Dream to real journey - 17 in Hindi Science-Fiction by jagGu Parjapati ️ books and stories PDF | कल्पना से वास्तविकता तक। - 17

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कल्पना से वास्तविकता तक। - 17


अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से मिल जाएगी।


कहते है उम्मीद पर दुनिया टिकी है लेकिन मुझे लगता है कि उम्मीद से भी ज्यादा कुछ मायने रखता है और वो है हौसला, क्यूंकि अगर हम कभी मंजिल से पहले रास्तों पर चलते चलते गिर भी गए तब भी गिरने से भले हमारी उम्मीद टूट सकती है लेकिन अगर हम में गिरकर उठने का हौसला है तो हमें हमारे लक्ष्य को पाने से कोई नहीं रोक सकता है।

जग्गू ने भी क्या खूब कहा है कि......

शिद्दत से कोशिश करते रहा कीजिए यारों ,

क्यूंकि मंजिल भी शिद्दत के आगे अक्सर झुक जाया करती है।


“नेत्रा “ नेत्रा के कानों में युवी की आवाज गूंजती है। वो ये आवाज सुनकर मुस्कुरा देती है।नेत्रा को उसकी आँखों में भरे पानी की वजह से सब कुछ धुंधला धुंधला सा दिखाई दे रहा था, एक गहरा सैलाब कबसे वो आँखों में समेटे बैठी हुई थी, युवी भले ही बस कुछ ही देर से उनसे दूर थी लेकिन उसकी आवाज़ ने ही नेत्रा के अंदर बहुत कुछ पिघला दिया था। ऐसा लग रहा था मानो बरसों बाद बंजर जमीन पर बारिश ने रुख़ लिया हो। नेत्रा ने अपने आंसुओं को आँखों में समेटने की भरपूर कोशिश की लेकिन फिर भी कुछ बुँदे उसके गालों पर लुढ़क ही गयी थी। उसने धीरे से अपने आंसू पोंछे।

“ तुम ठीक हो युवी “ नेत्रा ने कहा।

“ हाँ बिलकुल मैं एकदम ठीक हूँ, तूम मेरी चिंता मत करो अपनी बताओ तुम सब ठीक हो ना ??” युवी ने मन ही मन कहा, उसके चेहरे पर भी सुकून आसानी से देखा जा सकता था।

“हम भी ठीक है , अच्छा उस मिशेल ने तुम्हारे साथ कुछ गलत तो नहीं किया ना ? “

“ नहीं उसने तो कुछ नहीं किया लेकिन तुम्हे उसका नाम कैसे पता है ?” युवी ने हैरानी से कहा।

“ अरे सिर्फ नाम क्या मुझे तो उसकी जन्मतिथि से लेकर मरणतिथि तक सब पता है। “ नेत्रा ने गुस्से से कहा।

“ अच्छा ,तेरी किताबों में ये सब भी लिखा होता था क्या ?” युवी ने हल्का सा हँसते हुए कहा।

“ और नहीं तो क्या , इस मिशेल के बच्चे की तो पूरी बायोग्राफी, जियोग्राफी पढ़ रखी है मैंने “

“ वाह ,और क्या पढ़ा तूने इस ठरकी के बारें में ?”

“ क्या बात है तुझे इतनी जल्दी ये भी पता चल गया है कि ये ठरकी भी है ?”

“ अबे यार लट्टू हो गया है तुम्हारी युवी पर ,कहता है तुझे तो मैं अपनी रानी बनाऊंगा, बता अब ठरकी न बोलू उसको तो क्या ही बोलू?” युवी ने तलख़ लहजे में कहा।

“फिर तो ठरकी नहीं महाठरकी है बुड्ढा, इस बात का हिसाब इस से अलग से लेंगे “ नेत्रा ने कहा।

“ हुई आपकी बात ?” ग्रमिल जो कबसे उसके पास खड़ा हुआ नेत्रा को ही देख रहा था उसने उसकी बाजु पकड़ते हुए कहा।

नेत्रा ने आँखें खोलते हुए अपनी हाँ में गर्दन हिला दी।

“ आपने उनको अपनी योजना के बारें में बता दिया ना ? क्या कहा उन्होंने ?”

ग्रमिल की ये बात सुनकर नेत्रा को एहसास हुआ कि वो तो कबसे बस इधर उधर की ही बातें कर रही है ,जो काम की बात है वो तो वो पूछना और बताना भूल ही गयी है। सच्चे दोस्तों में अक्सर यही तो होता है साथ बैठे बैठे घंटो बीत जाते है, बेसिर पैर की बातें करते रहते है, कुछ बातों का तो कभी मतलब होता ही नहीं है, यकीनन वही बात हम किसी और से कहते तो वो हमें पागल समझते और मज़ाक़ उड़ाते वो अलग...... लेकिन एक सच्चा दोस्त ऐसा नहीं है कि वो मजाक नहीं उड़ाता है, पर वो मजाक बात का उड़ाते है हमारा नहीं, और उसी बेमतलब की बात पर वो घंटो हँसते हँसते गुजार सकते है। …. दोस्तों संग बातों और वक़्त दोनों का ही पता नहीं चलता है। नेत्रा और युवी तो फिर थे ही बचपन के दोस्त,

“ वो ,वो मैं बस पूछने ही वाली थी ,अभी पूछती हूँ। “ नेटररने बात संभालते हुए कहा।

“युवी अब मेरी बात ध्यान से सुनो , ये मिशेल है न हमें पता चल गया है कि इसको खत्म कैसे करना है। “

“ अच्छा मुझे भी बता मैं अभी टपका देती हूँ इस ठरकी को। “

“ इतना आसान नहीं है युवी..... “ और इसके बाद एक एक करके नेत्रा युवी को पूरी बात बता देती है।

“ ओह, मतलब इस ठरकी को मरना तो बहुत मुश्किल है। “ युवी मायूस सा होते हुए बोलती है।

हाँ मुश्किल तो है, लेकिन तुम उसकी फ़िक्र मत करो मत करो, उसके लिए भी हमारे पास एक प्लान है। “ नेत्रा ने थोड़े विश्वास से कहा।

“ और प्लान क्या है ?” युवी ने पूछा ने पूछा।

“ देखा जाए तो प्लान कुछ भी नहीं है बस एक तरीका है जिस से उसको मारने के पुरे चांस है..... देखो उसके टोटल हो साथ हिस्से तो हम सब सात हिस्सों में बंट जायेंगे, और एक फिक्स टीम पर सब एकसाथ वार करेंगे तो….”

“ तो वो ठरकी मिशेल का हो जाएगा राम नाम सत्य। .” युवी ने नेत्रा की बात पूरी करते हुए कहा।

“ हाँ लेकिन अभी भी एक प्रॉब्लम है ?” नेत्रा ने कहा।

“ अब क्या प्रॉब्लम है मुझे तो सब एक दम सही लगा। “

“ दरअसल हमें मिशेल के सातवें हिस्से का सिर्फ अंदाजा ही है कि वो मिशेल के साथ है लेकिन उसका बिलकुल सही ठिकाना किसी को अब तक नहीं पता है। “ नेत्रा ने अपनी दुविधा व्यक्त करते हुए कहा।

“ अरे किसी को अबतक नहीं पता था तो क्या हुआ? … पता नहीं था का ये मतलब बिलकुल भी नहीं होता है कि आगे किसी को पता ही नहीं चलेगा। “ युवी ने कहा।

“एक तो यार तू और कल्कि मेरे साथ सीधे सीधे बात किया करो मुझे तुम्हारी ये पहेलियाँ समझ नहीं आती है। “ झल्लाते हुए कहा।

“ अरे पर मैंने भी तो सीधा ही बताया है यार..... चल ये सब तू छोड़, तुम सब बस छः हिस्सों की फ़िक्र करो सातवें हिस्से की जिम्मेवारी मुझ पर छोड़ दो, उसको ढूढ़ना और खत्म करना मेरा काम है, ठीक है ?” युवी ने विश्वास के साथ कहा।

“ पर तुम ये सब कैसे करोगी युवी “ नेत्रा ने थोड़े चिंता भरे स्वर में कहा।

“ वो तो नहीं पता लेकिन हाँ कर जरूर लुंगी। चलो अब तुम भी वहां सब सम्भालो और मैं इधर का सब सम्भालती हूँ , और हाँ बिच बिच में बात करते रहना ओके।”

“ हाँ ठीक है ,तुम बस अपना ध्यान रखना युवी। “ नेत्रा ने अपनी फ़िक्र जाहिर करते हुए कहा।

“हाँ बाबा, और तुम सब भी ध्यान रखना अपना। “

“हम्म “ नेत्रा ने ये कहते हुए ही अपनी आंखें खोल लेती है, कुछ पल के लिए वो बिलकुल शांत होती है ,मन ही मन उसको ये चिंता सताए जा रही थी कि वहां वो अकेले सब कैसे संभालेगी , लेकिन फिर उसको नित्य का ख्याल आता है, और साथ ही याद आती है उसकी वो अनोखी शक्तियां, उन सबको याद करके उसको थोड़ी राहत महसूस होती है। वो अपने मन में आये सभी ख्यालों को पीछे झटकती हुई एक लम्बी सांस लेती है और फिर जल्दी से तरफ मुड़ जाती है। ग्रमिल बिलकुल खड़ा था वहीं रेयॉन अंकल ,कल्कि और जिली पता नहीं किस गहन विषय पर चर्चा कर रहे थे। और पीछे खड़े गोलक्षी भी एकदूसरे के साथ कुछ न कुछ बातें व्यस्त मालूम हो रहे थे। नेत्रा धीरे धीरे कल्कि की तरफ जाती है।

“ अरे अंकल मैं हूँ हम दोनों धरती पर जाने के बाद मिलकर इस पर रिसर्च करेंगे, सोचो तो कितना पैसा बच जायेगा? और ऊपर से हर कोई भी मुँह उठाकर फोन नई मिला पायेगा।” नेत्रा के कानो में उसके पास जाते ही कल्कि की बातें सुनी, उसने उसकी बातें सुनकर अपना सर झट दिया था मानो कह रही हो कि इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता है।

“देवी अगर धरती पर सब सेटल कर दिया हो तो यहाँ के विषय पर थोड़ी बात करले हम सब ?” नेत्रा ने कल्कि को बहुत ज्यादा प्यार भरे लहज़े से कहा, लेकिन कल्कि को उस प्यार के पीछे की नाराजगी साफ दिखाई दे रही थी, क्यूंकि उसको शुरू से ही नेत्रा का स्वभाव मालूम था वो अक्सर दूसरों को उनकी गलती का एहसास बहुत अलग तरिके सा करवाया करती थी, उसको अब भी याद है कि जब उसने नेत्रा से एक बार जिद्द करके बाहर का खाना मंगवा लिया था तब उसके बाद नेत्रा ने लगभग एक महीनें उसको घर का खाना नहीं खाने दिया था, हमेशा खाने के टाइम पर उसके लिया बाहर से कुछ न कुछ आर्डर करके ही रखती थी फिर वो दिन और आज का दिन कल्कि का मन बाहर के खाने से इतना उतर गया था कि आज तक फिर कभी बाहर से कुछ लेकर नहीं खाया है। नेत्रा कल्कि को खोया हुआ देखकर उसके कंधे ओर हाथ रखती है , कल्कि एकदम से अपना सर झटकती है और ख्यालों से बाहर आती है।

“ हाँ बिलकुल मैं और रेयॉन अंकल भी इसी बारें में बात कर रहे थे… “ कल्कि ने हड़बड़ाहट में कहा।

“ अच्छा “ नेत्रा ने अपने चश्में के निचे से घूरते हुए कल्कि से पूछा।

“ हाँ बिलकुल ,नहीं यकीन है तो रेयॉन अंकल से पूछ लो।” कल्कि ने रेयॉन अंकल की तरफ इशारा करते हुए कहा नेत्रा अब रेयॉन अंकल की तरफ देख रही थी। जिस तरह से नेत्रा उनको देख रही थी एक बार तो रेयॉन अंकल भी थोड़ा सा दर गए थे।

“चलो ये सब छोड़ो, और ये सोचो की सब करना कैसे है, मेरी अभी युवी से बात हुई है…. “

“सच में ,क्या कहा युवी ने ,मेरे बारें में भी पूछा कुछ ?“

“ मैं वही बता रही हूँ अगर तुम बिच में नहीं टोकती तो…” उसने फिर से घूरते हुए कहा और कल्कि ने बच्चो की तरह एक अंगुली अपने मुँह पर रख ली। नेत्रा उसकी इस हरकत पर मन ही मुस्कुरा दी लेकिनउसको जाहिर नहीं होने दिया।

“ तो युवी कह रही थी कि हम सब बस छः हिस्सों को संभाल ले सातवां हिस्सा वो खुद संभाल लेगी, तो अब देखना ये है कि हम इन छः हिस्सों को कैसे संभालते हैं और युवी कैसे ? वैसे तो मैंने उसको बोलै है की हमारे संपर्क में रहे लेकिन फिर भी थोड़ा डर लग रहा है उसके लिए क्यूंकि हम सब तो फिर भी साथ है लेकिन वो तो बिलकुल अकेली है उस ठरकी मिशेल के पास। “ नेत्रा ने भारी चिंता से कहा।

“नेत्रा जी युवी अकेली नहीं है आप शायद नित्य को भूल रही है” ग्रमिल ने कहा।

“ नहीं मैं भूल नहीं रही हूँ, नित्य की वजह से तो थोड़ी चिंता कम है। “

“डर मत नेत्रा सब अच्छा होगा। “ कल्कि ने भारी समझदारी के साथ कहा।ये कहते हुए उन दोनों ने आँखों ही आँखों में अपनी सहमति जताई।

“ हूँ तो अब छः हिस्सों का कैसे करना है जिली जी “ नेत्रा ने उम्मीद भरी नजरों से जिली की तरफ देखते हुए कहा। क्यूंकि नेत्रा को विश्वास था कि गोलक्षी मिशेल के बारें में उन सब से ज्यादा बेहतर जानते हैं। वो सब पहले भले ही कामयाब नहीं हुए थे लेक़िन उन सबने मिलकर एक बार तो मिशेल को अच्छी धूल चखाई हुई है। और हो सकता है कि वो कामयाब भी हो जाते अगर पूरी बात होती तो।

“करना कुछ नहीं है नेत्रा जी, हम सब गोलक्ष वासी उन हिस्सों से तो अच्छी तरह वाकिफ़ है तो उन्हें संभालना हम सबके लिए कोई मुश्किल बात नहीं है..... इसलिए वो पांच हिस्से जो यहाँ से दूर है वो हम सब संभाल लेंगे और एक हिस्सा जो यहाँ से बस कुछ ही दूर है वो आप सब संभाल लेना ,ताकि उसको नष्ट करने के तुरंत बाद अगर जरूरत पड़ी तो आप अपने दोस्तों की मदद भी कर पाएं। “ जिली ने सोचते हुए कहा।

“लेकिन उनकी मदद आप सब भी तो कर सकते है, बल्कि आप ज्यादा अच्छे से मदद कर सकते हैं क्यूंकि आप इस ग्रह और गोलक्षियों को हमसे बेहतर जानते है ना “ नेत्रा ने सशंकित शब्दों में कहा।

“हाँ कर तो सकते हैं लेकिन कर नहीं पाएंगे, क्यूंकि हम में से किसी पर तो आपके दोस्त शायद ही यकीन कर पाएंगे, हो सकता है वो हम सबको भी मिशेल जैसा ही समझे। भले ही आप सब हमें कुछ हद तक जानते हो लेकिन आपके दोनों दोस्तों को तो अब भी हम में से यकीनन ख़तरे की बू ही आएगी। “ जिली ने अपनी बात का तर्क सबके सामने रखा , और सबको भी उसकी बात में दम लगा।

“ तो फिर देर किस बात की है ? चलो चलते है जंग के मैदान पर अपना कब्जा करने। “ कल्कि ने अपने एक हाथ की मुट्ठी बना कर उसको ऊपर उठाते हुए कहा।

कुछ ही देर बाद वहां मौजूद सभी लोग छः टुकड़ों में बंट चुके थे। हर टुकड़े में दस से बारह गोलक्षी थे और आखिरी टीम में नेत्रा, कल्कि ,ग्रमिल ,रेयॉन और जिली के अलावा दो और गोलक्षी मौजूद थे। वहां मौजूद हर गोलक्षी ने अपने माथे पर एक अलग सी दिखने वाली चमकदार पट्टी बाँधी हुई थी, जब नेत्रा ने उसके बारें में पूछा तो जिली ने उन्हें बताया कि आमतौर हम आसानी से हर किसी के मन में चल रहे हर विचार को आसानी से पढ़ सकते है, लेकिन अक्सर युद्ध की स्थिति में हम सब इसका इस्तमाल करते है, इसके प्रभाव से हम एक दूसरे के मन में चल रही किसी भी बात का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। अब भी ये मिशेल के मददगारों से हमारी हर बात पर पर्दा डालने में कारगार होता है ,वरना तो उन्हें हराना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

“ ओह ये तो बहुत काम की चीज़ है , और ये इतनी खास कैसे है ? “ नेत्रा ने अपना चश्मा ठीक करके गौर से उस पट्टी की तरफ देखते हुए कहा।

“ये ऐसी वैसी वस्तु नहीं है ,इसको बड़े खास मौके से बनाया जाता है, हमारे ग्रह पर बहुत कम गोलक्षी होते हैं जो सौ वर्षों से ज्यादा जीवित रह पाते है , लेकिन कुछ गोलक्षी हैं जो सौ वर्ष से भी ज़्यादा जीते है ,तो जब उनकी मृत्यु होती है तो उनकी जिस भी चीज़ में उन्हें हवा में लटकाकर उनको नष्ट किया जाता है वो पात्र उनकी सारी शक्तिया ग्रहण कर लेता और उसी पात्र में अगर कोई कपड़ा पुरे सौ दिन के लिया रखा जाता है तो वो इतना पवित्र हो जाता हिअ की कोई भी नजर उसको आसानी से भेद नहीं पाती है। ये पट्टी उसी कपड़े का ही एक हिस्सा है ,और आप सब तो जानते ही हो कि हम गोलक्षियों की सबसे बड़ी ताक़त हमारी आँखें ही है। “ जिली ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा।

नेत्रा, ग्रमिल कल्कि और रेयॉन उनकी बातों को ऐसे सुन रहे थे मानो वो कोई जादुई कहानी सुना रहा हो।

“वाओ कितना मज़ेदार है ये सब, जब में अर्थ पर वापिस जाउंगी पक्का इस पर एक कहानी लिखूंगी , फिर मैं भी फेमस हो जाउंगी, सब मेरे एक ऑटोग्राफ के लिए तरसा करेंगे। ….” कल्कि ने हवा में ख़याली पुलाव पकाते हुए कहा। नेत्रा उसकी इस बात फिर से मुस्कुरा दी।

“ तू ना बिल्कुल पागल है कल्कि “ नेत्रा ने उसके सर पर हल्की से चपत लगाते हुए कहा।

“ अच्छा जिली जी तो क्या ये हमें भी मिल सकती है ?” नेत्रा ने पूछा।

“कोई फायदा नहीं है ,इसका हमारे ऊपर कोई असर नहीं होता है। “ रेयॉन ने जवाब देते हुए कहा।

“ओह अच्छा “ नेत्रा ने मायूसी से कहा।

“लेकिन हम अगर कोई एक्शन बिना सोचे करते है तो इन्हे पता नहीं चकता है ,हमारी गति गोलाक्षियों से तेज है नेत्रा , ये सब पहले सोचते हैं और फिर करते है ,लेकिन हम तुरंत कुछ भी कर सकते है, तो हम इसके बिना भी इनके जितने ही ताक़तवर है नेत्रा।” रेयॉन उनकलर न्र नेत्रा का हौसला बढ़ाते हुए कहा। नेत्रा जवाब में आँखों में हल्की चमक के साथ मुस्कुरा देती है।

वो सब अब बस अपने अपने लक्ष्य की निकलने के लिए तैयार थे।

वहीं दूसरी और.....

एक मिशेल और युवी आमने सामने थे मिशेल अब भी वेह्शी नजरों से युवी की तरफ देख रहा था। युवी को भी उसकी नजरों से ही उसकके इरादों का अंदाजा हो गया था। युवी उसको देखकर मुस्कुरा देती है ,और धीरे धीरे उसके करीब जाने लगती है ,नित्य अचानक से युवी का हाथ पकड़ता है और गर्दन से कुछ भी करने से मना कर देता है ,लेकिन युवी उसका हाथ झटक कर मिशेल की तरफ़ बढ़ जाती है।

“मिशेल जी अगर आपने मुझे अपनी रानी बनाने का फ़ैसला कर ही लिया है तो मेरा भी तो आपको जानने का हक मिलना चाहिए ना..... “ युवी ने एक एक शब्द को भारी मिठास से भरते हुए कहा और फिर एकटक मिशेल की तरफ़ देखती रहती है।

“ बिलकुल हक़ है ,एक तुम्हारा ही तो हक़ है जानने का मेरी आग मुझे “ मिशेल ने अपनी कर्कश आवाज को शांत करने कोशिश में युवी के क़रीब हुए कहा।

“ तो फिर मौका आप हमें कब डोज मिशेल जी,मैं आपसे साथ समय गुजारना चाहती हूँ करीब से जाना चाहती हूँ ,आपके खूबसूरत चेहरे ,आपके इन नुकीले नाखूनों को निहारना चाहती हूँ। “ युवी ने प्रेम से भरे शब्दों के बाण चलाते हुए कहा।

मिशेल भी उसकी बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था ,और मुस्कुराते हुए उसके दांत और भी भयानक लग रहे थे।

“ मुझे नहीं मालूम था कि मेरी आग इतनी जल्दी मेरी खूबसूरती पर फ़िदा हो जाएगी, बामी जल्दी से मेरा कमरे को अचे से सजा दो मैं कुछ ही देर में अपनी आग के साथ वहां पहुंच रहा हूँ और हाँ कोई कमी नहीं रहनी चाहिए सजवट में आफ्टरऑल हमारी पहली डेट है, क्यों सही कहा ना माय युवी द फायर “ उसने फिर से अपने लटकते दातों संग मुस्कुराते हुए कहा। युवी भी उसकी इस बात पर धक्के से मुस्कुरा रही थी।

“ जी “ बामी ये कहते हुए वहां से चला जाता है और जाते जाते वो एक बार मुड़कर युवी की तरफ देखता है।

क्रमशः

तो दोस्तों ये था हमारी कल्पना का अगला भाग..... उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगा। तो अगर पसंद आये या कुछ भी कमी लगे तो आप सब समीक्षा लिखकर जरूर बताएं।आपकी समीक्षाओं का इंतज़ार रहेगा। तो मिलते है अगले भाग पर तब तक पढ़ते रहिये ,समीक्षाएं लिखते रही और स्नीकर्स देते रहिये।

© jagGu prajapati ✍️