This relationship is yours and mine in Hindi Anything by दिनेश कुमार कीर books and stories PDF | रिश्ता ये तेरा मेरा

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रिश्ता ये तेरा मेरा

1. मददगार

एक गांँव था। उस गांँव का नाम रामपुरा था। रामपुरा गांँव के पास से बहुत घना वन था। उस वन में शेर, चीता, भालू, हिरण, लोमड़ी, बन्दर आदि बहुत से जंगली जानवर रहते थे। रामपुरा के लोग उन जानवरों के डर से कभी वन में‌ लकड़ी आदि लेने नहीं जाते थे। वन में फलों के बहुत से पेड़ थे। लेकिन उनके पानी पीने के लिए एक छोटा सा तालाब था। कुछ दिनों बाद धीरे - धीरे वह तालाब सूखने लगा, क्योंकि जंगल में पानी नहीं बरसता था। धीरे - धीरे तालाब बिल्कुल सूख गया और सभी जानवर प्यास से व्याकुल होकर भटकने लगे। परेशान होकर सभी जानवरों ने मिलकर एक सभा की और तब वन के मन्त्री भालू ने अपने राजा शेर को यह सुझाव दिया कि- "महाराज! पास के गांँव में जाकर गांँव वालों से पानी के लिए मदद मांँगी जाय। हो सकता है वे लोग हमारी समस्या समझें।" सभी जानवर गांँव के बाहर जाकर शान्त बैठ गये। पहले तो गांँव वालों ने जब इतने सारे जंगली जानवरों को देखा तो वे डरे। फिर गांँव वालों ने जब देखा कि जानवर उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंँचा रहे हैं, तब धीरे - धीरे उनके पास गये। सभी जानवरों के प्रतिनिधि बनकर जानवरों के मन्त्री भालू ने गांँव के मुखिया से अपनी बात बतायी। मुखिया ने गांँव वालों के सम्मुख यह प्रस्ताव रखा और कहा- "यदि हम लोग इन सबको अपने गांँव में बने तालाब का पानी पीने के लिए उपलब्ध करा दें, तो इन सभी की जान बच सकती है।" गांँव वालों के साथ कुछ विचार - विमर्श किया। सभी लोगों ने मुखिया की बात मान ली और इस बात की सहमति तो दी, लेकिन इस शर्त के साथ कि कोई भी जंगली जानवर उनके बच्चों को या किसी भी ग्रामीण को कोई नुकसान नहीं पहुंँचायेगा। इस तरह से मनुष्य और जानवरों में सुलह हो गयी। जानवर और ग्रामीण एक दूसरे की मददगार बन गये।

संस्कार सन्देश :- धरती पर सभी प्राणियों को प्रेम, एकता, परोपकार और समता का भाव अपनाना चाहिए।

2.
एक महिला की आदत थी कि वह हर रोज सोने से पहले, अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर, लिख लिया करती थी... एक रात उन्होंने लिखा :

मैं खुश हूं, कि मेरा पति पूरी रात, ज़ोरदार खर्राटे लेता है, क्योंकि वह ज़िंदा है और मेरे पास है. ये ईश्वर का, शुक्र है...

मैं खुश हूं, कि मेरा बेटा सुबह सबेरे इस बात पर झगड़ा करता है, कि रात भर मच्छर- खटमल सोने नहीं देते. यानी वह रात घर पर गुजारता है, आवारागर्दी नहीं करता. ईश्वर का शुक्र है..

मैं खुश हूं, कि हर महीना बिजली, गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का, अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है. यानी ये सब चीजें मेरे पास, मेरे इस्तेमाल में हैं. अगर यह ना होती तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती ? ईश्वर का शुक्र है...

मैं खुश हूं, कि दिन ख़त्म होने तक, मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है. यानी मेरे अंदर दिन भर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत, सिर्फ ईश्वर की मेहर से है...

मैं खुश हूं, कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है, और दरवाज़े-खिड़कियों को साफ करना पड़ता है. शुक्र है, मेरे पास घर तो है. जिनके पास छत नहीं, उनका क्या हाल होता होगा ? ईश्वर का, शुक्र है...

मैं खुश हूं, कि कभी कभार, थोड़ी बीमार हो जाती हूँ. यानी मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं. ईश्वर का शुक्र है..

मैं खुश हूं, कि हर साल त्यौहारों पर तोहफ़े देने में पर्स ख़ाली हो जाता है. यानी मेरे पास चाहने वाले, मेरे अज़ीज़, रिश्तेदार, दोस्त, अपने हैं, जिन्हें तोहफ़ा दे सकूं. अगर ये ना हों, तो ज़िन्दगी कितनी बेरौनक हो..? ईश्वर का शुक्र है...

मैं खुश हूं, कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर, उठ जाती हूँ. यानी मुझे हर रोज़, एक नई सुबह देखना नसीब होती है. ये भी, ईश्वर का ही करम है..

जीने के इस फॉर्मूले पर अमल करते हुए, अपनी और अपने लोगों की ज़िंदगी, सुकून की बनानी चाहिए. छोटी या बड़ी परेशानियों में भी, खुशियों की तलाश करिए, हर हाल में, उस ईश्वर का शुक्रिया कर, जिंदगी खुशगवार बनाएं..!!!