The festival of Holi in Hindi Children Stories by Kusum Agarwal books and stories PDF | मज़े से होली खेलेंगे

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मज़े से होली खेलेंगे


मजे से होली खेलेंगे


जब से इरा आई थी, टीना के पांव जमीन पर नहीं पड़ते थे। वह पूरे दिन इरा के हाथों में हाथ डाले इधर से उधर घूमती रहती थी। नए-नए खेल खेलती थी। तरह-तरह की बातें करती थी। उसके जीवन में मानो बहार आ गई थी।


इरा टीना की चचेरी बहन थी जो कि यू.एस. में रहती थी। हर बार क्रिसमस की छुट्टियों में वह भारत आती थी और टीना से उसका मिलना हो जाता था। टीना इरा के चाचा की बेटी थी जो कि उसके दादा-दादी के साथ भारत में ही रहती थी।


इरा को भारत बहुत अच्छा लगता था। वह चाहती थी कि वह भी भारत में ही रहे परंतु उसे अपने माता-पिता के साथ लौट जाना पड़ता था। परन्तु इस बार वह बहुत खुश थी क्योंकि इस बार वह लंबे समय तक भारत में रहने वाली थी। क्रिसमस की छुट्टियां खत्म हो गई थी परंतु अभी भी वे वापस जाने की योजना नहीं बना रहे थे क्योंकि इरा की नानी ने इरा की मम्मी को अपने पास बुला लिया था। उन्हें कुछ दिन अपनी बेटी की जरूरत थी। अपनी देखभाल करने के लिए। इरा यहीं रह गई थी, अपनी दादी के पास और अपनी प्रिय चचेरी बहन टीना के साथ, खेलने-कूदने और मस्ती करने के लिए।


होली का त्यौहार आने वाला था। इरा के मन में होली के त्यौहार को लेकर बहुत उत्साह था क्योंकि यू.एस. में भारतीय त्योहार अधिक नहीं मनाए जाते। यदि मनाए भी जाते हैं तो किसी एक विशेष स्थान पर जहां पहुंच पाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता।


इरा ने सुना था कि होली रंगो का त्यौहार है। इस दिन सब एक दूसरे पर तरह-तरह के रंग डालते हैं। बच्चे रंग डालने के लिए पिचकारियों का प्रयोग करते हैं।


- इस बार मैं यह सब अपनी आंखों से देखूंगी और खूब रंग खेलूंगी। बहुत मजा आएगा। इरा ने टीना से कहा।


- हां हां बहुत मजा आएगा। पता है हमारे मोहल्ले के सभी बच्चे इकट्ठे हो जाते हैं तो खूब मजा आता है। हम सब मिलकर खूब नाचते गाते हैं तथा एक दूसरे पर रंग डालते हैं। सब रंग-बिरंगे हो जाते हैं। तब कोई किसी को पहचान नहीं सकता।


इरा ने सोचा जब टीना की बातें सुनकर ही इतना मजा आ रहा है तो होली खेलने में कितना मजा आएगा।


अभी दोनों बहने यह बातें कर ही रही थी कि चाची की आवाज आई।


- टीना, कहां गईं तुम? कितनी बार कहा है कभी पढ़ भी लिया करो। सारा दिन इधर से उधर घूमती रहती हो। इरा क्या आ गई, तुमने पढ़ना-लिखना बिल्कुल ही बंद कर दिया। ठीक है करो मनमानी। तुम्हारी मनमानी की यही सजा है कि तुम्हें इस बार होली नहीं खेलने दिया जाएगा। वैसे भी तुमने पढ़ाई बिल्कुल नहीं की है। परीक्षा के दिन नजदीक आ रहे हैं। होली की मस्ती में तुम थोड़ा बहुत जो पढ़ती हो वह भी नहीं पढ़ोगी। उस पर तरह-तरह के केमिकल रंगो से होली खेलने पर बीमार पड़ने का भी डर रहता है। रंगो के कारण पूरे घर में गंदगी फैल जाती है। फिर पानी कहां है? और सफाई कौन करेगा? तुम तो कुछ काम करती नहीं हो। इसलिए इस बार तुम होली नहीं खेलोगी।


चाची की बात सुनकर टीना के साथ साथ इरा का मुंह भी उतर गया।


- यह क्या? कहां तो धूम धाम से होली खेलने की योजना बन रही थी, यहां तो बिल्कुल ही मामला ठप्प हो गया। फिर टीना से बोली - टीना, यदि चाची तुम्हें होली नहीं खेलने देगी तो फिर मैं क्या करुंगी?


इस पर टीना बोली - इसमें मैं क्या कर सकती हूं। यदि मम्मी नहीं खेलने देगी तो मैं जिद नहीं करूंगी क्योंकि ज़िद करने से भी बात नहीं बनने वाली है। वैसे भी जिद करना बुरी बात है इसलिए मैं कभी भी जिद नहीं करती हूं। पर मुझे समझ नहीं आ रहा मम्मी होली क्यों नहीं खेलने दे रही है? हमारे घर में पिछले वर्ष भी हर्बल रंगों से होली खेली गई थी। इस बार भी उन्हीं से खेलने वाले हैं। पानी की कोई कमी नहीं है, टैंक भरा हुआ है और रही मेरी परीक्षा की बात वह तो अभी दूर है। शायद तब तक मैं तैयारी कर लूंगी। फिर भी मम्मी ने मना कर दिया तो क्या करें?


टीना की बात सुनकर इरा और भी उदास हो गई। यू.एस. से होली खेलने के जो सपने लेकर आई थी, वह अधूरे ही रहते नजर आ रहे थे। उसके कानों में चाची की बातें गूंज रही थीं।

- जब से इरा आई है तुम कुछ कामकाज नहीं करती हो, पढ़ाई भी नहीं करती। बस इधर से उधर घूमती रहती हो और वह सोच में पड़ गई।


कुछ सोचते-सोचते वह अंदर गई जहां उसकी चाची रसोई घर में बर्तन साफ कर रही थी।


- चाची, क्या मैं आपकी बर्तन साफ करने में मदद करवा सकती हूं? उसने बड़े प्यार से अपनी चाची से कहा।


- नहीं नहीं, तुम रहने दो यह बच्चों के काम नहीं है। तुम जाकर खेलो। चाची ने इरा से कहा।


- चाची इतनी देर खेल ही तो रही थी। मैंने सोचा मैं आपकी कुछ मदद करवा दूं। आप काम करके थक गई होंगी। सुबह से काम जो कर रही हो।


इरा की प्यारी बातें चाची के मन पर असर करने लगी। वह बोली- इरा, तुम तो जानती हो घर में काम तो रहता ही है। कई बार बहुत थकान हो जाती है फलस्वरूप स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी आ जाता है। पर यदि बच्चों की छोटी-मोटी मदद भी मिल जाए तो वह भी बहुत होती है। ऐसा करो, तुम मटर छील दो। तुम्हारे लिए वही काम ठीक रहेगा। मटर छीलने के बाद तुम धुले हुए बरतनों को यथास्थान लगा देना। इतनी देर में मैं खाने की तैयारी कर लूंगी। सब काम फटाफट हो जाएगा।


इरा ने अपनी चाची के कहे अनुसार उसकी मदद करवाई। अब तो जब भी मौका मिलता इरा अपनी चाची की छोटी-मोटी मदद करती रहती। उधर उसने टीना को अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए भी कहना शुरू कर दिया।


एक दिन जब इरा चाची की मदद करवा रही थी तो उसकी चाची ने कहा- इरा, तुम्हारी मम्मी यू.एस. में होली पर क्या-क्या पकवान बनाती है?


इस पर इरा ने उदास होकर कहा- चाची, मम्मी कुछ खास नहीं बना पाती है क्योंकि वहां कोई ऐसा नहीं करता इसलिए मम्मी का मन भी नहीं करता है। कभी-कभी मम्मी कुछ बनाने की कोशिश भी करती है परंतु अच्छा नहीं बनता तो छोड़ देती है ।


- कोई बात नहीं इस बार मैं तुम्हारे लिए गुंझिया, मठरी और बेसन की बर्फी बना दूंगी। खूब खाना।


उस दिन चाची बहुत खुश थी। सो हिम्मत करके इरा ने कहा- चाची एक बात बोलूं? मैं यू.एस. में होली भी नहीं खेल पाती हूं इसलिए इस बार मेरा भारत में होली खेलने का बहुत मन है। आप मेरे लिए एक अच्छी सी पिचकारी भी ला दोगी क्या?


- हां हां क्यों नहीं, एक नहीं दो ला दूंगी। दो तरह की। और साथ में टीना के लिए भी ले आऊंगी। दोनों मिलकर एक दूसरे पर रंग डालोगी तो बहुत मजा आएगा। पीछे वाले कमरे की अलमारी में हर्बल रंग भी रखे हैं। उन्हें रंगों से खेलना। वह नुकसान नहीं पहुंचाते। हां पूरे घर में गंदगी मत करना। वरना बहुत डाटूंगी- चाची ने नकली गुस्से से धमकाते हुए कहा।


- चाची, हम बिल्कुल गंदगी नहीं करेंगी। बिल्कुल नहीं। बस आप गुस्सा मत करना। प्लीज, आप गुस्सा मत करना। इरा ने भी नकली डरने की एक्टिंग करते हुए कान पकड़ कर कहा और हंसते-हंसते बाहर चली गई। टीना के पास। उसे यह बताने कि चाची का गुस्सा उतर गया है और वह होली नहीं खेलने देने वाली बात तो भूल ही गई है जो शायद उस दिन गुस्से में बोली होगी। अब कोई डर नहीं। मजे से होली खेलेंगे।


टीना हैरान थी कि मेरी अमेरिकन बहिन इरा ने मम्मी को कैसे पटा लिया। पर वह जानना भी नहीं चाहती थी। बस वह तो खुश थी। बहुत खुश। क्योंकि इस बार वह इरा के साथ होली खेल सकेगी।


इरा ने सोचा- बड़ो का गुस्सा उतारने का यह सीधा-सादा गुर अपनी भारतीय बहिन को भी सिखा कर जाऊंगी। भविष्य में उसके काम आएगा।


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