nakaratmakta se sakaratmkta ki aur in Hindi Short Stories by Bharat(Raj) books and stories PDF | नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर।

Featured Books
Categories
Share

नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर।


जीवन को आनंद उत्साह से जीने मे ही मज़ा है बाकी दुःख दर्द तो हर चोराये पर बाहे फेलकर इतजार मे खड़ा है, कंप्यूटर सिस्टम बनकर थोड़े ही जीना है की जब मर्जी करे कोई खोले और बंद करे। जीवन मे बदलाव अपने आंतरिक भाग मे होने चाहिए। जो मिस्टर इंडिया की भाती किसी को दिखे नही परंतु खुद को परम सुख, शांति प्रदान करे।
जीवन मे कोई गलती नही होती - सिर्फ शिक्षा मिलती है। नकारात्मकता अनुभव जैसी कोई चीज नही होती, सिर्फ अवसर है आगे बढ़ने के लिए, सिखने के लिए और आत्मनियंत्रण के मार्ग पर आगे जाने के लिए, संघर्ष से आत्मबल आता है दर्द भी जीवन मे शिक्षक का काम कर सकता है।
अधिकांश व्यक्ति किसी न किसी रूप से चाहे शारीरिक रूप से, बौद्धिक रूप से या नैतिक रूप से अपनी ताकत के संकुचित दायरे मे रहते है। हम सबमे जीवनशक्ति का भंडार है, जिसे उपयोग के बारे मे हम स्वप्न तक मे नही सोचते।और जब सोचने लगते है तब तक उम्र निकल चुकी होती है।विशाल पेड मे हजारो टेहनिया होती है कही छोटी तो कही बड़ी, उस हर एक डाल पर अनेको पक्षी आकर बैठते है ठीक इस जीवनरूपी पेड़ पर कही तरह के विचार आकर बैठते है अपने जीवन मे विचारो के घोसले बन जाते है समय रहते पुराने घोसलो को उतार देना चाहिए ताकि जीवन हमेशा जीवंत लगे। क्युकी प्रकृति का नियम है - परिवर्तन, जो भी इंशान परिवर्तन को स्वीकार कर लेता है वो जीवन मे नये नये आयामो को पाता है, निराशा और हताशा से कोशों दूर हो जाता है परिवर्तन इंशान मे बाहरी न होकर आंतरिक होना चाहिए।
किसी इंशान को हम अपनी जिंदगी मे इतना मान संम्मान, प्यार,समय देते है फिर भी वो अपनी भावनाओ के साथ क्यों खेलते है? जिसे कभी अपनी सांसों से भी ज्यादा मानते है फिर भी अपनी संवेदना उसके प्रति क्यों मर जाती है? क्योंकी उस पर हम अपना कब्जा समझते है जो की सही नही है, इससे सिर्फ दर्द ही मिलता,
अपने जीवन की सीमाए हमने ही बनाई है उस सीमाओ को तोड़कर आगे निकलो बहुत कुछ पाने को है हमने अभी तक अपने आस पास के जीवन को देखा , कभी अंदर झांककर मन और दिमाग को खोलकर व्यापक रूप से देखने की कोशिश नही की अगर देखते तो अभी जो हम पीड़ा या दर्द का सामना करते है वो सभी क्षण भंगुर मात्र है परम आनद तो आंतरिक शक्ति को जगाने से मिलता है।
तनाव इंशान को अंदर से तोड़ता है , तो फिर क्यों तनाव मे जीना अपने आस - पास वाली तनाव भरी हर एक चीज को अपने से दूर रखो, हम जब किसी को पाने की जिद करते है तो तनाव को साथ लाते है । तनाव कई प्रकार से अपने को घेरता है किसी की छोटी छोटी बाते हो, काम का भार हो , भाषा की शालीनता के टूटने या फिर भरोसे के टूटने पर भी ज्यादातर लोग तनाव के शिकार हो जाते है। तुम अगर तनाव मे हो तो अपने मन मे उठ रहे नकारात्मक विचारों को छोड़कर किसी काम मे व्यस्थ हो जाओ, जहाँ बैठे हो वहा से उठकर कही दूसरी जगह चले जाओ, मन को शांत करो धीरे धीरे तनाव कम होने लगेगा, किसी की बेवजह शिकायत , कार्यालय मे बेवजह काम,उच्च अधिकारी के आशाओं पर खड़े नही उतरना आदि से भी तनाव होता है। तनाव से हमारी शरीर की इंद्रियाँ भी अलग तरीके से काम करती है। कीसी की उम्मीद उम्दा बालों की कटिंग तक सीमित है तो कोई लाजवाब देखने के लिए बेपरवाह पैसा खर्च करके तनाव को मोल देता है ।

क्या खुशी पाने के लिए सिनेमा जाना जरूरी है, क्या किसी के साथ दो पल बात करके खुशी नही पा सकते, क्या जिम जाने से ही शरीर ठीक रहता है ? या अच्छा भोजन करके भी ,भी ठीक रह सकते है,
क्या शादी एक समझौता भर है जिसमे घुट घुट कर जिये या फिर हस्ते हस्ते रहा मे जो मिले उसके साथ खुश रहे, क्यों किसी को अपने उपर कब्जा करने दे, क्यों मर मर के जिये, हर पल क्यों न मुस्कराने का हो, सारे जहा को क्यों ना अपना बना दे, जिंदगी है साहेब चलती रहेगी, दर्द ढूढने की बजाए या बड़ी खुशी ढूढने की बजाए जहा खड़े है वही आस - पास की चीजो मे खुशिया ढूढलो। घर से जब भी ऑफिस के लिए निकलो थोड़ा जल्दी निकलो रास्ते मे सड़को , मकान, खंभे जो भी दिखे उससे बात करने की कोशिश करो, वो आप से शिकायत नही करेंगे खुशी देंगे। सड़क को पूछो क्यों वही की वही सोई हैं कितने हर रोज तेरे उपर से गुजरते है तुझे दर्द नही होता, तो वही खंभे से बात करो की क्यों ऐसे अकेला खड़ा है, तेरा की दोस्त नही है क्या?
एक चुनरी दीवार पर मुरझाई हुई लटक रही थी, तभी हवा का एक तेज जोखा आये , चुनरी को हवा की दिशा मे उड़ाये, मानो उसके लिए खुशी के यह पल है, बेसबरी से मानो इस हवा का इंतज़ार था, हम सब अपने जीवन को भी उस चुनरी की भाती मुरझाये हुयें नही बल्कि हवा के साथ वर्तमान को जिये। क्या आप ने हवा को भूतकाल मे देखा था या कभी भविष्य मैं देख़ोगे नही ना तो फिर चुनर की भाती वर्तमान मे जियो, जिंदा दिल्ली के साथ।
चलो आज निकलते है जिंदगी के सफर मे, बस मे बैठकर, काच के गिलास को खोलकर बाहर के नजरे को अपने अंदर आत्मसात करके खुशी को पाए।
मेरा मन होलित्सव देखकर रंग जाता है,
शरीर ना रंगे रंग से, मन रंगो से भर उठता है। दीपोंत्सव देखकर भले मे दीप न भी जलाऊ पर चारो और जगमगाते, रोशनी से नहाये हैं शहर , गाँव, गली महल्लो को देखकर दिल मे खुशीयो का अपार एहसास करता हु।
सफलता मे 99 प्रतिशत असफलता शामिल होती है। - सोइचिर होंडा
सोचकर देखो की खुशी पाने के कोड के नम्बर आप के पास है पर एक नंबर उस मे से न हो, उस एक नंबर के चक्कर मे आप पूरा जीवन घूमते रहोगे पर अपने आंतरिक शक्ति को प्रयोग करके खुशी को महसूस नही कर पाते। तु फिर ऐसे कोड को लेकर घूमने का क्या मतलब?।
क्या जीवन मे सफलता ही खुशी देती है, जीत से ही खुशी मिलती है क्या आज तक किसी ने कोशिश नही की हार मे असफलता मे निराशा मे हताशा मे खुशी को ठूंठने की।
खुशी पाने के लिए कभी कभी जंगल की शेर भी कर लिया करो, वहा खड़े विशालकाय पेडो पर ना जाने कितने पक्षी बैठते होंगे, कैसे कैसे आवाजे निकालते होंगे उनको महसूस करो, जंगल की चारो और की हरियाली मन को ऐसे ही खुश कर देती है वही विशालकाय पड़ो की ठंडी हवा को महसूस करो.
दो दोस्त गरीबी में अमीरी वाली खुशी ढूंढने निकले अहमदाबाद के पतंगोत्सव में ,फटे पुराने कपड़े पर सेहरे पर गजब की खुशी,यार आज तो में ही जीतूंगा ,तू नही में ,देखते है किस में है दम,चल यार पतंग लूटते है ,यह लाल वाली को में ही पकड़ूंगा ,नही में पकड़ूंगा चल भाग वो जा रही है ।
पर ऑटो और बस से बसकर भागना सकड़ पर ,हा तू भी देखकर ,एक लड़की से टकराता ,लड़की ओये पागल है क्या?,भागते हुए हा पतंग के लिए .
पतंग आखिर एक पेड़ पर अटक गया ,दोनो पेड़ के पास आकर यार ना तुम जीते और ना में .चल दोनो मिलकर पेड़ से लाल वाली पतंग उतरते है पतंग मेरी और धागा तेरा ,दोनो में हसी के साथ बिना लिखे ही समझोता हो गया।
दोनो ने पतंग उतारी और घर की और चलने लगे फिर एक दोस्त बोला यार वो देख ब्लू वाली जा रही है चल भाग इसी तरह पूरा दिन खुशियों को ढूंढते हुए गुजर जाता है ,
भरत (राज)💗