Hotel Haunted - 52 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 52

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

Categories
Share

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 52

सुबह के 7 बज रहे थे,आसपास चारो तरफ धुंध फैली हुई थी,ठंड अपने पूरे जोर पर थी, इतनी धुंध थी मानो आसमान के सारे बादल जमीन पर उतर आए हो, उसके साथ बह रही हल्की पर बेहद सर्द हवा सांसों को उखाड़ने के लिए काफी थी, आर्यन और विवेक दोनो रिज़ॉर्ट के गेट पर खड़े बात कर रहे थे,उन्होंने पूरी तरह अपने आप को गर्म कपड़ो से ढका हुआ था फिर भी यह काफी नही था।
"All Set, किसी को कुछ पता तो नहीं चला ना?" आर्यन को रिसॉर्ट के गेट से बहार आते हुए देख विवेक ने अपना सवाल किया।


“नही यार, सब लोग कल रात से थके हुए हैं इसलिए इतनी जल्दी कोई नही उठनेवाला, तुझे ड्राइवर मिला?''
"नहीं यार, पता नहीं कहा गया, मैंने इधर उधर देखा लेकिन ना तो वो है और ना ही हमारी बस खड़ी है।" विवेक ने इधर उधर देखते हुए बोला।
"चिंता मत कर,यही कही पीकर पड़ा होगा वैसे भी इतनी ठंड मैं उसके बिना गुजरा करना मुश्किल है,वैसे निशा कहा है?"
"Looking for signal, मुझे ये समझ नहीं आता की कौन सी सदी में पहुंच गए हैं जो Network ही नही आ रहा।"विवेक की बात सुन आर्यन हल्का सा हंस पडा।
"सिग्नल....सिग्नल....सिग्नल,प्लीज...मिल जा" निशा की नज़रें फोन के सिग्नल बार पर चिपकी हुई थी और वो फ़ोन को घुमाती हुई आगे बढ़ रही थी इस उम्मीद में की सिग्नल मिल जाए, इसी उम्मीद में वो धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी की तभी उसने फोन में सिग्नल दिखा, जिसे दिखते ही वो वहीं रुक गई लेकिन उसके थोड़ा हिलते ही वो सिग्नल चला गया,"Dammit"
आर्यन:- "यार मुझे तो अभी भी Doubt है, ऐसा कैसे Possible है?''


"I don't know यार लेकिन हमारे पास बस यहीं एक लीड है और उसी के base पर में कोशिश करता रहूंगा।"विवेक और आर्यन दोनों आपस में बातें करते हुए रिज़ॉर्ट से बहार निकले और उनकी नज़र सामने खड़ी निशा पे पड़ी।
"अरे निशा यह क्या कर रही है?"
"Look this" निशा ने सिग्नल बार की तरफ अपनी उंगली से इशारा किया, जैसे ही वो पिछे हुई सिग्नल के दो बार ऊपर चढ़ गए और फिर उसके दुबारा हटने से सिग्नल गायब हो गए।
"isn't this really weird guys?"
"ये लाइन यहां आने के बाद बहुत बार सुन चूका हूं इसलिए मुझे कुछ weird नही लगता।"आर्यन ने अभी इतना ही कहा था कि विवेक उसे पास पहुंचा।
"You get signal और तू बता नहीं रही है।" विवेक ने निशा के हाथ से फोन छीनकर कहा।
"मैं अभी यही कह रही थी की..."
"श्श्श्शश्...."निशा ने अभी इतना ही कहा था कि विवेक ने उसे आगे बोलने से रोक दिया क्योंकि उसके नंबर डायल करने पर फोन की रिंग जाने लगी,कुछ देर बाद सामने से किसी ने फोन उठाया और विवेक उससे बात करने लगा।
"okay...okay I'm on it ठीक है।" फोन कट करने के बाद विवेक ने दोनो की तरफ देखा और चलने का इशारा किया और तीनो वहां से चलते हुए रिजॉर्ट की ओर बढ़ गए।



कुछ घंटे बाद....


मेरी जब आंख खुली बगल मैं देखा तो ट्रिश नही थी शायद मेरे उठने से पहले ही वो उठकर चली गई थी इसलिए मैं फ्रेश होकर जब नीचे आया तो ट्रिश ने मेरी तरफ देखकर मुस्करा दिया मैं उसके पास जाकर खड़ा हो गया और मिस की बात सुनने लगा।
"हम सब यहां ज्यादा दिन नहीं हैं इसलिए हमें जल्द से जल्द यहां के Architecture और यहां की चीज़ों पर study शुरू कर देनी चाहिए,हमारा काम जितनी जल्दी पूरा होगा हमे fun के लिए उतना ही जायदा टाइम मिलेगा"मिस की बात सुनकर सब ने जवाब में 'हां' कहा।

"okay, जब सब लोग आ गए हैं तो मुझे लगता है कि हमें आगे बढ़ना चाहिए।"
"मिस पर विवेक,आर्यन और निशा वो तीनो यहां नहीं है।“मिलन ने मिस की बात को बीच में रोकते हुए कहा।
"What!!? इतनी सुबह-सुबह तीनो कहा गए?" मिस ने अभी इतना ही कहा कि सबके कानो मैं डोर के खुलने की आवाज़ पड़ी जिसे सुनकर सब लोग उस तरफ देखने लगे तो सामने से वो तीनो हॉल मैं आ रहे थे।
"हम अभी तुम्हारी ही बातें कर रहे थे,कहा गए थे तुम लोग?"
"कहीं नहीं, सुबह जल्दी आंख खुल गई तो सोचा थोड़ा घूम आए" विवेक ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
"okay, let's come to join us हम सब ने सोचा है की पहले इस रिजॉर्ट को अच्छे से देख लिया जाए ताकि बाद मैं कोई problem ना हो।"


"Of course,we will join too" विवेक इतना कहकर सभी के पास जाकर खड़ा हो गया, इसे पहले कोई कुछ कहता विवेक दोबारा बोल पड़ा,"आंटी आपको एक important बात बताना तो मैं भूल ही गया,दरअसल कुछ देर पहले मिस्टर शर्मा का फोन आया था।" शर्मा का नाम सुनते ही सबके कान खड़े हो गए।
"क्या??! उन्होंने क्या कहा, कहां है वो और वो यहां आए क्यों नही?"
"वो आंटी उन्होंने सॉरी कहा है क्योंकि उनको important काम से दूसरे शहर जाना पड़ा और शायद हमारे यह रुकने तक वो नही आ पाएंगे।"
"Okay,No Problem अगर दोबारा उनसे बात हो तो मेरी तरफ से उन्हे thanks कह देना।"
"पर मिस मिस्टर शर्मा का फोन नंबर विवेक के पास कैसे हो सकता है आपने तो कहा था उन्हे आपके अलावा कोई नहीं जानता।" कोई कुछ कहता उससे पहले ही हर्ष ने अपना सवाल किया।


"वो मैने कल ही आंटी से उनका नंबर लिया था क्योंकि यहां पर तो signal मिलता ही नहीं तो सोचा क्यूं ना मैं try करूं तो आज सुबह ही उनका कॉल आया तो मेरी उनसे बात हुई।"
"Ohk , No More Time For This Discussion , Lets Move , We Have Much More To Do Now" मिस ने कहा ओर सब उनके पीछे चलने लगे।
"श्रेयस" ट्रिश की आवाज जब कानो मैं पड़ी तो मैंने उसकी तरफ देखा "क्या सोच रहा है?" ट्रिश के सवाल करने पर मेने ना में गर्दन हिलाई,कुछ देर तक वो मुझे ऐसे ही देखती रही फिर तो मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा,"Thank you for yesterday सच में कल मुझे बहुत अच्छी नींद आई।"मेरा जवाब सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराने लगी।
"उसने मेरी आंखों को देखकर कहा सच मैं बहुत बदल गए तुम पहले हर छोटी सी बात को अपने दिल से लगा लेते थे पर कल हर्ष के इतना कुछ कहने पर भी तुमने कुछ react नही किया।"
"हर इंसान दिल से जुड़ता हैं,रिश्ते बनाता है और उन्हे निभाता है पर जब वो इंसान ही ना रहे तो उसे जुड़ी हर चीज़ प्यार,नफरत,खुशी या गुस्सा सब उसके साथ ही चला जाता है,वो ओर कुछ मेहसूस नही करना चाहता,अब बस उन रिश्तों के नाम पर मेरे पास तुम्हारी दोस्ती है बची है जिसे मैं कभी खोना नही चाहता।"मेरी बात सुनकर वो कुछ कहने वाली थी पर रुक गई वो सामने देखकर चलने लगी।


"तू कुछ कहना चाहती है?" मेरे पूछने पर उसने ना में गरदन हिलाई और अपनी पलको को अपने हाथ से साफ करने लगी, "तुझे तो अच्छी नींद आई पर मुझे नहीं तभी आँखों में सुबह से पानी पानी भर रहा है"ट्रिश ने बात को बदलते हुए कहा।उसके इस तरह बर्ताव करने पर मैने उससे घूरते हुए कहा।
"सच में कुछ नहीं कहना?"मेरे दोबारा सवाल करते ही ट्रिश ने मेरी तरफ देखकर कहा,"हा एक बात है जो तूझे कहनी है।''
"These Paintings Really Facinating, These Type Of Creatures , Really Its Hard To Imagine , Students You Must Notice These Points Situation और जगह के हिसाब से रिसॉर्ट को full Creativity दी गई है ताकि ये जगह Actual में Haunted लगे, Not that point Creativity सिर्फ बहार से नहीं बल्कि अंदर से भी आनी चाहिए।" मिस walls पे लगी अलग अलग तरह की पेंटिंग्स को देखते हुए सबको समझा रही थी और सब उसके साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे।
"Are you sure Trish?" मेने serious टोन में पूछा।
"Yess.... I'm "उसकी इस बात को सुनकर मैं फिर सोच मैं पड़ गया, मैं आगे कुछ पूछता उससे पहले मेरे कानों में आवाज पड़ी,"Hey Guys, तुम सब वहा क्या कर रहे हो, जल्दी चलो We Found Something Very Intresting " मिलन के कहते ही हम उसके पास पहुंचे तो देखा कि सब एक चीज के सामने खड़े उसे घूर रहे थे।



"ये है यहां की लिफ्ट।" मिलन ने Excitement से उसे देखते हुए कहा मानो वो इस लिफ्ट के बारे में बहुत कुछ जानता हो।
''इसमें ऐसा क्या दिलचस्प है मिलन जो तुमने हम सब को यहां बुला लिया।"मिस ने अपना सवाल किया।
"मिस. अगर इस लिफ्ट का आर्किटेक्ट समझ लिया तो समझिए कि हम इस रिसॉर्ट के आधे से ज्यादा architechture को जान लेंगे।" मिलन ने लिफ्ट के अंदर जाकर कहा।
"इसमें ऐसा क्या Special है?" श्रुति ने लिफ्ट को देखकर कहा।
"आपने सही कहा था मिस यह रिजॉर्ट सच मैं अलग है।"मिलन ने लिफ्ट पर लगें बटनों को देखकर खुश होते हुए कहा।
"This Guy driving me Crazy...Man"अभिनव बड़बड़ाया।
"मिलन साफ़ साफ़ कहो"मिस ने भी गोल गोल घूम रही बातों से परेशान होकर कहा।


" Shreyas Dude Come here" मिलन के बुलाते ही मैं लिफ्ट के अंदर पहुंचा और जब मेरी लिफ्ट के अंदर लगे बटन पर गई तो मैं समझ गया की मिलन आखिर क्या कहना चाहता है।
"मिस ये लिफ्ट सिर्फ vertically ही नहीं बल्कि Horizontally भी मूव करती हैं।'' मिलन कि बातें सुन सब shoked हो गए।
"पर तुम इतने confidence के साथ कैसे कह सकते हो?" आंशिका ने हेरानी भरे लफ़्ज़ों से पूछा।
"These Button Indicating Me , Look At These , They Are Divided In Blocks And Floors, इससे यहीं जाहिर होता है की रिज़ॉर्ट blocks में बंटा हुआ है " मिलन की बात सुनकर किसी को यकीन नहीं हो रहा था।
"This Is Something Extra-ordinary..." मिस ने मुस्कुराते हुए कहा।


“ Ofcourse miss. मेरे हिसाब से हर फ्लोर पर कम से कम 3-4 लिफ्ट होनी चाहिए, जिससे पर रूम तक आसानी से जाया जा सके, अगर में इस लिफ्ट से मैं अपने कमरे तक जाऊं तो सच मैं मुझे बहुत मजा आएगा।"
"तो फिर चलते हैं हमे कोन रोकेगा?" श्रुति ने भी Excitement में कहा।
"नहीं जा सकते"
"पर क्यों?"
"क्योंकि उसके लिए पावर चाहिए जो नही है फिर भी यह लिफ्ट खुली हुई है?"
"ओह हाँ.. इस बात पर तो मेरा ध्यान ही नहीं गया।" मिलन ने मेरी तरफ देखकर हैरान होते हुए कहा।
"लो फिर शुरू हो गया" हर्ष आंशिका के कान के पास हल्की आवाज में बड़बड़ाया।
"इसका मतलब यह है कि लास्ट टाइम जब पावर कट हुआ तब ये लिफ्ट खुली और उसके बाद कभी पावर आया ही नहीं।"
"इसका मतलब हम लिफ्ट मैं नही जा सकते तो फिर हम यह टाइम waste क्यों कर रहे है चलिए मिस रिजॉर्ट के बाकी हिस्सों को भी देखने चलते है।"
"You're Right Harsh, मुझे लगता है कि हमें आगे बढ़ना चाहिए।"


शाम तक सब लोग रिजॉर्ट मैं ही घूमते रहे पर tour तो एक बहाना था, कुछ अपने दोस्त या प्यार के साथ Time Spend कर रहे थे तो कुछ मिस के साथ उन चीज़ों को study कर रहे थे।
"तू ज्यादा टेंशन मत ले और रूम में जाकर थोड़ा रेस्ट कर ले "मेने ट्रिश से कहा तो वो अपने कमरे मैं चली गई।शाम ढल चुकी थी, बाहर सूरज कब का छुप गया था,शायद इस हैवानियत से भरी। जगह में सूरज को जादा देर रहना पसंद नहीं था इसलिए 5:30 बजते ही वो भी बादलों के पीछे कहीं खो गया और सर्द हवाओं ने अँधेरे के साथ मिलकर फिर उस जगह पर कब्ज़ा कर लिया,आज की रात क्या दहशत लेकर आने वाली थी यह किसी को नही पता था।


हॉल मैं सब लोग खड़े एक दूसरे से बात कर रहे थे तभी मेरी नजर हॉल के सामने बने कॉरिडोर पर गई जहा हम अभी तक नही गए थे,मैने टॉर्च जलाकर उस तरफ देखा तो पाया की वो दो हिस्सो मैं बटा हुआ था जिसके दाईं तरफ से मुझे हल्की सी रोशनी आती हुई नजर आई,जिसे देखकर मैं उस ओर बढ़ने लगा,मैं चलते हुए रिजॉर्ट के गहराई मैं पहुंच रहा था जहा तक कोई नहीं गया था,उन दीवारों पर लगे mask और चीज़ों को देखते हुए मैं कितना अंदर तक आ गया मुझे पता ही नही चला तभी मुझे मेरी गर्दन पर कुछ महसुस हुआ, ऐसा लगा मानो कोई चीज़ इधर उधर हिल रही हो, मेने तुरंत अपना हाथ गर्दन पर रखकर उसे झटक दिया,अचानक 'टिक' आवाज हुई और मेरे सर के ऊपर एक हल्की रोशनी वाला बल्ब जल गया,जैसे ही मेरा ध्यान उस बल्ब पर गया तो मेरी समझ मैं आया की यहां तो पावर ही नही है तो फिर ये बल्ब कैसे जल रहा है?अभी मेरा ध्यान उस चीज से हटा ही था की मुझे एक ओर जटका लगा क्योंकि मैं इस वक्त एक कमरे मैं खड़ा था मेरी समझ मैं ही नही आया की मैं यहां कब पहुंचा?


मैने आस पास नजर दौड़ाई तो मेरी नजर एक contact तार पर गई जो एक बोर्ड से कोने मैं लगा हुआ था,रूम के उस कोने मैं पहुंचकर मैने उस बोर्ड से मिट्टी हटाकर देखा तो उस पे Battery शब्द लिखा हुआ था जिसे देखकर मैं समझ गया कि ये बल्ब कैसे जल रहा है?मैने रूम की चीज़ों पर गौर किया तो वहा पर एक छोटा सा टेबल और कुर्सी पड़ी हुई थी,दिखने मैं यह रूम एक छोटे से स्टोर रूम जैसा लग रहा था,मेरी नजर सामने खुले हुए डोर पर पड़ी जिसे देखकर मुझे यह अंदाजा लग गया की यह बाहर जाने का रास्ता है पर इसके अलावा मेरी नजर बोर्ड के पास बने एक दरवाजे पर गई जो कब से बंध पड़ा हुआ था,मैं वहा से निकलना चाहता था पर मेरा मन बार बार उसे खोलने के लिए कर रह था।



सभी हॉल में खड़े हुए आपस में बात कर रहे थे, "okay, वैसे तो हमने अंदर से रिजॉर्ट की सब जगह देख ली है इसलिए कल हम लोग इसके बाहर के location को explore करेंगे,वैसे भी सभी लोगो ने आज बहुत मेहनत की है।" मिस विवेक से बात कर रही थी।
विवेक:- "हम्म आइडिया तो अच्छा है आंटी, लेकिन मैं एक बात आपको बताना ही भूल गया।''
मिस :- "वो क्या?"
"यही की सुबह से मुझे ना तो मुकेश दिखा है और ना ही हमारी बस।" विवेक के कहते ही मिस उसे घूरने लगी।
"What...!!??" विवेक की बात सुनकर ट्रिश बोल पड़ी,"तो तुमने सुबह से किसी को बताया क्यों नही?" ट्रिश की बात सुनकर सब लोग उनकी ओर देखने लगे।
"मुझे लगा कि यहीं कहीं गया होगा लेकिन वो अभी तक नही लौटा तो मैंने सोचा कि आप सब को बता देना चाहिए'' विवेक ने बेहद सिंपल लहज़े मैं कहा।
"Ohh God,One more problem ये मुकेश ऐसे कैसे बिना बतायें कहा जा सकता है? अब हमारे सुबह के प्लान का क्या होगा?"
"चिंता मत करो आंटी, मैंने local car किराए पर ले ली है जरूरत पड़ी तो एक ओर ले लेंगे" विवेक ने मुस्कुराते हुए कहा।
मिस :- "Ohh That Will Be Good Then,Thanks For This Vivek "
“पर मिस ड्राइवर का क्या, वो कहां गया है कब तक लौटेगा? हमे इसके बारे मैं कुछ पता करना चाहिए'' ट्रिश ने ऐसे सवाल किया मानो वो इन दोनों की बातें सुन के हैरान हो।
"चिंता मत करो यही कहीं होगा, आ जाने दो कल उसे बताती हूं, ऐसे बिना बताए कैसे जा सकता है? "मिस ने ट्रिश की बात को अनदेखा करते हुए अपनी बात कही जैसे उन्हे परवाह ही ना हो, उनकी बात सुनकर ट्रिश श्रेयस को ढूंढने लगी।



मेरे दरवाज़े पे लगे हैंडल को घुमाया और उसे हल्का धक्का मारा तो वो अजीब सी 'कर्रररर....' आवाज करते हुए खुल गया,मैने टॉर्च आगे की तो मुझे सीढ़िया नजर आई जो मुझे नीचे की ओर ले जाती थी,मैने धीरे से चलते हुए नीचे उतरने लगा इस कमरे को देखकर यह समझ मैं आ गया की दिन मैं भी शायद यह सूरज की कोई किरण नही पहुंचती होगी,यह कमरा पूरी तरह से जमीन के नीचे बना हुआ था इसलिए यह एक अजीब सी घुटन भी मेहसूस हो रही थी।मैं जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था मुझे इस बात का अंदाज़ हो गया था कि ये कमरा जितना छोटा दिख रहा था उतना है नहीं, मैं आसपास देखा तो हर जगह मिट्टी जमी हुई थी।मैने नीचे पहुंच गया वहा देखा तो बड़े बड़े मीटर्स लगे हुए थे मेरी नजर एक बोर्ड पर गई जिसे देखकर मैने main switch on कर दी और वहा लगी MCB को एक के बाद एक ऑन करने लगा पर कोई फायदा नही हुआ,शायद यहां की power supply ही cut की हुई है।



टॉर्च की रोशनी मैं भी देखने मैं दिक्कत हो रही थी क्योंकि यह कमरा पूरी तरह से अंधेरे मैं डूबा हुआ था,ऐसा लगा था मानो यह अंधेरा मेरे शरीर मैं समा रहा हो,मैं गौर से कमरे की हर एक चीज को देख रहा था तभी मेरी नज़र कोने मैं पड़ी एक चीज पर गई जिसे देखकर कई फौरन उसके पास पहुंच गया और उस मशीन के बोर्ड को चेक करने लगा। बोर्ड पर जमी मिट्टी को हाथ से हटाया और उस पर बने buttons को देखकर समझने की कोशिश करने लगा, कुछ देर देखने के बाद उसपे लगे 'रेड' बटन को दबाया लेकिन कुछ नहीं हुआ मेने दो तीन बार दबाया लेकिन कुछ भी नहीं हुआ, मैने उसका फ्यूल टैंक खोलकर देखा तो वो पूरा भरा हुआ था, उसके बाद मैंने उसका प्लग देखा,उसे बोर्ड से कनेक्ट किया और जैसे ही बोर्ड पे लगे 'लाल' बटन को दबाया ' टक - टक - टक ' करते हुए हॉल की सारी लाइटें जलनी शुरू हो गई,हॉल के बीच मैं लगा हुआ झूमर चमक उठा,lights on होते ही उसकी रोशनी रिजॉर्ट के हर हिस्से मैं फेल गई और रिजॉर्ट किसी चांद की तरह चमक उठा,जिसकी रोशनी बाहर तक फैलने लगी, सभी के मुंह खुले रह गए आंखें जलती लाइट्स पर जा टिक्की, "This must be Shreyas" मिलन ने चौंके हुए अंदाज़ में कहा।
"तुम्हें कैसे पता?" वही हाल में श्रुति ने पूछा।
मिलन:- "हमारे आसपास देखो सब लोग यह मौजूद है सिवाय उसके तो यह काम सिर्फ वही कर सकता है।''



कुछ देर बाद...


“ये बात मैंने क्यों नहीं सोची, इतना बड़ा रिज़ॉर्ट है तो पावर बैकअप तो होगा ही, इस बात पर हमारा ध्यान तो गया ही नहीं'' मिलन ने हाथ में पकड़े glass को मुंह से लगाते हुए कहा।
"अच्छा, जो कोई नहीं सोचता वो श्रेयस कर के दिखाता है, Really Shreyas, This Is The Best Thing You Did , I Think
Everyone Should Applause For His Effort" कहते हुए मिस ने clap करना शुरू कर दिया,उन्हे देख सभी उनका साथ देने लगे।
"Yes Miss.This Is Really Amazing की रिसॉर्ट की लाइट्स है वापस आ गई, मुझे लगता है जब से हम आए हैं ये सबसे अच्छी बात है हुई है हमारे साथ तो क्यों ना इस बात पे पार्टी की जाए, We Will Celebrate This What You Say Guys?" हर्ष की excitement देखकर मिस ने भी माना नही किया।



"Brilliant, तो फिर मैं पार्टी की तैयारी करता हूं चल आजा अवि"हर्ष के कहते ही अविनाश उसके साथ चला गया, सबकी बात सुनने के बाद में कुछ पल खड़ा रहा और फिर वहां से जाने लगा पर तभी ट्रिश ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
"How did you find?" हाथ पकड़ते ही उसने मुझसे सवाल किया।
" I Dont Know , I Just Walked in that corridor & I Found "मैं इतना कह के चुप हो गया।
"Strange Is It?"
"पता नहीं, पर एक बात है ट्रिश जो मैंने लिफ्ट में नोटिस की वो सही थी।''
ट्रिश :- "मतलब?"
"यहीं की जो भी लास्ट टाइम उस लिफ्ट में था वो जेनरेटर रूम मैं ही जा रहा था।"
"तुझे कैसे पता?"
"Elevators में लगें buttons से" ट्रिश से इतना कहकर मैं अपने कमरे में आ गया और बिस्तर पर सर लगाये लेट गया, ना जाने क्यों पर बहुत थकान और अकेलापन मेहसुस हो रहा था,आज फिर से दिल ने उन यादों को टटोलना शुरू कर दिया,जब भी मैं अकेला महसूस करता मां के गोद मैं सर रखकर सो जाता था और मां अपने उन कोमल हाथो से मेरे सर को सहलाती रहती,यह सब याद करके मैने साइड मैं रखी फ्रेम उठाई और दिल से लगाकर बैठ गया,कुछ पल ही बीते थे कि बाहर से मिलन की आवाज आई, “श्रेयस फ्रेश होके नीचे आ जा, पार्टी शुरू होने वाली है वाली है।"यह सुनकर मैने okay कहा और कुछ देर बाद में फ्रेश होकर नीचे चला गया, जैसे ही हॉल में पहुंचा तो वहां मेरे अलावा कोई नहीं था, किसी को ना पाकर मैं वहीं एक कोने में खड़ा हो गया तभी मुझे किसी के कदमों की आवाज सुनई दी,मैने उस ओर देखा तो ओर कोई नही बल्कि आंशिका नीचे आ रही थी।



To be Continued.......