Hotel Haunted - 53 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 53

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 53

मैने हॉल मैं नीचे आकर देखा तो कोई नही था इसलिए मैं एक कोने मैं खड़े होकर इंतजार करने लगा तभी मुझे किसी के कदमों की आवाज सुनाई दी मैने उस ओर देखा तो आंशिका सीढ़िया उतरती हुई नीचे आ रही थी पर उसका चेहरा मुरझाया हुआ लग रहा था,उसने हॉल मैं अपनी नजर घुमाई तो एक कोने मैं मेरे अलावा कोई दिखाई नही दिया,वो मेरे पास आई कुछ कहना चाहती थी पर मैने उसकी और ध्यान नहीं दिया इसलिए कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद वो आगे बढ़ गई तभी उसके सर मैं बहुत तेज़ दर्द शुरू हो गया जिसकी वजह से वो हल्की सी चिल्लाती हुई बेहोश होकर गिर पड़ी,उसे इस तरह गिरते हुए देखकर मैं चीखते हुए उसकी और बढ़ गया,मैने उसके चेहरे को हिलाते हुए उसे होश मैं लाने की कोशिश की पर वो बेसुध सी मेरे बाहों मैं पड़ी थी,उसकी यह हालत देखकर मैं समझ गया की उसे migration की वजह से ही चक्कर आए है पर कही उसने अपनी दवाई लेने बंद तो नही कर दी?उसे इस हालत मैं देखकर दिमाग मैं कई सवाल दौड़ रहे थे,कुछ देर बाद उसकी आंखो मैं हलचल हुई तो मेरा दिल थोड़ा शांत हुआ,मैने उसे chair पर बिठाया और उसके हाथों को थामकर वही बैठ गया।


उसके चेहरे को सहलाते हुए मैं उसे उठाने की कोशिश करने लगा,"श्रेयस?!!" उसने जब मेरा नाम पुकारा तो एक बार दिल सुकून भरे एहसास से भर गया,मैने जब गौर किया तो पाया की मेरी आंखें एक खुशी भरे एहसास से नम हो गई थी,उसने अपनी आंखें खोली पर अभी भी उसे हल्का सा धुंधला दिख रहा था,"आंशिका तुम ठीक तो हो ना?" मेरी बात सुनकर उसने मुस्कुराते हुए कहा,"ऐसा हर बार कैसे होता है की जब भी मैं गिरती हूं तो तुम हमेशा मुझे संभालने के लिए पहुंच जाते हो।"मेरे चिल्लाने की वजह से सब लोग अपने कमरे से निकलकर हॉल मैं इकट्ठा हो गए थे,मैं अभी बहुत कुछ कहना चाहता था पर पता नही कब भाई ने मुझे धक्का देते हुए आंशिका से दूर कर दिया, यह देखकर आंशिका कुछ बोलने वाली थी पर कमजोरी की वजह से वो चुप रही, सब लोग उसे घेरकर खड़े थे और मैं नम आंखें लिए उनसे दूर हो गया,मैं ऊपर जाने के लिए पीछे मुड़ा तो मेरी नजर ट्रिश से टकराई जो आंखो मैं कई सवाल लिए पता नही कब से मुझे ही देख रही थी,मैं बिना कुछ बोले सीधा उपर की ओर कॉरिडोर मैं पहुंच गया।


वहा पहुंचकर मैं दीवार का सहारा लेकर खड़ा हो गया,तेज़ सांसों के साथ मैने नीचे देखा तो आंशिका अब बिल्कुल ठीक थी पर उसकी नज़र किसी को ढूंढ रही थी,जिसे देखकर मैं आंखें बंद करके वही बैठ गया पर एक बात आज मुझे समझ मैं आ गई कि जिस प्यार से मैं कबसे दूर जाना चाहता था वो कभी मुझसे दूर गया ही नहीं था,मैं चाहे जितना उसे दूर करने की कोशिश कर लूं पर वो हमेशा मेरे अंदर ही बसा रहेगा,यह सब सोचते हुए मुझे मां की बात याद आ गई, इन सब बातो के बारे मैं सोचकर मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था पर आज मैं खुश था क्योंकि आज भी मैं उससे उतना ही प्यार करता था इसलिए मैं खड़ा हुआ और आंखो को बंध करके उसका नाम पुकारा,"आंशिका...." वो आवाज खाली कॉरिडोर मैं गूंज उठी और मैने जब आंखें खोली तो सामने ट्रिश को खड़ा पाया,जो हैरानी भरे नजरो से मेरी ओर ही देख रही थी,उसे देखकर मैने अपनी नजरे झुका ली,जिस बात को मैने कबसे अपने अंदर दबाकर रखी थी वो मेरी आंखों से जाहिर हो गई थी यह सोचकर मेरी आंखों से वो दर्द बह निकला,वो मेरे पास आई और मेरे चेहरे को ऊपर करते हुए एक ही सवाल किया,"तुमने मुझे अभी तक बताया क्यों नहीं?"उसकी यह बात सुनकर मैं फिर घूम गया क्योंकि आज मां के बाद पहली बार मेरे प्यार के बारे मैं किसी से ज़िक्र कर रहा था,उसने फिर कहा,"कब से?"इस बार मैने उसकी ओर देखा,"जब उससे पहली बार मिला था तब से लेकर हमेशा से....." यह बात कहते हुए मेरे होठ कांप रहे थे,यह सुनकर वो अपने emotions रोकने की कोशिश कर रही थी पर वो नाकाम रही और वो दौड़कर मेरे गले लग गई,"इतनी बड़ी बात तूने मुझे पहले क्यों नहीं बताई?"


"शायद मुजमे तुझे या किसी और से बात करने की हिम्मत ही नहीं थी।" यह सुनकर उसने अपनी बाहो की पकड़ मजबूत कर दी,ऐसा लगा मानो वो मुझे आखिरी बार गले लग रहीं हो और वो इस एहसास को अपने अंदर बसा लेना चाहती हो,उसके आंखो से निकलती धारा कुछ देर तक ऐसे ही मेरी बाहों को भिगोती रही और उसने अलग होते हुए कहा,"अच्छा,चल आज उससे चलकर यह बात बता देते है।" यह कहकर वो मेरा हाथ पकड़कर नीचे के जाने लगी पर मैंने अपने कदम वही रोकते हुए कहा,"ट्रिश नही प्लीज़,मैं ऐसा नही कर सकता"
मेरी बात सुनकर उसने मेरी तरफ देखकर गुस्से मै कहा,"पर क्यों?क्या उसे तुम्हे इस तरह देखकर भी समझ नही आता?" मैने उसके चेहरे को हाथो मैं लेकर कहा,"मैं तुम्हारे जज़्बात समझता हूं पर वो मेरे भाई की Girlfriend है और मैने मां से वादा किया था कि मैं हमेशा उसका खयाल रखूंगा।"
"अच्छा तो फिर जब तक ऐसे ही अपने प्यार को अंदर दबाकर घूमते रहोगे?" उसकी बात सुनकर मैने नीचे आंशिका की और देखकर कहा,"पता है ट्रिश,मां हमेशा कहती थी हम किसी से प्यार करते है तो जरूरी नहीं को बदले मैं वो इंसान भी हमसे प्यार करे,अगर हम जबरदस्ती उस प्यार को जताकर उसे पाने की ख्वाहिश रखते है तो वो बस एक दिखावा बनकर रह जाता है।"मेरी बात सुनकर ट्रिश बेसुध सी वही खड़ी रही,उससे देख ऐसा लगा मानो इस बात ने इसके मन पे बहुत गहरा असर किया हो।


आखिरकार मैने उसके पास जाकर उसे गले लगाकर कहा,"दूसरा कोई नही तो कम से कम तुम तो मेरी बात समझने की कोशिश करो" यह सुनकर वो शांत हो गई और आखिरकार मैने उसके चेहरे को देखा तो उसके चेहरे पर हल्का सा काजल फैल गया था,"चलो अपने चेहरे को साफ करके नीचे चलते है अगर इस तरह नीचे गए तो सब लोग तुम्हे ही भूत ना समझ ले?" यह कहकर मैं मुस्कुराने लगा तो उसने मुझे हल्का सा मुक्का मारा और वो अपने कमरे की ओर चली गई,अपने कमरे मैं पहुंचकर उसने डोर को लॉक किया और दरवाजे के सहारा लेकर वही बैठ गई,उसका चेहरा लाल पड़ चुका था जैसे अपने जज्बातों को कबसे अपने अंदर दबा रखा हो,"श्रेयस काश तुम भी समझ पाते" इतना बोलते हुए उसके सब्र का बांध टूट गया और उसके आंखे बह निकली,उसने अपने दोनो हाथो से मुंह को दबा दिया ताकि उसकी आवाज कमरे से बाहर ना जाए,वो अपनी दिल की बात किसी से कहना चाहती थी पर आज उसके पास कोई नही था,उसकी आंखो से आंसू ऐसे बह रहे थे मानो आज वो अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी हार का सामना कर रही हो,आखिरकार वक्त ने उसकी जिंदगी से प्यार को भी छीन लिया था।


हॉल में हल्का हल्का म्यूजिक चल रहा था, सबके हाथो के glass drinks से भरे हुए थे और उसके साथ सभी लोग गेम का मजा ले रहे थे,"Okay okay My turn" प्राची ने ग्लास ऊपर उठाते हुआ कहा,"मैंने कभी किसी लड़की को किस नहीं किया" शरारती मुस्कान के साथ प्राची ने कहा और फिर गिलास से एक घूंट गटक लिया और सबको देखने लगी, वहां बैठे सभी लोग कुछ पल बैठे रहे फिर एक - एक कर सभी लड़को ने सिप लिया जो कि सबके लिए नॉर्मल था लेकिन सब लोग चौंक गए जब जेनी भी ने सिप लिया, सिप लेते ही मिस इतनी शरमाई की उसका पूरा चेहरा लाल हो गया, बाकी बैठे सब चिल्लाते हुए उन्हे cheer करने लगे, मैं और ट्रिश नीचे आए तो देखा सब लोग मुस्कुरा रहे लेकिन मेरी नज़र सीधे आंशिका से मिल गई जो भाई के पास बैठी मुस्कुरा रही थी।


"अरे ट्रिश, वहां क्यों खड़े हो तुम दोनों, Come on यार इधर आओ, बहुत मजा आ रहा है"श्रुति ने चिल्लाते हुए कहा।
"Ya sure" ट्रिश ने अपने चेहरे पर फीकी मुस्कान लाते हुए कहा और हम दोनो सबके साथ जाकर बैठ गए पर इन सबसे बेखबर सब लोगो को नही पता था की उपर जूमर के पास बैठा उन्हे कोई देख रहा है और उसका गुस्सा पल पल बढ़ता जा रहा है,अपनी लाल आंखो से वो गुराते हुए सबको देख रही थी।
'भूम्म....' अचानक हॉल में लगा लैंप फूट गया जिसकी आवाज सुनते ही सबकी नजर उसकी तरफ चली गई, अचानक से हुई आहट ने सभी के दिलो की धड़कने बढ़ गई और उस मस्ती भरे माहौल मैं शांति छा गई लेकिन शायद ये तो अभी शुरूआत थी, अभी कोई कुछ बोलता उसे पहले 'भुम्म....' फिर से एक लैंप फूट पड़ा और इस बार यह सब सबकी आंखों के सामने ये हुआ,उसके बाद एक-एक कर वहां लगे सारे लेंप्स ज़ोर - ज़ोर आवाज़ करते हुए फूट गए, ऐसा देखते ही सब अपनी जगह से खड़े हो गए और इस चौंकने वाले दृश्य को देखने लगें क्योंकि ये फूटने का सिलसिला रुका ही नहीं बल्की चला गया,अब हॉल मैं सिर्फ कांच के टूटने और बिखरने की आवाज बची थी।


हॉल मैं अब पूरी तरह शांति छा गई थी,बाहर चल रही तेज़ हवाएं खिड़की पर जैसे अपनी दस्तक दे रही थी,दूर जंगल से आ रही जानवरो के रोने की आवाज़ दिल मैं एक अलग ही डर पैदा कर रही थी,सब लोग इतने सहमे हुए थे मानों उनका कलेजा बाहर आ जाएगा,आसमान मैं छाए काले बादलों ने पूरी तरह से उस जगह मैं अंधेरा कर दिया था तभी उस सुनसान जगह मैं बादलों के टकराने की आवाज गूंज उठी जिसे सुनकर लड़कियो के मुंह से चीख निकल गई जो पूरे रिजॉर्ट मैं फेल गई। बाहर मौसम इस कदर बिगड़ा हुआ था मानो बारिश उस जगह को भिगोने के लिए तैयार बैठी हो।


"अचानक से यह सब कैसे हुआ?" मिस ने बड़ी मुश्किल से कहा।
"यह देखकर तो मुझे पक्का कुछ गड़बड़ लग रही है" मिलन ने भी डरते हुए कहा।
"मिस शायद मिलन ने सही कहा था,हो सकता है ये जगह सचमुच हॉन्टेड हो।"प्रिया ने घबराते हुए कहा,उसकी बात सुन मिस उसे घुरने लगी मानो उसकी बातों को सच मान रही हो,"I Think You Might Be Right" मिस ने आख़िर ना चाहते हुए भी अपनी बात कह दी,"हमें जल्दी से जल्दी यहां से चले जाना चाहिए,I don't want की मेरी वजह से हम सब किसी खतरे में रहे इसीलिए मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती,Everybody Pack Your Bags "मिस की बात सुनकर सब एक दूसरे को घुरने लगे, कुछ पल पहले जहां इतना मजा आ रहा था अब वहां से अचानक जाने की बात को सुनकर सब को बड़ा झटका लगा।


"पर मिस हम वक्त कैसे जा सकते है?" हर्ष ने मिस की बात ख़तम होती ही अपनी बात कही।
“हाँ आंटी, हम ऐसे इतनी रात को इतने ख़राब मौसम मैं नही निकल पाएंगे क्योंकि अंजान इलाका है, ऊपर से मुकेश का भी कुछ पता नहीं है।"विवेक ने हर्ष का साथ देते हुए कहा विवेक की बात सुनकर मैने ट्रिश की तरफ देखा और आंखों से ही उसे पूछा कि मुकेश के बारे मैं उसने मुझे क्यों नहीं बताया?
"मुझे कुछ नहीं सुनना, तुमने देखा नहीं अभी अभी क्या हुआ यहां? क्या पता यहां सच में कुछ हो जो नहीं चाहता हो की हम यहां रहे, अगर तुम सब को कुछ हुआ तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा,मैं अब कोई चांस नहीं लेना चाहती, कल की बात अलग थी कल सिर्फ बातें थी पर आज ये सब, मुझे लगता है मिलन और श्रेयस सही थे, इस जगह पर सच में कोई problem है, we're leaving right now, विवेक किसी भी तरह हमारे वापस जाने का Arrengement करो, पर हम यहां से जा रहे हैं, ये फाइनल है।"मिस ने अपनी बात काफ़ी कठोर भाषा में कहीं और उसकी आवाज़ रिज़ॉर्ट में गूंजने लगी।


"इसको क्या हो गया है, पागल हो गई ये साली, अगर हम अभी चले गए तो मेरा काम तो अधूरा रह जाएगा, कुछ तो सोचना पड़ेगा,कम से कम आज की रात तक तो हमें यहां रुकना ही पड़ेगा, बस आज की रात मिल जाए तो मैं अपना काम पूरा कर लूंगा पर इसे कैसे रोकूं यह तो जिद पर ही अड़ गई है।"अपने आप से बातें करते हुए हर्ष जेनी की ओर गुस्से से देख रहा था,विवेक भी अपने मन में कुछ ऐसा ही सोच रहा था, दोनों अभी सोच मैं पड़े हुए थे कि मिस को कैसे मनाया जाए तभी श्रेयस बोल पड़ा,"एक मिनट मिस" मेरी आवाज सुनकर सब मेरी तरफ देखने लगे, "मुझे नहीं लगता कि हमें इस वक्त यहां से जाने की ज़रूरत पड़ेगी"मेरी बात सुनते ही सब मुझे घुरने लगे।


मिस :- "क्या मतलब?"
“मिस. लैंप का अचानक से फूट जाना इसके पीछे किसी का हाथ नहीं है, बल्की मुझे ऐसा लगता है की ये सब बैकअप Generator की वजह से हुआ है।" मेने अभी इतना ही कहा था कि मेरी बात को ट्रिश ने बीच में रोक दिया।
"Generator की वजह से ते सब कैसे possible है?"
"Possible है ट्रिश, लोड पड़ने की वजह से voltage ज्यादा हो जातें है जिसकी वजह से कई बार ऐसा हो जाता है।"
"I think shreyas is right'' मिलन ने सोचते हुए अपनी बात कही,"यह रिजॉर्ट काफी टाइम से बंध है इसलिए Generator में fault हुआ होगा, हमें जरूरत हो सिर्फ उतनी ही लाइट्स on रखनी होगी वरना जनरेटर फेल भी हो सकता है,उसने बात को पूरा करते हुए कहा,जिसे सुननें के बाद सभी के चेहरों पर थोड़ी Tension कम हुई।"
"हम्म... ठीक है,i get it, लेकिन फिर भी मुझे लगता है This is dangerous, कल को कहीं किसी को कुछ हो गया तोह मैं उनके families को क्या जवाब दूंगी" मिस ने थोड़ी घबराहट के साथ कहा।


"आंटी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, ऐसा कुछ नहीं होगा हम सब है ना साथ में"विवेक ने शांति से समझाया कुछ देर समझने के बाद मिस मान गई, पर सभी के मन में अजीब सी बेचनी अब दौड़नी शुरू हो गई थी, किसी तरह सब रुके हुए तो थे लेकिन अब धीरे धीरे इस ख़ूबसूरत जगह से मन हटने लगा था क्योंकि सभी के मन में एक डर बैठ गया था।
"श्रेयस तू ही था जिसको यहां से जाने की सबसे जल्दी थी पर अब तूने ही अपनी बातें से सबको यहां रूकने के लिए मना लिया।"ट्रिश मुझे बात कर रही थी पर मेरा ध्यान कहीं ओर ही था, मैं दीवार के सहारे खड़े हुए अपनी ही सोच में खोया हुआ था,"तू सुन रहा है ना मैं क्या बोल रही हूं?"
"तूने मुझे बताया क्यों नही कि मुकेश सुबह से गायब है?"
"बताने वाली थी पर तेरे साथ जो हुआ उसके बाद मुझे तुम्हे यह सब बताना ठीक नहीं लगा''
"Something is not right trish, मैं यहां से जाना चाहता हूं पर मेरा दिमाग़ मुझे कुछ ओर कह रहा है इसलिए जब तक मैं सब बातों को clear नहीं कर लेता तब तक यहां से नहीं जाउंगा, बस मुझे तेरा साथ चाहिए ट्रिश"
"मैं तो हमेशा से तेरे साथ हूं" ट्रिश से बात करने के बाद मैं कुछ देर तक हॉल की बनी खिड़की से बहार देखने लगा, बहार मौसम आज कुछ ज्यादा ही खराब था,ज़ोर से बिजलियाँ कड़क रही थी और तेज़ मुसलाधार बारिश हो रही थी, बारिश की तेज़ आवाज़ ने पूरी जगह को घेर लिया रखा था, लेकिन कोई था जो दूर से पेडों के नीचे खड़ा भीगता हुआ अँधेरे में अपनी नज़र रिज़ॉर्ट की तरफ़ गढ़ाए खड़ा था।

'शायद यह मौसम कुछ बुरा होने का संकेत दे रहा है।' ऊपर... आंशिका आईने के सामने बैठी बाल बनते हुए सोच में डूबी हुई थी तभी हर्ष पीछे से आया और उसने अपने होठ आंशिका के कंधे पे रख दिए जिसकी वजह से आंशिका होश में आई और हर्ष की तरफ देखने लगी, "क्या हुआ मेरी जान को, क्या सोच रही है?"कंधों को सहलते हुए हर्ष ने कहा और फिर अपने होठ आंशिका की गर्दन पर रख दिए,"हर्ष क्या तुम्हे भी लगता है कि यहां पे हमारे अलावा कोई और भी है।"

“क्या??!ये कैसा सवाल है जान, छोड़ो ना इन सब बेकार की बातों को, इतना खूबसूरत मौसम है ऐसे मौसम मैं सिर्फ प्यार की जातें की जाती है।" मुस्कुराते हुए हर्ष ने कहा और अपने होठ आंशिका की गरदन और उसके कंधे पर फैरने लगा।
"प्लीज़ हर्ष मत करो अभी" आंशिका ने अपने कंधे पीछे करते हुए कहा और अपनी जगह से उठकर बिस्तर के किनारे चली गई, आंशिका को अचानक से ऐसा करते हुए देख हर्ष को हल्का सा गुस्सा आ गया लेकिन उसने शांति से काम लेना सही समझा।
"क्या हुआ मेरी जान को, क्यों इतनी परेशान है?" हर्ष ने आंशिका को पीछे से पकड़ते हुए कहा,"डर लग रहा है उसे कि कहीं कोई ओर आ जाएगा और उसे उठा के ले जाएगा'' कहते हुए हर्ष ने आंशिका को घुमाया और उसके चेहरे को ऊपर करके उसकी आंखों में देखने लगा,"डर लग रहा है।"
"पता नहीं बस कुछ सही नहीं लग रहा"
"मैं हूं ना, तो कुछ कैसे बुरा हो सकता है "हर्ष मुस्कुराते हुए आंशिका के बालों को सहलते हुए कहा और धीरे-धीरे अपने हाथ उसकी पीठ पे ले आया।
"प्लीज़ मुझे अकेला मत छोड़ो..." आंशिका ने बेहद प्यारी आवाज़ में कहा जिसे सुन हर्ष ने आंशिका को अपने से अलग किया और उसके चेहरे को उठा के अपने करीब ले गया, "Never ever" हर्ष ने बेहद हल्की आवाज में अपनी बात कहीं और अपने होठ आंशिका के करीब ले जाने लगा, हर्ष को इतना करीब पाकर आंशिका ने अपनी आंखें बंद कर ली और हर्ष बस इसी मौके की तलाश में था, उसने अपना हाथ ले जाकर सीधे आंशिका के होठों के ठीक नीचे अपने होठ रख दिये और जैसे ही वो आगे बढ़ने वाला था इतने में आंशिका ने अपनी आँखें खोल ली और हर्ष को फिर रोक दिया, “No Harsh Please"


आंशिका ने भारी सांसों से कहा और पीछे हट गई लेकिन हर्ष तो शायद इस हिस्से को पा लेने के मूड में था वो रुका नहीं बल्की आगे बढ़कर आंशिका को पीछे दीवार से लगा के आंशिका की गर्दन पे अपने होठ रख दिए,"Harsh Please.. Don't Do This , I Am Not Ready for this"आंशिका हर्ष का चेहरा पकड़ के उसे पीछे करनी की कोशिश करने लगी लेकिन हर्ष नहीं रुका,"प्लीज़ ऐसा मत करो.. प्लीज़ रुक जाओ"आंशिका हर्ष को पीछे धकेलने की कोशिश करने लगी लेकिन हर्ष अपनी ही धुन में सवार अपने इरादे को लेके आगे बढ़ाए जा रहा था।


उसने अपने हाथ धीरे धीरे आंशिका के कंधे की तरफ बढ़ाए और उसके टॉप शोल्डर से नीचे खिस्का दिया, जैसे ही आंशिका को ये मेहसुस हुआ उसने अपनी पूरी ताकत लगा के हर्ष को पीछे की तरफ धक्का दे दिया,"Harsh,What Non-sense...."गुस्से के साथ आंशिका ने कहा और अपना टॉप ऊपर कर लिए,मैं अपने कमरे की ओर बढ़ रहा था पर आवाज सुनते ही मेरे पैर वही रुक गए।

"What the Hell Aanshika" हर्ष ने गुस्से में कहा, हर्ष के गुस्से को देख आंशिका उसे घुरने लगी मानो उसे कहना चाहती हो कि 'अभी जो मेरी हालत है उसे तुम नही समझ रहे।" आंशिका को गुस्से में देखकर हर्ष ने अपना गुस्सा शांत किया और उसके करीब जाकर उसके हाथों को पकड़ते हुए बोला, "What..!!? What Happening?" आंशिका ने अपनी नजरें नीचे जुकाकर कहा,"I'm not ready for this Harsh, मैं तुमसे इतनी देर से वही कह रही हूं, please ऐसा मत करो लेकिन तुम सुन ही नही रहे हो।"


"Ready for What??इस चीज के लिए ready होने की जरुरत नहीं होती बेबी, तुम बस chill करो बाकी मैं खुद संभाल लूंगा" कहते हुए हर्ष ने आंशिका के कंधों को सहलाना शुरू कर दिया।
"I said no" इस बार आंशिका ने रुखी आवाज़ में कहा तो हर्ष के चेहरे पर गुस्सा उभर आया जो उसने कई पल से दबा के रखा था,"हर्ष ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करती but now try understand my situation, मैं जब भी अपनी आंखें बंद करती हूं तभी...."आंशिका हर्ष को प्यार से समझती रही थी तभी हर्ष ने उसे बिच मैं रोक दिया।
"Damm....it Anshika , Stop Behaving Like A Little Child Or An Uneducated People " हर्ष ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा और कुछ कदम पीछे हट गया, " ऐसा क्या नाटक कर रही हो तुम, तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो मुझे पूरा हक है की में तुम्हारे साथ कुछ भी करूं'' हर्ष के मुंह से निकलती बातें सुनकर आंशिका की सांसे को उखड़ने लगी।
"तुम तो ऐसे behave कर रही हो मानो तुम्हारे लिए ये सब नया हो, मानो तुमने कभी कुछ ऐसा किया ही ना हो,मैं नही मान सकता की उससे अभिनव ने तुम्हे आज तक touch ना किया हो,ये जानते हुए भी कि तुम उसके साथ रिलेशन में रह चुकी हो और उसके बाद में भी मैंने तुम्हें accept किया पर तुम तो कब से नखरे दिखा रही हो,मुझे पता है उसने भी तुम्हारे साथ सब कुछ किया होगा,अगर में तुम्हें पसंद नहीं था तो पहले ही बता देती इतना नाटक करने की क्या जरूरत थी?''हर्ष ने गुस्से में अपनी सच्चाई आंशिका के सामने रख दी, जिसे सुन आंशिका कुछ पल सहमी हुई वही खड़ी रही।


"क्या...कहा तुमने....."भारी हो चुके गले से आंशिका ने कहा और उसकी आँखों से आंसु निकल गया, "क्या तुमने बस इसके लिए मुझसे प्यार का नाटक किया?" कहते हुए आंशिका आगे बढ़ी और हर्ष के करीब पहुंच गई," बताओ क्या तुम मेरे बारे में सिर्फ यही सोच रखते हो?"बहती आंखो से उसने हर्ष के चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा जिसने अपनी नज़रें झुका रखी थी, "बताओ मुझे...." आंशिका ने रोते हुए हर्ष का कॉलर पकड़कर पूछा, जितना दर्द उसे अभिनव ने दिया था उससे कहीं ज्यादा तकलीफ हर्ष के शब्दों ने उसे दी थी,जिसकी गूंज अभी तक उसके कानो मैं पड़ रही थी।हर्ष ने आंशिका के हाथो को जटका देकर खुद को छुड़ा लिया और उससे दूर जाकर बैग में से शराब की बोतल निकालकर और उसे ग्लास में भरने लगा, वहीं आंशिका अपनी नज़रों मैं आस लिए इसी उम्मीद में खड़ी थी कि उसे कोई ऐसा जवाब मिलेगा जो उसकी तकलीफ को कम करेगा लेकिन हर्ष तो अपनी ही धुन में था, उसने शराब से ग्लास भरा और उसे उठकर मुँह से लगा लिया।



आंशिका की बहती आंखें तेज़ होने लगी,जिसे उसने अपने हाथ से पोछकर उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन जो तकलीफ उसे फिर से मिली थी शायद उसे रोक पाना बहोत मुश्किल था,उसके दिल ये महसुस करना शुरू कर दिया था कि शायद वो प्यार के लिए बनी ही नहीं है,यह सब कुछ सुनकर में दरवाजे के बाहर ऐसे खड़ा था मानो किसी ने जिंदगी की हर सांस निचोड़ ली हो क्योंकि मैं यह अच्छे से जानता था कि आंशिका इस वक्त किस तकलीफ मैं होगी, इस झंझोर के रख देने वाले पल से बहार आता उससे पहले मुझे एहसास हुआ कि अब दरवाजा खुलने वाला है इसलिए में दो कदम पीछे हट गया,दरवाजा खुलते ही मेरी नज़र आंशिका पे पड़ी,दर्द मैं भीगी उन आंखों को मैं बस देखता ही रह गया,आंशिका मुझे वहा देखकर समझ गई कि मैं सब कुछ जानता हूं।उसने एक पल रुककर मेरी तरफ देखा और कहा,"तुमने भी मुझे धोखा दिया है श्रेयस,सब कुछ झूठ कहा था तुमने अपने भाई के बारे मैं" इतना कहकर वो अपने कमरे मैं चलीं गई,आज मैं भी उसके दर्द के लिए जिम्मेदार था क्योंकि अगर मैने पहले भाई को समझाने की कोशिश की होती तो आंशिका को फिर ऐसे टूटते हुए नही देखता,यह सब सोचकर मेरी आंखो मैं गुस्सा उमड़ आया और मैंने अपने कदम भाई के कमरे की ओर बढ़ा दिए।



To be Continued......