Principles of success in life: Competition and patience in Hindi Magazine by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | जीवन मे सफलता के सिंद्धान्त प्रतिस्पर्धा एव धैर्य

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जीवन मे सफलता के सिंद्धान्त प्रतिस्पर्धा एव धैर्य


जीवन मे सफलता के सिद्धांत प्रतिस्पर्धा एव धैर्य---

प्रतिस्पर्धा ,चुनौती जिन्दंगी के जंग का हिस्सा है जिंदगी जंग है जिंदगी मीत है, जिंदगी खुद की है ,जिंदगी खुद की दुश्मन भी है ।तात्पर्य स्पष्ठ है जिंदगी जीने के अंदाज़ पर निर्भर करती है।चाहे आप जो भी कार्य करते है वहां प्रतिस्पर्धा चुनौती से अवसर एव उपलब्धि दोनों उपलब्ध कराती है।कभी सामान व्यवहारिकता सामान धरातल पर सामानता से प्रतिस्पर्धा चुनौती होगी तो यदा कदा प्रकृति और ईश्वरीय चुनौती की परीक्षा होगी और प्रतिस्पर्धा का सामना होगा ।यानि स्पष्ठ है जिंदगी में प्रतिस्पर्धा चुनौतियों से जंग हर इंसान को लड़ना ही पड़ता है ।साधारण इंसान एव एक सैनिक में फर्क सिर्फ इतना है की वर्दी का सैनिक देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिये हथियारों से युद्ध लड़ता है तो देश का आम नागरिक अपने जीवन उद्देश्यों मूल्यों के लिये अपनी योग्यता दक्षता से स्वयं के विकास उत्कर्ष के लिये एव राष्ट्र में अपने इकाई योगदान के लिये तमाम परिस्थितियों की चुनौतियों प्रतिस्पर्धा से जंग लड़ता अपने उदेशय पथ का विजेता बनने को उद्धत रहता है।वास्तव में प्रतिस्पर्धा का प्रारम्भ भी स्वयं से होता है जहाँ किसी भी व्यक्ति को जबरजस्त प्रतिपर्धा चुनौती पेश आती है मशलन जब भी कोई व्यक्ति किसी कार्य करने के लिये योजना बना रहा होता है या सोचता है तो उसकी अन्तरात्मा या मन ही उसके समक्ष प्रतिस्पर्धी बन चुनौती प्रस्तुत करता है यह चुनौती अन्तरात्मा मन कई सवाल खड़े कर व्यक्ति के व्यक्तित्व को ही चुनौती प्रतिस्पर्धा के दायरे में खड़ा कर देता है जैसे जो कार्य वह् करने जा रहा है वह करने में
सक्षम है या नहीं ,सफलता मिलेगी
की नहीं, काफी दिक्कते भी आ सकती है, वह समाना करने में सक्षम है की नहीं, आदि आदि यहाँ यह मन या आन्तरात्मा की नकारात्मक की चुनौती होती है तभी मन आन्तरात्मा से ही यह भी आवाज़ आती है की क्यों नहीं कर सकते ,क्यों नहीं सफल होंगे, कौन सी ऐसी समस्या है की समाधान नहीं खोज सकते ,यही मानव मन की दृढ़ इच्छाशक्ति ,मजबूत इरादों ,की विजय होती है। जब वह स्वयं द्वारा निर्धारित उद्देश्य को स्वीकार कर उसमे आने वाली चुनौतियों बाधाओ से रूबरू होने निकल पड़ता है तब उसको नहीं मालुम होता की किस तरह की चुनौतियाँ आनी है जिसका सामना करना होगा।सीमा पर खड़े सैनिक को मालुम है की उसे दुश्मन का सामना करना है।जैसे किसे मालुम था की कोरोना समूची मानवता विश्व के समक्ष जीवन की चुनौती प्रस्तुत करेगा मगर सम्पूर्ण विश्व आज कोरोना से जीवन की जंग लड़ रहा है। जब व्यक्ति अपने द्वारा निर्धारित उद्देश्यों की संभावित चुनौतियां जो उसके अंतर मन से उठती है जीत कर दृढ़ इरादों के साथ अपने उद्धेश पथ पर बढ़ता है तब उसे समाज की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है ।समाज में तीन तरह के लोग होते हैं 1- पहला वह जो सिर्फ किसी दूसरे के कार्यो का हास परिहास करता हैं या तारीफ़ प्रशंसा करता है ।2-दूसरा वह जो सिर्फ किसी व्यक्ति के अच्छे कार्यो को याद इतिहास में दर्ज कर मौके बेमौके प्रेरणा के लिये सुनाता है स्वयं कुछ नहीं करता।3-सर्वोत्तम व्यक्तित्व वह होता है जो हास परिहास इतिहास याद को छोड़ कर सिर्फ अर्जुन की आँख की तरह अपने उद्देश्य पथ की और मजबूत इरादों से बढ़ता जाता मार्ग में आये हर चुनौती से दो चार होता और छोटी छोटी जीत के साथ बड़ी जीत को निरंतर आगे बढ़ता जाता।
क्रिकेट का खेल इसका सटीक उदाहरण है दर्शक ताली बजते या कोसते है ,कमनट्रेटर कमेंट्री कर हाल सुनाता है और स्कोर रिकार्डर इतिहास दर्ज करता है लेकिन पिच पर खड़े खिलाड़ी को सिर्फ गेंद और फिल्ड दिखाई पड़ता है यानी सिर्फ उद्देश्य कुछ सुनाता भी नहीं है।प्रतिस्पर्धा प्रतियोगिता का सिद्धांत भी यही है क्योकि जिंदगी की जंग या अपने उद्देश्य पथ की प्रतिस्पर्धा चुनौतियों के अतिरिक्त यदि कही और उलझ गए तो असफलता की फिसलन पर फिसल गए। देश के नौजवान दोस्तों जिंदगी एक जज्बा भाव है, जिंदगी जीने का अंदाज़ नजरिया है ,ये बात आप पर निर्भर करती है की आप जीवन में हासिल क्या करना चाहते है।
आज आप भी जिंदगी के जंग में अपने कर्म क्षेत्र में जाने अनजाने चुनौतियों से पूरी प्रतिबद्धता के साथ प्रतिस्पर्धा की जंग के एक सैनिक है जहाँ प्रतिदिन के आधार पर विजय पथ का निर्धारण होना है ।।जबकि कोरोना ने नई चुनौती प्रस्तुत की है एक तथ्य सैद्धान्तिक तौर पर सही है की प्रत्येक चुनौती एक नए आयाम के पराक्रम का सूत्रपात
करती है जो वर्तमान परिस्थितियों में और भी प्रासंगिक है। चुनौतियों से प्रति दिन दो चार होना ही जीवन की सार्थकता सफलता की कसौटी है
मजबूत इरादे एव प्रतिस्पर्धा से जूझने की संयुक्त शक्ति आपका मार्ग दर्शन और सहयोग के लिये प्रति पल पराक्रम पुरुषार्थ के लिये बाध्य है निश्चित रूप से सफल होने के लिये यह सशक्त सम्बल सहयोग के लिय संकल्प साहस ही आपकी सक्षमता बन कर सबल बनाता साथ रहता है
अन्य किसी प्रकार का सहयोग के लिये मजबूती से आपके साथ हर
कदम पर दृढ़ता एव उसके धरातल की इच्छा शक्ति उत्साह एव ऊर्जा साथ रहती ।अब तक ब्रह्मांड में कोई समस्या नही जिसका समाधान न हो ,कोई प्रश्न नहीं जिसका उत्तर न हो,
ऐसी कोई अबूझ पहेली नही जिसका अन्वेषण ना हो ।जब समस्या का समाधान ना हो तब तक अविरल, निर्मल, निर्विकार , निश्छल अविराम नितरन्तर पराक्रम का प्रायास ही जीवन का मौलिकता का माप दण्ड है।प्रत्येक समस्या का समापन उसके उतपन्न के साथ निश्चित होता है समाधान के सारथी ही प्रेरणा उत्साह
की मौलिकता साहस सोच दृढ़ इच्छा शक्ति की नैतिकता के साथ संकल्प का युग जगरण का नव शौर्य सूर्य की भांति उदित हो समय समाज युग राष्ट्र को नेतृत्व देता है। सफलता हेतु प्रयास का विश्वाश पराकाष्ठा के पराक्रम की आस्था के अस्तित्व को मूर्तता प्रदान करने का संभव विश्वाश कर्तव्य इरादों को मंजिलों से क़ोई रोक
नहीं सकता।।

धैर्य-
धैर्य सदैव उद्देश्यों के विजय पथ का सार्थक हथियार है ।कदाचित कायरता धैर्य नहीं हो सकता है मगर कभी कभी कभी धैर्य टूटने लगता है उत्साह उर्जा के पौध को विशालता प्राप्त करने का भरपूर अवसर प्राप्त करने के रास्ते में मुश्किल हालात पैदा करता है। ऐसी स्थिति में बगुला धैर्य को परिभाषित करने वाला एक ऐसा प्राणी है जो एकाघ्र होकर अविचलित भाव से जल में खड़ा तब तक तप करता है जब तक उसका मकसद शिकार उसके सामने नहीं स्वयं आ खड़ा हो जाता। उद्धेश पथ में धैर्य बगुले की तरह आवश्यक है तो मुर्गे की तरह उद्देश्य के प्रति सचेत पुरे रात मुर्गा बड़े धैर्य से सुबह होने का इंतज़ार करता है और सुबह होते ही बान देकर सम्पूर्ण मानव मानवता को नव सौर्य के आगमन की चेतना जागृति का
सन्देश देता बताता है की अब जागो अँधेरा समाप्त हो चूका है शीघ्रता से तत्पर तैयार होकर अपने उद्धेश्यों के कर्तव्य पथ पर निकलो विजय वरण करने को इंतज़ार कर रहा है। कही फिर ऐतिहासिक उपलब्धि के वर्तमान में अन्धेरा न आ जाए धैर्य कायर का आभूषण नहीं हो सकता क्योकि धैर्य कदाचित आलस्य को भी नही जन्म दे सकता अतः कौए की तरह चतुर और होसियार बनना ही पड़ता है कही तुम्हारे धैर्य का अनुचित लाभ उठाकर तुम्हे तुहारे उद्देश्यों के दौड़ से
भटकाकर बाहर ना कर दे लेकिन धैर्य में कौए की चुतुराई तो आवश्यक है मगर उसका बढ़ बोलापन घातक क्योकि कौआ बोलता जितना है उतनी ही कम ऊंचाई तक उड़ सकने में सक्षम होता है बोलने में बाज़ की तरह बनना पड़ता है बाज़ बोलता कम है और बहुत ऊंचाई तक उड़ता है और दुनियां देखती है उसकी ऊंचाई। अतः धैर्य का आकर्षण आभूषण बाज़ है जो बोलता कम है और उड़ता आजाश की ऊंचाई से भी अधिक है। धैर्य का वास्तविक धरातल शक्ति शालीनता सौम्यता योग्यता सादगी है ।उछ्रींगहल विलासी
भोगी कामी का उद्वेलित उमंग का उत्साह का नकारात्म बोध धैर्य वान नहीं हो सकता वह तो बृक्ष पर लगे फलों को पत्थर मारकर गिराता है और तुरंत ही उसका स्वाद रस मिठास का उपभोग करता है उस अज्ञानी को यह नहीं मालुम होता की बृक्ष कितना धैर्यवान है उसने अपने अस्तित्व में पुष्प से फल तक को धैर्य के साथ पालता पोषता है और पकने पर या तो कोई अधीर पत्थर या डंडा मारकर गिरदेता है या स्वयं बृक्ष अपने अस्तित्व से फल को ब्रह्माण्ड के प्राणियो के लिये अलग कर ब्रह्माण्ड में प्रकृति में
अपने दायित्व को बड़े धैर्य से निभाता है।
लाख तूफां भी मकसद को मोड़
नहीं सकता।
जज्बा जब जूनून की हद
अग्नि पथ भी फतह का फरमान
बुलंदियों के आसमाँ को जमी पे
कोई रोक नहीं सकता।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश