life came back again in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | जीवन फिर से लौट आया

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जीवन फिर से लौट आया

1. जीवन फिर से लौट आया

खेड़ा गांँव के लोग बहुत आलसी थे । वे अपने दिन इधर - उधर घूमने, झगड़ने, सोने और शिकायत करने में बिताते थे ।
एक बार गाँव में भयंकर सूखा पड़ा । फसलें सूख गयीं । कुएंँ सूख गये । ग्रामीणों के सामने भुखमरी का खतरा पैदा हो गया । मेहनती किसान और मजदूर तुरन्त काम करने में जुट गये। उन्होंने नये कुएँ खोदे । अपने खेतों की सिंचाई की और गांँव के बाहर जाकर खाने - पीने की तलाश की, लेकिन आलसी लोगों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया ।
वे छाया में लेटे रहते और खाने के आखिरी भण्डार को खाकर जीवन गुजारते रहे । खाली बैठकर ईश्वर को कोसते रहे कि जीवन कितना कठिन है ! वे अपने साथी ग्रामीणों के प्रयासों की खिल्ली उड़ाते और यही सोचा करते कि उनकी ओर से बिना किसी प्रयास के अन्त में सब कुछ ठीक हो जायेगा ।
दिन बीतते गये । स्थिति और विकट होती गयी । मुट्ठी भर मेहनती ग्रामीणों के इतने प्रयासों के बावजूद चारों ओर खाने के लिए पर्याप्त भोजन और पानी नहीं बचा था । शीघ्र ही आलसी लोगों को उनकी अकर्मण्यता का कुप्रभाव महसूस होने लगा । वे कमजोर और बीमार हो गये । स्वयं के लिए या समाज में योगदान करने में असमर्थ थे । जैसे - जैसे स्थिति बिगड़ती गयी, उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हुआ, पर अब बहुत देर हो चुकी थी ।
आखिरकार, कुछ दिनों बाद सूखे का खतरा टल गया और गांँव में जीवन फिर से लौट आया । मेहनती किसान अपने नि:स्वार्थ प्रयासों के लिए नायक के रूप में सम्मानित किये गये । आलसी लोगों की समझ में अब बात चुकी थी कि केवल बातों से नहीं, काम करने व कोशिश करने से परिस्थितियांँ बदली जा सकती हैं ।

संस्कार सन्देश :- आलस बुरी आदत है । कड़ी मेहनत और परिश्रम से स्वयं की व आस - पास के लोगों की भी भलाई होती है ।

2.
प्रेम, मुहब्बत बना खिलौना
इंसानियत भी बौनी हो गई

कौन किस पर करे भरोसा
हर कोई हर किसी को छल रहा
प्रीत की रीत भी बदल गई
अब रिश्तों की परिभाषा नई - नई

पैसा - पैसा की मार है अब
पैसों से ही रिश्तों की पहचान
फिक्र करना, ध्यान देना
वेवकूफी के लक्षण
इंसान की प्रवृति विकृत हुई

यूं ही नहीं हो रहा प्रकाश का क्षरण
अंधकार का चहूँ ओर वातावरण
रोज विधाता ला रही नई विपदाएँ
फिर भी मति ऐसी मारी गई

हे प्रभो करो कुछ जगत के हितार्थ
बुद्धि को पलट दो या ला दो प्रलय
या हो इस पार या उस पार
संकट मिटे या हो सृष्टि और दृष्टि नई !

3.
1
कोई भूखा न हो, तन ढका रहे सबका,
किसी के घर पर कोई मायूसी न हो,
कि रोशन हो चरागों से आशियाना सबका,
मेरे रब्बा बस इतनी सब पर अपनी मेहर रखना..!

2.
सुना था मैंने कि,
हर बात की इंतिहा होती है,
फिर ये इश्क़ और उसका दर्द,
क्यूं बेइंतेहा हुए..!

3.
यादों की इक गठरी है जागीर मेरी,
जहां भी जाऊं ये मेरे साथ साथ चलती हैं.!

4.
इस सफर की खासियत यही है,
कि मैं जिस दिन भी बिछडूंगी तुमसे,
तुम ताउम्र तलाशोगे फिर
परछाई मेरी...!

5.
इस दौर में गलत है किसी से उम्मीद रखना,
ये वो दौर है जिसमें खून के रिश्ते भी सगे नही होते..!

6.
ढलने लगी है शाम,
मंज़र अजीब है,
कि तलब चाय की जगी है,
मगर तू साथ नही है...।

7.
अभी उलझी हूं जिंदगी की जद्दोजहद में मैं,
कुछ वक्त दो फिर हम भी चर्चा ऐ आम होंगे..!

8.
ये बंदिशे कहां तक रोक पाएंगी भला,
रूह ढूंढ लेती हैं रास्ता रूह तक का..!

9.
वक्त रहते उनकी कद्र कर लें,
जो इक वक्त के बाद शायद फिर कभी न मिलें.....!