** ओम नमः शिवाय **
** इश्क़ होना ही था part- 20 **
अभी तक हमने देखा की सब मिल कर मेघालय जाने की बात करते है और मिताली जो अभी इस बात से अनजान थी...
मितली अपना काम कर रही थी और नितिन जो कही जाने के लिए तैयार हो रहा था...
" अरे मिताली तुम सुनो तो सही..."
नितिन जो मिताली के पीछे पीछे चल रहा था...
" मेने ये बोला था की मुझे तुम्हारे साथ गुमने जाना है और तुम एकेले ही जा रहे हो..."
मिताली गुस्से में बोलती है...
"अरे पर इसमें मेरी क्या गलती है, सब ऑफिस में जा रहे है और वहा मीटिंग भी है..."
नितिन जो मिताली को समजाने के लिए बोलता है...
"हां तो जाओ ना...
एकेले एकेले धुम्ना वहा...."
मिताली गुस्से में बोलती है और अपने रूम में चली जाती है...
"जब तुमें सब पता चलेगा तब तुमसे जितनी अभी गुस्सा हो उसे जयदा खुश होने वाली हो...."
नितिन जो मिताली को जाता देख कर मुस्कुराता है और अपने मन में सोचता है...
तभी घर की डोर बेल बजती है। नितिन जो जल्दी से दरवाजा खोलता है...
" अच्छा हुआ तुम लोग आ गए, नहीं तो पता नहीं मिताली आज कितना गुस्सा करने वाली थी..."
नितिन बोलता है...
अहाना , दिया ,अक्षत और शिव चारो घर के अंदर आते है...
"कहा गयी मीतू..."
शिव बोलता है....
" वो तो गुस्सा हो कर रूम में बैठी है... "
नितिन बोलता है...
" चलो तो जल्दी चलते है..."
अहाना बोलती है और सब आके मिताली के रूम के बहार खड़े हो जाते है...
" मिताली ... मिताली..."
नितिन बोलता है...
" तुम कितना भी मनाने की कोशिश करो नितिन में नहीं मानने वाली..."
मिताली गुस्से में बोलती है...
"अरे पर एक बार दरवाजा तो खोलो..."
नितिन बोलता है...
" तुम जाओ फिर ही में दरवाजा खोलूंगी..."
मिताली बोलती है...
" पर देखो तो सही कोन आया है..."
नितिन बोलता है...
" मुझे पता है कोई नहीं आया तुम सिर्फ में दरवाजा खोलू इसी वजस से बोल रहे होना..."
मिताली बोलती है...
" अरे देखो अक्षत और शिव आये है..."
नितिन बोलता है...
" वो अभी वहां कैसे आ सकते है और तुम कुछ भी कह लो में दरवाजा नहीं खोलने वाली..."
मिताली बोलती है...
"मीतू... में और अक्षत दोनों आये है अब तो खोलो दरवाजा..."
शिव नितिन को पीछे करता है और खुद दरवाजे के सामने आ कर बोलता है...
जैसे ही मिताली शिव की आवाज सुनती है, जल्दी से दरवाजा खोल देती है...
"में कब से बोल रहा था तो दरवाजा नहीं खोला और शिव के एक बार कहने से ही..."
नितिन बोलता है...
मिताली नितिन की बाद अनसुनी कर देती है और शिव के गले लग जाती है...
फिर नितिन जो उसके पीछे ही था उसे देखे बिना वो सीधा अक्षत के गले लग जाती है...
जब वो अक्षत के पीछे खड़ी दो लड़कीयो को देखती है तो वो फिर उन दोनों के गले लग जाती है...
" दिया और अहाना तुम दोनों भी..."
मिताली खुश हो कर बोलती है...
"तुम सब यहाँ..."
मिताली बोलती है...
" पहले हम सबको बैठने के लिए तो बोल..."
शिव बोलता है...
" हां और में जल्दी से पानी लाती हु..."
मिताली बोलती है और जल्दी से किचन से सबके लिए पानी ले कर आती है, फिर सबके साथ आ कर बेथ जाती है...
"नितिन अगर आप जाना चाहे तो अब जा सकते हो...."
नितिन कुछ बोलने जता है तब मिताली अपना मुँह बिगड़ कर बोलती है...
" अरे मीतू तुम जीजू से गुस्सा क्यों हो। पहले उनकी पूरी बात तो सुनो..."
शिव बोलता है, तभ जाके नितिन पहले से सारी बाते मिताली को बताता है...
"मतलब की नितिन तुम अकेले नहीं जा रहे...
हम सब साथ में ही जा रहे है..."
मिताली खुश हो कर बोलती है...
"पहले ये बताओ की कितने बजे निकलना है..."
मिताली बोलती है...
" ३ बजे..."
शिव आराम से बोलता है...
" क्या.... ३ बजे...."
मिताली चौक के बोलती है....
"क्या हुआ..."
अक्षत बोलता है...
"मुझे पेक्किंग भी करनी है..."
मिताली बोलती है और अहाना , दिया का हाथ पकड़ के अपने साथ ले जाती है...
" आज मुझे बहार से ही खाना मंगवाना पड़ेगा नहीं तो आज हम भूखे ही रह जायेगे..."
नितिन बोलता है और थोड़ी देर में सब मिल कर खाना खाने बेथ जाते है...
"यार कास तुमने मुझे पहले ये बताया होता...
मेरे पास कुछ अच्छा है भी नहीं पहने के लिए..."
मिताली उदास हो कर बोलती है...
" उनकी चिंता मत करो तुम...
मेने तुम्हारे लिए शॉपिंग कर ली है..."
नितिन बोलता है...
मिताली खुश हो कर नितिन को साइड से गले लगा देती है...
सब टाइम से घर से निकल जाते है और रात को वहा पोहोच जाते है...
वहा ३ रूम पहले से ही बुक करवाए थे...
मिताली और नितिन एक रूम में चले जाते है फिर शिव और अक्षत एक रूम में फिर दिया और अहाना एक रूम में...
आज सब इतने थक चुके थे की किसीको भी अपने रूम से बहार निकलने का मन ही नहीं हो रहा था और इसी वजह से सब अपने अपने रूम में ही खाना मंगवा लेते है...
सब सो जाते है और अहाना जिसे नींद नहीं आ रही थी तो वो शिव को फोन करती है...
" हां बोलो क्या हुआ..."
शिव बोलती है...
" तुम बालकनी में आओ ने मुझे नींद नहीं आ रही..."
अहाना बोलती है...
शिव ने पहले से ही इस तरह से रूम बुक करवाए थे जिससे वो बालकनी से अहाना से बात कर सके...
"मुझे सोना है हम कल बात करते है..."
शिव बोलता है...
"ठीक है फिर मुझे अब बात ही नहीं करनी..."
अहाना गुस्से में बोलती है और फोन रख देती है...
"मेने ही क्यों बुक ऐसे रूम बुक करवाए...
कल ही मना लूंगा में..."
शिव अपने मन में सोचता हैफिर बेल्केट पूरा ओढ़ लेता है...
"शिव क्या बालकनी में जायेगा...?"
" नितिन न तो मिताली को मना लिया पर क्या शिव अहाना को मना पायेगा...?"
"अब आगे क्या होगा इस ट्रिप में...?"
अक्षत और दिया की इस कहानी में आगे क्या होगा ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ ....
इश्क़ होना ही था ....
अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...
इश्क़ होना ही था का part -21 आपके सामने 2 February को आ जायेगा ...