फिल्म समीक्षा - मैं अटल हूँ
फिल्म मैं अटल हूँ भारत के 10 वें प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी पर आधारित फिल्म है जो कुछ ही दिन पहले रिलीज हुई है . फिल्म के निर्माता विनोद भानुशाली , कमलेश भानुशाली और संदीप सिंह हैं . इसके निर्देशक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रवि जाधव हैं और कहानी रवि जाधव और ऋषि वीरमणि ने लिखी है .
कथानक - जहाँ तक फिल्म की कहानी का प्रश्न है स्वाभाविक रूप से दर्शकों को लगेगा कि वे इसे पहले से जानते हैं हालांकि अटल जी के जीवन के सभी पहलुओं से विरले ही कोई परिचित होगा . उनका राजनैतिक सफर बहुत लंबा रहा है और वे देश ही नहीं विश्व के प्रतिष्ठित राजनेताओं में एक थे . फिल्म में उनके कई रूप देखने को मिलेंगे - बचपन से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के सफर का . उनके दलगत राजनीति से परे एक सफल राजनेता , मित्र , देशभक्त , कवि , इंसान , और पुरजोर वक्ता सभी पहलुओं को पर्दे पर बखूबी दिखाया गया है . इतिहास के अनेक घटनाओं के बीच अटल जी के जीवन के सभी पहलुओं का फिल्मांकन किया गया है जिनमें इमरजेंसी , पोखरण परमाणु परीक्षण , मात्र एक वोट से संसद में उनकी सरकार की पराजय , कारगिल विजय , लाहौर बस यात्रा आदि शामिल हैं . फिल्म में उनके बचपन , कॉलेज का भी कुछ अंश दिखाया गया है और किस तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े दिखाया गया है . इसके अतिरिक्त फिल्म में अटल जी का कॉलेज में एक लड़की ( एकता कौल राजकुमारी कौल के रूप में ) से प्रेमकथा की एक झलक भी है .
कहा जाता है कि अटल जी का EQ इमोशनल कोटेंट ( भावनात्मक गुणक ) बहुत ज्यादा था और उनके किरदार को निभाना आसान नहीं होगा . उनके चरित्र को पर्दे पर दिखाना एक चुनौती और जोखिम भरा काम था जिसे पंकज त्रिपाठी ने ईमानदारी से कमाल कर निभाया है . इस फिल्म के द्वारा पंकज ने बॉलीवुड में एक अलग ख्याति प्राप्त किया है और अपनी प्रतिभा का अमिट परिचय दिया है . पंकज का अटल जी के अंदाज़ में भाषण और कविता पाठ देख कर दर्शक को लगेगा कि वह अटल जी को देख और सुन रहा है . ऐसा लगता है जैसे कि यह फिल्म पंकज त्रिपाठी की फिल्म है . अटल जी के पिता के किरदार में पीयूष मिश्रा का अभिनय भी सराहनीय है .
फिल्म के निर्देशन में रवि जाधव ने भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है . आजकल की फिल्मों से हटकर एक ऐसी फिल्म जिसमें ग्लैमर और सस्ता मनोरंजन नहीं होने पर भी निर्देशक ने इस तरह पेश किया है कि फिल्म बोरिंग नहीं लगती है हालांकि शुरू में फिल्म कुछ स्लो लगती है पर बाद में रफ्तार ठीक है . इस फिल्म को सिर्फ मनोरंजन की द्दृष्टि से देखना शायद रुचिकर नहीं लगे . बावजूद इसके ख़ास कर आजकल के युवाओं को यह फिल्म देखनी चाहिए जिस से वे कुछ प्रेरणा ले सकें और शायद भविष्य का राजनेता कैसा होना चाहिए इस पर गंभीरता से सोच सकें .
फिल्म का संगीत सलीम मर्चेंट और सुलेमान मर्चेंट का है और इसके गाने फिल्म की कहानी के अनुरूप सही हैं .
यह फिल्म एक लो बजट फिल्म है . फिल्म में कोई स्टार परफॉर्मर नहीं होने से बॉक्स ऑफिस पर शायद सफल न भी हो पर यह एक साफ सुथरी फिल्म है जिसे परिवार के साथ देखा जा सकता है .
यह फिल्म निजी तौर पर 10 अंकों में 7 का अधिकार रखती है .