THE GREAT MURDERER MYSTERY in Hindi Crime Stories by Bhumesh Kamdi books and stories PDF | THE GREAT MURDERER MYSTERY

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THE GREAT MURDERER MYSTERY

                                                                                 The Great Murderer Mystery

 

  अनिरुद्ध आज फिरसे hospital आया था । reception पर बैठ हुआ आँखों को मूँदे कुछ सोच रहा था, पिछले 3 महीने मे ये उसका 8 वा चक्कर था । डॉक्टर अस्थाना कुछ और patient को

देखने मे वयस्थ  थे । पर वो कैबिन के खिड़की से अनिरुद्ध को साफ देख सकते थे । अनिरुद्ध कभी उनका assistant हुआ करता था पर जब उसकी ट्रैनिंग खतम हुई तो खुदकी प्रैक्टिस शुरू

कर दी पर शायद उसे ये न पता था की वो खुद डॉक्टर अस्थाना का patient बन जाएगा । जब patients निपटे तो अस्थाना ने आवाज लगाई ।

 

Next, इस अचानक आवाज ने मानो अनिरुद्ध को गहरी नींद से उठा दिया । कुछ पल वो इधर उधर देखता रहा, शायद वो भूल गया था की वो अस्पताल मे है । अपनी परची ली और डॉक्टर की

कैबिन मे चला  गया।

 

आओ.... और दरवाजा लगा दो , क्या कुछ फिरसे हुआ है? अस्थाना गंभीर हुए अनिरुद्ध को ताख रहे थे।

 

मायूस अनिरुद्ध धीरे से पड़े सामने स्टूल पे बैठ गया।

डॉक्टर मेरा सिर फटने को है ,समज नहीं आरहा है की मेरे साथ क्या हो रहा है ? आपने तो कहा था hallucinations है, थोड़ा आराम और दवाइयों के बाद ठीक हो जाऊंगा पर ये प्रॉब्लेम्स तो

बढ़ती ही जा रही है । कल जो मेने देखा वो तो दिल दहलदेने वाला था , इतना कह उसके शब्द दबने लगे।

 

साफ साफ बताओ इसबार क्या देखा तुमने ?  डॉक्टर ने पेन और पेपर हाथमे ले लिया ।

 

मेरे हाथ खुनसे रंगे थे, किसी व्यक्ति को मे बिना रुके बारबार मारता जा रहा था , हाथमे एक बाद खंजर था जिसकी धार उस आदमी को भेदते उसके शरीर को खुनसे लतपत किए जा रहा था ।

 

अस्थाना के हाथ कुछ पेपर पर लिखने लगे , क्या तुम अपनी सारी medicines ले रहे हो, मेरा मतलब है कही कुछ इधर उधर तो नहीं हो रहा ?

 

नहीं डॉक्टर , हर दवा टाइम से लेता हूँ पर जो समस्या कम होनी चाहिए वो तो बढ़ती जा रही है । मेरा लोगों को मारना ,उनका चीखना सबकुछ सच लगता है । कभी तो ऐसा लगता है की जैसे ये जिंदगी मेरी झुटी हो और वो ज़िंदगी वो सच हो। अगर ऐसा चलता रहा तो मुझे डर है कही मे सच मे लोगों को न मारने  लगु ।

 

हम कुछ दवाये बदल सकते है शायद कुछ फायदा हो, ये सब बस hallucinations है nothing else , एक काम करते है therapy का इस्टमाल करते है । डॉक्टर वीना hypnotherapy मे माहिर है पहले भी उन्होंने कुछ critical केसेस हैन्डल किए है, मे refer कर देता हु, उनसे अभी मिलों आज Thursday भी है वो सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक बैठती भी है , अस्थाना ने prescription लिख दी और उसके बाद अनिरुद्ध डॉक्टर वीना से मिला ।

 

वीना सबकुछ सुनने के बाद अनिरुद्ध को कुछ पल देखती रही और फिर एक अजीब प्रशन सवाल पूछ बैठी । क्या आपको अंदर से भी ऐसेही फ़ील होता है , I mean.. to kill  somebody ?

 

No, डॉक्टर बिल्कुल नहीं , हा पर वो चहेरे जिनको मे मारता हूँ वो जाने पहचाने से लगते है जैसे मेने उनको आमने सामने से देखा हो, अनिरुद्ध को अहसास था की वो जो महसूस कर रहा है वो बस एक भ्रम नहीं है।

 

पहेला कत्ल नीद मे कब किया तुमने और कैसे ? कुछ बात सकते हो , वीना अनिरुद्ध को बारीकी से निहार रही थी।

 

एक किल्ले मे धारदार तलवार से कोई 6 फुट लंबा व्यक्ति होगा सावले रंग का , उसने अजीब सी पगड़ी पहेनि हुई थी हाथों मे लोहे का कडा था।  उसकी तो आंखे भी निकाली थी मैंने मारने के बाद, पर असल जीवन मे तो मैं मक्खी मारने से भी 2 बार सोचता हु, वो मे तो बिल्कुल नहीं था ।

 

Let’s try therapy then , कोशिश करते है तुम्हारे subconscious mind  मे जाने की , वहा से कुछ मिल सकता है।

 

पर इससे क्या फायदा होगा ? अनिरुद्ध की हिचकिचाहट दिख रही थी ।

 

कोशिश कर सकते है । कमसे कम तुम्हारे ट्रीट करने का तरीका पता चल जाएगा । वीना के जोर देने पर अनिरुद्ध therapy session के लिए मान गया ।

 

उसे एक सोफे पर लिटाया गया और आँखों के सामने एक रोशनी जला दी गई , धीरे-धीरे डॉक्टर के बताए अनुसार वो सोने लगा और खुदके भीतर झाकने लगा।

 

पर वो तो एक तलब के किनारे खड़ा था, सामने एक पुराना घर था जिसके बाहर एक बूढ़ा व्यक्ति मिट्टी के बर्तन बना रहा था । अनिरुद्ध बिना रुके उसकी और बढ़ने लगा और उसके करीब जा उसका सर जमीन पे दे मारा , बूढ़ा व्यक्ति दर्द मे चीखने लगा और उसके सर से खून की धारा बहने लगी । जाने क्यूँ अनिरुद्ध सुकून महसूस कर रहा था , अचानक उसे आवाज आने लगी।

 

Wake  up wake up अनिरुद्ध,,, ये डॉक्टर वीना की आवाज थी उसने धड़मसे चौकते हुए आंखे खोली सामन डॉक्टर बैठी थी, उनका चहेरा उतरा हुआ था।

 

कुछ कुछ अजीब हुआ मेरे साथ, मैंने फिरसे किसी को मारा! अनिरुद्ध पसीने से दरबदर था।

 

I think तुम्हारा दिमाग किसी और की memory play कर रहा है जब भी तुम comfort zone मे जाते हो वो स्विच हो जाता है और तुम्हें किसी और की यादे दिलाता है , डॉक्टर गहरे सोच मे पड़ गई।

 

आप कहना चाहती है? जो लोगों को मार रहा है वो मे नहीं बल्कि कोई और है , और मेरा दिमाग उसकी जगह मुझे रख देता है।

 

कुछ ऐसा ही , पर ऐसा होना भी almost impossible है , क्या तुमने अभी जिसे मारा उसका चहरा तुम्हें याद है ? वीना ने अपना फोन उठा दिया।

 

हा ... अभी तो याद है, अनिरुद्ध ने हामी भरदी । 

 

वीना के कहने पर स्केच आर्टिस्ट को बुलाया गया उस बूढ़े का चहेरा अब सबके सामने था , पर वो बूढ़ा था कौन ? अभी पता करना भी बड़ा सवाल था ।

 

स्केच वाले बूढ़े को खोजने की कोशिश किए जाना लागि की कुछ पता चल जाए पर निराशा ही हाथ लगी । अनिरुद्ध का दोस्त intelligence bureau (IB) मे था पर वो भी नाकाम हुआ । लगबग एक हफ्ता कुछ ऐसेही बीत गया पर अनिरुद्ध ये न जान पाया की उसकी ये यादे आखिर है किसकी और वो लोगों को मारता क्यूँ है ?

आज की रात वो चीखता हुआ खड़ा उठ पड़ा , आज तो हद हो गई सपने मे उसने रस्सी से लटकाकर मार दिया था और उसे पेड़  पर लटकता छोड़ दिया वो कोई युवराज... था नाम क्या था ? अनिरुद्ध दिमाग पर जोर देने लगा उसने नींद मे एक कागज पर देखा था, पहली बार ऐसा हुआ था की अनिरुद्ध को मृतक का नाम मालूम चला था।

हा , राघव सिंघ पिंडी ।

हा यही नाम था, अनिरुद्ध ने ये नाम इंटरनेट पर खोजना शुरू किया , सामने एक आर्टिकल था ।

 

पूर्वी भारत के मोहनपुर का राजा निहाल सिंघ पिंडी अंग्रेजों से लड़ते शहीद होगए और उनके मरते ही उनके बेटे युवराज राघव सिंघ पिंडी को उनके छोटे भाई ने मार दिया । अनिरुद्ध ने युवराज की तस्वीर खोजने की बहोत कोशिश की पर कुछ हाथ न आया ।

 

डॉक्टर वीना ने जब ये बात सुनी तो हैरान थी , मेरे हिसाब से तुम्हें उस जगह जाना चाहिए क्या पता कुछ मालूम होजाये ।  

 

अनिरुद्ध बिना देरी किए मोहनपुर पहुच गया। किल्ले को अब एक बाद होटल ग्रुप चलाता था , अंदर एक museum भी बना था जिसमे सभी राजाओ की तस्वीर लगी थी जो उस किल्ले मे रह चुके थे । सन 1750 से 1955 तक उन तस्वीरों मे युवराज तो ना मिला, पर एक किताब मे जब वो पन्ने पलट रहा था तो एक फोटो को देख ठहर गया। 

राघव सिंघ पिंडी जन्म, 1880 मृत्यु 1901.  वो तस्वीर उसी लड़के की थी जिसको उसने नींद मे देखा था और मार दिया था ।

कही , कही ये, मैं तो नहीं जो पिछले जन्म मे हत्यारा था । लोगों को मारने मे मुझे सुकून मिलता था, ये सोच मे  अनिरुद्ध को मनही मन डर बढ़ रहा रहा ।

 

डॉक्टर अस्थाना और डॉक्टर वीना को जब अनिरुद्ध ने युवराज की सच्चाई बताई तो दोनों ने डॉक्टर शेखावत (EX. Army SF Medical Unit) से परामर्श लेने की सलाह दी ।

 

अनिरुद्ध जब डॉक्टर शेखवात से मिला तो डॉक्टर का पहेला सवाल यही था, "तुमने ये पता किया की तुम्हारा कही मोहनपुर से कोई लेनादेना तो नहीं ?"

 

अनिरुद्ध इस प्रश्न से हैरान था, अगर होता तो पता ही होता, पर ऐसा कुछ नहीं है।

 

तुम्हारे दादाजी के पिताजी ,, या फिर उनके पिताजी ? वो भी तो हो सकते है , शेखावत मानो जानते थे की वो किस बीमारी का इलाज कर रहे है ।

 

मे,, मैं,, समझा नहीं? उनका मुझसे या मोहनपुर से क्या लेनादेना ? अनिरुद्ध भ्रमित लग रहा था।

 

Genetic Memory पहले कभी ये शब्द सुना है ?

 

नहीं ।

 

Genetic memory कुछ memories को genes के सहारे आगे के generations को आगे transfer कर देती है । मुझे ऐसा लगता है, ये memories जो तुम देखते हो तुम्हारी नहीं तुम्हारे पूर्वज की है।  उनमेसे कोई हत्यारा था या यू कहे लोगों को मारना उनका पेशा था।  डॉक्टर की ये बाते सुन अनिरुद्ध लाल-पीला हो गया ।

 

किस तरह की बातें कर रहे आप , जबान संभाल कर बात करिए ,, अनिरुद्ध ग़ुस्से मे बोल पड़ा ।

 

जो सच है, अ सुन लीजिए , जिनको भी तुम देख रहे हो उन सबको तुम्हारी किसी एक पूर्वज ने मारा है और उनकी हतयाए इतने निर्मम थी की   subconscious mind  मे रह गई और फिर Genetic memory के माध्यम से तुम्हें मिल गई । मेरा मतलब तुम्हारी बॉडी मे express कर रही है वो genes ,अपने आपको , ऐसे genes एक आयु के बाद खुद को express करती है । और ये कब ऐसा करेगी इसका कहना मुश्किल है ।

 

डॉक्टर शेखावत ही हिसाब से अनिरुद्ध का नींद मे लोगों का मारना genetic reason के वजह से था पर अनिरुद्ध को यकीन ना था।  उसने अपनी खोज जारी रखी और एक दिन उसने अपने पूर्वज के बारे मे पता किया जिसका नाम पहेलवान डाकू बहरम था और जिसका जन्म 1870 के आसपास हुआ था।

बहरम पेशेवर एक हत्यारा था जो पैसों के खातिर लोगों को मौत के घाट उतरता था । जिन जिन लोगों की हतयाए अनिरुद्ध ने स्वप्न मे देखि थी उन सबको बहरम ने मारा था ।

लगबग 45 की उम्र तक अनिरुद्ध ये स्वप्न देखता रहा और फिर अचानक वो स्वप्न खुदब खुद ही बंद हो गए।    

 

{ This story is dedicated to patience who were dealing with psychological disorder. Story Highlights on term "Genetic Memory". Other Names and places were changed for the story purpose only.}

                                                               

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