Andhere ka khel sara... - 1 in Hindi Horror Stories by Anshu Kumar books and stories PDF | अंधेरे का खेल सारा.. - 1

Featured Books
Categories
Share

अंधेरे का खेल सारा.. - 1



अंधेरे में एक राहगीरकाली

रात के आंधेरे में, एक घने जंगल के बीच एक अकेला राहगीर चल रहा था। उसका नाम विक्रम था। वह जंगल के इस क्षेत्र को अच्छे से नहीं जानता था, लेकिन उसने सोचा कि एक छोटी सी राह में एक लम्बी यात्रा का अंत होगा।धीरे-धीरे उसकी राह में आगे बढ़ते हुए, उसने अपने आसपास के अंधेरे को महसूस किया। एक अजीब सी ठंडक उसकी रीढ़ को रौंद रही थी। वह तेज़ी से चलने लगा, पर उसकी बढ़ती चलने के साथ ही वह एक अजीब सी आवाज़ सुनने लगा।"कौन है?" विक्रम ने धीरे-धीरे पूछा।कोई जवाब नहीं आया। वह फिर से पूछा, "क्या कोई है?"इस बार भी कोई जवाब नहीं आया, लेकिन उसने अपने पीछे किसी की आवाज़ सुनी। वह चोंक गया और पीछे मुड़ गया, पर कोई नहीं था।उसने फिर से आगे की ओर रवाना हो गया, पर अब उसकी धड़कनें तेज़ हो गई थीं। उसने एक और आवाज़ सुनी, एक डरावनी आवाज़, जो उसके होश उड़ा देने वाली थी।"छुपना किसके लिए?" एक विपरीत स्वर में आवाज़ आई।विक्रम की रात का सामना अब उसके सामने था। उसने पीछे मुड़कर देखा, पर उसने कोई भूत या आत्मा नहीं देखा। फिर भी, उसकी आँखों के सामने एक विचित्र प्रतिबिम्ब था - एक चार तांत्रिक व्यक्ति, जो उसे अपने आकर्षक नकारात्मकता में फंसा हुआ था।"कौन हो तुम?" विक्रम ने डर के साथ पूछा।"मैं एक विवादित आत्मा हूँ, जो इस जंगल के अंदर फंसा हुआ है," विचित्र व्यक्ति ने कहा। "मुझे इस जंगल में फंसाने वाली ज़िंदगी ने एक अविश्वसनीय शक्ति बना दिया है।"विक्रम का दिल धड़कने लगा। "क्या तुम मुझे छोड़ दोगे?" उसने पूछा।"हाँ, मगर एक शर्त पर," आत्मा ने कहा। "तुम्हें इस जंगल के अंदर एक गुप्त स्थान का पता लगाना होगा, जहां मेरी आत्मा की मुक्ति हो सकती है।"विक्रम को अब और डर था, लेकिन वह भी अपने घर वापस जाना चाहता था। पर विक्रम अपने घर अब आसानी से जा नही सकता था क्योंकि वह आत्मा अब उसके पीछे लग चुकी ह, विक्रम घबदया हुआ धीरे -धीरे उस आत्मा के बताई गई रास्ते पर बढ़ने लगा. वह जैसे -जैसे आगे बढ़ रहा था वैसे- वैसे उसका डर बढ़ते जा रहा था। पर आगे बढ़ने के अलावा उसके पास कोई और दूसरा रास्ता भी नही था। क्यों की उस आत्मा की बात न मानने पर वो आत्मा विक्रम को जान- से - मार देगी।
विक्रम उस रश्ता पर बढ़ रहा था, वह चलते गया चलते गया लेकिन उसको कुछ दूर दूर तक दिख नही रहा था सिवाए रात के काले अँधेरा के अलावा। आखिर कार बहुत देर चलने के बाद विक्रम को कुछ आवाज़े सुनाने लगी, जिसे सुन कर विक्रम का डर बढ़ने लगा, विक्रम को किसी महिला की जोर -जोर से रोने -चिलाने की आवाज़ आ रही थी।।
विक्रम ने जो वाहा जाकर देखा जिसे देखते ही विक्रम की रूह काप गयी,... विक्रम ने वहा पर देखा की एक औरत है वाहा पर जिसके शरीर से सर गायब था। मतलब उसका सर ही नही था वह सिर्फ धर था जो आग से जल रहा था।।
विक्रम ये देखते ही वाहा से बहुत जोर से भागा और भागते भागते.. एक पुराना बर्गत के पेड़ के नीचे गिर गया।।
वो भरगत के पेड़ पर गिरते ही उस पेड़ के उपर से कुछ आया और विक्रम गायब हो गया।।।