Dream to real journey - 21 in Hindi Science-Fiction by jagGu Parjapati ️ books and stories PDF | कल्पना से वास्तविकता तक। - 21

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कल्पना से वास्तविकता तक। - 21

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से मिल जाएगी।


पता है अक्सर हमें लगता हैं कि हम चाहें तो हर चीज को बदल सकते हैं.. लेकिन कुछ बातों को बदलना संभव नही होता है.... संभव होता है तो सिर्फ़ उनके होने को स्वीकार करना..!


मिशेल धीरे धीरे हवा में ऐसे ग़ायब हो गया था मानो वो कभी अस्तित्व में ही ना हो...... उसी के साथ गायब हो रहे थे, वो चमकीले पत्थर जो वजूद में ही सिर्फ और सिर्फ मिशेल की वज़ह से थे। गोलक्ष वासियों ने पहली बार उन पत्थरों को गायब होता देखा था…. वरना आज़तक वो सिर्फ टुटा करते थे, उनका इस तरह गायब होना ही उन्हें इस बात की संभावना जता रहा था कि अब वो सब मिशेल नाम की कैद से आजाद हो चुके हैं। सबके चेहरे पर एक अलग ही ख़ुशी की चमक नज़र आ रही थी। सभी के सभी भाग अब तक एक दूसरे को मिशेल के उन अंशो के गायब होने की खबर दे चुके थे और उन्हें संतोष था कि सब हिस्से एक साथ ग़ायब हो चुके थे।

वहीँ नेत्रा अब रेयॉन अंकल के बिल्कुल पास बैठी हुई थी.....उसकी आँखें हल्की नम हो गयी थी जिनमें रेयॉन अंकल के लिए फ़िक्र साफ़ देखी जा सकती थी…. नेत्रा ने अपना पूरा बचपन अनाथालय में बिताया था… रिश्ते के नाम पर उसने सिर्फ दो दोस्त कमाई थी..... लेकिन विथरपी के सफर में उसे बहुत से रिश्तों से और जोड़ दिए था…. जिनमें से रेयॉन अंकल उसके सबसे करीब थे..... उन्होंने शुरू से लेकर अंत तक उनका साथ दिए था.....शायद इसलिए भी नेत्रा और उसके दोस्तों को भी रेयॉन अंकल से एक अलग सा लगाव हो गया था। रेयॉन अंकल अब बहुत तकलीफ में लग रहे थे, ऐसा लग रहा था मानो उन्हें अब साँस लेने में भी तकलीफ हो रही हो..... वो अब मुश्किल से बोल पा रहे…. और नेत्रा ने उसका एक हाथ अपने हाथ था जो कि बर्फ की तरह ठंडा पड़ चुका था।


वहीँ, ग्रमिल ने भी एक बार नित्य से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उस तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा था...... उसने एक दो बार फिर से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन जब वो बार बार नाकामयाब रहा तो उसे एक अजीब से चिंता ने घेर लिए था।

“ नेत्रा…. वो दरअसल ग्रमिल से ना जाने क्यों मैं बात नहीं कर पा रहा हूँ..... तुम एक बार युवी से बात करने की कोशिश करना। “ ग्रमिल ने घबराहट से नेत्रा की तरफ देखते हुए कहा।

“ हाँ हाँ रुको तुम मैं कोशिश करती हूँ.....” नेत्रा ने ग्रमिल को परेशान देखते हुए कहा।

लेकिन नतीज़न युवी से भी उनका जब संपर्क नहीं हो पाया तो नेत्रा को भी उनकी थोड़ी फ़िक्र होने लगी थी।

“ पता नहीं वो दोनों ठीक भी होंगे या नहीं।” ग्रमिल ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा।

“ तुम द...द दोनों उ......उनके पा...स चले जा..... ओ “ रेयॉन अंकल ने मुश्किल से नेत्रा के हाथ पर अपनी पकड़ हलकी मजबूत करते हुए कहा।

“ लेकिन अंकल आपको इस हालत में छोड़कर हम कैसे जा सकते हैं..... नहीं हम..... “

“त.......उम मे....री फि…. क्र मत करो , त…. तुम जाओ “ रेयॉन अंकल ने नेत्रा की बात काटते हुए फिर से कहा।

“ लेकिन अंकल… “

“जाओ… अ..पना खय........आल रख..... ना जाओ। ..” उन्होंने नेत्रा को खुस से दूर करते हुए कहा। वहां खड़े सभी सदस्य अब उनकी तरफ ही देख रहे थे..... नेत्रा भारी मन से रेयॉन अंकल के पास से खड़ी हो जाती है......कहीं न कहीं वो भी जानती थी कि उनका वहां जाना बहुत जरूरी है।

नेत्रा जिली, कल्कि और ग्रमिल के साथ वहां से चली जाती है और बाकि के सदस्यों को वहीं रेयॉन अंकल के पास छोड़कर चली है।

वहीँ दूसरी और नित्य अब भी बेसुध सा निचे पड़ा हुआ था और युवी भी मुश्किल से खुद को संभाल रही थी…. उसके पास से...अब मिशेल पूरी तरह गायब हो चुका था, और उस से कुछ ही दूर बामी भी शायद अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था। युवी को वो खुद ही अब इतनी कमज़ोर लग रही थी कि वो चाहते हुए भी नित्य के पास नहीं जा पा रही थी... उसकी आँखों में उतरता दर्द साफ़ दिख रहा था... उसका एक हाथ अनायास ही उस तरफ़ जा रहा था जिस तरफ नित्य बेसुध हालत में पड़ा हुआ था। वहाँ के चारों तरफ़ के वातावरण में एक अलग सा बदलाव साफ़ देखा जा सकता था.... एक अज़ीब सा हल्का पन महसूस हो रहा था।

कल्कि और नेत्रा, जीली के साथ अब उसी जगह पहुँच चुके थे.. जहाँ पर कभी नित्य और युवी को उस अदृश्य दीवार ने अपने अंदर कैद कर लिया था... वो बेचैनी से उस और देख रही थी.... उसके अंदर यकीन तो था कि शायद अब वो दीवार उनको रोकने के लिए वहाँ नही है... लेकिन फ़िर भी उसने किसी अनचाही इच्छा के हवाले अपना एक हाथ आगे बढ़ाया.... जैसा की उसको यकीन था वहाँ अब कोई दीवार नही थी...उसके चेहरे पर अब एक अज़ीब सी राहत दिखती है...वो सभी की तरफ इशारा करती है और दौड़ते दौड़ते सभी के साथ अंदर की तरफ जाती है...

कुछ दूरी पर ही उसको नित्य और युवी दिख जाते हैं ।

" युवी" "नित्य" नेत्रा और ग्रमिल के मुँह से... दोनों की हालत देखकर एक साथ निकलता है.. अब वो किसी अनहोनी के डर से तेजी से उस और भाग रहे थे. ..जहाँ युवी और नित्य उन्हे जमीं पर पड़े हुए दिख रहे थे। जीली ने भी एक बार के लिए बामी की तरफ़ देखा और वो भी उस तरफ़ बढ़ गया ।

"युवी... युवी तुम ठीक तो हो ना.... क्या हुआ तुम्हे..तुम्हारी ये हालत..और वो मिशेल कहाँ है???" कल्कि ने एक साथ चिंता में कई सवाल करते हुए युवी को अपनी गोद में ले लिया था...!

"मैं ठीक हूँ कल्कि... पर नित्य.... " युवी ने नित्य की तरफ़ देखते हुए कहा। अब कल्कि भी नित्य की तरफ़ देख रही थी।

वहीं ग्रमिल् अज़ीब किस्म से बोखलाया हुआ लग रहा था... वो अज़ीब गहराई सी नजरों से नित्य को देख रहा था... जो बिल्कुल उसके सामने आँखें बन्द करके लेटा हुआ था... और उसके शरीर का रंग बहुत हल्का पड़ चुका था । नेत्रा भी ग्रमिल् के पीछे खड़ी हुई थी... नेत्रा से युवी और नित्य बराबर दूरी पर थे.. उसके साथ ही जीली खडा हुआ था... जिसके ठीक पीछे पड़ा हुआ जीली आती जाती सी सांसे ले रहा था।

" क्या आप इसमें कुछ कर सकते हो... मेरा मतलब अगर आपको कुछ पता हो इस बारें में... " नेत्रा ने एक नज़र जीली को देखते हुए कहा..उसको लगा कि शायद गोलक्ष वासी कुछ कर सकते हों नित्य और युवी के लिए।

" दरअसल... मिशेल ने इन पर अपनी उस शक्ति का प्रयोग किया है जिस से धीरे धीरे इनका शरीर कमजोर पड़ते पड़ते अंत में अपनी जीवन शक्ति खो देता है.... जहाँ तक मुझे लगता है हम युवी को ठीक कर सकते हैं क्योंकि वो सिर्फ़ कमजोर है लेकिन...... ये शायद अब अपने जीवन चक्र का हिस्सा नही है तो हम भी अब कुछ नही कर पाएंगे... " जीली ने नज़र भर नित्य को देखते हुए कहा। युवी को ये सुनकर ही मानो कोई सदमा लग गया था....औरनेत्रा ने एक बार नित्य की तरफ़ देखा जिसको देखने से अब उसको एहसास हो रहा था कि शायद वो अब कभी नही उठेगा.... उसके सीने में ये सोचकर एक हुक सी उठ रही थी, पर वो ये भी जानती थी कि ये वक़्त भावुक होने का बिल्कुल भी नही था...."फ़िर आप युवी को देखिये ..

"नेत्रा ने अपनी आँखों के समुंदर को अंदर ही कहीं दफ़न करते हुए कहा ।

जीली अब युवी के बिल्कुल पास बैठा हुआ था... और धीरे धीरे युवी की दोनो आँखों के ठीक बीचो बीच अपनी आखिरी उंगली से दबाव डाल रहा था। जिसकी वजह से उसके आस पास एक अज़ीब सी गहरे काले रंग की रोशनी निकल रही थी जो धीरे धीरे उसकी टांगों की तरफ़ जाती हुई सी दिखाई दे रही थी... जिसकी वजह से वो धीरे धीरे जीवंत सी दिखाई पड़ रही थी...... कुछ ही देर बाद युवी अपने पैरों पर खड़ी हुई थी हालांकि उसके शरीर का रंग अब भी पहले से हल्का बेंगनी था.. पर फ़िर भी वो पहले से गहरा लग रहा था।

उसके पैर ठीक होते ही वो नित्य की तरफ़ भागी..... " नित्य.. नित्य आँखें खोलो नित्य... मैं युवी...... " उसने नित्य को कंधे से पकड़कर हिलाते हुए कहा... उसकी आँखें भी अबतक नम हो चुकी थी.... और वो बहुत बुरी तरह से बिखरी हुई सी लग रही थी और बार बार नित्य को उठाने की कोशीश कर रही थी ।

" युवी...युवी... क्या कर रही हो तुम..सम्भालो खुद को...ऐसे तो तुम खुद को ही नुकसान पहुंचा बैठोगी ।" कल्कि ने उसकी ये हालत देखकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

वही युवी से मिलता जुलता हाल ग्रमिल का भी था...वो बिल्कुल शांत होकर बैठा हुआ था.... उसके शरीर का तापमान आम से बहुत कम लग रहा था... शायद वो जब ज्यादा दुखी होते थे तो उनके साथ ऐसा ही होता था.... नेत्रा ये बात अच्छी तरह समझ पा रही थी.. क्योंकि उसे भी खुद का तापमान पहले से कम महसूस हो रहा था.... भले वो इतने सालों से धरती पर थी .. लेकिन इस से इस बात को नकारा नही जा सकता था कि वो एक विथरपी वासी थी.. और अब तो उसकी अपनी तरह के लोगों की तरह ही शक्तियां जागृत हो चुकी थी।

नेत्रा ने धीरे से ग्रमिल् के हाथ पर हाथ रखा और उसको सहलाना शुरू कर दिया ।

" ग्रमिल... जब मैं धरती पर थी तब मैंने एक बात सीखी थी कि जो होना है वो होकर ही रहता है.. और होनी कोई नही टाल सकता हैं... तो नित्य का हमारे बीच से यूँ अचानक चले जाना भी शायद वैसी ही बात है जिसको हम चाहकर भी बदल नही सकते हैं... और इस बात को हमे जल्दी ही स्वीकार करना होगा... क्योंकि जिस लक्ष्य के लिए हम सब यहाँ आये थे अभी भी वो पूरा नही हुआ है... और हम सब से ज्यादा इस वक़्त कुछ जरूरी है तो वो हमारे ग्रहों को खत्म होने से बचाना है... " वो अब भी उसके हाथ को धीरे सहला रही थी.. जिसकी वजह से उसको महसूस हुआ कि ग्रमिल् के शरीर का तापमान पहले से थोड़ा ज्यादा हुआ था.... "सोचो अगर हम वक़्त से सब नही कर पाए तो क्या नित्य को अच्छा लगेगा??? क्या वो होता तो ये होने देता??" उसने ग्रमिल् को चेतना में लाने के लिए कहना जारी रखा... और अब धीरे धीरे ग्रमिल् सामान्य हो रहा था... उसने एक नज़र उठा कर नेत्रा की तरफ़ देखा ।

" हमें नित्य का कंगन अपने साथ ही लेकर जाना होगा.. क्योंकि उसके बिना हम कुछ नही कर सकते हैं। " ग्रमिल् ने नित्य के कंगन की तरफ़ देखते हुए कहा।

नेत्रा उसकी तरफ देखकर हाँ में अपनी गर्दन हिलाती है...और फ़िर ग्रमिल् हल्के हाथों से उसका कंगन उतार ने लग जाता है। ये सब सुनकर अब तक युवी भी खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी और अपनी जगह से खड़ी हो गयी थी... लेकिन वो उन सब की तरफ नित्य से नही जुड़ी थी... उसका तो मानो कोई दिल का रिश्ता बन चुका था नित्य के साथ.. उसका दिल उसके दिमाग का साथ ही नही दे रहा था .. उसकी आँखों से खुद ही आँसू बह रहे थे.... कल्कि ने उसको अपने कन्धे पर सम्भाला हुआ था।

जैसे ही ग्रमिल् उसका कंगन उसके शरीर से अलग करता है तो वो धीरे धीरे और भी हल्का रंग होने लगता हैं...क्योंकि अब उसमें जीवन नही था तो उसका शरीर बिना कंगन के उसके शरीर के तापमान को बर्दाश्त नही कर पा रहा था और देखते ही देखते वह अपने आप ही जलने लगता है.... यह देखकर सबके चेहरे पर एक दर्द की झलक आसानी से देखी जा सकती थी.. और देखते ही देखते वहाँ सब शांत हो चुका था.... जहाँ नित्य कुछ वक़्त पहले तक था वहाँ अब सिवाए राख के कुछ भी नज़र नही आ रहा था।

वहाँ सब शांत होते ही उनका ध्यान वहाँ से कुछ दूर पड़े बामी की तरफ़ जाता है... जो अब भी किसी दर्द के हवाले से तड़प रहा था....वो सब अब उसके पास खड़े हुए थे।

" तुम्हारे साथ ऐसा ही होना चाहिए था..... तुम इसी के लायक हो बामी " जीली ने बामी को गुस्से से देखते हुए कहा और उसकी आँखों का रंग कुछ पल के लिए गहरा हो गया था ।

" हूँ... हाँ सच कहा मैं इसी लायक हूँ जीली.... और देखो मुझे मेरी सजा मिल भी गयी है.... मैं इस लायक तो नही लेकिन हो सके तो मुझे माफ़ कर देना... मेरे भाई के प्रति प्यार ने मुझे सच में अंधा कर दिया था.... और जब तक मुझे सही गलत समझ आया तब तक वापिस लौटने के लिए बहुत देर हो चुकी थी.... और फ़िर गलत होते हुए भी मैं कुछ नही कर पाया... तो हो सके तो सभी गोलक्ष वासी मुझे माफ़ कर देना।" उसने अपनी फुलती सांसो के साथ कहा... " और हाँ एक और बात मेरे जाने के बाद मेरे पेड़ से तुम्हे एक चाभी मिलेगी.. उस से मिशेल के पेड़ की आखिरी तह खोलना... शायद जिसकी इसे तलाश है वो इन सबको वही मिलेगी.. " उसने नेत्रा की तरफ उंगली करते हुए कहा... और धीरे धीरे अब उसकी आँखें बन्द होने लगी थी... नेत्रा को ये अज़ीब तो लगा था कि जो सख्स उस से पहली बार मिल रहा है.. उसने उसकी तरफ इशारा क्यों किया?? और उसको कैसे पता चला कि वो यहाँ किसी चीज की तलाश में आई है.... लेकिन उसका जवाब भी उन्हे मिशेल के पेड़ की आखिरी तह खोलते ही मिल गया था...

क्योंकि वहाँ कोई और नही बल्कि नेत्रा खुद कैद थी ।

जारी है....

©JagGu Shayra ✍️