Farishta in Hindi Short Stories by FARHA KHAN books and stories PDF | फरिश्ता

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फरिश्ता




दूर तलक नज़र आते रोड का उसने एक ही नज़र में मुआयना किया था!कोई नहीं था!ना कोई ऑटो ना कोई टेक्सी!कभी कभी इक्का दुक्का कोई गाड़ी उधर से गुज़र जाती थी!मगर किसी गाड़ी में लिफ्ट लेना उसके बस की बात नहीं थी!आजकल के माहौल को देखते हुए वह ऐसे काम करने से बाज़ ही रहती थी!इस वक़्त एक हल्का सा ख्याल गुज़रा था!कि काश उसका भी कोई भाई होता जिसे वह फ़ोन करके बुलाती और घर पहुंच जाती!आज उसकी कैब निकल गई थी!निदा की शादी की वजह से उसे ओवर टाइम काम करना पड़ रहा था! अगली कैब सुबह 6 बजे मिलने वाली थी!इतना इन्तिज़ार वह नहीं कर सकती थी!उसने अपना मोबाइल फ़ोन निकाला और उसका नंबर देखा!उसके नंबर पर हाथ फेरते हुए दिल भर आया था!ऐसे कितने मौक़ो पर वह एक फ़ोन कॉल पर उसके लिये दौड़ा चला आता था!मगर क़ुदरत को उनका साथ भी ज़्यादा मंज़ूर नहीं था!

कुछ दिन पहले ही कार एक्सीडेंट में आज़म की मोत हो गई थी!वह हमेशा कहता था कि जब भी तुम मुझे दिल से याद करोगी मैं ज़रूर आऊंगा।

"तुम झूठ बोलते हो।"माहीन उसे जानबूझकर झिड़क कर बोलती ओर मुँह फेर लेती ताकि वह उसकी मुस्कुराहट वह समझ ना सके।
" आज़मा कर देख लेना कभी भी।" वह भी मोहब्बत से कहता।। उसकी मोहब्बत जैसे माहीन के लिए जन्नत थी। जबसे वह गया था माहीन की अपने आपसे मोहब्बत ही खत्म हो गई थी। अब वह जैसे मौत के इन्तिज़ार मे रहती लेकिन जब सोचती कि अभी जाने उसकी कितनी ज़िंदगी बाक़ी है?? तो दिल और ज़्यादा दुख से भर जाता था।।

!उसके बारे में सोच कर माहीन की आँखों में आंसू आ गए!ऐसे वक़्त में और ज़्यादा उसका ख्याल आता था!उसका अचानक जाना बहुत दुखद था!उसने आज़म के ख्यालों को झटक कर सड़क पर नज़र डाली!छोटा सा क़स्बा था!जल्दी ही जो कारें और मोटर साईकल आ रही थीं वह भी आना बंद हो गई!उसने धीरे धीरे करके पैदल ही चलना शुरू किया!पैदल भी चल कर शायद उसे घर तक सुबह ही हो जाती!मगर यहाँ खड़े रहकर भी कोई फायदा नहीं था!अभी वह थोड़ी दूर ही चली थी कि अचानक से एक कार पास आकर उसके साथ साथ चलने लगी!बहुत हल्की स्पीड में!माहीन ने चौंक कर कार की तरफ देखा!उसमे कोई लड़का बैठा था!

"कहाँ जाना है मिस आपको?" उसने बहुत मुलायम से लहजे में पूछा!मगर फिर भी अंजान से शख्स को देखकर वह एक लम्हें के लिये डर गई!और इधर उधर देखा!दूर तक सिर्फ सन्नाटा था!

"क...कहीं...नहीं...मैं चली जाउंगी" उस पल उसके खुद को बहुत बहादुर दिखाने का जतन किया था मगर दिखा नहीं पाई!उसकी आवाज़ लड़खड़ा गई थी!शायद वह उसके डर को भांप गया था इसलिए हल्का सा मुस्कुरा दिया था!

"डरने की कोई बात नहीं है!आप बेझिझक बताइये!मैं यहाँ इस वक़्त इसलिए ही आता हूँ ताकि कोई लड़की ज़रूरतमंद हो तो मैं उसकी मदद कर सकू!प्लीज़ आप आराम से बैठ जाये आकर" उसका अंदाज़ कुछ ऐसा था और फिर उसने उसके लिये दूर भी खोल दिया था!वह दुआएं मांगती बैठ गई थी!

कार में अजीब सी ठण्ड का माहौल था!ऐ सी भी ऑन नहीं था!फिर भी वह ठिठुरने लगी थी!और खुद की बाँहों को खुद पर लपेट लिया था!लड़के ने गाड़ी आगे बढ़ा दी!उसने कई बार माहीन की सर्दी को महसूस किया मगर उसके पास कुछ ऐसा ना था जो उसे पहनने या ओढ्ने को दे देता!

माहीन ने उसे घर का रास्ता बताया और बस बाहर ही देखती रही!घर आया तो वह झटपट उतर गई!मगर इस वक़्त फ़रिश्ते की तरह आये इस शख़्स को शुक्रिया तो कहना था!वह हल्का सा खिड़की में झुक आई।

!"बहुत बहुत शुक्रिया आपका"

.लड़के के होंठो पर एक मुस्कराहट फेल गई थी!

"कभी भी दिल से याद करोगी तो मैं ज़रूर आऊंगा"माहीन को लगा किसी ने उसके दिल पर हथोड़ा मारा है!वह झटके से पीछे हुई मगर उस लड़के के बदलते चेहरे को उसने देख लिया था!उसके लबों पर एक ही नाम था!"आज़म?"कार बैक होकर कुछ आगे बढ़ी!पथराई हुई आँखों से माहीन ने कार का नंबर देखा!वह तो आज़म की ही कार नंबर था!गली के मोड़ से पहले ही कार किसी ठन्डे धुंए में ग़ायब हो गई मगर वह जैसे बर्फ की तरह जम गई थी!उसे यक़ीन नहीं आ रहा था कि आज़म की मोहब्बत मरने बाद भी ज़िंदा थी!