cleanliness in Hindi Health by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | साफ - सफाई

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साफ - सफाई

1. साफ - सफाई

एक दिन की बात है। विद्यालय की छुट्टी होने के बाद बच्चे विद्यालय के बाहर लगे चाट के ठेले पर चाट - समोसा खाने लगे। दूसरे दिन जब विद्यालय खुला तो कक्षा पाँच की छात्रा अक्षिता विद्यालय नहीं आयी। जब शिक्षक ने अन्य बच्चों से अक्षिता के बारे में पूछा तो पता चला कि वह बीमार है। रात में उसे उल्टी व दस्त हो रहे थे। इसका कारण जानने के लिए शिक्षक, अक्षिता के घर चला गया, जो विद्यालय के समीप ही था। वहाँ जाकर पता चला कि अक्षिता ने कल शाम को विद्यालय से घर जाते समय चाट - समोसे खाये थे। उसके बाद से ही उसकी तबीयत खराब हो गयी। शिक्षक शाम को छुट्टी के समय उसी चाट के ठेले के पास रूका। वहाँ उसने देखा कि ठेले पर मक्खियाँ भिन्न - भिन्ना रही हैं और वहाँ आस - पास गन्दगी भी है।
दूसरे ही दिन शिक्षक ने विद्यालय में सभी बच्चों को प्रार्थना - सभा के समय ही साफ - सफाई के बारे में समझाया। और बताया कि - "खुले में रखी हुए खाने - पीने की वस्तुओं को नहीं खाना चाहिए। गन्दी जगह एवं जिस खाने पर मक्खियाँ बैठी हों, वह भी नहीं खाना चाहिए। खाने से पहले अपने हाथों को अवश्य धोना चाहिए। इसके बाद उन्होंने हाथ धोने के तरीके को भी कविता के माध्यम से बताया कि कैसे हमें अपने हाथों की सफाई करनी चाहिए।

संस्कार सन्देश: -
बार - बार हाथों को धोने से होती दूर बीमारी।
रखो साफ - सफाई का ध्यान यही सबसे बड़ी है हमारी जिम्मेदारी।।


2. अक्षिता का टिफिन

एक अक्षिता नाम की लड़की थी, जो अपनी चीजें किसी के साथ शेयर करना पसन्द नहीं करती थी। उसे दोस्तों के साथ मिलना - जुलना, खेलना या बातें करना पसन्द नहीं था, इसलिए स्कूल या घर में उसके कोई भी बहुत अच्छे दोस्त नहीं थे।
एक दिन अपने स्कूल में नाश्ते के समय में नाश्ता करने जा रही थी, तो टिफिन खोलते समय ही अक्षिता का टिफिन बॉक्स नीचे गिर गया और सारा खाना जमीन पर बिखर गया। अक्षिता को बहुत तेज भूख लगी थी, लेकिन उसका सारा नाश्ता नीचे गिर चुका था।
वह बहुत दुःखी हुई, पर कर भी क्या सकती थी? क्लास के सभी बच्चे मिल - जुलकर नाश्ता कर रहे थे। अक्षिता ने देखा तो सभी बच्चे उसकी तरफ देख रहे थे। उसकी बेंच पर बैठी हुई खुशी ने अक्षिता के आगे अपना टिफिन बढ़ाया। चूंँकि अक्षिता को किसी से घुलना - मिलना पसन्द नहीं था, इसलिए अक्षिता ने खाने से मना कर दिया। पर खुशी ने फिर कहा, "प्लीज अक्षिता! मेरे टिफिन से नाश्ता ले लो, वरना भूखी रह जाओगी।"
अक्षिता ने झिझकते हुए खाना शुरू कर दिया। खुशी के टिफिन में दो परांँठे रखे थे, एक - एक दोनों ने खाया। अक्षिता रोज एक सेब लेकर आती थी, अक्षिता ने भी आधा सेब खुशी को दिया और आधा स्वयं खाया। आज वो एक परांँठा और आधा सेब दोनों को प्रतिदिन से ज्यादा स्वादिष्ट लगा। अक्षिता और खुशी की अच्छी दोस्ती हो गयी। फिर तो खुशी ने अपने बाकी दोस्तों से भी अक्षिता की दोस्ती करवायी। अक्षिता को भी सभी के साथ बातें करके बहुत अच्छा लगा। वह सोच रही थी कि वह तो इन लोगों के साथ तो वह बात करना पसन्द नहीं करती थी, तब भी खुशी ने उसकी मदद की। अब अक्षिता की समझ में आ गया था कि अपने आस - पास के लोगों की मदद करनी चाहिए, तभी कठिन समय में आवश्यकता पड़ने पर हमें भी उनसे मदद मिलती है।

संस्कार सन्देश: -
अपने आस - पास के लोगों से मिल - जुलकर रहना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए।