Brahma Rakshasa Phantom in Hindi Horror Stories by Your Dreams books and stories PDF | ब्रह्म राक्षस प्रेतनी

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ब्रह्म राक्षस प्रेतनी

यह कहानी एक ऐसे राक्षस की है जिसे आप लोग जानते होगे या नही यह मुझे पता नहीं हैं उस राक्षस का नाम है ब्रह्म राक्षस!भूत-प्रेतों मैं भी कई योनियाँ होती हैं! अनेक नाम होते हैं!जैसे की भूत-प्रेत पिसाच,राक्षस,डायन,चुड़ैल,आदि बहुत से नाम होते हैं! तो दोस्तों मैं आपका समय बर्बाद न करते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ हमारे गांव मैं एक ब्राह्मण रहते है!जिनका नाम है! नत्थी लाल लोग उन्हें शर्मा जी शर्मा जी कहकर बुलाते हैं!उनके घर से कुछ दूर खेत था उस खेत पर एक बहुत बड़ा पीपल खड़ा था!वह पीपल बहुत पुराना था!कुछ समय बाद उन्होंने उस खेत पर घर बनवाने की सोची पहले वाला घर बहुत छोटा होने की वजह से उन्होंने खेत पर घर बनवाने की सोची उन्होंने उस पीपल को काट कर अपना घर बनवा लिया!कुछ दिन तो ठीक ठाक चला पर कुछ दिन बाद शर्मा जी बड़े पड़े परेशान रहने लगे वह कभी वह पूजा करते थे कभी नहीं तो उनकी बीवी ने उनके बदले स्वभाव को देख उनसे पुछा की तुम पूजा भी नहीं करते आज कल बदले-बदले से रहते हो कभी बच्चो को डांटते रहते हो तुम्हे हुआ क्या है!पंडित जी के चेहरे पर पर मुस्कान आई और वह कहने लगे मेरे घर को तोड़ कर अपना घर तो बना लिया है!और इसे क्या पूजा करने की कह रही हो सब कुछ मैं ही हूँ मैं मैं ही भगवान् हूँ!इसे पूजा करने की कोई जरूरत नहीं हैं!वो कभी दांत मीसते कभी बड़े प्यार से बोलते कभी आंखें लाल तो कभी सही हो जाते थे!उनकी बीवी को शक हो गया की ज़रूर किसी भूत-प्रेत का साया है और वो बाते ऐसे करते हैं जैसे की वो दो लोग हों!तब पंडितानी ने उनको बिठा कर आसन लगा कर हनुमान चालीसा पढने लगी वो सोच रही थी अगर कोई भूत-प्रेत होगा तो भाग जायेगा पर पंडित जी पर उसका कोई असर नहीं पड़ा वह एक टक लगाये देखे जा रहे थे!उसने काफी मंत्र पढ़े गायत्री मंत्र !तभी पंडित जी की आंखें लाल हुई और कहने लगे मैं किसी से नहीं डरने वाला और तू क्या समझ रही है मैं इसे ऐसे नहीं छोड़ने वाला तब तक उसका छोटा बच्चा वहां आ गया मम्मी पंडित जी ने उसे ऐसे जोर से पकड़ के खींचा और ऐसा लग रहा था की उसके सिर को कच्चा ही चबा जाएगा पंडितानी ने कहा बच्चे को छोड़ दो इसने क्या तुम्हारा बिगाड़ा है उसे छोड़ दो पंडितानी ने विनती की बड़े नम्र भाव से कहा कि उसे छोड़ दो तो उसने उस बच्चे को छोड़ दिया और कहा कि मैंने तुम्हारे इस नम्र भाव कि बजह से इसे भी छोड़ रखा है नहीं तो मैं इसे कब का मार चुका होता उसने फिर पुछा तुम कौन हो और मेरे पति को तुमने क्योँ बस मैं कर रखा है!आप हमसे क्या चाहते हो आप हो कौन तब उसने कहा अगर अपना भला चाहती हो तो पीपल के पेड़ लगाओ जितने भी हो सकें पेड़ लगाओ फिर मैं बताऊँगा कि मैं कौंन हूँ और फिर मैं चला जाऊँगा तब पंडित जी की बीवी ने एक सौ एक पेड़ पीपल के लगाये एक दिन उसकी पत्नी ने देखा की आज पंडित जी सुबह उठकर पूजा पाठ कर के आ चुके हैं! तब पंडितानी से पंडित जी बोले मैं तुम्हारे पति को आज छोड़ के जा रहा हूँ तुम सदा सुखी रहो तुम्हारे आचार-विचार बहुत अच्छे हैं!मैं ब्रह्म राक्षस हूँ वैसे मैं किसी को नहीं छोड़ता और न ही किसी से डरता हूँ मैं ब्रह्म राक्षस हूँ-ब्रह्म राक्षस हा हा हा!तुम्हारे पति ने मेरे पीपल को काट दिया था जिस पर मैं हजारों सालों से रह रहा था!मुझे गुस्सा तो आया पर मैं तुम्हारी अच्छाई के कारण मैंने इन्हें छोड़ दिया जा रहा हूँ तुम्हारे पति को छोड़कर तब पंडित
जी अचानक सही हो गए तब पंडित जी की बीवी की आँखों से आशु निकल पड़े! तो दोस्तों अगर बुरे के साथ अगर तुम अगर अच्छा करोगे हो तो एक दिन वह भी अच्छा हो जाता है!