसके आने भर से वह युवती जो अबतक सुन्दर और शांत थी वह तेजी से हवाओ के साथ तेज अजीबो चीखों के साथ उड़ते हुए गरुड़ के ऊपर से करण के सामने आती है और ठीक इस समय शाम से रात होने वाली हे युवती का अब सुंदर स्वरूप बिगड़ने लगता हे और इसकी आखें अब पूरी काले रंग की हो जाती है। वह कुछ कर पाती की इसके पहले राका अपने गले में पहना मणि निकलकर उसके ऊपर उछाल देता है मणि की चमक फिर शुरू हो जाती ही और us मणि के युवती पर गिरने से वह अपना भयानक रूप में आ कर तेजी से हवाओ के साथ उसी जगह पहुंच जाती हे जहा पहले उसे सजाया जा रहा था पर अब माहौल डरावना हो गया था । महल की दीवारें फिर पुरानी और डरावनी हो गई थी पर इससे भी ज्यादा अब वह दीवारें किसी भूल भुलैया की तरह अपनी जगह से दूसरी जगह बदलने लगी । जिससे करण और राका सबसे अलग हो गए ,दूसरी तरफ रवि और 2 सर्प सैनिक अलग हो गए और नैनी के साथ नाता और एक सर्प सैनिक अलग हो गए। अब करण और राका के सामने चुडैल थी जो आईने में अपने आप को देख रही थी जिसकी आईने में छवि सुंदर दिखाई दे रही थी पर हकीकत में वह काफी भयानक दिखाई देने लगी थी ।अचानक ही राका के पीछे से चुडैल के हाथो ने राका की गर्दन पकड़ी और कस कर उसे घुमाने लगी जिसे करण भी अपनी पूरी ताकत लगाकर रोक रहा था । दूसरी तरफ रवि पर दरवाजा खोलने के बाद अंदर ले जाने वाले व्यक्ति जो असल में एक आत्मा थी उसने हमला कर सर्प सैनिक में से एक को मार दिया था और रवि के पीछे पड़ा हुआ था । नैनी और नाता चुडैल चुडेल को सजाने वाली उन दोनों महिलाओ की आत्मा से लगने में लगी थीं। की रवि अपने आप को बचाने के चक्कर में दौड़ते हुए एक छोटे से कुएं में गिर पड़ा। उसकी आंखे खुली तो कुएं में उसे एक तस्वीर दिखाई दी जो उसी चुडैल की थी तभी रवि ने तस्वीर को उठाया और कुएं के बाहर आने के लिए लंबी कोशिश करते हुए वह बाहर आया और लंबी सांस खींची उसने देखा की उसके पीछे पड़े उस व्यक्ति की आत्मा कुएं के नजदीक नही आ रही थी वह रवि के पास तेजी से हमला करने आता पर कुएं के नजदीक आते ही वह किसी अनजान शक्ति के कारण दूर जा गिरता । महल की दीवारें अभी भी लगातार भूल भुलैया जैसे घूम रही थी मानो किसी ने दीवारों को पहिए लगाए हो । दिवारे अपनी जगह बदल देती …तभी कुएं के नजदीक की दीवार ने जगह बदल दी और नैनी नाता दोनो इस तरफ कुद गई ,रवि ने तुरंत दोनो को कुएं के पास खींच लिया और जैसे दोनो आई उन्होंने देखा की वह दोनो महिलाओ को आत्मा भी उनपर हमला कर रही है पर नजदीक कुएं के आते ही दोनों काफी दूर किसी अज्ञात शक्ति के कारण फेक दी जाती है । तभी फिर दीवार घूमने लगी इस बार दीवार के घूमते ही एक सर्प सैनिक बाहर आया उसने रवि और नैनी और नाता को देख उनकी तरफ दौड़ा पर बीच में ही उस व्यक्ति और महिलाओं की आत्मा ने उसे पकड़ लिया और देखते ही देखते कुछ सेकेंड के अंदर इसके शरीर के अनगिनत टुकड़े अपने मुंह से नोच कर कर डाले यह देखकर रवि ने अपनी आंखे बंद कर ली पर करण और राका दीवारों के दूसरी तरफ गरुड़ और चुडैल के साथ लड़ रहे थे। करण पर चुडैल चुडेल बैठ गई थी और उसके गले पर अपने भयानक दातों से काटने की कोशिश कर रही थी की तभी राका ने कूदकर उसे पीछे से पकड़ने की कोशिश की पर सब व्यर्थ,अचानक चुडैल वहा से गायब हो गई और राका सीधे करण के ऊपर जा गिरा । तभी दीवार गिर घूमने लगी और इसबार करण और राका के सामने गरुड़ था हालाकि यह गरुड़ कोई आत्मा नही था पर उसके बड़े विकराल रूप के आगे दोनो कुछ भी नही थे । गरुड़ बार बार हमला करता राका और करण दोनो भाग रहे थे की गरुड़ ने राका के पैर को निशाना बनाया राका का पैर अब पूरी तरह से गरुड़ ने काट दिया था जिससे राका वही अपनी जगह पर नीचे गिर गया और उसके कटे पैर से खून बहने लगा । जिसे देख करण दौड़ा और राका को उठाकर एक दीवार के सहारे अपने पास खींच लिया राका काफी ज्यादा घायल हो गया था । अब गरुड़ के मुंह में राका का कटा हुआ पैर था और वह उसे फेंक कर वापिस राका पर हमले के लिए झपटा इस बार करण ने राका को ढाल बनाया और गुरुड़ के नजदीक आते ही अपने कमर से नागा पहाड़ों का लाया एक खंजर गरुड़ के गर्दन के हिस्से में पूरा घोप दिया । जिससे गरुड़ की चीखे निकलने लगी और वह छटपटाने लगा । अब रात हो चुकी थी और चुडैल चुडेल की पूरी शक्ति भी जाग गई थी । दीवारों का घूमना फिर शुरू हुआ और इस बार उसे चुडैल ने घुमाया था । ऐसा की अब राका , करण,रवि, नैनी और नाता सब एक साथ एक कमरे में थे जहा कुआं था । अब चुडैल चुडेल सिर्फ अपनी आखों से ही करण को उठाकर अपने पास खींचने लगी जिसे राका ने पकड़ रखा था की चुडैल चुडेल ने एक ही झटके में राका को दीवार पर पटका जिससे राका वही बेहोशी में चला गया ।अब चुडैल पहली बार बोली ।
चुडैल चुडेल -
कौन हो तुम…? मेरी कई शक्तियां तुम पर काम नही कर रही …मनुष्य होते हुए भी तुम यहां केसे आ सकते हो…मेरे महल के श्राप को केसे तोड़ सकते हो….।
तभी रवि ने बोलना शुरू किया चूडेल को ।
रवि -
सुनो…हम लोग भविष्य से आए हे….21 सेंच्युरी ।
रवि के इतना कहने से चुडैल चुडेल को और भी गुस्सा ज्यादा आया तो रवि ने उसे देख कर फिर कहा ।
रवि,-
अरे..तुम तो बुरा मान गई ये देखो …तुम्हारे इस कुएं से मुझे क्या मिला ….कही यह तुम तो नही चुडैल मेडम….।
अब इस बार चुडैल का ध्यान रवि के हाथ में पकड़ी तस्वीर पर गया और वह हवाओ के तेज झोके के साथ कुएं के नजदीक पहुंची तो उसे भी कोई अदृश्य शक्ति वहा आने से रोकने लगी चुडैल चुडेल ने रवि के हाथ में खुद को तस्वीर देखी और फिर अपना सबसे भयानक रूप ले लिया जिससे अब रवि की भी डर से हालत खराब होने लगी । इस समय करण ने मौके का फायदा उठा कर अपने पास रखी राजकुमार की तस्वीर खोल कर चुडैल को आवाज़ लगाई ।
करण -
ओओओ….चुडैल क्या इसको पहचानती हो?... हां देखो कौन है..पहचानो …।
और तस्वीर के नीचे एक लकड़ी में आग जलाकर तस्वीर को जलाने की धमकी देने लग गया । उसका यह प्लान काम कर गया । उसे देख अब रवि ने भी करण को कुएं के पास आने का इशारा किया जिसे करण ने समझ लिया और चुडैल को धमकाते हुए एक एक कदम कुएं की तरफ उठाने लगा । तस्वीर को देख चुडैल तड़प उठी थी यह उसके प्रेमी राजकुमार की तस्वीर थी जो चमड़े पर बनाई गई थी । अब चुडैल चुडेल गुस्से में आती तो कभी शांत हो रही थी । धीरे धीरे करण भी रवि के पास आ चुका था कुएं के नजदीक पर तभी करण के हाथ की आग बुझ गई और चुडैल ने करण पर झपटा मारा तो करण ने कुएं की दिशा में कूद गया पर चुडैल चुडेल अब करण के चिथड़े उड़ने के लिए अपने दातों और नाखूनों को बड़ा कर चुकी थी की एन वक्त पर राका ने पीछे से चुडैल चुडेल का एक पैर पकड़ लिया जिससे चुडैल का कुछ बिगड़ा नही मगर ध्यान भटक गया और इस मौके का फायदा करण को मिल गया करण रवि के नज़दीक कुएं के पास पहुंच गया था ।