** ओम नमः शिवाय **
** इश्क़ होना ही था part- 23 **
अभी तक देखा की इनके साथ सुमित बह जुड़ जाता है और उन्हें बहोत सारी सिडिया उत्तर के निचे जाना होता है तो शिव सर्त लगता है की कोन सबसे पहले निचे पहोच पायेगा...
मिताली धीरे चल रही थी तो उसकी वजह से नितिन भी उसके साथ ही आ रहा था...
सुमित जो सबसे आगे था और उसके साथ दिया और अक्षत भी थे...
अहाना जो जल्दी जल्दी जा रही थी और शिव उसके पीछे पीछे जा रहा था...
"ये शिव कहा हम दोनों को इस सुमित के साथ छोड़ गया...
जिसकी वजह से में दिया से बात नहीं कर पा रहा..."
अक्षत अपने मन में ही सोच रहा था...
सुमित जो इसी जगह से था और नितिन का कॉलेज का दोस्त भी था वो इसी बारे में ही बता रहा था और दिया उसकी बात सुन रही थी...
"हां तू ही करले बात..."
अक्षत अपने मन में ही बोलता है...
नितिन और मिताली जो पीछे आ ही रहे थे जब मिताली ने इन तीनो को साथ में जाते देखा तो वो समज गयी...
मिताली नितिन को इसारा करके बताती है की वो सुमित को पीछे बुला ले...
"सुमित यहाँ जाओ तो..."
नितिन बोलता है...
"में अभी आता हु तुम दोनों इसी बाजु सिडिया उतरते जाओ..."
सुमित बोलता है और पीछे नितिन के पास चला जाता है...
"सभाल कर..."
अक्षत बोलता है जब दिया थोड़ा गिरने जैसी हो गई तब...
"हां..."
दिया बोलती है फिर जब रास्ता थोड़ा खराब आने लगा तो अक्षत दिया की हेल्प करने लगा...
अक्षत दिया का हाथ पकड़ के उसे उतरने में हेल्प कर रहा था और मिताली जो ये देख कर खुश हो रही थी...
वो दोनों ही थे जो सबसे पहले निचे पोहचे थे और उन्हें लगा की शिव और अहाना उन दोनों से भी पहले आ गए होंगे...
दिया और अक्षत एक जगा जा कर बेथ जाते और सब का इंतज़ार करने लगते है तभी वहा नितिन , मिताली और सुमित भी आ जाते है...
"अरे तुम दोनों में से पहले कौन आया..."
मिताली बोलती है...
"दिया..."
दिया कुछ बोले उसे पहले ही अक्षत बोल देता है और जब दिया उसके सामने देखती है तो वो बस एक स्माइल दे देता है...
" अरे तो अहाना और शिव कहा है वो तो हमसे भी आगे थे..."
नितिन बोलता है...
" लगता है वो कही रुके होंगे..."
अक्षत बोलता है...
"अरे वो भी आ गए..."
तभी मिताली बोलती है...
सब उन दोनों के सामने चौक के देख रहे थे क्युकी शिव अहाना को अपने कंधे पे उठा के ला रहा था...
"अरे ये क्या है शिव..."
मिताली बोल कर हसने लगती है...
"अरे बिच में अहाना का पैर फिसल गया तो उसे वजह से वो ठीक से चल ही नहीं पा रही थी इसी वजह से..."
शिव जो पहले अहाना को ठीक से बैठता है और फिर बोलता है...
"अब थीक हो ना अहाना...?"
दिया बोलती है...
"मुझसे भी कोई पूछ लो अब..."
शिव भी उसके बाजु में बेथ कर बोलता है और सब उसे इस तरह देख कर हसने लगते है...
"यार आज पता चला ये पतली दिखने वाली लड़किया भी इतनी भारी होती है..."
शिव बोलता है, पर जब उसकी नज़र अहाना की तरफ जाती है तो वो गुस्से से उसे ही देख रही थी...
"मेंने पहले ही बोला था तुम जाओ पर तुम ने ही बोला था..."
अहाना बोलती है...
" हां ऐसे ही एकेले छोड़ के आ जाऊ ताकि तुम ही फिर बोलो की मुझे एकेलि छोड़ के आगये..."
शिव बोलता है...
"अरे अब झगड़ा नहीं करना है यहाँ हमें..."
मिताली बोलती है...
"तुम सब आगे आगे जाओ में अहाना के साथ धीरे धीरे आ रहा हु..."
शिव बोलता है और सब आगे चले जाते है...
पूरा दिन यही निकल जाता है और आज का दिन अहाना के लिए कुछ ज्यादा ही खास गया क्युकी पुरे दिन शिव ने उसका बहोत दयान रखाऔर आखिर में अहाना को दवाई लगाने के बाद ही वो अपने रूम में जाता है...
अक्षत दिया भी आज पुरे दिन साथ ही रहे...
*****
रात को खाना खाने के बाद सब अपने अपने रूम में आ जाते है। दिया और अहाना बात कर ही रहे थे तभी अहाना के फोन की रिंग बजती है...
अहाना जब अपना फोन देखती है तो शिव नाम देख कर ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है...
दिया जो अहाना को देख कर ही समज जाती है...
"तुम बात करो में बालकनी में बैठती हु..."
दिया बोलती है और स्माइल करते हुए बालकनी में चली जाती है...
"अब केसा है तुम्हे..."
शिव बोलता है...
"हां अब ठीक है..."
अहाना बोलती है...
"अब तो तुम मुझसे नाराज़ नहीं होना..."
शिव बोलता है...
"बिलकुल नहीं हु..."
अहाना बोलती है...
"तुम आज जल्दी ही सो जाओ..."
शिव बोलता है और आज वो दोनों जल्दी ही सो जाते है....
दिया बालकनी में जाती है और खुर्सी पर बेथ जाती है अक्षत जो शिव के साथ ही बैठा था पर एक फोन आने से वो भी बालकनी में बात कर रहा था...
"पापा में नहीं आना चाहता यहाँ में शिव के साथ ही रहना चाहता हु..."
अक्षत बोलता है और फोन रख देता है...
दिया जिसने बस यही बात सुनी थी...
"अरे क्या हुआ अक्षत..."
दिया बोलती है...
"अरे कुछ नहीं..."
अक्षत जो वहा दिया को देख कर अपना गुस्सा शांत करता है फिर बोलता है...
"मेंने अभी तक तुम इतने गुस्से में तो कभी नहीं देखा..."
दिया बोलती है...
"हां बस एक छोटी सी बात है..."
अक्षत बात टालने के लिए बोलता है...
"अरे मुझे लगता है अभी तक तुमने मुझे दोस्त नहीं समजा..."
दिया बोलती है...
"अरे तुम तो दोस्त ही होना.."
अक्षत बोलता है...
" अगर दोस्त मानते हो तो बताओ क्या हुआ है...
में तुम समझने की कोशिश करुँगी..."
दिया बोलती है...
" क्या अक्षत दिया को बताएगा की वो किस वजह से अपने पापा से गुस्से है...?"
"दिया क्या अक्षत को समज पायेगी...?"
अक्षत और दिया की इस कहानी में आगे क्या होगा ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ ....
इश्क़ होना ही था ....
अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...
इश्क़ होना ही था का part -24 आपके सामने 3 februaryको आ जायेगा ...