two fairies and a prince in Hindi Horror Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | दो परियाँ और एक राजकुमार

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दो परियाँ और एक राजकुमार

दो परियाँ और एक राजकुमार

एक बार दो परियाँ और एक राजकुमार के साथ कहीं बाहर जा रही थीं। एक परी का नाम अक्षिता और दूसरी का नाम अवनी था। दोनों बहुत ही सुन्दर और बुद्धिमान थीं। राजकुमार का नाम अनीश था। अक्षिता परी की शादी राजकुमार से तय हो चुकी थी। वे तीनों जब घूमने एक घने जंगल में जा रहे थे, तो उसी जंगल में एक जादूगरनी रहती थी। उसने जैसे ही राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गयी। उसने मौका मिलने पर राजकुमार से कहा कि - "राजकुमार ! तुम इन दोनों पारियों के साथ कहाँ जा रहे हो ?"
राजकुमार ने उत्तर दिया - "ये दोनों अक्षिता और अवनी परी हैं। अक्षिता परी मेरी होने वाली पत्नी है। मैं इनके साथ घूमने जा रहा हूँ। आप कौन हैं ?" राजकुमार के इस प्रकार पूछने पर जादूगरनी ने जवाब दिया - "मैं एक जादूगरनी हूँ। इस जंगल में रहकर तपस्या और मन्त्र जाप करती हूँ, ताकि मैं अपनी सिद्धियाँ बढ़ा सकूँ।"
"ठीक है।" यह कहकर राजकुमार आगे बढ़ने लगा। तभी जादूगरनी ने राजकुमार का हाथ पकड़ लिया और बोली - "इन परियों का कोई भरोसा नहीं है। ये जाने कब अपने लोक को चली जायें, तुम इनका साथ छोड़ दो और मेरे साथ रहो, मैं तुम्हें पलकों पर बैठाकर रखूँगी।"
राजकुमार ने कहा कि - "नहीं, मैं अपने वचन को नहीं तोड़ सकता। मेरा विवाह उससे होना निश्चित है।" जादूगरनी ने कहा कि - "अगर तुम नहीं मानोगे तो मैं तुम्हें जानवर बना दूँगी।"
"इसके अलावा तुम और कर भी क्या सकती हो ? तुम ये भी करके देख लो, शायद तुम्हें परियों की शक्तियों का अनुमान नहीं है ?"
जादूगरनी ने राजकुमार को जादू से घोड़ा बना दिया। परियों ने जब घोड़ा बने राजकुमार को देखा तो वे सब कुछ समझ गयीं। उन्होंने उसे एकान्त में ले जाकर पुनः राजकुमार बना दिया। अब वे तीनों जल्दी से जंगल पार करने लगे।
जब जादूगरनी ने देखा कि राजकुमार अपने असली रूप में आ गया है तो उसने फिर से चुपके से उसे चींटी बना दिया ताकि उसे परियाँ देख न सकें। लेकिन परियों को तुरन्त इस बारे में पता चल गया और उन्होंने पुनः राजकुमार को असली रूप में ला दिया। अब परियों ने सोचा कि इस जादूगरनी को सबक सिखाना होगा। ऐसा निश्चय करके दोनों ने राजकुमार को एक जगह छिपा दिया और वे दोनों उस जादूगरनी को ढूँढ़ने लगीं। उन्होंने अपनी विद्या से जादूगरनी को ढूँढ़ - कर उसका समस्त जादू नष्ट करके उसे बन्दी बना लिया और आगे बढ़ गयीं। जब जादूगरनी ने देखा कि मेरा जादू काम नहीं कर रहा है, तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने दोनों परियों और राजकुमार से अपनी रिहाई के लिए बहुत प्रार्थना की। परियों ने उसे छोड़कर कहा कि - "अगर फिर कभी तुम किसी पर स्वार्थ या द्वेषवश अपनी विद्या का प्रयोग करोगी तो तुम्हारी समस्त विद्याएँ पुनः नष्ट हो जायेगीं।" यह कहकर दोनों परियों ने जादूगरनी को छोड़ दिया और राजकुमार के साथ आगे बढ़ गयीं।

संस्कार सन्देश :- हमें स्वार्थवश किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए, अन्यथा एक दिन स्वयं की हानि होती है।