Aisa Bhi Hota Hai in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | ऐसा भी होता है

The Author
Featured Books
  • शून्य से शून्य तक - भाग 40

    40== कुछ दिनों बाद दीनानाथ ने देखा कि आशी ऑफ़िस जाकर...

  • दो दिल एक मंजिल

    1. बाल कहानी - गलतीसूर्या नामक बालक अपने माता - पिता के साथ...

  • You Are My Choice - 35

    "सर..."  राखी ने रॉनित को रोका। "ही इस माई ब्रदर।""ओह।" रॉनि...

  • सनातन - 3

    ...मैं दिखने में प्रौढ़ और वेशभूषा से पंडित किस्म का आदमी हूँ...

  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

Categories
Share

ऐसा भी होता है

                                                                       ऐसा भी होता है 


शिमला में उस दिन पहली बार बर्फ गिरी थी  .  अभिजीत कुछ देर पहले अपने दफ्तर गया था  . उसकी पत्नी  देविका घर में थी  . वह गर्भवती थी और मैटर्निटी लीव में थी  .  कुछ दिनों के अंदर ही प्रसव का डेट था  . प्रतिदिन की तरह देविका की  कुक खाना डाइनिंग टेबल पर लगा कर जाते जाते बोली  “ मैम ,  खाना खा लेना नहीं तो ठंडा हो जायेगा  . “ 


“ ठीक है , पर आज खाना यहीं बेडरूम में लगा दे  . तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है  . “ 


“ क्या लेबर पेन है ? बोलो तो साहब को फोन कर दूँ ? “ 


“ नहीं , अभी वैसा कुछ नहीं है पर क्या तुम कुछ देर और रुक सकती हो ? मुझे खाना खिला कर जाना  . “   देविका बोली 


“ हाँ क्यों नहीं  . अभी खाना यहीं लगा देती हूँ  . “  


देविका का खाना अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि उसे लेबर पेन महसूस हुआ  . उसने कहा “ जीत सर को फोन कर जल्दी आने को कहो  . “  देविका पति को जीत कह कर बुलाती थी 


कुक ने जीत के ऑफिस में फोन किया तो वह बोला “ तुम मैडम को लेकर अस्पताल पहुंचो , मुझे दफ्तर में एक घंटा और लगेगा  . मैं उबर बुक कर देता हूँ , 10 मिनट के अंदर कैब पहुँच जायेगा  . वैसे भी मेरा दफ्तर  दूर है , मुझे आने में ज्यादा ही समय लगेगा  . जब तक तुम मैडम को ले कर अपार्टमेंट के नीचे पहुँचोगी , अपार्टमेंट ऑफिस के सामने कैब भी पहुँच जायेगा  . “ 


कुछ देर में देविका अस्पताल पहुंची जहाँ उसे लेबर रूम में ले जाया गया  . नर्स और डॉक्टर ने प्रसव की तैयारी की  . देविका लेबर पेन से कराह रही थी , नर्स ने कहा “ बस थोड़ा और पुश करें  मैम  . आपका बेबी बाहर आने के लिए बेचैन है  . “ 


देविका ने एक  बार और पुश किया और उसके बाद उसकी सारी पीड़ा गुम हो गयी  .  कुछ पल के लिए उसने आँखें बंद कर लीं   . उसका बच्चा नर्स की गोद में रो रहा था   . नर्स ने कहा “ बेटा मुबारक मैम  . “ 


“ मुझे बच्चे को देना  . “ 


“ बच्चा कुछ देर बाद आपकी गोद में होगा  . अभी डॉक्टर उसकी जांच कर रही हैं  . उसके बाद उसे नहलाने के बाद आपको दूँगी  . तब तक कुछ देर आप रेस्ट कर लेना , बहुत लेबर किया है आपने  . “ 


उधर जीत अपनी कार से अस्पताल के रास्ते में था  . पूरे रास्ते में वह सोच रहा था कि लड़का होगा या लड़की होगी ? जो भी हो मियां बीबी दोनों  का सपना साकार होने जा रहा था  . शादी के तीन साल बाद वह पिता बनने जा रहा था  . अभी इन्हीं सोच में वह डूबा था कि कुक का फोन आया “ साहब जल्दी आओ  . मुबारक हो ,  आपको बेटा हुआ है  . “ 


“ बस आ ही रहा हूँ रस्ते में हूँ  . बच्चा कैसा दिखता है  ? “ 


“ मैंने नहीं देखा है पर नर्स ने कहा है मदर एंड बेबी दोनों अच्छे हैं  . अच्छा अब मैं जाती हूँ सर , मेरा बेटा भी स्कूल से आ कर घर के बाहर खड़ा होगा  . “ 


“ ठीक है , तुम जाओ  . “ 


इधर देविका ने महसूस किया कि लेबर रूम की नर्सें कुछ कानाफूसी कर रहीं थीं  . उसने पूछा “ क्या बात है  . मेरा बच्चा ठीक ठाक है न  ? “ 


“ यस मैडम , बच्चा बिल्कुल ठीक है  . डोंट वरी , हमलोग हैं न  . “ 


उधर जीत ने अपनी कार पार्क कर रिसेप्शन से देविका का रूम नंबर पूछा  . फिर वह ख़ुशी ख़ुशी धीरे धीरे सीटी बजाता देविका के रूम की तरफ जा रहा था  .  केबिन की  डोर पर नॉक कर उत्तर की प्रतीक्षा न कर सीधे रूम के अंदर गया  . देविका दूसरी तरफ मुंह किये करवट लेटी  थी  . वह बच्चे को गौर से देख रही थी पर चेहरे पर चिंता व्याप्त थी  . बेटे को देख कर वह मन ही मन सोच रही थी ‘ यह कैसे हो सकता है ‘ और बेबी को देखकर न जाने जीत की प्रतिक्रिया कैसी हो  . जीत देविका के बेड की ओर बढ़ते हुए बोला “  देविका , बेटा मुबारक हो  . “ 


“ देविका ने दबी आवाज में कहा “ तुम्हें भी  . “  और छाती पर बच्चे को लिए उसने जीत की ओर करवट बदली  . 


जीत ने हँसते हुए कहा “ बच्चे के मुंह पर से कपड़ा  हटाओ , मैं भी तो देखूं हमारा बेटा कैसा है  . “ 


देविका ने जैसे ही बेटे के मुँह से कपड़ा जीत के चेहरे से ख़ुशी गायब और वह आश्चर्यचकित  और परेशन हो गया  . उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकल सका  . 


“ क्यों बेटे को देख कर खुश नहीं हुए ? परेशान दिख रहे हो  . वैसे जितना आश्चर्य तुम्हें है उतना मुझे भी है  . पर भगवान ने हमें इसे  दिया है  . जो भी है , आखिर  बच्चा हमारा ही है  . “ 


“ पर हमारा बच्चा ऐसा नहीं हो सकता है  . “ 


इसके आगे जीत ने कुछ नहीं कहा और वह चुपचाप कमरे से बाहर आया  . तब तक देविका और जीत के कुछ अन्य निकट संबंधी  वहां पहुँच गए थे  . जीत के गंभीर चेहरे को देख कर उसकी साली शीला  ने चुटकी लेते हुए कहा “ क्यों जीजू , बेटा दीदी पर गया है न  . कोई बात नहीं अक्सर बेटे माँ पर जाते हैं और बेटियां बाप पर  . अगली बार  बेबी आप पर जाएगी  . “ 


 कुछ पल खामोश रहने के बाद कॉरिडोर के कोने की तरफ इशारा कर वह बोला “ एक मिनट तुम उधर चलो , मुझे अकेले में तुमसे कुछ बातें करनी हैं  . “ 


“ क्या बात है जीजू ? “ शीला ने पूछा 


“ क्या तुम्हारी दीदी का किसी से अफेयर रहा है ? “ 


“ छिः , कैसी बातें करते हैं  . आपको शर्म आनी चाहिए  . जीजू दीदी के बारे में ऐसी बात आप कैसे सोच सकते हैं ? “ 


“ होल्ड ऑन  . एक बार तुम दीदी से मिल कर आओ  . फिर हम बाकी बात करते हैं  . “ 


शीला ने  गुस्से से एक नजर जीत की तरफ देखा फिर तेज कदमों से देविका के रूम की ओर गयी  . अपनी दीदी के चेहरे पर  उदासी देख उसने कहा   “ दी, बेटा मुबारक हो  . क्या तुम दोनों को  अभी बच्चा नहीं चाहिए था ?  “  और वह बेबी के करीब  गयी  . बच्चे को देख कर उसे भी आश्चर्य हुआ फिर भी सहज होते हुए बोली “ क्या हुआ बच्चा अगर सांवला हुआ तो ? 


देविका ने कोई उत्तर नहीं दिया और  कहा “ हमारे हिमाचल के इस पहाड़ी इलाके में हमने अपने खानदान में दूर तक ऐसा नहीं देखा है  . हमने कम से कम तीन पुश्तों को देखा है और उससे पहले के लोगों के बारे में भी सुना  है  . सभी अंग्रेजों की तरह गोरे होते थे  . यही बात मैंने जीजू के बारे में भी देखी है और सुनी है  . हम दोनों ने पुराने एल्बम भी देखे हैं  . “ 


“ ओह , शायद  इसलिए जीजू उदास हैं  . “


“ नहीं , मैं तेरे जीजू को पाँच सालों से जानती हूँ  .  शादी के पहले से ही कॉलेज के दिनों से हमने प्यार किया है  . मैंने जीत के चेहरे को पढ़ा है , उसके मन में कोई और बात है  . “ 


देविका की बातें सुन कर शीला को भी जीत के पूछने का कारण समझ में आया  . उसने दीदी से कहा “ एक मिनट में आती हूँ  . “ और वह जीत के पास गयी 


“ क्या जीजू , आपका बेटा जरा सांवला क्या हो गया आप कुछ भी अनाप शनाप बिना सोचे समझे बोल देते हैं दी के बारे में  . “ 


“ शीला तुम जले पर नमक नहीं छिड़को  . तुम्हारा भतीजा सांवला न हो कर बिलकुल अफ्रीकन हुआ है  . तुमने देखी है उसकी शक्ल और बाल आदि ? “ 


“ फिर भी आप या कोई भी दी के बारे  ऐसा कहे तो मैं न मानूंगी और न बर्दाश्त करूंगी  . “ 


“ सिर्फ तुम्हारे या दीदी के मानने न मानने से दुनिया नहीं चलती है  . मैंने भी हॉस्पिटल स्टाफ की कानाफूसी सुनी है  . “ 


खैर , फ़िलहाल ये बातें यहीं थम गयीं  . देविका दो दिनों के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आयी  . यहाँ भी उसके जो पड़ोसन  मिलने आतीं जाते हुए आपस में कुछ कानाफूसी करते जातीं  . जीत भी उदास रहने लगा था और वह अलग कमरे में रहता  . देविका के बुलाने पर उसके कमरे में जाता पर अपनी ओर से कोई पहल नहीं करता  . वह बोलता “ तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो महरी या कुक से बोल देना या होम डिलीवरी के लिए ऑनलाइन आर्डर कर देना  . “ 


ऐसे ही पांच  दिन हुए तब देविका ने गुस्से से पूछा “ जीत , आखिर तुम मुझसे क्या चाहते हो ? “ 


“ तुम सिर्फ एक बार सच बता दो अगर तुम्हारा किसी से अफेयर रहा है  . बस मैं और कुछ नहीं चाहता हूँ  . “ 


“ शट उप  . हाउ डेयर  यू  टॉक सच नॉनसेंस ?  . शिट , तुम्हें न मुझ पर भरोसा है न अपने खून पर  . जस्ट लीव माय रूम  .  “ 


“ मैं तो चला जाऊंगा , पर यह हमारी समस्या का समाधान नहीं है  . “ 


“ यह समस्या हमारी नहीं है , सिर्फ तुम्हारे दिमाग का पागलपन है  .यू आर गेटिंग क्रेजी  .  जस्ट लीव  .  “ देविका ने गुस्से में चिल्ला कर कहा 


“ चिल्लाओ नहीं  .  मैं फिर भी यही कहूंगा कि यह कोई समाधान नहीं है  .  “    


“ आखिर तुम क्या चाहते हो ? तुम्हें अपने बच्चे पर कैसे विश्वास होगा ? “ 


“ क्यों न हम एक बार DNA टेस्ट करा लें  ? “ 


देविका की आँखें क्रोध से लाल हो गयीं   .  उसने भी कहा “ ओके फाइन  .  बहुत अच्छा आईडिया है  .  दुनिया वालों की नजरों में भी मुझे गिराने की कोशिश कर रहे हो  .  ठीक है , मैं इसके लिए तैयार हूँ  . मगर एक शर्त है  .    “ 


“ वह क्या ? “ 


“ अगर  पैटर्निटी टेस्ट से तुम्हारा और बेटे का DNA मैच हुआ तब तुम क्या करोगे ? “ 


“ तब मुझे बच्चे को  स्वीकार करना होगा  .  “ 


“ गुड , तुम बच्चे को स्वीकार कर लेना पर मैं तुम्हें स्वीकार नहीं करूंगी  .  मैं तुमसे अलग हो जाउंगी  .  “ 


“ क्यों ? “ 


“ जब पति पत्नी का आपस में विश्वास ही नहीं रहा तब ऐसे रिश्ते का बोझ मैं नहीं सहन कर सकती हूँ  .  “ 


“ और अगर मुझे भरोसा न हुआ तो मैं इस बोझ को लेकर  आजीवन जीऊंगा ?  “ 


“ नहीं , मैं तुम्हारा बोझ हल्का किये देती हूँ  .  चलो DNA टेस्ट करा लेते हैं  , मेरी शर्त पर .  मंजूर ?  “ 


“ ओके  .  “ 


“  फिर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना  .  “ 


देविका , जीत और बेबी के DNA टेस्ट किये गए  . इसी बीच  पोता होने का शुभ समाचार सुनकर गाँव से जीत की दादी भी आईं  .   देविका के लिए कहीं शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी  .  टेस्ट का  रिजल्ट  उसके लिए महज एक औपचारिकता थी  .  दूसरी तरफ जीत को भी बेसब्री से इसका इंतजार था  .  उसे भरोसा था कि उसका संदेह करना निराधार नहीं हो सकता है   .  


दादी को DNA टेस्ट की बात सुन कर बहुत दुःख हुआ  . वह बहुत चिंतित रहने लगीं  . जीत ने कहा “ दादी , आप क्यों परेशान हो रहीं हैं  . एक दो दिन में रिपोर्ट आ जाएगा तब दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा  .  “ 


“ मुझे डर है कहीं हमारी उम्मीदों पर न पानी फिर जाए  . खैर भगवान को जो भी मंजूर हो वह तो होकर रहेगा  .   “  


दो दिनों के बाद DNA टेस्ट का रिपोर्ट आ गया  .  लिफाफा खोलते समय जीत के हाथ काँप रहे थे  .  दादी भी बहुत चिंतित दिख रहीं थीं  .  रिपोर्ट देखने के बाद जीत के चेहरे पर हवाईयां उड़ रहीं थीं  . उधर देविका आराम से बैठी कॉफ़ी पी रही थी हालांकि वह भी जानती थी कि आगे की राह बहुत कठिन है  .   दादी ने पूछा “ क्या हुआ , रिपोर्ट बताओ सभी को  .  “ 


जीत ने रिपोर्ट देविका को दिया  .  एक सरसरी नजर दौड़ा कर उसने रिपोर्ट उसे लौटा दिया  और व्यंग से बोली “ कहीं ऐसा न हो कि यह रिपोर्ट गलत हो  . मैं तो आश्वत थी , तुम चाहो तो अपनी पूरी तसल्ली के लिए  किसी दूसरे लैब में भी टेस्ट करा के देख लो  .  “ 


तब दादी गरज पड़ीं और बोलीं “  बहुत हुआ , बंद करो तुम दोनों अपना पागलपन  . “ 


“ पर ऐसा कैसे हो सकता है दादी  . हमारे खानदान में दूर तक कोई भी तनिक सांवल भी नहीं हुआ है और ये बच्चा बिल्कुल अफ्रीकन दिख रहा है  .  “ 


“ तुम कितने पुश्तों तक अपने खानदान को जानते हो ? तुम्हें दादा भी नहीं याद होंगे क्योंकि तुम्हारे बचपन में ही वे चल बसे थे  . आगे की बात मैं बताती हूँ  .    मैंने भी नहीं सोचा था कि यह नौबत आएगी और अपने पुरखों  का राज खोलना पड़ेगा  .” 


“ क्या बात कर रहीं हैं दादी ? कैसा राज ? “ जीत ने पूछा 


दादी की बातें सुनकर देविका भी एकटक उन्हें देखने लगी  .  सबकी निगाहें अब दादी पर टिकीं थीं  .     


दादी ने अपने पोते को पिछले पुश्तों की कहानी बताना  शुरू किया “ तुम्हारे दादा के दादा को अंग्रेजों ने काम करने के लिए अफ्रीका  भेजा था  .  वहां एक  अफ्रीकन लड़की को नौकरानी रखा था जिसके साथ  उनका अफेयर था  .  नतीजतन उस लड़की ने  एक बेटे को जन्म दिया जो बिलकुल गोरा चिट्टा हमलोगों की तरह था  .  वहां के समाज के दबाव में उन्हें उस बेटे  को  अपनाना पड़ा  . जीत ,  तुम उसी के वंशज हो  .  यही तुम्हारा फॅमिली ट्री है और उन्हीं जींस का नतीजा आज तुम्हारा अपना बेटा है  . यह बात तुम्हारे दादा ने हमें बताई थी और इसे गुप्त रखने को कहा था  .   किसी ने नहीं सोचा था उसका दूरगामी परिणाम भी हो सकता है  .    “  


जीत सर पीटने लगा  .  कुछ देर बाद वह शांत हुआ तब उसने देविका से माफ़ी मांगी  .  देविका ने दादी से कहा “  मेरी एक सहेली जिनेटिक इंजीनियर  हैं  .  जब मैंने  उसे अपनी आपबीती कहानी सुनाई  तब उसने इस बात की आशंका जताई थी  .   उसने मुझे एक किताब भी पढ़ने को दिया और कहा कि मैं अपने और जीत के फॅमिली ट्री के बारे में पता लगाऊं  .  मैंने अपने  पूर्वजों के बारे  में ऐसा कुछ नहीं सुना  है  .  जीत के पूर्वजों के बारे में मुझे पूछने का साहस नहीं हुआ  . जब जीत ने मेरे चरित्र पर संदेह किया तब यह मेरे लिए असहनीय था और मैं इसी शर्त पर DNA टेस्ट के लिए तैयार हुई थी कि अगर जीत ही  हमारे बेटे का पिता हुआ तब मैं उसके साथ नहीं रहूंगी  .  इसलिए अब मुझे जाना पड़ेगा  .  “

 

दादी बोली “ मैं इस परिवार की सबसे बड़ी सदस्या  हूँ  .   तुमलोग इतना बड़ा फैसला बिना मुझसे पूछे कैसे ले सकते हो  ?  तुम कहीं नहीं जा सकती हो क्योकि तुम दोनों को हमारी फॅमिली का इतिहास नहीं पता था   . तुम कहीं नहीं जा सकती हो , यह मेरा आदेश है  . तुम जीत को माफ़ कर दो  .     “


जीत भी दोनों हाथ जोड़े देविका से लगातार माफ़ी मांग रहा था  .   देविका ने कहा “  मेरी भावना की  किसी को चिंता नहीं थी   .   मैं इतने दिनों किस दौर से गुजरी हूँ  .  मैं अब जीत के साथ नहीं रहना चाहती हूँ  .  जीत को  DNA टेस्ट के लिए यह शर्त मंजूर थी  .   “


“ जीत को शर्त मंजूर थी , अब तो वह माफ़ी मांग रहा है और अपनी मूर्खता पर शर्मिंदा है  . मैं भी तुमसे जीत की गलती के लिए क्षमा मांग रही हूँ  .    “ 


देविका अपनी बात पर अड़ी थी  .  तब दादी ने कहा “ ठीक है पर मेरी भी एक छोटी सी शर्त है  .   तुम्हें उसे मानना होगा , तभी तुम जा सकती हो  .   “ 


“ वह क्या है ? “ 


“ कुछ नहीं बस मैं अपनी जिंदगी के शेष  दिन तुमलोगों के साथ रहना चाहती हूँ  . बस इतनी सी बात है , मेरे सर पर हाथ रख कर तुम कसम खाओ कि उतना समय मुझे दोगी  .     “ 


देविका ने कुछ पल सोचा फिर दादी के  सर पर हाथ रख कर कहा “ मुझे मंजूर है , और कितना समय चाहिए ? “ 


दादी ने कहा “ बस मेरे जीने तक  .   वैसे अब मैं और किते दिन जिऊंगी ? बस तब तक हम सब साथ रहेंगे ”


देविका  ने कहा “ ठीक है , मुझे मंजूर है  .   “ 


इसके बाद दादी वर्षों तक जीवित रहीं  . इस बीच जीत और देविका में सुलह हो गयी  .  कुछ साल  बाद उन्हें एक गोरी पोती भी मिली और दादी  इसके बाद भी पोते की शादी तक जिन्दा रहीं   . 

 

                                                          समाप्त 

 

नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है  .