Matsya Kanya - 8 in Hindi Adventure Stories by Pooja Singh books and stories PDF | मत्स्य कन्या - 8

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मत्स्य कन्या - 8

त्रिश्का काॅल रिसीव करती है..." हेलो..."

दूसरी तरफ से एक घबराई हुई आवाज आती है..." हेलो मिस गौतम जल्दी से बिच के पास पहुंचिए इमरजेंसी है...."

अब आगे...............

त्रिश्का इमरजेंसी का नाम सुनकर परेशान सी होकर पूछती है...." क्या हुआ है...?...."

दूसरी तरफ से आवाज़ आती है...." मिस गौतम बाॅस इस सिचुएशन को हैंडल नहीं कर पा रहे हैं सो प्लीज़ जल्दी आ जाइए...." काॅल कट हो जाती है और त्रिश्का परेशान सी फोन को देख रही थी, उसके अचानक ऐसे परेशान हो जाने से सिद्धार्थ और पायल उससे पूछते हैं....." क्या हुआ त्रिशा....?...तुम इतनी परेशान क्यूं हो गई...?..."

त्रिश्का उन्हें बताती है....." मुझे जल्दी ही सैनीवर बिच पहुंचना है....."

सिद्धार्थ उसके अचानक जाने के कारण को पूछता है....." क्यूं त्रिशा तुमने तो आज छुट्टी ली है फिर क्यूं जाना है वहां....?.."

" हां त्रिशा बोल न...." पायल पूछती है....

त्रिश्का अपने बैग को उठाते हुए कहती हैं....." अभी वर्कर का काॅल था, , वो कह रहा था बिच पर इमरजेंसी है इसलिए मुझे जल्दी आने के लिए कहा है और अगर तुम सब भी चलना चाहते हो चलो , देखते हैं क्या हुआ है वहां पर....?..."

" ठीक है त्रिशा हम भी चलते हैं..." सिद्धार्थ ने त्रिश्का की बात मानते हुए कहा...

रौनक सिद्धार्थ की बात मानते हुए हां कहते हुए उनके साथ चल देता है.....

त्रिशका सिद्धार्थ और बाकी दोनों के साथ बिच के लिए चली जाती हैं

थोड़ी देर में ही वो‌ सब बिच पर पहुंच चुके थे वहां का माहौल देखकर त्रिश्का हैरान रह जाती है.......

चारों तरफ तेज तेज हवाएं चल रही थी , सब तरफ चीख पुकार और भगदड़ मची हुई थी , , रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंचकर सबको वहां से निकाल रही थी....
बिच का इतना बुरा हाल देखकर त्रिश्का बैचेन नजरों से देखते हुए कहती हैं...." जिसका डर था वही हुआ..."
सिद्धार्थ, पायल और रौनक भी यहां की हालत देखकर काफी हैरान थे....
तभी देवांश शेट्टी उनके पास पहुंचकर त्रिश्का से कहता है...." मिस गौतम आप यहां ऐसे क्यूं खड़ी है , हमारी हेल्प कीजिए , आप जानती है रेस्क्यू टीम किनारे किनारे लोगों को बचा सकती है लेकिन उस समुद्री चक्र से तो केवल आप ही बचा सकती है , चलिए जल्दी..."
देवांश की बात सुनकर त्रिश्का बिना देर किए ओसियन के पास पहुंचती है , ,
सिद्धार्थ उसे रोकते हुए कहता है...." त्रिशा , इतने भयंकर तूफान में तुम्हारा ओसियन में जाना सही नहीं है , तुम्हें कुछ हो गया तो...."
त्रिश्का उसे समझाते हुए कहती हैं....." डोंट वरी सिड मुझे कुछ नहीं होगा , तुम भी सबकी हेल्प करो यहां से निकलने में..."
सिद्धार्थ बेमन से उसकी बात मानकर उससे दूर चला जाता है..... सिद्धार्थ के जाने के बाद त्रिश्का तुरंत आगे बढ़ती है....
त्रिश्का जैसे ही पानी में कदम रखती है...उसे बैचैनी होने लगती है... त्रिश्का हैरान रह जाती है आखिर ऐसा क्यूं हो रहा है, पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ..?

.......to be continued......
आखिर क्या हुआ त्रिश्का के साथ...?

Sorry readers m apni story continue nhi kr payi accident ki vjh s serious injury Hui thi jise cover krne m kafi time lg gya .