Tadap Ishq ki - 36 in Hindi Love Stories by Miss Thinker books and stories PDF | तड़प इश्क की - 36

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

Categories
Share

तड़प इश्क की - 36


वैदेही की तरफ से कोई हलचल न मिलने की वजह से अधिराज गुस्से में कहता है....." बहुत हो गया वैदेही , , हमें तुम्हारा ये स्वांग बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है... वैदेही उठो....."
अब आगे......…..
अधिराज वैदेही को उठाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी सारी कोशिश बेकार हो रही थी तभी उसी नजर वैदेही के पैरों पर पड़ती है जहां सर्प दंश का निशान था , बिना देर किए अधिराज अपने पंखों को फैलाते हुए वैदेही अपनी बाहों में भर कर पंचमढ़ी की तरफ उड़ जाता है...
"अधिराज अधिराज " किसी की घबराई हुई आवाज से अधिराज अपने ख्यालों से बाहर आते हुए कहता है....
" क्या हुआ शशांक..?... तुम इतने घबराए हुए क्यूं हो..?.."
शशांक चिंता भरी आवाज में कहता है..." अधिराज तुम यहां अपने स्मृति में ही वैदेही को पा लोगे क्या..."
" क्या बात है शशांक..?.. तुम चिंतित लग रहें हो , गुप्तचरों से क्या सूचना प्राप्त हुई ..?.."
शशांक थोड़ा गुस्से में कहता है.." तुम जानते हो अधिराज एक बार तुम वैदेही को खो चुके हो , और अब तो उनपर खतरा पहले से भी ज्यादा है और तुम हो की बस स्मृति में ही रहते हो ,कहीं इस बार भी तुम उन्हें न खो दो ..."
अधिराज उसे शांत कराता हुआ कहता है..." नही शशांक, हम अब ऐसा नहीं होने देंगे...इस बार प्रक्षीरोध हमसे हमारी वैदेही को नहीं छिन पाएगा..."
शशांक जोर देते हुए कहता है.." तो फिर जल्दी यहां से इंसानी दुनिया में चलो,, यहां रहना अब हम सबके लिए ठीक लिए नहीं है..प्रक्षिरोक्ष को हमारे यहां रहने की सूचना प्राप्त हो चूकी है..."
अधिराज शशांक की बात से थोड़ा परेशान हो चुका था लेकिन अब उसमें पहले जैसी ताक़त नहीं थी , तीन मणियों के मिल जाने से प्रक्षिरोध बहुत ज्यादा खतरनाक बन चुका था, अब बस उसे तलाश है तो जीवंतमणि की जोकि एकांक्षी के पास है.....
वहीं दूसरी तरफ विक्रम परेशान सा अपने रुम में चहलकदमी करते हुए बार बार फोन को देखते हुए बड़बड़ा रहा था कि तभी उसके फोन की रिंग बजती है जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है...
उस काॅल को उठाते हुए विक्रम कहता है...." हेलो! एकांक्षी.."
दूसरी तरफ से एक तेज गुस्से की आवाज आती है..." तुझे समझ नहीं आता , कितनी बार कहा है मेरी बहन से दूर रहना..अभी हास्पिटल पहुंचा के चैन मिला है..."
विक्रम धीमी आवाज में कहता है..." नही भाई..."
विक्रम की बात को काटते हुए राघव गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है..." मैं तुम्हारा कोई भाई वाई नहीं हूं , मेरी बहन से दूर रहो..." इतना कहते ही राघव झटके से उसकी काॅल कट कर देता है...
विक्रम फोन में से एकांक्षी की फोटो को देखते हुए कहता है..." ऐसा नहीं हो सकता मिस्टर राघव , मैं वैदेही को ओह ! साॅरी एकांक्षी को कभी नहीं छोड़ सकता , एकांक्षी सिर्फ मेरी है , इस बार मैं अधिराज को अपने रास्ते का कांटा नहीं बनने दूंगा , फिर चाहे इसके लिए मुझे स्मृतिका कितनी बार भी प्रयोग क्यूं न करना पड़े , पर वैदेही अब अधिराज की नहीं है..."
" वैदेही अधिराज की है और उसकी ही रहेगी.."
अचानक आई आवाज से विक्रम हैरान रह गया....
" कौन हो तुम...?... सामने आओ..."

...........to be continued.........
आखिर आवाज वाला शख्स कौन है...?

आपको कहानी कैसी लग रही है प्लीज़ मुझे बताए ,