Veera Humari Bahadur Mukhiya - 16 in Hindi Women Focused by Pooja Singh books and stories PDF | वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 16

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 16

रांगा के कहने पर ऊमि उस पुड़िया को लेकर वहां से चली जाती हैं .....
इधर इशिता अपने रूम में बैठी कुछ सोच ही रही थी तभी निराली जी उसके रुम का डोर नाॅक होता है लेकिन किसी ख्यालों में खोये होने की वजह से उसपर ध्यान नहीं दिया....जब काफी देर खटखटाने के बाद इशिता दरवाजा नहीं खोलती तो निराली अंदर आकर इशिता को खोए हुए देखकर अपने हाथ में लाई खाने की प्लेट को साइड के टेबल पर रखकर उसके पास आकर बैठती है तभी उसका ध्यान उनपर जाता है.......
हैरानी भरी आवाज में इशिता कहती हैं...." चाची आप... बैठिए...आप कब आई...?..."
निराली इशिता के पास बैठती हुई कहती हैं...." मेरी बेटी कहीं खोई हुई थी..."
इशिता निराली की आवाज से ख्यालों से बाहर आती हुई कहती हैं...." चाची आप कब आई...?..."
निराली उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहती हैं...." जब तुम किसी बात को लेकर सोच विचार कर रही थी... "
वीरा अनमने से हंसते हुए कहती हैं " कुछ नहीं चाची बस यूंही सोच रही थी , अब आप जल्दी से खाना दे दो भूख भी लगी है "
निराली हंसते हुए खाने की प्लेट इशिता को देती है , तभी बरखा पहुंचती है, उसके चेहरे पर परेशानी की लकीरें उभर रही थी जिसे देख इशिता समझ चुकी थी जरूर कोई विशेष बात है...
पेट भरने का बहाना बनाकर इशिता बरखा के साथ बाहर चली गई जहां सुमति और सोमेश पहले से ही उसका इंतजार कर रहे थे...
" क्या बात है..?" इशिता ने गंभीर आवाज में कहा
सोमेश घबराता हुआ कहता है.." वीरा जी वो हमारे गांव में बस एक ही डाक्टर साहब थे और उनको भी किसी ने मार दिया.."
इशिता ये सुनकर हैरानी से पूछती है.." क्या..पर कैसे..?.."
" ये तो पता नहीं चला वीरा जी, वो अपने घर में मरे हुए थे .." उदासी भरे शब्दों में सुमित ने कहा
इशिता चिंतामग्न चौपाल पर पहुंचती है..और सबको वहीं आने के लिए कहती हैं..सब लोग पहुंच चुके थे..
ये बात पूरे गांव में फ़ैल चुकी थी , जिससे सब लोग काफी परेशान हो चुके थे... लेकिन इशिता किसी को कहां परेशान होने देती ...
कुछ देर सोचने बाद उमंग भरी आवाज में कहती हैं.." आप सबको चिंता करने की जरूरत नहीं है , मैं कल डी.एम आफिस जाऊंगी.आपकी इस समस्या का समाधान लेकर ही लौटूंगी.."
इशिता कि बात सुनकर सबके चेहरों पर एक सुकून छा गया था.. लेकिन वही निमि शातिराना अंदाज में हंसते हुए कुछ सोच रही थी... फ्लैशबैक...ऊमी निमि को को वो पुड़िया देते हुए समझा रही थी ...और रांगा के बारे में बता रही थी...**
निमी अपने आप से हंसते हुए कहती हैं नादान लोग डाक्टर को हमने मार दिया अब तुममें से किसी एक की बारी जल्द ही सरदार यहां आने वाले हैं , बस ये दवा वीरा के खाने में मिला दूं..."
निमी चोरी छिपे निराली के घर एंटर होती है और उस दवाई को खाने में मिला देती है...

लेकिन तभी उसके कंधे पर कोई हाथ रखता है ....
.........to be continued........
Sorry readers m apni story continue nhi kr payi accident ki vjh s serious injury Hui thi jise cover krne m kafi time lg gya .