Wo Ankahi Bate - 12 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 12

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वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 12

चांदनी तो मुझे शाय़द समझना ही नहीं चाहती थी उसे शायद प्यार ही नहीं था।

यश ने कहा हां, पर क्या मां ने आपसे समझौते का प्यार किया था पापा??


बिमल ने कहा अरे ये तो पुरी कहानी सुनने के बाद ही समझ जाओगे कि समझौते का प्यार या अनोखा प्रेम या मिसाल देने वाला प्यार।।
क्या समझौते का प्यार नहीं होता है
ये तो प्यार है बस हो जाता है और फिर रहा नहीं जाता कुछ कहा नहीं जाता।।
इन्सान के वश में कहां कुछ होता है वो तो बस हो जाता है ,खो जाता है,खो जाता है, ये कहते हुए बिमल रो पड़े।

रिचा ने कहा अगर सच्चे मन से किसी को चाहो तो एक समय बाद वो आपकी हो जाएगी है ना अंकल।।
बिमल ने कहा हां बिल्कुल ठीक कहा तुमने पर कभी कभी जल्दी सब कुछ मिल जाता है और कहीं नहीं मिलता। वैसे मैं तो एक बहुत ही successful Business man था पर देखो प्यार की कहानी में शायद पीछे रह गया था।।
यश ने कहा आप ने मां में ऐसा क्या देखा था?
बिमल ने कहा चांदनी का मन बहुत ही खूबसूरत था भले ही वो चहरे पर मेकअप नहीं करती थी पर उसमें कुछ तो खास था जिसे देख मैं मुग्ध हो गया और फिर चांदनी में सादगी, सच्चाई, शीतलता, कोमलता और सब कुछ आता था उसे।।
यश ने कहा हां, इसलिए तो वो जाने के बाद भी आपके दिल में है।।


पर मुझे तो उसके दिल का हाल लेना था और साथ ही अपना हाले दिल बताना था।
इसलिए मैं किसी भी तरह उसके घर का पता, फोन नंबर ये सब जानने की कोशिश में था।। उसका कोचिंग से लेकर घर तक का रास्ता मै पता कर चुका था।
यश ने कहा ओह माई गॉड पापा आप इतने होशियार!

बिमल ने कहा हां फिर।
रिचा ने कहा आगे क्या हुआ अंकल?
बिमल ने कहा आगे तो मुश्किलें बहुत थी पर हौसले बुलंद थे।
एक दिन मंदिर में चांदनी को देखा क्योंकि वो हर शनिवार को मंदिर जाती थी तो बस मैं भी जाने लगा।।

एक-दूसरे को हम देखते ही नहीं थे। और फिर एक दिन चांदनी ने मुझसे पूछा कि क्या हम एक दूसरे को जानते हैं?
बिमल ने कहा यहां पास में एक केफै है वहां चले।
फिर दोनों वहां गए।
चांदनी ने कहा अरे आप तो मेरे पीछे पड़ गए क्या बात है?
बिमल ने कहा हां,मेरा मतलब है कि जब से आपको देखा है तो बात करने का बड़ा मन हो रहा था। चालाकी से मैंने अपनी बात पलट दीचांदनी ने कहा अरे बाबा मुझे कोई policy नहीं चाहिए हां!!
बिमल ने हंसते हुए कहा क्या मैं आपको एजेंट लगता हुं?
चांदनी ने कहा और क्या?टाई लगा कर घुम रहे हैं।
फिर बिमल ने कहा सच मानिए मेरा ऐसा इरादा नहीं है। मैं तो दोस्ती करना चाहता हूं।।
चांदनी ने कहा अरे बाबा ये दोस्ती का चक्कर है!
बिमल ने कहा हां, एक सच्चा दोस्त!
चांदनी ने कहा यहां पर इतनी परेशानी है इनको दोस्ती करना है।।
बिमल ने कहा हां, क्या एक दोस्त दूसरे दोस्त के काम नहीं आता है क्या परेशानी है बताईए ना?
चांदनी ने कहा नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है मुझे अब जाना चाहिए।।

चांदनी उठने लगी तो बिमल ने कहा अरे बाबा यहां पर एक कप चाय या कॉफी तो पीकर जाइए।
चांदनी ने कहा नहीं, मुझे जाना होगा।।
और फिर चांदनी चली गई।।
अब बिमल वहां पर बैठ कर सोचने लगा कि आखिर बात क्या है चांदनी को क्या परेशानी है?
फिर बिमल घर वापस आ गए।।
और फिर रात भर सोचता रहा कि आखिर क्यों चांदनी को मैं अपनी दिल की बात नहीं बता पाया।।जब भी उसकी आंखों में देखता हूं तो